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Investment Ideas: स्टॉक मार्केट गिर जाए, तो भी इन निवेशकों को नहीं होगी चिंता, पैसा बरसता रहेगा

Investment Ideas: भारत का शेयर बाजार पिछले कुछ महीनों से लगातार गिरावट की ओर बढ़ रहा है, हालांकि, इसके बावजूद कुछ ऐसे निवेशक हैं जो इस गिरावट से बिल्कुल भी प्रभावित नहीं हो रहे हैं। दरअसल, ये निवेशक ऐसे निवेश के विकल्पों का चुनाव करते हैं, जिनमें जोखिम बहुत कम होता है, और वे लगातार लाभ कमाते रहते हैं। ऐसे में यदि आप भी शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव से परेशान हैं और एक सुरक्षित निवेश विकल्प की तलाश में हैं, तो गोल्ड ETF (एक्सचेंज ट्रेडेड फंड) आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है।
शेयर बाजार में गिरावट का असर और निवेशकों की चिंता
27 सितंबर को, सेंसेक्स ने 85,978.25 अंकों का लाइफटाइम हाई छुआ था, जबकि निफ्टी 50 भी 26,277.35 अंकों पर पहुंच गया था। लेकिन, इसके बाद से भारतीय शेयर बाजार में लगातार गिरावट देखी जा रही है। सोमवार को, सुबह 11:43 बजे तक सेंसेक्स 280.84 अंकों की गिरावट के साथ 75,658.37 अंकों पर कारोबार कर रहा था, जबकि निफ्टी 50 भी 83.75 अंकों की गिरावट के साथ 22,845.50 अंकों पर था। यह गिरावट पिछले साल सितंबर के अंत से लगातार जारी है, जिससे निवेशक परेशान हो रहे हैं।
निवेशक अब सुरक्षित निवेश के लिए तलाश रहे हैं विकल्प
शेयर बाजार में लगातार हो रही गिरावट के कारण निवेशक अब एक ऐसा निवेश विकल्प खोज रहे हैं, जिसमें शेयर बाजार की तरह जोखिम न हो, और पैसे की भी निरंतर बरसात हो। ऐसे में गोल्ड ETF एक शानदार विकल्प साबित हो सकता है। गोल्ड ETF एक प्रकार का म्यूचुअल फंड है, जिसमें निवेशकों को 24 कैरेट सोने के समान मूल्य मिलता है। इसे शेयर बाजार में खरीदा और बेचा जा सकता है, और इसकी कीमत सोने की कीमतों के अनुसार बढ़ती और घटती रहती है।
गोल्ड ETF के फायदे:
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गोल्ड ETF और सोने की कीमत का संबंध: गोल्ड ETF का मूल्य सोने की कीमतों से जुड़ा हुआ होता है। जब सोने की कीमत बढ़ती है, तो गोल्ड ETF का मूल्य भी बढ़ता है। इस प्रकार, अगर सोने की कीमतें उच्चतम स्तर पर हैं, तो गोल्ड ETF के जरिए निवेशकों को अच्छा मुनाफा हो सकता है।
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न कोई बनाने का शुल्क, न ही GST: गोल्ड ETF में निवेश करने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसमें शारीरिक सोने के मुकाबले कोई बनाने का शुल्क (making charge) या जीएसटी नहीं लगता। यदि आप शारीरिक सोने को खरीदते हैं, तो आपको उसका बनाने का शुल्क और जीएसटी भी चुकाना पड़ता है, जो गोल्ड ETF में नहीं होता। इससे आपके निवेश पर कोई अतिरिक्त खर्च नहीं आता।
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शारीरिक सोने की परेशानी नहीं: गोल्ड ETF में निवेश करने से आपको शारीरिक सोने की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता। आपको न तो सोने की रख-रखाव की चिंता करनी होती है, और न ही चोरी का डर होता है। गोल्ड ETF में निवेश करने पर आप सीधे अपने बैंक खाते में पैसे ट्रांसफर कर सकते हैं, जब आप इसे बेचते हैं।
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निवेश में लचीलापन: गोल्ड ETF के जरिए आप किसी भी समय खरीद और बेच सकते हैं। क्योंकि यह शेयर बाजार में ट्रेड होता है, आपको इसमें लचीलापन मिलता है। आप इसे किसी भी समय अपने फायदेमंद समय पर बेच सकते हैं और लाभ कमा सकते हैं।
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कम जोखिम और उच्च रिटर्न: शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव और जोखिम के कारण कई निवेशक गोल्ड ETF में निवेश करना पसंद करते हैं। सोने की कीमतें सामान्यत: स्थिर रहती हैं और यदि कीमतें बढ़ती हैं, तो निवेशकों को अच्छा रिटर्न मिलता है। गोल्ड ETF एक सुरक्षित निवेश विकल्प है, जो आपको शेयर बाजार की उतार-चढ़ाव से बचाते हुए निरंतर लाभ प्रदान कर सकता है।
गोल्ड ETF में निवेश कैसे करें?
