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PM Modi से मुलाकात के बाद Tesla की बड़ी चाल, भारत में शुरू हुई भर्ती

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PM Modi से मुलाकात के बाद Tesla की बड़ी चाल, भारत में शुरू हुई भर्ती

Tesla: दुनिया की सबसे प्रसिद्ध इलेक्ट्रिक कार निर्माता कंपनी टेस्ला, जिसे एलन मस्क के नेतृत्व में जाना जाता है, अब भारत में अपने व्यवसाय की शुरुआत करने जा रही है। दिसंबर 2024 में खबर आई थी कि कंपनी दिल्ली में अपना शोरूम खोलने के लिए स्थान तलाश रही है। लेकिन अब, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के बाद, एलन मस्क की कंपनी ने भारत में भर्ती प्रक्रिया शुरू कर दी है।

टेस्ला ने लिंक्डइन पर भर्ती का विज्ञापन जारी किया है। कंपनी 13 पदों के लिए उम्मीदवारों की तलाश कर रही है, जिनमें ग्राहक से सीधे संपर्क में रहने वाले पद और बैक एंड के पद शामिल हैं। ये नियुक्तियां दिल्ली और मुंबई दोनों शहरों में की जाएंगी।

13 पदों पर भर्ती

टेस्ला ने जिन पदों के लिए भर्ती की है, उनमें शामिल हैं:

  • कस्टमर एंगेजमेंट मैनेजर (केवल मुंबई के लिए)
  • डिलीवरी ऑपरेशन स्पेशलिस्ट (केवल मुंबई के लिए)
  • कंसल्टेंट और सर्विस टेक्निशियन (दिल्ली और मुंबई दोनों में)

कंपनी के अनुसार, दिल्ली और मुंबई में 5-5 उम्मीदवारों की आवश्यकता है। इन पदों पर काम करने वाले कर्मचारियों का कार्य ग्राहक सेवा, सामान्य संचालन और सर्विस प्रदान करना होगा। यह टेस्ला के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, क्योंकि कंपनी भारत में अपनी उपस्थिति बढ़ाने की योजना बना रही है।

भारत में फैक्ट्री के लिए जगह की तलाश

टेस्ला अपनी कारख़ाना भी भारत में स्थापित करने की योजना बना रही है। इसके लिए कंपनी भूमि की तलाश में है। माना जा रहा है कि टेस्ला भारत के उन राज्यों में फैक्ट्री स्थापित करना चाहती है, जो पहले से ही ऑटोमोटिव हब के रूप में स्थापित हैं। खासकर महाराष्ट्र, गुजरात और तमिलनाडु जैसे राज्य टेस्ला के लिए प्राथमिकता में हैं।

बताया जा रहा है कि टेस्ला भारत में इस कारख़ाने के लिए लगभग 3 बिलियन डॉलर का निवेश करेगी। इसके अलावा, यह भी उम्मीद जताई जा रही है कि टेस्ला भारत में अपनी सबसे सस्ती इलेक्ट्रिक कार बनाएगी, जिसकी कीमत लगभग 20 लाख रुपये हो सकती है। कुछ समय पहले खबर आई थी कि कंपनी ने पुणे में भी एक नया कार्यालय खोला है।

PM Modi से मुलाकात के बाद Tesla की बड़ी चाल, भारत में शुरू हुई भर्ती

दिल्ली और मुंबई में शोरूम की तलाश

एलन मस्क की कंपनी दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों में अपना शोरूम स्थापित करने के लिए जगह की तलाश कर रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, टेस्ला डीएलएफ (DLF) के साथ बात कर रही है, ताकि वह दिल्ली में अपना कंज़्यूमर एक्सपीरियंस सेंटर बना सके। इसके लिए कंपनी को लगभग 3,000 से 5,000 वर्ग फुट की जगह चाहिए।

