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Inactive Credit Card: क्रेडिट कार्ड का लम्बे समय तक उपयोग न करने के नुकसान, जानें क्या हो सकते हैं प्रभाव

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Inactive Credit Card: क्रेडिट कार्ड का लम्बे समय तक उपयोग न करने के नुकसान, जानें क्या हो सकते हैं प्रभाव

Inactive Credit Card: क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल न करने के कई नुकसान होते हैं जिन्हें हम अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं। यदि आप लंबे समय से अपने क्रेडिट कार्ड का उपयोग नहीं कर रहे हैं, तो यह आपके लिए चिंता का विषय हो सकता है, क्योंकि इससे आपके क्रेडिट स्कोर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है और आपके क्रेडिट कार्ड अकाउंट को भी बंद किया जा सकता है। इस लेख में हम क्रेडिट कार्ड के इनएक्टिव होने से जुड़े नुकसान और इससे बचने के उपायों पर चर्चा करेंगे।

1. आपका अकाउंट हो सकता है बंद

यदि आप लंबे समय तक अपने क्रेडिट कार्ड का उपयोग नहीं करते हैं, तो वह अकाउंट डॉर्मेंट (inactive) घोषित किया जा सकता है। सामान्यत: अगर आप छह महीने से एक साल तक अपने क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल नहीं करते हैं, तो क्रेडिट कार्ड कंपनी आपको सूचित करती है और आपको कार्ड को फिर से सक्रिय करने का एक मौका देती है। हालांकि, अगर आप इस समयावधि के भीतर कार्ड का उपयोग नहीं करते हैं, तो आपका अकाउंट बंद भी हो सकता है।

इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि आप अपने कार्ड का नियमित उपयोग करें, ताकि यह डॉर्मेंट न हो और आपके अकाउंट को बंद करने का जोखिम न बने।

2. क्रेडिट स्कोर पर नकारात्मक प्रभाव

क्रेडिट कार्ड का अकाउंट बंद होने से आपके क्रेडिट स्कोर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। जब आपका अकाउंट बंद हो जाता है, तो आपका कुल क्रेडिट लिमिट घट जाता है, जिससे आपकी क्रेडिट यूटिलाइजेशन रेशियो (Credit Utilization Ratio) बढ़ सकती है।

क्रेडिट यूटिलाइजेशन रेशियो आपके द्वारा उपयोग किए गए क्रेडिट की राशि को आपके कुल क्रेडिट लिमिट से तुलना करके निकाला जाता है। यह रेशियो आमतौर पर आपके क्रेडिट स्कोर का लगभग 30% हिस्सा होता है। अगर यह रेशियो बहुत अधिक हो जाता है, तो आपका क्रेडिट स्कोर घट सकता है, जो आपके भविष्य में लोन प्राप्त करने या क्रेडिट कार्ड अप्लाई करने में परेशानी का कारण बन सकता है।

3. इनाम, कैशबैक और अन्य सुविधाओं का नुकसान

यदि आप क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल नहीं करते हैं, तो इसका मतलब है कि आप विभिन्न सुविधाओं और ऑफर्स से वंचित हो सकते हैं, जैसे कि रिवॉर्ड पॉइंट्स, कैशबैक ऑफर, और लाउंज एक्सेस। इसके अलावा, यदि आपका क्रेडिट कार्ड लंबे समय तक निष्क्रिय रहता है, तो आपके द्वारा इकट्ठा किए गए रिवॉर्ड्स और पॉइंट्स भी समाप्त हो सकते हैं।

यह एक बड़ी हानि हो सकती है, क्योंकि आपने जिन रिवॉर्ड्स और पॉइंट्स को जमा किया था, वे अब बेकार हो जाएंगे। इसके अलावा, यदि आप किसी अन्य विशेष ऑफर का लाभ उठाने के लिए क्रेडिट कार्ड का उपयोग करते हैं, तो इस ऑफर से भी आप चूक सकते हैं।

4. ग्राहक सेवा से बात करें

भारत में अधिकांश क्रेडिट कार्ड जारी करने वाली कंपनियां inactive fees या पेनल्टी नहीं लगाती हैं अगर कार्ड का उपयोग न किया जाए। फिर भी, यह बेहतर होगा कि आप अपनी कार्ड जारी करने वाली कंपनी के ग्राहक सेवा विभाग से संपर्क करें और इस बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करें। वे आपको इस बात की जानकारी देंगे कि क्या आपके अकाउंट में कोई शुल्क लगाया जाएगा और अगर ऐसा है, तो इसके बारे में क्या कदम उठाए जा सकते हैं।\