गोल्ड ETF में निवेश करने के लिए आपको सबसे पहले एक डिमैट अकाउंट की आवश्यकता होगी। यदि आपके पास पहले से डिमैट अकाउंट है, तो आप सीधे इसे खोल सकते हैं और गोल्ड ETF को खरीदने और बेचने के लिए इसका उपयोग कर सकते हैं। एक बार डिमैट अकाउंट खोलने के बाद, आप किसी भी म्यूचुअल फंड कंपनी या ब्रोकर के माध्यम से गोल्ड ETF में निवेश कर सकते हैं।
गोल्ड ETF में निवेश के विकल्प:
भारत में कई गोल्ड ETF उपलब्ध हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख विकल्प निम्नलिखित हैं:
- Nippon India Gold ETF
- HDFC Gold ETF
- ICICI Prudential Gold ETF
- SBI Gold ETF
- UTI Gold ETF
इन गोल्ड ETF में निवेश करके आप सोने की कीमतों में होने वाले बदलावों से लाभ उठा सकते हैं, और एक सुरक्षित निवेश विकल्प का फायदा उठा सकते हैं।
गोल्ड ETF उन निवेशकों के लिए एक बेहतरीन विकल्प है जो शेयर बाजार में हो रही गिरावट से परेशान हैं और एक सुरक्षित निवेश विकल्प की तलाश कर रहे हैं। इसमें न तो शारीरिक सोने की तरह बनाने का शुल्क होता है, न ही जीएसटी, और न ही सोने को सुरक्षित रखने की चिंता। सोने की कीमतों में उछाल आने पर गोल्ड ETF में निवेश करने से आपको अच्छा रिटर्न मिल सकता है। इसलिए, यदि आप शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव से बचना चाहते हैं और एक सुरक्षित निवेश की तलाश में हैं, तो गोल्ड ETF आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है।
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Gold Tax: क्या सच में कभी नहीं गिरती सोने की कीमत, जानिए चौंकाने वाली बातें!

Gold Tax: शादी के मौके पर लोग अलग-अलग तरह के तोहफे देते हैं लेकिन सबसे ज्यादा पसंद सोना दिया जाना है। इसका एक बड़ा कारण यह है कि सोना हमेशा से सुरक्षित निवेश माना जाता है। जब दुनिया की अर्थव्यवस्था अस्थिर होती है तो लोग सुरक्षित निवेश की तलाश में सोने की तरफ भागते हैं। इसलिए शादी में सोना देना न सिर्फ परंपरा का हिस्सा है बल्कि यह एक समझदारी भरा निवेश भी माना जाता है। इसके अलावा सोने की कीमत में कभी बड़ी गिरावट नहीं देखी जाती जिससे यह तोहफे के रूप में और भी आकर्षक बन जाता है।
सोना गिफ्ट में मिलने पर कितना टैक्स देना होगा
अगर आपको शादी या किसी भी मौके पर सोने का गहना या सामान तोहफे में मिलता है और उसकी कीमत 50,000 रुपये से ज्यादा होती है तो उसे इनकम फ्रॉम अदर सोर्स माना जाता है यानी यह आपकी अन्य आय में जुड़ जाता है और उस पर टैक्स देना पड़ता है। हालांकि अगर यह सोना आपके करीबी रिश्तेदारों से मिला हो जैसे माता-पिता सास-ससुर भाई-बहन जीवनसाथी दादा-दादी या नाना-नानी से तो यह टैक्स फ्री माना जाता है। यानी अपने परिवार से मिला सोना टैक्स के दायरे में नहीं आता लेकिन बाहर से मिला महंगा सोना आपको टैक्स की जद में ला सकता है।
आईसीआरए रिपोर्ट में सामने आए दिलचस्प आंकड़े
