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Repo Rate: लोन होंगे सस्ते, आरबीआई ने 5 साल बाद रेपो दर में 0.25% की कटौती की, ईएमआई में होगी कमी

Repo Rate: देश के करोड़ों लोगों को बड़ी राहत देते हुए, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को 0.25 प्रतिशत ब्याज दर में कटौती की घोषणा की है। यह कटौती लगभग 5 साल बाद की गई है। इस 0.25 प्रतिशत (25 बेसिस प्वाइंट्स) की कटौती से सभी प्रकार के लोन, जैसे कि होम लोन और कार लोन, सस्ते हो जाएंगे और लोगों को ईएमआई में राहत मिलेगी।
रेपो दर अब 6.25 प्रतिशत
7 फरवरी 2025 को, यानी आज, पहली बार जून 2023 के बाद रेपो दर में बदलाव किया गया। रिजर्व बैंक ने इसे 6.50 प्रतिशत से घटाकर 6.25 प्रतिशत कर दिया है। यह निर्णय भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक के बाद लिया गया, जो 5 फरवरी 2025 से 7 फरवरी 2025 तक चली। इस बैठक की अध्यक्षता RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने की। यह बैठक 3 दिनों तक चली और इस दौरान यह निर्णय लिया गया कि रेपो दर में 0.25 प्रतिशत (25 बेसिस प्वाइंट्स) की कटौती की जाएगी।
संजय मल्होत्रा का पहला निर्णय
यह RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा का पहला MPC बैठक था, जो 2024 में RBI के नए गवर्नर के रूप में नियुक्त हुए थे। संजय मल्होत्रा 11 दिसंबर 2024 को भारतीय रिजर्व बैंक के 26वें गवर्नर के रूप में नियुक्त हुए थे। इससे पहले, शशिकांत दास ने 2018 से 2024 तक RBI के गवर्नर के रूप में कार्य किया और 10 दिसंबर 2024 को उन्होंने इस्तीफा दे दिया था। संजय मल्होत्रा की नियुक्ति के बाद यह उनका पहला बड़ा कदम था, जिसमें उन्होंने ब्याज दरों को घटाने का निर्णय लिया है।
पिछली बार ब्याज दरों में कटौती कब हुई थी?
भारतीय रिजर्व बैंक ने पिछली बार मई 2020 में ब्याज दरों में कटौती की थी। उस समय, COVID-19 महामारी के कारण अर्थव्यवस्था में आई मंदी से उबरने के लिए RBI ने रेपो दर में 0.40 प्रतिशत (40 बेसिस प्वाइंट्स) की कटौती की थी। तब से लगातार ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं किया गया था।
क्या असर पड़ेगा आम आदमी पर?
रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती का सीधा असर होम लोन, कार लोन और अन्य प्रकार के लोन की दरों पर पड़ेगा। लोन सस्ते होने से आम लोगों को कम EMI का भुगतान करना होगा। इसका लाभ उन लोगों को मिलेगा जो नए लोन लेने की योजना बना रहे हैं, साथ ही जिन लोगों ने पहले ही लोन लिया हुआ है, उन्हें भी EMI में राहत मिलेगी, क्योंकि बैंकों द्वारा नई दरें लागू की जाएंगी।
क्या हैं रेपो दर और इसके प्रभाव?
रेपो दर वह दर होती है, जिस पर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) बैंकों को अल्पकालिक ऋण प्रदान करता है। जब RBI रेपो दर में कटौती करता है, तो बैंकों को सस्ता कर्ज मिलता है, जिसका असर बैंकों द्वारा प्रदान किए जाने वाले ऋण की दरों पर पड़ता है। इस प्रकार, रेपो दर में कटौती से लोन की दरों में कमी आती है, जिससे विभिन्न प्रकार के लोन सस्ते हो जाते हैं।
इकोनॉमिक ग्रोथ को मिलेगा बढ़ावा
RBI के इस निर्णय का भारतीय अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। इसकी मदद से न केवल घरेलू मांग को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि निवेश भी आकर्षित होगा। बैंकों द्वारा ऋण दरों में कमी आने से कंपनियों और उद्योगों के लिए सस्ते लोन मिलेंगे, जिससे वे अधिक निवेश कर सकेंगे और उत्पादन में वृद्धि कर सकेंगे। इसके अलावा, यह कदम रोजगार सृजन और आर्थिक वृद्धि को प्रोत्साहित करेगा।
EMI में मिलेगी राहत
जैसा कि पहले कहा गया है, रेपो दर में कटौती के बाद लोगों को अपने लोन की EMI में राहत मिलेगी। अगर किसी ने घर या कार लोन लिया हुआ है, तो उन्हें कम ब्याज दर पर EMI का भुगतान करना होगा। इससे उनके मासिक खर्चों में कमी आएगी और वे अधिक सुकून से अपने लोन का भुगतान कर सकेंगे। इसके अलावा, जिन लोगों ने अपनी EMI को कम करने के लिए लोन पुनर्गठन की योजना बनाई थी, उन्हें इस कटौती से फायदा होगा।
क्या उम्मीदें हैं अगले कुछ समय में?
