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Tech News Today Live Updates on November 19, 2024: Elon Musk’s SpaceX launches ISRO’s GSAT-N2 satellite into space for advanced telecommunications

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Tech News Today Live Updates on November 19, 2024: Elon Musk's SpaceX launches ISRO's GSAT-N2 satellite into space for advanced telecommunications

टेक न्यूज़ टुडे लाइव अपडेट: तेजी से तकनीकी विकास के प्रभुत्व वाले युग में, नवीनतम प्रौद्योगिकी समाचारों से अवगत रहना आवश्यक है। यह खंड हमारी दुनिया को आकार देने वाली नवीनतम प्रगति और सफलताओं पर एक व्यापक नज़र पेश करता है। कृत्रिम बुद्धिमत्ता और क्वांटम कंप्यूटिंग में अत्याधुनिक विकास से लेकर उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स और साइबर सुरक्षा पर अपडेट तक, हमारा कवरेज तकनीक से संबंधित विषयों के व्यापक स्पेक्ट्रम तक फैला हुआ है। चाहे आप तकनीकी उत्साही हों, क्षेत्र में पेशेवर हों, या बस इस बारे में उत्सुक हों कि तकनीकी परिवर्तन आपके दैनिक जीवन को कैसे प्रभावित करते हैं, हमारे अपडेट आपको प्रौद्योगिकी की लगातार बदलती दुनिया में सूचित और आगे रखने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं।

अस्वीकरण: यह एक एआई-जनरेटेड लाइव ब्लॉग है और इसे लाइवमिंट स्टाफ द्वारा संपादित नहीं किया गया है।

19 नवंबर 2024, 06:30:25 पूर्वाह्न IST

टेक न्यूज़ टुडे लाइव: एलोन मस्क के स्पेसएक्स ने उन्नत दूरसंचार के लिए इसरो के जीएसएटी-एन2 उपग्रह को अंतरिक्ष में लॉन्च किया

  • एलोन मस्क के स्पेसएक्स ने कैनावेरल स्पेस फोर्स स्टेशन से इसरो के जीएसएटी-एन2 को लॉन्च किया है, जो दोनों संगठनों के बीच पहला व्यावसायिक सहयोग है।

पूरी कहानी यहां पढ़ें

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AC (Air Conditioner): क्या आप जानते हैं कि एसी का टन क्या होता है और इसका कूलिंग से क्या संबंध है?

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AC (Air Conditioner): क्या आप जानते हैं कि एसी का टन क्या होता है और इसका कूलिंग से क्या संबंध है?

AC (Air Conditioner): गर्मी का मौसम आ चुका है और इससे राहत पाने के लिए एसी और कूलर चलने लगे हैं। मार्च और अप्रैल के महीनों में कूलर और पंखे काम करते थे लेकिन जैसे-जैसे मई और जून का महीना आता है एसी ही सही विकल्प बनता है। मई अभी कुछ दिन दूर है लेकिन अप्रैल में ही पारा 40 डिग्री तक पहुंचने लगा है। इसलिए एसी अब हर घर और ऑफिस में चलने लगे हैं।

एसी में ‘टन’ का क्या मतलब है?

जब भी एसी की बात होती है तो यह सवाल जरूर आता है कि आपके घर में कितने टन का एसी है या आप किस टन का एसी खरीद रहे हैं। क्या आपने कभी सोचा है कि एसी का वजन बहुत हल्का होता है तो टन का क्या मतलब है? यह जानकर आपको हैरानी हो सकती है कि टन का संबंध एसी के वजन से नहीं बल्कि उसकी कूलिंग क्षमता से है।

टन का मतलब कूलिंग क्षमता है

जब आप नया एसी खरीदने जाते हैं तो टन का एक अहम रोल होता है। दरअसल टन से मतलब कूलिंग क्षमता से है। जैसे-जैसे एसी का टन बढ़ेगा वैसे-वैसे एसी की कूलिंग क्षमता भी बढ़ेगी। इसलिए एसी खरीदते समय टन की सही जानकारी होना जरूरी है ताकि आप अपने कमरे के आकार के हिसाब से सही एसी चुन सकें।

AC (Air Conditioner): क्या आप जानते हैं कि एसी का टन क्या होता है और इसका कूलिंग से क्या संबंध है?

