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US Import Duty: अमेरिका द्वारा स्टील और एल्युमिनियम पर 25% आयात शुल्क, भारत कर रहा प्रभाव का आकलन, दवाओं के दाम बढ़ने का खतरा

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US Import Duty: अमेरिका द्वारा स्टील और एल्युमिनियम पर 25% आयात शुल्क, भारत कर रहा प्रभाव का आकलन, दवाओं के दाम बढ़ने का खतरा

US Import Duty: वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने सोमवार को लोकसभा में बताया कि केंद्र सरकार अमेरिका द्वारा स्टील और एल्युमिनियम के आयात पर लगाए गए 25% शुल्क के प्रभाव का आकलन कर रही है। उन्होंने बताया कि अमेरिकी राष्ट्रपति के फैसले के अनुसार, 12 मार्च से अमेरिका ने भारतीय स्टील और एल्युमिनियम उत्पादों पर आयात शुल्क लगा दिया है। मंत्री ने कहा कि वाणिज्य विभाग के अनुसार, भारत पर इस फैसले के प्रभाव का मूल्यांकन किया जा रहा है।

अमेरिका का आयात शुल्क: भारतीय निर्यातकों पर असर

अमेरिका द्वारा स्टील और एल्युमिनियम पर 25% आयात शुल्क लगाए जाने का सीधा असर भारत के निर्यातकों पर पड़ सकता है। भारतीय उद्योग जगत पहले ही वैश्विक मांग में आई कमी और कीमतों में उतार-चढ़ाव से जूझ रहा है। ऐसे में इस नए शुल्क से भारतीय कंपनियों की लागत बढ़ सकती है और निर्यात प्रतिस्पर्धा में गिरावट आ सकती है।

भारत की FATF रेटिंग मजबूत स्थिति में

पंकज चौधरी ने लोकसभा में बताया कि फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की 40 सिफारिशों में से भारत ने 37 में ‘कंप्लायंस’ या ‘लार्जली कंप्लायंस’ रेटिंग प्राप्त की है। शेष तीन में भारत को ‘पार्शियल कंप्लायंस’ रेटिंग मिली है और किसी में भी ‘नॉन-कंप्लायंस’ रेटिंग नहीं दी गई है। भारत को FATF की ‘रेगुलर फॉलो अप’ श्रेणी में रखा गया है, जो किसी भी देश के लिए सर्वश्रेष्ठ संभव रेटिंग मानी जाती है।

US Import Duty: अमेरिका द्वारा स्टील और एल्युमिनियम पर 25% आयात शुल्क, भारत कर रहा प्रभाव का आकलन, दवाओं के दाम बढ़ने का खतरा

G-20 देशों में भारत की मजबूत स्थिति

वित्त राज्य मंत्री ने बताया कि भारत उन चुनिंदा चार G-20 देशों में शामिल है, जिन्हें FATF द्वारा ‘रेगुलर फॉलो अप’ रेटिंग दी गई है। यह भारत की मजबूत वित्तीय स्थिति और मनी लॉन्ड्रिंग व आतंकवाद वित्तपोषण के खिलाफ सख्त नीति को दर्शाता है।

अमेरिका को भी होगा नुकसान

विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका द्वारा भारतीय उत्पादों पर लगाए गए ये शुल्क खुद अमेरिका के लिए भी नुकसानदेह साबित हो सकते हैं। खासतौर पर भारतीय जेनेरिक दवाओं के महंगे होने की आशंका है, जिससे लाखों अमेरिकी नागरिकों को दवाओं के लिए अधिक कीमत चुकानी पड़ सकती है।

जेनेरिक दवाओं के दाम बढ़ सकते हैं

कंसल्टिंग फर्म ‘IQVIA’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2022 में भारतीय जेनेरिक दवाओं ने अमेरिका में करीब 219 बिलियन डॉलर की बचत करवाई थी। भारत अमेरिका को सस्ती और विश्वसनीय जेनेरिक दवाएं निर्यात करता है, जिससे वहां दवाओं की कीमत नियंत्रित रहती है।

दवा की कीमतों पर असर

विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका द्वारा भारत पर आयात शुल्क लगाने से भारतीय दवाओं का उत्पादन महंगा हो सकता है, जिससे अमेरिकी बाजार में उनकी कीमतें बढ़ सकती हैं। इससे अमेरिकी उपभोक्ताओं पर सीधा असर पड़ेगा और वे महंगी दवाएं खरीदने को मजबूर हो सकते हैं।