इसके अलावा, टेस्ला को डिलीवरी और सर्विस ऑपरेशंस के लिए इससे तीन गुना बड़ी जगह की भी आवश्यकता होगी। यह कदम भारतीय बाजार में अपनी उपस्थिति बढ़ाने और ग्राहकों के साथ बेहतर संबंध बनाने के लिए उठाया जा रहा है।

भारत सरकार ने घटाए आयात शुल्क

भारत में टेस्ला के व्यवसाय की शुरुआत की खबरें पिछले कुछ सालों से आ रही थीं। हालांकि, अब एलन मस्क ने इसे लेकर सक्रिय कदम उठाए हैं। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अमेरिका में मुलाकात करने के बाद टेस्ला ने भारतीय बाजार में कदम रखने का फैसला किया।

पहले, टेस्ला को भारत में कारोबार करने में उच्च आयात शुल्क की समस्या थी, जो कि बहुत अधिक था। लेकिन अब भारतीय सरकार ने कारों पर बुनियादी कस्टम ड्यूटी को 110% से घटाकर 70% कर दिया है। यह कदम टेस्ला जैसी विदेशी कंपनियों को भारत में अपने उत्पाद बेचने के लिए आकर्षित करेगा। खासकर उन कंपनियों को, जो महंगी कारें भारत में बेचना चाहती हैं।

भारत में टेस्ला का भविष्य

भारत में टेस्ला के आगमन को लेकर उम्मीदें बहुत बढ़ गई हैं। खासकर उन भारतीयों के लिए जो इलेक्ट्रिक वाहनों की दिशा में बदलाव चाहते हैं। भारतीय बाजार में टेस्ला के आने से इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री में इजाफा हो सकता है। इसके अलावा, भारतीय ग्राहकों को टेस्ला जैसे ब्रांड के उच्च गुणवत्ता वाले उत्पाद प्राप्त होंगे, जो उनके वाहन चयन को और भी बेहतर बना सकते हैं।

वहीं, टेस्ला द्वारा इलेक्ट्रिक कारों के लिए सस्ती कीमतों की घोषणा से भारतीय बाजार में इलेक्ट्रिक वाहनों की लोकप्रियता में और वृद्धि हो सकती है। यदि टेस्ला की सबसे सस्ती कार 20 लाख रुपये में उपलब्ध होती है, तो यह भारतीय ग्राहकों के लिए एक आकर्षक विकल्प हो सकता है।

भारत में टेस्ला का आगमन भारतीय ऑटोमोबाइल बाजार के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है। कंपनी के द्वारा अब भर्ती की प्रक्रिया शुरू करना और फैक्ट्री के लिए जगह की तलाश करना दर्शाता है कि टेस्ला अपने भारतीय कारोबार को लेकर पूरी तरह से गंभीर है। भारतीय सरकार द्वारा आयात शुल्क में की गई कमी टेस्ला के लिए अनुकूल साबित हुई है, और इससे कंपनी के भारतीय बाजार में मजबूत प्रवेश की संभावना है।

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India-New Zealand Relations: न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सर ने दिल्ली के अक्षरधाम मंदिर में की पूजा-अर्चना, भारत-न्यूजीलैंड संबंधों को मजबूत करने का संदेश

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India-New Zealand Relations: न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सर ने दिल्ली के अक्षरधाम मंदिर में की पूजा-अर्चना, भारत-न्यूजीलैंड संबंधों को मजबूत करने का संदेश

India-New Zealand Relations: न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री क्रिस्टोफर लक्सर (Christopher Luxon) ने मंगलवार को दिल्ली स्थित बीएपीएस स्वामीनारायण अक्षरधाम मंदिर में पूजा-अर्चना की। इस दौरान उनके साथ 110 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल भी मौजूद था, जिसमें न्यूजीलैंड सरकार के वरिष्ठ अधिकारी, मंत्री और कारोबारी नेता शामिल थे। इस विशेष दौरे के बाद पीएम लक्सर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए लिखा, “न्यूजीलैंड में हिंदू समुदाय का देश की प्रगति में महत्वपूर्ण योगदान है। आज दिल्ली में बीएपीएस स्वामीनारायण अक्षरधाम मंदिर में दर्शन कर मैंने कीवी-हिंदुओं की आस्था को सम्मान दिया।”