बाजार में अनुमान लगाया जा रहा है कि इस कटौती के बाद आने वाले समय में RBI और अधिक ब्याज दरों में कटौती कर सकता है। यह तभी संभव होगा, जब महंगाई पर नियंत्रण रखने के लिए RBI को इस दिशा में कदम उठाने का अवसर मिलेगा। हालांकि, इसके लिए वित्तीय परिस्थितियों का अनुकूल होना जरूरी है, ताकि इस कदम से भारतीय अर्थव्यवस्था में स्थिरता बनी रहे।
कुल मिलाकर निर्णय का प्रभाव
इस फैसले से जहां एक तरफ आम आदमी को राहत मिलेगी, वहीं दूसरी तरफ भारतीय अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिलेगा। हालांकि, यह निर्णय देश की बढ़ती महंगाई को ध्यान में रखते हुए लिया गया है, ताकि अर्थव्यवस्था में स्थिरता बनी रहे। बैंकिंग क्षेत्र के लिए भी यह एक बड़ा संकेत है कि वे अपने लोन दरों में कमी करें, ताकि भारतीय अर्थव्यवस्था को और अधिक मजबूती मिल सके।
आरबीआई की रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती भारतीय अर्थव्यवस्था और आम आदमी के लिए एक बड़ा कदम है। इससे लोन सस्ते होंगे और लोगों को EMI में राहत मिलेगी। बैंकों के लिए यह एक संकेत है कि वे अपनी दरों को और सस्ता करें और भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में योगदान करें। यह कदम देश की आर्थिक वृद्धि को और बढ़ावा देने के लिए आवश्यक है और आने वाले समय में इसका और भी सकारात्मक प्रभाव देखने को मिलेगा।
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Stock Market Today: शेयर बाजार में भारी गिरावट, सेंसेक्स 700 अंक टूटा, निफ्टी में भी तेज़ झटका

Stock Market Today: शुक्रवार 11 जुलाई 2025 को सप्ताह के आखिरी कारोबारी दिन शेयर बाजार में जोरदार गिरावट देखने को मिली। बाजार में लगभग एक प्रतिशत की गिरावट आई है। बीएसई का सेंसेक्स करीब 700 अंक गिरकर 82,509.59 पर पहुंच गया जबकि एनएसई का निफ्टी-50 भी 200 अंक लुढ़क कर 25,162.25 पर ट्रेड करता देखा गया। लगभग सभी सेक्टर्स में बिकवाली का माहौल बना रहा। हालांकि एफएमसीजी सेक्टर के कुछ शेयरों ने थोड़ी राहत दी लेकिन आईटी और ऑटो सेक्टर की गिरावट ने बाजार को नीचे खींच दिया।
आईटी और ऑटो सेक्टर में सबसे ज्यादा गिरावट
शुक्रवार को टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेस (TCS) के तिमाही नतीजे उम्मीद से कमजोर रहे जिसकी वजह से इसके शेयरों में 2.75 प्रतिशत की गिरावट आई। इसी के साथ निफ्टी का आईटी इंडेक्स भी दोपहर तक 1 प्रतिशत से ज्यादा टूट गया। आईटी सेक्टर के अलावा ऑटो सेक्टर में भी जबरदस्त बिकवाली हुई। महिंद्रा एंड महिंद्रा के शेयर 2.43 प्रतिशत तक गिर गए। इसके अलावा रिलायंस इंडस्ट्रीज, बजाज फिनसर्व और अन्य दिग्गज कंपनियों के शेयर भी लाल निशान में नजर आए।
एफएमसीजी ने दिखाई मजबूती तो हुल के शेयर चमके
जहां बाकी सेक्टर्स में गिरावट देखने को मिली वहीं एफएमसीजी सेक्टर में मजबूती दर्ज की गई। हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड (HUL) के शेयरों में करीब 5 प्रतिशत की उछाल देखी गई। दोपहर के सत्र में HUL के साथ-साथ एक्सिस बैंक और सन फार्मा के शेयरों में भी हल्की तेजी रही। एक्सिस बैंक में 0.48 प्रतिशत और सन फार्मास्युटिकल्स में 0.51 प्रतिशत की बढ़त देखने को मिली। इन तीन शेयरों को छोड़ दें तो बाकी लगभग सभी कंपनियों के स्टॉक्स लाल निशान में ट्रेड करते दिखे।
क्या रहा गिरावट का कारण?