दवा की आपूर्ति पर खतरा

विश्लेषकों का मानना है कि अगर अमेरिकी सरकार ने भारतीय दवाओं पर अधिक शुल्क लगाया, तो कुछ भारतीय फार्मा कंपनियां अमेरिकी बाजार छोड़ सकती हैं। इससे अमेरिका में पहले से ही चल रही दवाओं की कमी और गंभीर हो सकती है।

भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों पर असर

विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका का यह कदम भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों को भी प्रभावित कर सकता है। दोनों देशों के बीच लंबे समय से व्यापार समझौते को लेकर चर्चा चल रही है, लेकिन ऐसे शुल्क विवाद व्यापार वार्ता को जटिल बना सकते हैं।

भारतीय स्टील उद्योग पर प्रभाव

भारत के लिए स्टील और एल्युमिनियम का अमेरिका प्रमुख निर्यात बाजार है। अमेरिकी आयात शुल्क बढ़ने से भारतीय कंपनियों की प्रतिस्पर्धा क्षमता घटेगी। इससे भारतीय निर्यातकों को नुकसान हो सकता है और वैश्विक बाजार में उनकी हिस्सेदारी कम हो सकती है।

भारत का जवाबी कदम संभव

जानकारों का मानना है कि यदि अमेरिका आयात शुल्क में कटौती नहीं करता है, तो भारत भी जवाबी कार्रवाई कर सकता है। भारत अमेरिकी उत्पादों पर आयात शुल्क बढ़ा सकता है, जिससे अमेरिका को भी व्यापारिक नुकसान उठाना पड़ सकता है।

अमेरिका द्वारा स्टील और एल्युमिनियम आयात पर लगाया गया 25% शुल्क भारत के लिए चिंता का विषय है। इससे भारतीय निर्यातकों को नुकसान हो सकता है और अमेरिका में दवाओं की कीमतें बढ़ सकती हैं। वहीं, FATF में भारत की मजबूत स्थिति से उसकी वैश्विक साख को मजबूती मिली है। आने वाले दिनों में भारत सरकार अमेरिका के इस फैसले के प्रभाव का आकलन कर उचित कदम उठा सकती है।

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Bhagalpur Assembly: भागलपुर से हिंदू उम्मीदवार अभयकांत झा की एंट्री, मुस्लिम कार्ड खेलते हुए प्रशांत किशोर की चतुर चुनावी रणनीति

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Bhagalpur Assembly: भागलपुर से हिंदू उम्मीदवार अभयकांत झा की एंट्री, मुस्लिम कार्ड खेलते हुए प्रशांत किशोर की चतुर चुनावी रणनीति

Bhagalpur Assembly: बिहार चुनावों की राजनीतिक गर्मी लगातार बढ़ रही है. गठबंधन के अंदर सीटों के बंटवारे की बहस अभी भी जारी है और नेताओं के देसी–विदेशी रुख ने समीकरणों को प्रभावित किया है. इसी बीच जनसुराज के आर्किटेक्ट प्रशांत किशोर ने अपनी दूसरी उम्मीदवार सूची जारी की है. उन्होंने दावा किया कि यह सूची बिहार के लोगों को एक नया विकल्प देगी. इस सूची में सात वकील, नौ डॉक्टर और चार इंजीनियर शामिल हैं.

अभयकांत झा का टिकट और मुस्लिम समुदाय की ओर संदेश

65 उम्मीदवारों की इस सूची में भव्यपुर से वकील अभयकांत झा का टिकट सबसे ज्यादा ध्यान खींच रहा है. खबरों की मानें तो प्रशांत किशोर इस टिकट के जरिए मुस्लिम समुदाय से जुड़ाव दिखाना चाहते हैं और यह बताना चाहते हैं कि उनके मुस्लिम समुदाय के लिए न्याय की पैरवी केवल भाषणों तक सीमित नहीं है. यह रणनीति राजनीतिक समीकरणों को प्रभावित कर सकती है.

अभयकांत झा का सामाजिक और कानूनी योगदान

अभयकांत झा 74 वर्षीय वरिष्ठ वकील हैं और भव्यपुर सिविल कोर्ट में लंबे समय तक काम कर चुके हैं. उन्होंने बार एसोसिएशन के अध्यक्ष के रूप में भी सेवा की है. जनसुराज पार्टी के जिला समन्वयक रह चुके झा ने अब पहली बार विधानसभा चुनाव में पार्टी से टिकट प्राप्त किया है. 1989 के भव्यपुर दंगों में उन्होंने मुस्लिम पीड़ितों की नि:शुल्क मदद की थी और 880 लोगों की सहायता की. उनकी न्यायप्रियता और सामाजिक सक्रियता ने उन्हें शहर में सम्मानित व्यक्तित्व बना दिया है.