Inactive Credit Card: क्रेडिट कार्ड का लम्बे समय तक उपयोग न करने के नुकसान, जानें क्या हो सकते हैं प्रभाव

5. क्रेडिट कार्ड को सक्रिय रखने के उपाय

यदि आप अपने क्रेडिट कार्ड को सक्रिय रखना चाहते हैं और इसके नुकसानों से बचना चाहते हैं, तो आपको कुछ आसान उपायों को अपनाना चाहिए। यहां कुछ सुझाव दिए जा रहे हैं:

a. छोटे-छोटे लेन-देन करें

अपने क्रेडिट कार्ड को सक्रिय रखने के लिए, आपको इसे कुछ महीनों के अंतराल पर इस्तेमाल करना चाहिए। आप छोटे-छोटे लेन-देन कर सकते हैं, जैसे कि कैफे में खाना या ऑनलाइन शॉपिंग। यह न केवल आपके कार्ड को सक्रिय रखेगा, बल्कि इसके माध्यम से आपको रिवॉर्ड पॉइंट्स और कैशबैक का लाभ भी मिलेगा।

b. क्रेडिट कार्ड स्टेटमेंट को नियमित रूप से जांचें

आपको नियमित रूप से अपने क्रेडिट कार्ड स्टेटमेंट की जांच करनी चाहिए। इससे आपको यह पता चलता रहेगा कि आपका कार्ड सक्रिय है या नहीं, और यदि कार्ड में कोई अप्रत्याशित शुल्क या रिवॉर्ड पॉइंट्स हैं, तो आप उन्हें सही समय पर देख सकेंगे।

c. अगर आपको कार्ड की आवश्यकता नहीं है, तो बैंक से संपर्क करें और उसे बंद करवा दें

अगर आपको किसी कारणवश क्रेडिट कार्ड की जरूरत नहीं है, तो बेहतर होगा कि आप बैंक से संपर्क करें और उसे बंद करवा दें। इससे न केवल आपके कार्ड से जुड़ी कोई भी शुल्क खत्म हो जाएगी, बल्कि आपके क्रेडिट स्कोर पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

d. डॉर्मेंट अकाउंट को फिर से सक्रिय करें

यदि आपका अकाउंट डॉर्मेंट हो गया है, तो आप बैंक से संपर्क करके इसे फिर से सक्रिय करा सकते हैं। बैंक आपको बताएगा कि आपको क्या प्रक्रिया अपनानी होगी और इसके लिए आपको किन दस्तावेजों की आवश्यकता होगी।

क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल न करने के कई नकारात्मक प्रभाव होते हैं, जिनसे आपको बचने के लिए जरूरी कदम उठाने चाहिए। अकाउंट का बंद होना, क्रेडिट स्कोर का गिरना और रिवॉर्ड्स का समाप्त होना कुछ मुख्य नुकसान हैं जो आपके क्रेडिट कार्ड के इनएक्टिव होने के कारण हो सकते हैं।

इसलिए, यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि आप अपने क्रेडिट कार्ड का नियमित उपयोग करें और यदि आवश्यक हो, तो ग्राहक सेवा से संपर्क करके अधिक जानकारी प्राप्त करें। इसके अलावा, यदि आप क्रेडिट कार्ड का उपयोग नहीं करना चाहते हैं, तो आप उसे बंद भी करवा सकते हैं ताकि कोई नकारात्मक प्रभाव आपके क्रेडिट स्कोर पर न पड़े।

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Health Insurance: 1 सितंबर से बजाज आलियांज ग्राहकों के लिए बंद होगी कैशलेस इलाज की सुविधा

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Health Insurance: 1 सितंबर से बजाज आलियांज ग्राहकों के लिए बंद होगी कैशलेस इलाज की सुविधा

Health Insurance: अगर आपने अपनी फैमिली के लिए बजाज आलियांज जनरल इंश्योरेंस कंपनी से हेल्थ इंश्योरेंस लिया है, तो यह खबर आपके लिए बेहद अहम है। उत्तर भारत के अस्पतालों और स्वास्थ्य संस्थानों के एसोसिएशन एएचपीआई (Association of Healthcare Providers-India) ने अपने सदस्य अस्पतालों को निर्देश दिया है कि वे 1 सितंबर 2025 से बजाज आलियांज पॉलिसीहोल्डर्स के लिए कैशलेस इलाज की सुविधा बंद कर दें