आईसीआरए की हालिया रिपोर्ट में बताया गया कि वित्त वर्ष 2025-26 में सोने के गहनों की मांग (मूल्य के हिसाब से) 12 से 14 प्रतिशत बढ़ सकती है। हालांकि इस समय लोग सोने की खरीदारी की मात्रा में कमी कर रहे हैं। उदाहरण के लिए अगर पहले कोई व्यक्ति 20 ग्राम सोना खरीदता था तो अब उसकी कीमत बढ़ने के कारण वह सिर्फ 10 ग्राम खरीद पा रहा है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि लोग अब सोने के सिक्के और बारी (bars) ज्यादा खरीदने लगे हैं। इस वित्त वर्ष में सिक्के और बारी की खरीदारी में 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी जा सकती है जबकि पिछले साल इसमें 25 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। इसके बाद सिक्कों और बार्स का कुल सोना बिक्री में हिस्सा 35 प्रतिशत तक पहुंचने की उम्मीद है।
बढ़ती कीमत के बावजूद क्यों है सोने में निवेश का क्रेज
दुनिया की आर्थिक स्थिति में लगातार अनिश्चितता बढ़ रही है जिसके चलते लोग सुरक्षित निवेश के लिए सोने की तरफ आकर्षित हो रहे हैं। भले ही सोने की कीमतें लगातार ऊंचाई पर हैं लेकिन निवेशक इसे सुरक्षित मानकर इसमें निवेश कर रहे हैं। शादी जैसे अवसरों पर भी लोग नकद या महंगे गिफ्ट देने की बजाय सोना देना बेहतर समझते हैं क्योंकि यह न सिर्फ निवेश के रूप में सुरक्षित रहता है बल्कि इसका भाव भी कभी गिरता नहीं। यही वजह है कि शादी-ब्याह के सीजन में सोने की डिमांड तेजी से बढ़ जाती है और लोग इसका स्टॉक करने में पीछे नहीं रहते।
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BSE Share ने रचा इतिहास, IPO में लगाया पैसा बना करोड़ों की पहली सीढ़ी

BSE Share: देश का सबसे पुराना स्टॉक एक्सचेंज BSE लिमिटेड आजकल सुर्खियों में है क्योंकि इसने अपने निवेशकों को शानदार रिटर्न दिया है। साल 2017 में जो लोग बीएसई के आईपीओ में एक लाख रुपये लगाए थे उनकी रकम अब बढ़कर 27 लाख रुपये से भी ज्यादा हो गई है। यह कमाल सिर्फ आठ साल में हुआ है। बीएसई ने ना सिर्फ अपने शेयरधारकों को बोनस दिए बल्कि हर साल डिविडेंड भी दिया और शेयर बायबैक भी किया। इन सबका असर ये हुआ कि निवेशकों की पूंजी कई गुना बढ़ गई।
कैसे एक शेयर बना नौ शेयर, दो बार मिला बोनस
BSE लिमिटेड ने साल 2017 में अपना आईपीओ लाया था जिसका इश्यू प्राइस था 806 रुपये। उस समय एक शेयर पर निवेश किया गया पैसा अब नौ शेयरों में बदल चुका है। मार्च 2022 में कंपनी ने हर एक शेयर पर दो बोनस शेयर दिए जिससे एक शेयर तीन बन गया। अब मई 2025 में फिर से दो बोनस शेयर दिए गए जिससे पहले के तीन शेयर अब नौ में बदल गए। यानी जिसने 2017 में एक शेयर लिया था उसके पास अब नौ शेयर हैं।
आईपीओ प्राइस से 27 गुना हुआ मुनाफा
बीएसई के एक शेयर की कीमत फिलहाल 2459 रुपये है। ऐसे में नौ शेयरों की कीमत हो गई है 22,131 रुपये। जब इसे 806 रुपये के आईपीओ प्राइस से तुलना करते हैं तो यह 27.45 गुना का रिटर्न बनता है। यानी एक लाख रुपये की निवेश राशि अब 27 लाख रुपये से भी ज्यादा हो गई है। इतना बड़ा मुनाफा किसी भी निवेशक के लिए सपने जैसा होता है और बीएसई ने यह सच कर दिखाया।
डिविडेंड और शेयर बायबैक से और फायदा
बीएसई ने न सिर्फ बोनस दिए बल्कि अपने शेयरधारकों को हर साल डिविडेंड भी दिया है। 14 मई 2025 को कंपनी ने 23 रुपये प्रति शेयर डिविडेंड देने की घोषणा की थी। इससे पहले 14 जून 2024 को 15 रुपये का डिविडेंड दिया गया था। इसके अलावा कंपनी ने जुलाई 2019 और सितंबर 2023 में शेयर बायबैक भी किए। इन सब वजहों से निवेशकों को लगातार फायदा मिला है।
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Petrol-Diesel Price: डीजल में 60 पैसे की गिरावट सिर्फ पटना में, बाकी राज्यों में क्यों स्थिरता?