1989 का भव्यपुर दंगा और उसकी भयानक यादें

भव्यपुर दंगा बिहार के सबसे भयानक सांप्रदायिक संघर्षों में से एक था. 24 अक्टूबर 1989 को विश्व हिन्दू परिषद ने भव्यपुर में राम शिला पूजन यात्रा आयोजित की. यात्रा के दौरान उत्तेजक नारे लगाए गए और तातारपुर क्षेत्र से गुजरते समय दंगा भड़क गया. लोगों ने बदला लेने के लिए हिंसा की, घर जलाए गए, और हजारों लोग विस्थापित हुए. 116 मुसलमानों की हत्या की गई और उनके ऊपर गोभी के पौधे लगाए गए. अभयकांत झा ने इस कठिन समय में समाज के कमजोर वर्ग की मदद की.

भव्यपुर का राजनीतिक परिदृश्य और मुसलमानों का महत्व

भव्यपुर विधानसभा क्षेत्र में वर्तमान में कांग्रेस के विधायक अजीत शर्मा हैं और जदयू के अजय कुमार मंडल दूसरे नंबर पर हैं. यहां मुसलमानों की आबादी 26 प्रतिशत है और किसी भी छोटे वोट झूल का प्रभाव चुनावी नतीजे बदल सकता है. प्रशांत किशोर अभयकांत झा के जरिए ब्राह्मण और मुस्लिम समुदाय दोनों को लुभाने की रणनीति अपना रहे हैं, जिससे इस सीट पर नई राजनीतिक जंग देखने को मिल सकती है.

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उत्तर भारत में मौसम का बड़ा बदलाव, दिल्ली-एनसीआर में 3 दिन तक रहेगा शुष्क और साफ, पहाड़ी राज्यों में बर्फबारी की संभावना

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उत्तर भारत में मौसम का बड़ा बदलाव, दिल्ली-एनसीआर में 3 दिन तक रहेगा शुष्क और साफ, पहाड़ी राज्यों में बर्फबारी की संभावना

पिछले सप्ताह देश के कई हिस्सों में बारिश देखी गई। दिल्ली-एनसीआर, उत्तर प्रदेश, बिहार और मध्य प्रदेश के कई जिलों में बारिश हुई। वहीं, पहाड़ी राज्यों में इस मौसम की पहली बर्फबारी दर्ज की गई। लेकिन अब मौसम ने अचानक करवट ली है। मौसम विभाग के अनुसार, अगले तीन दिन यानी 13 से 15 अक्टूबर तक उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में अधिकतर दिन शुष्क और साफ रहने की संभावना है।

दिल्ली-एनसीआर और मैदानी राज्यों में बारिश की संभावना नहीं

मानसून के विदा होने के बाद दिल्ली-एनसीआर, उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, हरियाणा और पंजाब में अगले तीन दिन बारिश की संभावना नहीं है। अधिकतम तापमान सामान्य से थोड़ी अधिक बनी रहेगी जबकि न्यूनतम तापमान में हल्की गिरावट आ सकती है। वहीं, पहाड़ी क्षेत्रों में हल्की बूँदाबाँदी और ठंडी हवाओं का अनुभव हो सकता है।

उत्तर भारत में मौसम का बड़ा बदलाव, दिल्ली-एनसीआर में 3 दिन तक रहेगा शुष्क और साफ, पहाड़ी राज्यों में बर्फबारी की संभावना

दिल्ली का मौसम रहेगा सुखद और शुष्क

मौसम विभाग के अनुसार, दिल्ली-एनसीआर में अगले तीन दिन मौसम शुष्क रहेगा। अधिकतम तापमान 34 से 36 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 20 से 22 डिग्री सेल्सियस के बीच रहेगा। मौसम विभाग ने इस दौरान कोई बारिश की भविष्यवाणी नहीं की है। दिन के समय हल्की धूप और रात में सुखद ठंडक रहने की संभावना है, जिससे बाहर समय बिताना आरामदायक रहेगा।

हरियाणा और पंजाब में ठंडी हवाओं का असर

उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और बिहार में भी अगले तीन दिन बारिश नहीं होगी। अधिकतम तापमान 33 से 35 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 22 से 24 डिग्री सेल्सियस रहने की संभावना है। इस दौरान हरियाणा और पंजाब में हल्की ठंडक का अनुभव शुरू हो गया है। सुबह और रात के समय ठंडी हवाओं के कारण लोग हल्के गर्म कपड़े पहन सकते हैं।