यह फैसला सीधे उन हजारों लोगों को प्रभावित करेगा, जो बजाज आलियांज की पॉलिसी लेकर कैशलेस इलाज की उम्मीद करते हैं। हालांकि कंपनी ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि वह हमेशा ग्राहकों को सर्वोत्तम अनुभव देने के लिए प्रतिबद्ध है और एएचपीआई के साथ मिलकर मामले का समाधान निकालने की कोशिश कर रही है।

एएचपीआई ने लगाए गंभीर आरोप

एएचपीआई, जो देशभर के करीब 15,200 अस्पतालों का प्रतिनिधित्व करता है, ने बजाज आलियांज पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। संस्था का कहना है कि बीमा कंपनी ने कई सालों पुराने कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर ही अस्पतालों को भुगतान दरें तय कर रखी हैं और बढ़ती चिकित्सा लागत को ध्यान में रखते हुए उन्हें संशोधित करने से इनकार कर रही है।

एएचपीआई के महानिदेशक गिरधर ग्यानी ने कहा कि हेल्थकेयर सेक्टर में हर साल लगभग 7-8% महंगाई बढ़ती है। दवाओं, मेडिकल उपकरणों, स्टाफ और इंफ्रास्ट्रक्चर की लागत लगातार बढ़ रही है। ऐसे में पुराने रेट्स पर काम करना अब संभव नहीं है।

इसके अलावा एएचपीआई ने बजाज आलियांज पर यह भी आरोप लगाया है कि:

  • कंपनी इलाज के खर्च में मनमाने ढंग से कटौती करती है।

  • अस्पतालों को पेमेंट करने में काफी देरी होती है।

  • मरीजों के लिए जरूरी इलाज की पूर्व-अनुमति (Pre-authorization) देने में लंबा समय लगता है।

इन वजहों से अस्पतालों को न सिर्फ वित्तीय नुकसान उठाना पड़ता है बल्कि मरीजों की देखभाल की गुणवत्ता भी प्रभावित होती है।

बजाज आलियांज की सफाई

बजाज आलियांज की ओर से इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए कंपनी के स्वास्थ्य बीमा प्रमुख भास्कर नेरुरकर ने कहा,
“हमें पूरा भरोसा है कि हम एएचपीआई और उसके सदस्य अस्पतालों के साथ मिलकर इस मामले का समाधान निकाल लेंगे। हमारा हमेशा से उद्देश्य ग्राहकों को सर्वोत्तम सुविधाएं उपलब्ध कराना रहा है और आगे भी रहेगा।”

Health Insurance: 1 सितंबर से बजाज आलियांज ग्राहकों के लिए बंद होगी कैशलेस इलाज की सुविधा

Health Insurance: 1 सितंबर से बजाज आलियांज ग्राहकों के लिए बंद होगी कैशलेस इलाज की सुविधा

कंपनी ने यह भी कहा कि वह ग्राहकों के हितों से कोई समझौता नहीं करेगी और कोशिश की जा रही है कि मरीजों को कैशलेस इलाज की सुविधा बिना बाधा मिले।

एएचपीआई का दूसरा कदम – केयर हेल्थ इंश्योरेंस को भी नोटिस

गौरतलब है कि एएचपीआई ने सिर्फ बजाज आलियांज ही नहीं बल्कि केयर हेल्थ इंश्योरेंस को भी इसी तरह का नोटिस भेजा है। 22 अगस्त को एएचपीआई ने केयर हेल्थ को पत्र लिखकर दरें संशोधित करने की मांग की थी और 31 अगस्त तक का समय दिया था। यदि जवाब नहीं मिला, तो 1 सितंबर से उसके पॉलिसीहोल्डर्स के लिए भी कैशलेस इलाज की सुविधा बंद की जा सकती है।

मरीजों और पॉलिसीहोल्डर्स पर असर

एएचपीआई के इस फैसले का सबसे ज्यादा असर उन मरीजों पर पड़ेगा, जो बजाज आलियांज की हेल्थ पॉलिसी पर निर्भर हैं। अब उन्हें इलाज के समय सीधे भुगतान करना पड़ सकता है और बाद में क्लेम प्रोसेस के जरिए रिइम्बर्समेंट लेना होगा। इससे:

  • इमरजेंसी मरीजों के लिए परेशानी बढ़ सकती है।

  • आम लोगों की जेब पर अचानक बोझ पड़ सकता है।

  • इलाज में देरी की स्थिति भी पैदा हो सकती है।

एएचपीआई और बजाज आलियांज के बीच यह विवाद हेल्थ इंश्योरेंस सेक्टर में मौजूद असंतुलन को उजागर करता है। एक ओर अस्पताल बढ़ती लागत का हवाला देकर दरें बढ़ाने की मांग कर रहे हैं, तो दूसरी ओर बीमा कंपनियां अपने ग्राहकों के प्रीमियम को नियंत्रित रखना चाहती हैं।