रायसीना डायलॉग में थे मुख्य अतिथि

न्यूजीलैंड के पीएम क्रिस्टोफर लक्सर रविवार को भारत की पांच दिवसीय यात्रा पर नई दिल्ली पहुंचे थे। वह रायसीना डायलॉग (Raisina Dialogue) में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। उनके साथ इस दौरे में मंत्री टॉड मैक्ले (Todd McClay), मार्क मिशेल (Mark Mitchell) और लुईस अप्सटन (Louise Upston) भी मौजूद थे।

इस प्रतिनिधिमंडल में न्यूजीलैंड की संसद के सदस्य एंडी फोस्टर (Andy Foster), कार्लोस चेउंग (Carlos Cheung), डॉ. परमजीत परमार (Paramjit Parmar) और प्रियंका राधाकृष्णन (Priyanca Radhakrishnan) शामिल थे। इसके अलावा न्यूजीलैंड के उच्चायुक्त पैट्रिक राटा (H.E. Patrick Rata) भी इस यात्रा में उपस्थित रहे।

बिजनेस प्रतिनिधिमंडल में न्यूजीलैंड की प्रमुख कंपनियों के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल थे, जिनका उद्देश्य दोनों देशों के बीच आर्थिक और व्यापारिक संबंधों को और मजबूत करना था।

माओरी भाषा में सत्संग दीक्षा ग्रंथ का अनावरण

अक्षरधाम मंदिर में पीएम क्रिस्टोफर लक्सर को सत्संग दीक्षा ग्रंथ (Satsang Diksha Granth) की माओरी भाषा में अनुवादित प्रति भेंट की गई। यह ग्रंथ हिंदू धर्म के स्वामीनारायण संप्रदाय का एक पवित्र ग्रंथ है, जिसे महंत स्वामी महाराज ने लिखा है।

इस उपहार के जरिए भारत और न्यूजीलैंड के बीच साझा सांस्कृतिक और धार्मिक मूल्यों को दर्शाया गया। सत्संग दीक्षा ग्रंथ मूल रूप से संस्कृत में रचित है और इसमें आत्मिक शांति, निःस्वार्थ सेवा और आध्यात्मिक अनुशासन का मार्गदर्शन दिया गया है।

महंत स्वामी महाराज का पत्र और विशेष प्रार्थना

पीएम लक्सर की अक्षरधाम यात्रा के दौरान महंत स्वामी महाराज ने उन्हें एक व्यक्तिगत पत्र भी लिखा। इसमें उन्होंने कहा, “अक्षरधाम में आपकी उपस्थिति और इस दौरे के लिए आपने जो समय निकाला, वह आपकी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक मूल्यों के प्रति सम्मान को दर्शाता है।”

महंत स्वामी महाराज ने न्यूजीलैंड में भारतीय समुदाय के प्रति पीएम लक्सर के सहयोग के लिए आभार जताया और शांतिपूर्ण समाज के निर्माण के लिए उनके प्रयासों की सराहना की।

उन्होंने पीएम लक्सर के नेतृत्व, उनके परिवार की सुख-समृद्धि और न्यूजीलैंड के शांतिपूर्ण भविष्य के लिए विशेष प्रार्थनाएं कीं।

भारत-न्यूजीलैंड के बीच मजबूत होती साझेदारी

पीएम लक्सर ने अपनी यात्रा के दौरान भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात की। इस बैठक में दोनों देशों के बीच रणनीतिक सहयोग बढ़ाने को लेकर चर्चा हुई।