टन से कूलिंग क्षमता का फर्क

एसी में 1 टन का मतलब है कि वह एसी 1 टन बर्फ के बराबर ठंडक देता है। अगर आप छोटे कमरे के लिए एसी ले रहे हैं तो 1 टन या उससे कम की कूलिंग क्षमता वाला एसी ले सकते हैं। लेकिन अगर आपको बड़े हॉल या बड़े बेडरूम के लिए एसी चाहिए तो 1.5 टन या 2 टन का एसी लेना बेहतर रहेगा। टन जितना ज्यादा होगा कूलिंग क्षमता उतनी ही बेहतर होगी।

टन का असर एसी की कूलिंग पर

अब आपको यह जानना चाहिए कि 1 टन एसी एक घंटे में 12,000 ब्रिटिश थर्मल यूनिट (BTU) हीट हटाता है। इसी तरह 1.5 टन एसी 18,000 BTU हीट हटाता है और 2 टन एसी 24,000 BTU हीट हटाता है। इस हिसाब से आपको यह समझ में आ गया होगा कि टन जितना ज्यादा होगा कूलिंग उतनी ही बेहतर होगी।

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TRAI: अब नहीं सहनी पड़ेगी खराब नेटवर्क की परेशानी सीधे TRAI से करें शिकायत

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TRAI: अब नहीं सहनी पड़ेगी खराब नेटवर्क की परेशानी सीधे TRAI से करें शिकायत

TRAI ने देश के करोड़ों मोबाइल यूजर्स को एक बड़ी राहत दी है। अब अगर आपको एयरटेल जियो वोडाफोन आइडिया या बीएसएनएल जैसी किसी भी कंपनी की सेवा से शिकायत है तो आप सीधे TRAI से शिकायत कर सकते हैं। इसके लिए TRAI ने एक सेंट्रल ऑनलाइन पोर्टल लॉन्च किया है।

TCCMS पोर्टल का लॉन्च

TRAI ने इस पोर्टल को TCCMS यानी टेलीकॉम कंज्यूमर कंप्लेंट मॉनिटरिंग सिस्टम नाम दिया है। इस पोर्टल की मदद से अब ग्राहकों को शिकायत करने के लिए सर्विस प्रोवाइडर का नंबर गूगल करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। यूजर्स मोबाइल ही नहीं ब्रॉडबैंड सेवा देने वाली कंपनियों की भी शिकायत इसी पोर्टल से कर सकते हैं।

शिकायत करने की आसान प्रक्रिया

शिकायत करने के लिए आपको TRAI की वेबसाइट https://tccms.trai.gov.in/Queries.aspx?cid=1 पर जाना होगा। वहां अपनी टेलीकॉम या इंटरनेट सेवा प्रदाता कंपनी को चुनना होगा। फिर अपना राज्य और ज़िला सेलेक्ट करें जहां आप सेवा का इस्तेमाल कर रहे हैं। इसके बाद उस इलाके के लिए उपलब्ध हेल्पलाइन नंबर दिखेगा जिस पर आप अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं।

अब एक जगह मिलेगा सभी कंपनियों का हेल्पलाइन नंबर

अक्सर यूजर्स को सही हेल्पलाइन नंबर नहीं मिल पाता था जिससे उनकी शिकायत अधूरी रह जाती थी। अब इस नए पोर्टल से सभी कंपनियों का हेल्पलाइन नंबर एक ही जगह पर मिल जाएगा। इससे शिकायत दर्ज कराना बहुत आसान हो जाएगा और ग्राहक को कंपनी के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे।

सेवा की गुणवत्ता पर लगातार नजर

TRAI और टेलीकॉम विभाग पिछले साल से सेवा की गुणवत्ता को लेकर सख्त रुख अपना रहे हैं। स्पैम कॉल और फर्जी मार्केटिंग से बचाव के लिए पिछले साल DLT सिस्टम लागू किया गया है। जो कंपनियां इस सिस्टम का पालन नहीं करतीं उन पर भारी जुर्माना और लाइसेंस रद्द करने तक की कार्रवाई हो सकती है।