अब देखना यह होगा कि 1 सितंबर से पहले दोनों पक्षों के बीच कोई समाधान निकल पाता है या नहीं। अगर समझौता नहीं हुआ, तो हजारों पॉलिसीहोल्डर्स को कैशलेस इलाज की सुविधा से हाथ धोना पड़ सकता है।

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SIP Calculation: SIP की मदद से छोटे निवेश से बड़े भविष्य का फंड तैयार करना अब हुआ आसान

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SIP Calculation: SIP की मदद से छोटे निवेश से बड़े भविष्य का फंड तैयार करना अब हुआ आसान

SIP Calculation: म्यूचुअल फंड में निवेश का सबसे आसान और लोकप्रिय तरीका SIP (Systematic Investment Plan) है। SIP के माध्यम से आप छोटे-छोटे किस्तों में निवेश कर सकते हैं। इससे न केवल निवेश की आदत बनती है बल्कि लंबी अवधि में बड़ा फंड भी तैयार किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, यदि आप हर महीने केवल 5000 रुपये का SIP शुरू करते हैं, तो सही रिटर्न के साथ समय के साथ आप लाखों रुपये का फंड तैयार कर सकते हैं।

SIP कैलकुलेशन: 20 लाख का फंड तैयार करना

अगर कोई निवेशक हर महीने 5000 रुपये का SIP करता है और 12 प्रतिशत की सालाना दर से रिटर्न मिलता है, तो यह फंड तैयार करने में लगभग 13 से 14 साल का समय लगेगा। 13 वर्षों में 12 प्रतिशत रिटर्न के अनुसार लगभग 18,80,000 रुपये जमा होंगे। वहीं, 14 वर्षों में वही निवेश 12 प्रतिशत रिटर्न पर 21,82,000 रुपये तक पहुंच जाएगा। यह दर्शाता है कि नियमित निवेश और समय का संयोजन लंबी अवधि में निवेशकों के लिए बड़ा लाभ प्रदान करता है।

SIP Calculation: SIP की मदद से छोटे निवेश से बड़े भविष्य का फंड तैयार करना अब हुआ आसान

निवेश से पहले जोखिम का मूल्यांकन

किसी भी म्यूचुअल फंड में निवेश करने से पहले उसका जोखिम (Risk) समझना बेहद जरूरी है। जोखिम का आकलन करने के लिए कई पैरामीटर्स देखे जाते हैं। इनमें सबसे प्रमुख हैं बीटा (Beta), स्टैण्डर्ड डिविएशन (Standard Deviation), और शार्प रेशियो (Sharpe Ratio)।

  • बीटा (Beta): अगर किसी फंड का बीटा 1 से कम है, तो यह कम जोखिम वाला माना जाता है। वहीं 1 से अधिक बीटा वाले फंड को जोखिमपूर्ण माना जाता है।

  • स्टैण्डर्ड डिविएशन (Standard Deviation): जब दो फंड की तुलना की जाती है, तो इसका प्रयोग होता है। इसका प्रतिशत जितना कम होगा, फंड उतना ही कम जोखिम वाला माना जाएगा। उदाहरण के लिए, यदि एक फंड का स्टैण्डर्ड डिविएशन 5 प्रतिशत है और दूसरे का 10 प्रतिशत है, तो पहला फंड कम जोखिम वाला है।

  • शार्प रेशियो (Sharpe Ratio): यह फंड के रिटर्न और जोखिम का संतुलन दिखाता है। यदि शार्प रेशियो 1 से कम है, तो फंड का जोखिम कम माना जाएगा। 1.00 से 1.99 तक शार्प रेशियो सामान्य जोखिम को दर्शाता है, जबकि 2.00 से 2.99 तक इसे उच्च जोखिम वाला माना जाता है। 3 या उससे अधिक रेशियो वाले फंड को बहुत उच्च जोखिम वाला माना जाता है।

सही फंड का चुनाव और लाभ

SIP के माध्यम से निवेश करने पर निवेशक छोटे निवेश से बड़े फंड की ओर बढ़ सकते हैं। लेकिन सही फंड का चयन करना जरूरी है। जोखिम और रिटर्न का संतुलन देखकर ही निवेश करें। साथ ही समय और नियमित निवेश की आदत बनाने से लंबी अवधि में वित्तीय सुरक्षा और आर्थिक स्वतंत्रता सुनिश्चित होती है। SIP न केवल सुविधाजनक और सरल है, बल्कि यह निवेशकों को बाजार की अस्थिरता के बावजूद नियमित रूप से संपत्ति बनाने का अवसर भी देता है।