मार्केट एक्सपर्ट्स के मुताबिक वैश्विक अनिश्चितताओं के चलते बड़े आईटी शेयरों पर दबाव बना हुआ है। इसके अलावा कमजोर तिमाही नतीजों ने निवेशकों का भरोसा भी डगमगा दिया है। टीसीएस की परफॉर्मेंस उम्मीद से नीचे रहने की वजह से पूरे आईटी सेक्टर पर असर पड़ा। वहीं, रिलायंस इंडस्ट्रीज जैसी दिग्गज कंपनी के शेयरों में गिरावट ने भी बाजार की चाल को बिगाड़ा। मिड कैप और स्मॉल कैप इंडेक्स भी कमजोर रहे। निफ्टी मिड कैप 100 में 0.86 प्रतिशत और निफ्टी स्मॉल कैप 10 में 1.00 प्रतिशत की गिरावट देखी गई। हालांकि इंडिया VIX में 1.90 प्रतिशत की तेजी दिखी जो बाजार की अस्थिरता का संकेत है।
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JK Cement Share Dividend: शेयरधारकों के लिए खुशखबरी, JK Cement ने ₹15 प्रति शेयर का फाइनल डिविडेंड किया घोषित

JK Cement Share Dividend: देश की जानी-मानी सीमेंट कंपनी जेके सीमेंट लिमिटेड ने अपने शेयरधारकों को बड़ी सौगात दी है। कंपनी ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए ₹15 प्रति इक्विटी शेयर के फाइनल डिविडेंड का ऐलान किया है। हर शेयर की फेस वैल्यू ₹10 है यानी निवेशकों को 150 प्रतिशत का डिविडेंड मिलेगा। यह उन सभी योग्य निवेशकों को मिलेगा जिनके पास रिकॉर्ड तिथि तक जेके सीमेंट के शेयर होंगे। बाजार में फिलहाल जेके सीमेंट के शेयर लगभग ₹6120 पर कारोबार कर रहे हैं और आज इनमें 0.50% की हल्की गिरावट भी देखी गई।
डिविडेंड की रिकॉर्ड डेट और बुक क्लोजर
कंपनी ने डिविडेंड के लिए रिकॉर्ड डेट 8 जुलाई 2025 तय की है। यानी अगर आपने 8 जुलाई तक जेके सीमेंट के शेयर खरीद रखे हैं तो आप इस डिविडेंड के पात्र होंगे। वहीं बुक क्लोजर की तारीख 9 जुलाई से 18 जुलाई 2025 तक रहेगी। इस दौरान शेयर ट्रांसफर आदि की प्रक्रिया बंद रहेगी। जेके सीमेंट लिमिटेड देश की पांचवीं सबसे बड़ी सीमेंट निर्माता कंपनी है और इसका मार्केट कैप लगभग ₹47,326 करोड़ है।
शानदार रिटर्न्स से बना निवेशकों का भरोसा
अगर निवेश की बात करें तो जेके सीमेंट ने अपने शेयरधारकों को लगातार मजबूत रिटर्न्स दिए हैं। इस साल अब तक कंपनी के शेयरों ने करीब 33% का रिटर्न दिया है। वहीं, अगर पिछले 5 सालों की बात करें तो निवेशकों को 333% का दमदार रिटर्न मिला है। सबसे बड़ी बात ये है कि जेके सीमेंट ने अपने शेयर की शुरुआती कीमत से अब तक करीब 3900% का रिटर्न दिया है यानी जिसने 2006 में इस शेयर में पैसा लगाया था उसका पैसा आज 40 गुना हो गया है।
2006 में ₹150 था शेयर, अब ₹6100 के पार
साल 2006 में जब जेके सीमेंट का शेयर ₹150 पर था, तब शायद ही किसी ने सोचा होगा कि ये एक दिन ₹6000 के पार चला जाएगा। लेकिन इस कंपनी ने अपने मजबूत बिजनेस और निवेशकों के भरोसे के दम पर यह मुकाम हासिल किया है। फिलहाल जेके सीमेंट का 52 हफ्ते का हाई ₹6513 और लो ₹3891 है। ऐसे में डिविडेंड के साथ-साथ शेयर के लॉन्ग टर्म रिटर्न्स को देखकर यह साफ है कि यह कंपनी निवेशकों के लिए फायदे का सौदा रही है और आने वाले समय में भी इसकी पोजीशन मजबूत बनी रहने की उम्मीद है।