लक्सर ने कहा, “पीएम मोदी और मैंने मिलकर दोनों देशों के भविष्य संबंधों को लेकर विस्तार से चर्चा की। हमने रक्षा बलों की संयुक्त तैनाती और प्रशिक्षण को बढ़ाने पर सहमति जताई, जिससे रणनीतिक विश्वास मजबूत होगा।”

बैठक के दौरान दोनों नेताओं ने जलवायु परिवर्तन और अंतरिक्ष अनुसंधान जैसे वैश्विक मुद्दों पर वैज्ञानिक सहयोग को बढ़ावा देने का भी निर्णय लिया। इसके अलावा, हवाई संपर्क (Air Connectivity) को बेहतर बनाने और प्राथमिक क्षेत्र में व्यापारिक सहयोग को मजबूत करने पर सहमति बनी।

न्यूजीलैंड में भारतीय समुदाय का प्रभाव

पीएम लक्सर ने अपने संबोधन में न्यूजीलैंड में भारतीय प्रवासियों के योगदान की सराहना की। उन्होंने कहा, “न्यूजीलैंड के सबसे बड़े शहर ऑकलैंड में 11 प्रतिशत जनसंख्या भारतीय मूल की है।”

लक्सर ने यह भी कहा कि भारत और न्यूजीलैंड के संबंध 200 साल पुराने हैं। उन्होंने कहा, “जैसे 200 साल पहले भारतीय प्रवासी हमारे समाज का हिस्सा बने थे, वैसे ही आज भी ‘कीवी-इंडियन’ हमारे बहुसांस्कृतिक समाज में पूरी तरह घुले-मिले हैं।”

अक्षरधाम मंदिर में पारंपरिक स्वागत

अक्षरधाम मंदिर पहुंचने पर पीएम लक्सर और उनके प्रतिनिधिमंडल का पारंपरिक स्वागत किया गया। उन्होंने मंदिर परिसर में आध्यात्मिक और सांस्कृतिक भव्यता का अनुभव किया।

इस दौरान पीएम लक्सर ने मंदिर में श्रद्धा और सम्मान के प्रतीक स्वरूप फूलों की माला अर्पित की। उन्होंने अभिषेक समारोह में भी भाग लिया, जो एक प्राचीन हिंदू जलाभिषेक अनुष्ठान है। इसमें सभी के कल्याण, शांति और समृद्धि के लिए प्रार्थना की जाती है।

संस्कृति और कूटनीति का संगम

पीएम क्रिस्टोफर लक्सर की अक्षरधाम यात्रा भारत और न्यूजीलैंड के बीच सांस्कृतिक और कूटनीतिक संबंधों को मजबूत करने का प्रतीक बनी। यात्रा के अंत में उन्होंने सांस्कृतिक उपहारों का आदान-प्रदान किया और दोनों देशों के बीच सहयोग को और मजबूत करने का संकल्प लिया।

पीएम क्रिस्टोफर लक्सर की यह यात्रा भारत और न्यूजीलैंड के बीच बढ़ते रणनीतिक और सांस्कृतिक संबंधों का प्रमाण है। अक्षरधाम मंदिर में उनकी उपस्थिति ने दोनों देशों के बीच आध्यात्मिक और सांस्कृतिक संबंधों को और प्रगाढ़ किया। न्यूजीलैंड में भारतीय समुदाय के प्रति लक्सर का सम्मान और उनके लिए विशेष प्रार्थनाएं दोनों देशों के बीच सद्भावना को और मजबूत करेंगी।

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US Import Duty: अमेरिका द्वारा स्टील और एल्युमिनियम पर 25% आयात शुल्क, भारत कर रहा प्रभाव का आकलन, दवाओं के दाम बढ़ने का खतरा

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US Import Duty: अमेरिका द्वारा स्टील और एल्युमिनियम पर 25% आयात शुल्क, भारत कर रहा प्रभाव का आकलन, दवाओं के दाम बढ़ने का खतरा