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Jane Street पर बड़ी कार्रवाई की तैयारी! टैक्स जांच में नहीं दे रही सहयोग, सरकार ने जताई सख्ती

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Jane Street पर बड़ी कार्रवाई की तैयारी! टैक्स जांच में नहीं दे रही सहयोग, सरकार ने जताई सख्ती

अमेरिकी ट्रेडिंग कंपनी जेन स्ट्रीट (Jane Street) पर भारतीय शेयर बाजार से अवैध कमाई के आरोपों के बाद अब इनकम टैक्स विभाग की जांच में सहयोग न करने के आरोप लगे हैं। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, शुक्रवार को सामने आई जानकारी में कहा गया है कि कंपनी भारत में चल रहे ऑपरेशन्स और टैक्स से जुड़े मामलों की जांच में ठीक से सहयोग नहीं कर रही है। यह मामला उस समय और गंभीर हो गया जब पहले से ही सेबी (SEBI) की ओर से कंपनी पर अस्थायी ट्रेडिंग प्रतिबंध लगाया गया है।

जरूरी दस्तावेज नहीं दे रही कंपनी, सर्वर भारत से बाहर

इनकम टैक्स विभाग ने जेन स्ट्रीट से जांच के दौरान कई जरूरी दस्तावेज और डेटा की मांग की थी, लेकिन रिपोर्ट के अनुसार कंपनी ने अब तक इन्हें उपलब्ध नहीं कराया है। अधिकारियों का कहना है कि कंपनी का मुख्य सर्वर भारत के बाहर स्थित है, जिसके कारण जांच एजेंसियां उस तक पहुंच नहीं बना पा रही हैं। इसके अलावा, कंपनी की अकाउंट बुक भी विदेश में रखी गई है, जबकि भारतीय कानून के अनुसार भारत में काम करने वाली विदेशी कंपनियों को अपने रिकॉर्ड भारत में ही रखना अनिवार्य होता है। सूत्रों के अनुसार, कंपनी के कर्मचारी भी पूछताछ में सहयोग नहीं कर रहे हैं, जिससे जांच में काफी अड़चनें आ रही हैं।

Jane Street पर बड़ी कार्रवाई की तैयारी! टैक्स जांच में नहीं दे रही सहयोग, सरकार ने जताई सख्ती

सेबी के आदेश के बाद शुरू हुई गहन जांच

इस मामले की गंभीरता तब और बढ़ी जब बाजार नियामक सेबी ने 4 जुलाई को जेन स्ट्रीट पर अस्थायी ट्रेडिंग बैन लगा दिया था। सेबी ने आरोप लगाया था कि कंपनी ने डेरिवेटिव्स का गलत इस्तेमाल कर भारतीय शेयर बाजार में हेरफेर की। इसके बाद इनकम टैक्स विभाग ने भी कंपनी की भारत में मौजूद ऑफिसों और उसकी स्थानीय साझेदार कंपनी नुवामा वेल्थ (Nuwama Wealth) के साथ मिलकर जांच शुरू की है। अधिकारी अब इन दोनों के फाइनेंशियल रिकॉर्ड और ऑपरेशनल डेटा का विश्लेषण कर रहे हैं ताकि इस गड़बड़ी की पूरी तस्वीर सामने लाई जा सके।

$4.23 बिलियन की कमाई, जांच में बाधा बन रहा सहयोग का अभाव

सेबी की शुरुआती जांच में यह सामने आया था कि जेन स्ट्रीट ने जनवरी 2023 से मई 2025 के बीच भारत में ट्रेडिंग से $4.23 बिलियन (लगभग ₹35,000 करोड़) की कमाई की थी। यह कमाई मुख्य रूप से डेरिवेटिव ट्रेडिंग के जरिए हुई, जिसे संदेहास्पद बताया गया है। हालांकि, इनकम टैक्स विभाग की जांच अभी शुरुआती चरण में है, लेकिन अधिकारियों का कहना है कि कंपनी के सहयोग की कमी के कारण उन्हें कई अहम जानकारियां नहीं मिल पा रही हैं। यह मामला अब भारत सरकार और वित्तीय एजेंसियों के लिए राष्ट्रीय वित्तीय सुरक्षा और विदेशी निवेश नियंत्रण से जुड़ा बड़ा विषय बन चुका है। आने वाले दिनों में इस पर और कड़ी कार्रवाई हो सकती है।

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