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8th Pay Commission: क्या अब 12 साल में मिलेगी पूरी पेंशन? केंद्र सरकार पर है लाखों पेंशनर्स की उम्मीदें टिकी

8th Pay Commission: सरकारी कर्मचारियों और पेंशनरों के लिए एक बड़ी राहत की खबर सामने आ रही है। केंद्र सरकार के समक्ष एक नई मांग रखी गई है जिसमें कम्युटेड पेंशन की बहाली की अवधि को 15 साल से घटाकर 12 साल करने की बात की गई है। यह मांग नेशनल काउंसिल (JCM) द्वारा सरकार को सौंपे गए चार्टर ऑफ डिमांड का हिस्सा है। अगर सरकार इस मांग को मान लेती है तो लाखों सेवानिवृत्त कर्मचारियों को जल्द पूरी पेंशन मिलने लगेगी जिससे उनकी आर्थिक स्थिति बेहतर हो सकेगी।
क्या होता है कम्युटेड पेंशन और क्यों चाहिए 12 साल में बहाली
जब कोई सरकारी कर्मचारी रिटायर होता है तो उसे एक विकल्प मिलता है कि वह अपनी पेंशन का कुछ हिस्सा एकमुश्त ले सकता है। इस प्रक्रिया को कम्युटेशन कहा जाता है। इसके बदले हर महीने पेंशन से एक तय राशि कटती है ताकि सरकार ने जो एकमुश्त रकम दी है, उसकी भरपाई हो सके। अभी यह कटौती 15 साल तक होती है यानी रिटायरमेंट के 15 साल बाद ही पूरा पेंशन मिलना शुरू होता है। लेकिन कर्मचारी संगठनों का कहना है कि 15 साल का वक्त बहुत लंबा है और इससे पेंशनरों को भारी नुकसान होता है क्योंकि वर्तमान में ब्याज दरें काफी कम हो गई हैं और जो फॉर्मूला उपयोग हो रहा है वह पुराना हो चुका है।
सरकारी स्तर पर हो रही है गंभीर चर्चा
नेशनल काउंसिल (JCM) ने हाल ही में कैबिनेट सचिव को कर्मचारियों की मुख्य मांगों की एक सूची सौंपी है। इसमें सबसे अहम मांग यही है कि पेंशन की बहाली की अवधि को घटाकर 12 साल किया जाए। सरकार की ओर से भी संकेत मिले हैं कि इसे 8वें वेतन आयोग की ToR (Terms of Reference) में शामिल किया जा सकता है। यही नहीं 11 मार्च 2025 को हुई 34वीं SCOVA बैठक में भी इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया गया था। इस बैठक में केंद्रीय मंत्री और वित्त मंत्रालय के अधिकारी भी मौजूद थे और उन्होंने माना कि मौजूदा प्रणाली को और ज्यादा न्यायसंगत और व्यावहारिक बनाए जाने की जरूरत है।
अगर नियम लागू हुआ तो क्या होंगे फायदे
अगर यह नियम लागू हो जाता है तो लाखों पेंशनरों को राहत मिलेगी। उन्हें रिटायरमेंट के 12 साल बाद ही पूरा पेंशन मिलना शुरू हो जाएगा। इससे उनकी वित्तीय स्थिति मजबूत होगी और वे स्वास्थ्य संबंधी खर्चों और पारिवारिक जिम्मेदारियों को बेहतर तरीके से निभा सकेंगे। खास बात ये भी है कि अगर यह नियम पहले से रिटायर हो चुके पेंशनरों पर भी लागू होता है तो उन्हें भी लाभ मिल सकता है। हालांकि अभी तक सरकार ने 8वें वेतन आयोग को लेकर कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की है लेकिन यह साफ है कि कम्युटेड पेंशन बहाली का मुद्दा अब सरकार की प्राथमिकता में आ गया है।
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