US Import Duty: वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने सोमवार को लोकसभा में बताया कि केंद्र सरकार अमेरिका द्वारा स्टील और एल्युमिनियम के आयात पर लगाए गए 25% शुल्क के प्रभाव का आकलन कर रही है। उन्होंने बताया कि अमेरिकी राष्ट्रपति के फैसले के अनुसार, 12 मार्च से अमेरिका ने भारतीय स्टील और एल्युमिनियम उत्पादों पर आयात शुल्क लगा दिया है। मंत्री ने कहा कि वाणिज्य विभाग के अनुसार, भारत पर इस फैसले के प्रभाव का मूल्यांकन किया जा रहा है।

अमेरिका का आयात शुल्क: भारतीय निर्यातकों पर असर

अमेरिका द्वारा स्टील और एल्युमिनियम पर 25% आयात शुल्क लगाए जाने का सीधा असर भारत के निर्यातकों पर पड़ सकता है। भारतीय उद्योग जगत पहले ही वैश्विक मांग में आई कमी और कीमतों में उतार-चढ़ाव से जूझ रहा है। ऐसे में इस नए शुल्क से भारतीय कंपनियों की लागत बढ़ सकती है और निर्यात प्रतिस्पर्धा में गिरावट आ सकती है।

भारत की FATF रेटिंग मजबूत स्थिति में

पंकज चौधरी ने लोकसभा में बताया कि फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की 40 सिफारिशों में से भारत ने 37 में ‘कंप्लायंस’ या ‘लार्जली कंप्लायंस’ रेटिंग प्राप्त की है। शेष तीन में भारत को ‘पार्शियल कंप्लायंस’ रेटिंग मिली है और किसी में भी ‘नॉन-कंप्लायंस’ रेटिंग नहीं दी गई है। भारत को FATF की ‘रेगुलर फॉलो अप’ श्रेणी में रखा गया है, जो किसी भी देश के लिए सर्वश्रेष्ठ संभव रेटिंग मानी जाती है।

US Import Duty: अमेरिका द्वारा स्टील और एल्युमिनियम पर 25% आयात शुल्क, भारत कर रहा प्रभाव का आकलन, दवाओं के दाम बढ़ने का खतरा

G-20 देशों में भारत की मजबूत स्थिति

वित्त राज्य मंत्री ने बताया कि भारत उन चुनिंदा चार G-20 देशों में शामिल है, जिन्हें FATF द्वारा ‘रेगुलर फॉलो अप’ रेटिंग दी गई है। यह भारत की मजबूत वित्तीय स्थिति और मनी लॉन्ड्रिंग व आतंकवाद वित्तपोषण के खिलाफ सख्त नीति को दर्शाता है।

अमेरिका को भी होगा नुकसान

विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका द्वारा भारतीय उत्पादों पर लगाए गए ये शुल्क खुद अमेरिका के लिए भी नुकसानदेह साबित हो सकते हैं। खासतौर पर भारतीय जेनेरिक दवाओं के महंगे होने की आशंका है, जिससे लाखों अमेरिकी नागरिकों को दवाओं के लिए अधिक कीमत चुकानी पड़ सकती है।

जेनेरिक दवाओं के दाम बढ़ सकते हैं

कंसल्टिंग फर्म ‘IQVIA’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2022 में भारतीय जेनेरिक दवाओं ने अमेरिका में करीब 219 बिलियन डॉलर की बचत करवाई थी। भारत अमेरिका को सस्ती और विश्वसनीय जेनेरिक दवाएं निर्यात करता है, जिससे वहां दवाओं की कीमत नियंत्रित रहती है।

दवा की कीमतों पर असर

विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका द्वारा भारत पर आयात शुल्क लगाने से भारतीय दवाओं का उत्पादन महंगा हो सकता है, जिससे अमेरिकी बाजार में उनकी कीमतें बढ़ सकती हैं। इससे अमेरिकी उपभोक्ताओं पर सीधा असर पड़ेगा और वे महंगी दवाएं खरीदने को मजबूर हो सकते हैं।

