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BSE Share ने रचा इतिहास, IPO में लगाया पैसा बना करोड़ों की पहली सीढ़ी

BSE Share: देश का सबसे पुराना स्टॉक एक्सचेंज BSE लिमिटेड आजकल सुर्खियों में है क्योंकि इसने अपने निवेशकों को शानदार रिटर्न दिया है। साल 2017 में जो लोग बीएसई के आईपीओ में एक लाख रुपये लगाए थे उनकी रकम अब बढ़कर 27 लाख रुपये से भी ज्यादा हो गई है। यह कमाल सिर्फ आठ साल में हुआ है। बीएसई ने ना सिर्फ अपने शेयरधारकों को बोनस दिए बल्कि हर साल डिविडेंड भी दिया और शेयर बायबैक भी किया। इन सबका असर ये हुआ कि निवेशकों की पूंजी कई गुना बढ़ गई।
कैसे एक शेयर बना नौ शेयर, दो बार मिला बोनस
BSE लिमिटेड ने साल 2017 में अपना आईपीओ लाया था जिसका इश्यू प्राइस था 806 रुपये। उस समय एक शेयर पर निवेश किया गया पैसा अब नौ शेयरों में बदल चुका है। मार्च 2022 में कंपनी ने हर एक शेयर पर दो बोनस शेयर दिए जिससे एक शेयर तीन बन गया। अब मई 2025 में फिर से दो बोनस शेयर दिए गए जिससे पहले के तीन शेयर अब नौ में बदल गए। यानी जिसने 2017 में एक शेयर लिया था उसके पास अब नौ शेयर हैं।
आईपीओ प्राइस से 27 गुना हुआ मुनाफा
बीएसई के एक शेयर की कीमत फिलहाल 2459 रुपये है। ऐसे में नौ शेयरों की कीमत हो गई है 22,131 रुपये। जब इसे 806 रुपये के आईपीओ प्राइस से तुलना करते हैं तो यह 27.45 गुना का रिटर्न बनता है। यानी एक लाख रुपये की निवेश राशि अब 27 लाख रुपये से भी ज्यादा हो गई है। इतना बड़ा मुनाफा किसी भी निवेशक के लिए सपने जैसा होता है और बीएसई ने यह सच कर दिखाया।
डिविडेंड और शेयर बायबैक से और फायदा
बीएसई ने न सिर्फ बोनस दिए बल्कि अपने शेयरधारकों को हर साल डिविडेंड भी दिया है। 14 मई 2025 को कंपनी ने 23 रुपये प्रति शेयर डिविडेंड देने की घोषणा की थी। इससे पहले 14 जून 2024 को 15 रुपये का डिविडेंड दिया गया था। इसके अलावा कंपनी ने जुलाई 2019 और सितंबर 2023 में शेयर बायबैक भी किए। इन सब वजहों से निवेशकों को लगातार फायदा मिला है।
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Petrol-Diesel Price: डीजल में 60 पैसे की गिरावट सिर्फ पटना में, बाकी राज्यों में क्यों स्थिरता?

Petrol-Diesel Price: कोलकाता में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में हल्की बढ़ोतरी हुई है। ऑयल मार्केटिंग कंपनियों द्वारा फ्यूल के बेसिक प्राइस को फिर से एडजस्ट करने के बाद यह बदलाव सामने आया है। अब कोलकाता में पेट्रोल की कीमत ₹105.41 प्रति लीटर हो गई है जबकि डीजल की कीमत ₹92.02 प्रति लीटर पहुंच गई है। एक प्रमुख ऑयल कंपनी के अधिकारी ने बताया कि पेट्रोल की कीमत में 40 पैसे प्रति लीटर की बढ़ोतरी की गई है जबकि डीजल की कीमत में 20 पैसे प्रति लीटर का इजाफा हुआ है। हालांकि इसके उलट बिहार की राजधानी पटना में डीजल के दाम में 60 पैसे प्रति लीटर की गिरावट दर्ज की गई है। वहीं अन्य पूर्वी राज्यों में ईंधन की कीमतें स्थिर बनी हुई हैं।
क्यों होता है ईंधन की कीमतों में बदलाव
ईंधन की कीमतें तय करने का आधार उसका बेसिक प्राइस होता है जिसे ऑयल मार्केटिंग कंपनियां समय-समय पर रिव्यू करती हैं। इसमें ऑपरेशनल खर्च और लॉजिस्टिक्स जैसे कई फैक्टरों को ध्यान में रखते हुए एडजस्टमेंट किया जाता है। इस बेसिक प्राइस में केंद्र और राज्य सरकारों के टैक्स जुड़ने के बाद रिटेल प्राइस बनता है जो आम उपभोक्ता को चुकाना पड़ता है। हाल ही में हुए इस मामूली बदलाव ने सीधे तौर पर पेट्रोल-डीजल की कीमतों को प्रभावित किया है। इन बदलावों का असर चाहे कम हो लेकिन जब हर लीटर पर कुछ पैसे बढ़ते हैं तो उसका असर लाखों लोगों की जेब पर पड़ता है।
पटना में राहत, बाकी राज्यों में स्थिरता
जहां एक तरफ कोलकाता में पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़े हैं वहीं पटना के लोगों को थोड़ी राहत मिली है। वहां डीजल के दाम में 60 पैसे प्रति लीटर की गिरावट आई है। हालांकि पेट्रोल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं हुआ है। इसके अलावा झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल के अन्य हिस्सों और असम जैसे पूर्वी राज्यों में कीमतें जस की तस बनी हुई हैं। इससे साफ है कि कंपनियां केवल उन्हीं शहरों में दाम बदल रही हैं जहां लॉजिस्टिक्स या वितरण से जुड़ी लागत में बदलाव हुआ है।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के भाव स्थिर
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें बीते कुछ समय से स्थिर बनी हुई हैं। इसी वजह से भारत में तेल कंपनियों को कीमतों में बड़ी बढ़ोतरी करने की ज़रूरत नहीं पड़ी। मंगलवार दोपहर को डब्ल्यूटीआई क्रूड ऑयल की कीमत $62.05 प्रति बैरल रही जिसमें 0.15 प्रतिशत या $0.11 की मामूली बढ़त देखी गई। वहीं ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमत $65.02 प्रति बैरल रही जिसमें 0.09 प्रतिशत या $0.06 की बढ़त हुई। इन स्थिर कीमतों से संकेत मिलता है कि अभी पेट्रोल-डीजल की दरों में बड़ा उछाल आने की संभावना कम है। हालांकि लोकल लेवल पर बेस प्राइस के रीएडजस्टमेंट से छोटे-मोटे उतार-चढ़ाव होते रहेंगे।
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वंदे भारत या शताब्दी ट्रेन से सरकार की कितनी होती है कमाई? जानिए पूरी सच्चाई