Petrol-Diesel Price: कोलकाता में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में हल्की बढ़ोतरी हुई है। ऑयल मार्केटिंग कंपनियों द्वारा फ्यूल के बेसिक प्राइस को फिर से एडजस्ट करने के बाद यह बदलाव सामने आया है। अब कोलकाता में पेट्रोल की कीमत ₹105.41 प्रति लीटर हो गई है जबकि डीजल की कीमत ₹92.02 प्रति लीटर पहुंच गई है। एक प्रमुख ऑयल कंपनी के अधिकारी ने बताया कि पेट्रोल की कीमत में 40 पैसे प्रति लीटर की बढ़ोतरी की गई है जबकि डीजल की कीमत में 20 पैसे प्रति लीटर का इजाफा हुआ है। हालांकि इसके उलट बिहार की राजधानी पटना में डीजल के दाम में 60 पैसे प्रति लीटर की गिरावट दर्ज की गई है। वहीं अन्य पूर्वी राज्यों में ईंधन की कीमतें स्थिर बनी हुई हैं।
क्यों होता है ईंधन की कीमतों में बदलाव
ईंधन की कीमतें तय करने का आधार उसका बेसिक प्राइस होता है जिसे ऑयल मार्केटिंग कंपनियां समय-समय पर रिव्यू करती हैं। इसमें ऑपरेशनल खर्च और लॉजिस्टिक्स जैसे कई फैक्टरों को ध्यान में रखते हुए एडजस्टमेंट किया जाता है। इस बेसिक प्राइस में केंद्र और राज्य सरकारों के टैक्स जुड़ने के बाद रिटेल प्राइस बनता है जो आम उपभोक्ता को चुकाना पड़ता है। हाल ही में हुए इस मामूली बदलाव ने सीधे तौर पर पेट्रोल-डीजल की कीमतों को प्रभावित किया है। इन बदलावों का असर चाहे कम हो लेकिन जब हर लीटर पर कुछ पैसे बढ़ते हैं तो उसका असर लाखों लोगों की जेब पर पड़ता है।
पटना में राहत, बाकी राज्यों में स्थिरता
जहां एक तरफ कोलकाता में पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़े हैं वहीं पटना के लोगों को थोड़ी राहत मिली है। वहां डीजल के दाम में 60 पैसे प्रति लीटर की गिरावट आई है। हालांकि पेट्रोल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं हुआ है। इसके अलावा झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल के अन्य हिस्सों और असम जैसे पूर्वी राज्यों में कीमतें जस की तस बनी हुई हैं। इससे साफ है कि कंपनियां केवल उन्हीं शहरों में दाम बदल रही हैं जहां लॉजिस्टिक्स या वितरण से जुड़ी लागत में बदलाव हुआ है।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के भाव स्थिर
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें बीते कुछ समय से स्थिर बनी हुई हैं। इसी वजह से भारत में तेल कंपनियों को कीमतों में बड़ी बढ़ोतरी करने की ज़रूरत नहीं पड़ी। मंगलवार दोपहर को डब्ल्यूटीआई क्रूड ऑयल की कीमत $62.05 प्रति बैरल रही जिसमें 0.15 प्रतिशत या $0.11 की मामूली बढ़त देखी गई। वहीं ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमत $65.02 प्रति बैरल रही जिसमें 0.09 प्रतिशत या $0.06 की बढ़त हुई। इन स्थिर कीमतों से संकेत मिलता है कि अभी पेट्रोल-डीजल की दरों में बड़ा उछाल आने की संभावना कम है। हालांकि लोकल लेवल पर बेस प्राइस के रीएडजस्टमेंट से छोटे-मोटे उतार-चढ़ाव होते रहेंगे।
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