दवा की आपूर्ति पर खतरा

विश्लेषकों का मानना है कि अगर अमेरिकी सरकार ने भारतीय दवाओं पर अधिक शुल्क लगाया, तो कुछ भारतीय फार्मा कंपनियां अमेरिकी बाजार छोड़ सकती हैं। इससे अमेरिका में पहले से ही चल रही दवाओं की कमी और गंभीर हो सकती है।

भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों पर असर

विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका का यह कदम भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों को भी प्रभावित कर सकता है। दोनों देशों के बीच लंबे समय से व्यापार समझौते को लेकर चर्चा चल रही है, लेकिन ऐसे शुल्क विवाद व्यापार वार्ता को जटिल बना सकते हैं।

भारतीय स्टील उद्योग पर प्रभाव

भारत के लिए स्टील और एल्युमिनियम का अमेरिका प्रमुख निर्यात बाजार है। अमेरिकी आयात शुल्क बढ़ने से भारतीय कंपनियों की प्रतिस्पर्धा क्षमता घटेगी। इससे भारतीय निर्यातकों को नुकसान हो सकता है और वैश्विक बाजार में उनकी हिस्सेदारी कम हो सकती है।

भारत का जवाबी कदम संभव

जानकारों का मानना है कि यदि अमेरिका आयात शुल्क में कटौती नहीं करता है, तो भारत भी जवाबी कार्रवाई कर सकता है। भारत अमेरिकी उत्पादों पर आयात शुल्क बढ़ा सकता है, जिससे अमेरिका को भी व्यापारिक नुकसान उठाना पड़ सकता है।

अमेरिका द्वारा स्टील और एल्युमिनियम आयात पर लगाया गया 25% शुल्क भारत के लिए चिंता का विषय है। इससे भारतीय निर्यातकों को नुकसान हो सकता है और अमेरिका में दवाओं की कीमतें बढ़ सकती हैं। वहीं, FATF में भारत की मजबूत स्थिति से उसकी वैश्विक साख को मजबूती मिली है। आने वाले दिनों में भारत सरकार अमेरिका के इस फैसले के प्रभाव का आकलन कर उचित कदम उठा सकती है।

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Chandrayaan-5: भारत का नया चंद्र मिशन, जापान के साथ होगा सहयोग

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Chandrayaan-5: भारत का नया चंद्र मिशन, जापान के साथ होगा सहयोग

Chandrayaan-5: भारत सरकार ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के चंद्रयान-5 मिशन (Chandrayaan-5 Mission) को मंजूरी दे दी है। यह भारत का महत्वाकांक्षी चंद्र मिशन होगा, जिसका उद्देश्य चंद्रमा की सतह का गहराई से अध्ययन करना है। ISRO के अध्यक्ष वी. नारायणन (V. Narayanan) ने रविवार को इस बारे में जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि चंद्रयान-5 मिशन को जापान के साथ मिलकर पूरा किया जाएगा। इस मिशन के तहत 250 किलोग्राम वजनी रोवर (Rover) चंद्रमा की सतह पर भेजा जाएगा, जिससे वहां की संरचना और विशेषताओं का अध्ययन किया जा सके।

चंद्रयान-4 की लॉन्चिंग कब होगी?

ISRO प्रमुख वी. नारायणन ने जानकारी दी कि भारत का चंद्रयान-4 मिशन साल 2027 में लॉन्च किया जाएगा। यह मिशन चंद्रमा की सतह से नमूने (Samples) इकट्ठा कर धरती पर वापस लाने के लिए तैयार किया गया है।

ISRO प्रमुख के अनुसार, चंद्रयान मिशन का उद्देश्य चंद्रमा की सतह का गहराई से विश्लेषण करना है, जिससे अंतरिक्ष विज्ञान में भारत की भूमिका और सशक्त हो सके।