भारतीय रेलवे की सबसे प्रीमियम और आधुनिक ट्रेनों में शामिल वंदे भारत एक्सप्रेस और शताब्दी एक्सप्रेस को लेकर आम लोगों के मन में यह सवाल जरूर आता है कि इन ट्रेनों से सरकार को कितनी कमाई होती है। खासकर वंदे भारत ट्रेनों की बढ़ती संख्या और लोकप्रियता के बीच यह जानना दिलचस्प हो जाता है कि क्या सरकार इनसे मुनाफे में है या नहीं।
RTI में क्या मिला जवाब?
हाल ही में मध्यप्रदेश के आरटीआई एक्टिविस्ट चंद्रशेखर गौड़ द्वारा दायर एक आरटीआई के जवाब में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। उन्होंने रेलवे मंत्रालय से पूछा था कि वंदे भारत ट्रेनों से पिछले दो वर्षों में कितनी कमाई हुई और क्या रेलवे को मुनाफा हुआ या नुकसान। जवाब में मंत्रालय ने कहा कि “ट्रेन के अनुसार राजस्व का अलग से रिकॉर्ड नहीं रखा जाता।” यानी सरकार के पास यह डेटा ही नहीं है कि वंदे भारत ट्रेनों से कुल कितनी कमाई हो रही है।
वंदे भारत ट्रेनें कहां-कहां चल रही हैं?
वर्तमान में देशभर में 102 वंदे भारत ट्रेनें 24 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 284 जिलों को कवर कर रही हैं। ये ट्रेनें 100 से ज्यादा रूट्स पर दौड़ रही हैं और अब तक 2 करोड़ से अधिक यात्री इनका सफर कर चुके हैं। रेलवे ने बताया कि वित्त वर्ष 2023-24 में इन ट्रेनों ने इतनी दूरी तय की है जो पृथ्वी के 310 चक्कर लगाने के बराबर है।
बुकिंग में है जबरदस्त रिस्पॉन्स
रेलवे द्वारा पहले दी गई एक RTI जानकारी के अनुसार, वंदे भारत ट्रेनों में औसतन 92% सीटें बुक रहती हैं, जो कि किसी भी ट्रेन के लिए काफी उत्साहजनक आंकड़ा है। इसका मतलब है कि ये ट्रेनें यात्रियों के बीच बेहद लोकप्रिय हैं।
रेलवे की कमाई का बड़ा हिस्सा
रेलवे ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए यात्री राजस्व (Passenger Revenue) को 92,800 करोड़ रुपये तक पहुंचाने का अनुमान जताया है, जिसमें वंदे भारत और अन्य एसी ट्रेनों की भूमिका काफी अहम मानी जा रही है। रेलवे को उम्मीद है कि प्रीमियम ट्रेनों की मांग बढ़ने से इनकम में 16% की ग्रोथ होगी।
जहां एक ओर वंदे भारत और शताब्दी जैसी ट्रेनों की लोकप्रियता और यात्री संख्या लगातार बढ़ रही है, वहीं यह हैरानी की बात है कि रेलवे इनके जरिए होने वाली सीधी कमाई का रिकॉर्ड नहीं रखता। इससे पारदर्शिता पर सवाल उठते हैं और यह समझना मुश्किल हो जाता है कि क्या वाकई ये ट्रेनें फायदे का सौदा हैं या सिर्फ एक इमेज प्रोजेक्शन?
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