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IISc: 2D मटेरियल से बनी चिप्स! IISc की नई तकनीक, जो भारत को सेमीकंडक्टर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाएगी

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IISc: 2D मटेरियल से बनी चिप्स! IISc की नई तकनीक, जो भारत को सेमीकंडक्टर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाएगी

IISc : भारतीय विज्ञान संस्थान यानी IISc के 30 वैज्ञानिकों ने कमाल कर दिया है। उन्होंने एक ऐसी चिप पर काम किया है जो अब तक की सबसे छोटी सिलिकॉन चिप से भी 10 गुना छोटी होगी। इस चिप की तकनीक को एंगस्ट्रॉम स्केल कहा जा रहा है। वैज्ञानिकों ने इसकी एक डिटेल रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है। इस रिपोर्ट में एक नया सेमीकंडक्टर मटेरियल इस्तेमाल करने का प्रस्ताव भी दिया गया है। यह मटेरियल 2D मटेरियल कहलाएगा जो तकनीक की दुनिया में क्रांति ला सकता है।

सिलिकॉन चिप को देगा टक्कर

फिलहाल अमेरिका जापान साउथ कोरिया और ताइवान जैसे देश सिलिकॉन चिप तकनीक में आगे हैं। उनके द्वारा बनाई गई चिप्स दुनिया के लगभग सभी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेस में इस्तेमाल होती हैं। लेकिन अब भारत इस दौड़ में तेजी से कदम रख रहा है। IISc की टीम ने सबसे पहले अप्रैल 2022 में अपनी रिपोर्ट सरकार को दी थी और फिर अक्टूबर 2024 में इसे संशोधित कर दोबारा प्रस्तुत किया गया। इस रिपोर्ट को अब IT मंत्रालय यानी MeitY के पास भेजा गया है।

IISc: 2D मटेरियल से बनी चिप्स! IISc की नई तकनीक, जो भारत को सेमीकंडक्टर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाएगी

क्या है 2D मटेरियल की खासियत

इस चिप में इस्तेमाल होने वाले 2D मटेरियल जैसे ग्रेफीन और ट्रांजिशन मेटल डाइक्ल्कोजेनाइड्स तकनीक को एंगस्ट्रॉम स्केल तक ले जा सकते हैं। मौजूदा समय में चिप बनाने की जो तकनीक है वह नैनोमीटर स्केल पर है लेकिन यह नई तकनीक उससे भी कई गुना पतली होगी। यह चिप्स न सिर्फ साइज में छोटी होंगी बल्कि ज्यादा तेज और शक्तिशाली भी हो सकती हैं। इस तकनीक की मदद से भारत इलेक्ट्रॉनिक्स और सेमीकंडक्टर क्षेत्र में बड़ी छलांग लगा सकता है।

सरकार कर रही है गंभीर विचार

MeitY के सूत्रों के मुताबिक इस प्रोजेक्ट पर विचार हो रहा है और IT मंत्रालय का रवैया इस प्रस्ताव के प्रति काफी सकारात्मक है। हाल ही में इस विषय पर मंत्रालय के सचिव और प्रिंसिपल साइंटिफिक एडवाइजर के साथ बैठकें भी हो चुकी हैं। सरकार अब इस तकनीक को इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में उपयोग करने की दिशा में सोच रही है। अगर यह तकनीक मंजूर होती है तो भारत खुद के सेमीकंडक्टर चिप्स बना सकेगा।

सेमीकंडक्टर में आत्मनिर्भरता की ओर

फिलहाल भारत सेमीकंडक्टर के लिए विदेशी कंपनियों पर निर्भर है। लेकिन यह तकनीक भारत को इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर बना सकती है। यह तकनीक न सिर्फ आर्थिक दृष्टि से बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से भी अहम मानी जा रही है। टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स भारत में सबसे बड़ा सेमीकंडक्टर प्रोजेक्ट चला रहा है जिसकी लागत 91 हजार करोड़ रुपये है। इसके लिए टाटा ने ताइवान की TSMC कंपनी से साझेदारी की है। लेकिन IISc की यह तकनीक भारत को तकनीकी स्वतंत्रता की ओर ले जा सकती है।

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