चंद्रयान-3 की ऐतिहासिक सफलता

भारत का चंद्रयान-3 मिशन (Chandrayaan-3 Mission) 2023 में ऐतिहासिक सफलता के रूप में दर्ज हुआ। इस मिशन में 25 किलोग्राम वजनी ‘प्रज्ञान’ रोवर (Pragyan Rover) चंद्रमा की सतह पर भेजा गया था।

23 अगस्त 2023 को चंद्रयान-3 के लैंडर ‘विक्रम’ (Vikram Lander) ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव (South Pole of Moon) पर सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग (Soft Landing) की थी। यह मिशन भारत को अंतरिक्ष विज्ञान में नई ऊंचाइयों तक ले गया और दुनिया भर में इसकी सराहना हुई।

Chandrayaan-5: भारत का नया चंद्र मिशन, जापान के साथ होगा सहयोग

चंद्रयान-5: क्या होगा खास?

चंद्रयान-5 मिशन की खासियत इस प्रकार होगी:

  1. 250 किलोग्राम वजनी रोवर चंद्रमा की सतह का गहन अध्ययन करेगा।
  2. भारत और जापान का संयुक्त प्रयास होगा, जिससे दोनों देशों की तकनीकी विशेषज्ञता का लाभ मिलेगा।
  3. चंद्रयान-4 के बाद इस मिशन से भारत की चंद्र अन्वेषण क्षमता और मजबूत होगी।
  4. यह भविष्य के मून मिशनों की नींव रखेगा, जिसमें इंसानों को चंद्रमा पर भेजने की संभावनाएं तलाशी जाएंगी।

चंद्रयान मिशन: भारत का चंद्र अन्वेषण इतिहास

भारत का चंद्रयान मिशन (Chandrayaan Mission) हमेशा से चंद्रमा के अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण रहा है। अब तक भारत ने तीन चंद्र मिशन सफलतापूर्वक लॉन्च किए हैं:

  1. चंद्रयान-1 (2008):

    • यह भारत का पहला चंद्र मिशन था।
    • चंद्रमा की सतह पर पानी की मौजूदगी का पता लगाया गया था।
  2. चंद्रयान-2 (2019):

    • इस मिशन में लैंडर विक्रम सफलतापूर्वक लैंड नहीं कर पाया, लेकिन ऑर्बिटर अब भी काम कर रहा है।
  3. चंद्रयान-3 (2023):

    • भारत पहला देश बना, जिसने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग की।
    • इस मिशन में प्रज्ञान रोवर ने चंद्रमा की सतह पर अध्ययन किया।

अब चंद्रयान-4 और चंद्रयान-5 मिशन भारत के अंतरिक्ष विज्ञान को और मजबूत करेंगे।

भारत का बढ़ता अंतरिक्ष अनुसंधान

ISRO लगातार नए अंतरिक्ष अभियानों पर काम कर रहा है। चंद्रयान-5 के साथ-साथ भारत गगनयान मिशन (Gaganyaan Mission) पर भी काम कर रहा है, जो पहला मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन होगा।

इसके अलावा, ISRO अदित्य L1 मिशन (Aditya L1 Mission) और मंगलयान-2 (Mangalyaan-2) की भी तैयारी कर रहा है। इससे भारत की अंतरिक्ष विज्ञान में वैश्विक उपस्थिति और मजबूत होगी।

भारत के चंद्रयान-5 मिशन को मंजूरी मिलना देश के अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए एक बड़ा कदम है। यह मिशन चंद्रमा की सतह पर महत्वपूर्ण खोज करेगा और भारत-जापान के वैज्ञानिक संबंधों को भी मजबूत करेगा।

चंद्रयान-4 और चंद्रयान-5 मिशन भारत को अंतरिक्ष विज्ञान में और ऊंचाई तक ले जाएंगे। आने वाले वर्षों में भारत की अंतरिक्ष शक्ति और अधिक बढ़ेगी और ISRO नए कीर्तिमान स्थापित करेगा।

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