पहाड़ी राज्यों में हल्की बारिश और बर्फबारी

हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्यों में अगले तीन दिन हल्की बारिश होने की संभावना है। उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फबारी का भी अनुमान है। हिमाचल प्रदेश के शिमला में अधिकतम तापमान 18 से 20 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 10 से 12 डिग्री सेल्सियस के बीच रहेगा। इस मौसम में पहाड़ों का नजारा बेहद सुंदर और ठंडा रहेगा।

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पी. चिदंबरम का बड़ा खुलासा! ऑपरेशन ब्लू स्टार एक बड़ी गलती थी, इंदिरा गांधी को चुकानी पड़ी कीमत

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पी. चिदंबरम का बड़ा खुलासा! ऑपरेशन ब्लू स्टार एक बड़ी गलती थी, इंदिरा गांधी को चुकानी पड़ी कीमत

पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने हिमाचल प्रदेश के कसौली में खुषवंत सिंह साहित्य महोत्सव में ऑपरेशन ब्लू स्टार पर अपनी राय व्यक्त की। उन्होंने कहा कि यह एक गंभीर गलती थी, जिसकी कीमत पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने अपनी जान देकर चुकाई। चिदंबरम ने स्पष्ट किया कि आतंकवादियों को पकड़ने और सफाई करने का कोई और तरीका हो सकता था, लेकिन ऑपरेशन ब्लू स्टार गलत था। उन्होंने कहा कि यह गलती केवल इंदिरा गांधी की नहीं थी, बल्कि सेना, पुलिस, खुफिया और सिविल सेवा की संयुक्त निर्णय प्रक्रिया का परिणाम थी।

सेना या अधिकारियों का अपमान नहीं

कार्यक्रम के दौरान चिदंबरम ने यह भी स्पष्ट किया कि उनका किसी भी सैन्य अधिकारी के प्रति कोई अपमान नहीं है। उन्होंने कहा कि गोल्डन टेम्पल को पुनः कब्जा करने के लिए सेना को ऑपरेशन से अलग रखा जाना चाहिए था। उन्होंने बताया कि कुछ वर्षों बाद भारत ने सही तरीके से गोल्डन टेम्पल पर नियंत्रण किया, जिसमें सेना को शामिल नहीं किया गया। चिदंबरम ने कहा, “सेना के किसी अधिकारी का अपमान नहीं है, लेकिन ऑपरेशन ब्लू स्टार गोल्डन टेम्पल को पुनः कब्जा करने का गलत तरीका था।”

पी. चिदंबरम का बड़ा खुलासा! ऑपरेशन ब्लू स्टार एक बड़ी गलती थी, इंदिरा गांधी को चुकानी पड़ी कीमत

इंदिरा गांधी की कीमत

चिदंबरम ने यह भी कहा कि ऑपरेशन ब्लू स्टार की वजह से इंदिरा गांधी ने अपनी जान गंवाई। हालांकि यह निर्णय केवल उनकी नहीं थी, बल्कि यह एक संयुक्त निर्णय था। उन्होंने यह बात जोर देकर कही कि इस घटना में सेना, पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की भी जिम्मेदारी थी। चिदंबरम के अनुसार, ऑपरेशन ब्लू स्टार ने इतिहास में एक गहरी छाया डाली, लेकिन इसके बाद सही तरीके से समाधान निकालकर धार्मिक स्थल को शांतिपूर्ण ढंग से वापस लिया गया।

पंजाब की असली समस्या: आर्थिक स्थिति

चिदंबरम ने पंजाब की मौजूदा स्थिति पर भी ध्यान दिलाया। उन्होंने कहा कि पंजाब की वास्तविक समस्या राजनीतिक अलगाववाद नहीं है, बल्कि आर्थिक स्थिति है। उनके अनुसार, पंजाब में खालिस्तान और अलगाववाद का राजनीतिक नारा अब लगभग समाप्त हो गया है। उन्होंने कहा कि उनकी कई यात्राओं के दौरान उन्हें यह महसूस हुआ कि लोगों की असली चिंता रोजगार, विकास और आर्थिक स्थिरता से जुड़ी हुई है।

साझा जिम्मेदारी और सीख

चिदंबरम ने यह संदेश भी दिया कि इतिहास से सीख लेना जरूरी है। ऑपरेशन ब्लू स्टार जैसी घटनाओं में केवल एक व्यक्ति को दोषी ठहराना सही नहीं है। सभी संबंधित संस्थाओं की भूमिका और निर्णय प्रक्रिया को समझना आवश्यक है। उन्होंने यह भी कहा कि भविष्य में ऐसी संवेदनशील परिस्थितियों में सही रणनीति और शांतिपूर्ण समाधान अपनाना ही देश और समाज के लिए लाभकारी होगा।

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