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Google से ₹8500 कैसे पाएं? पिक्सल यूज़र्स के लिए बड़ी खुशखबरी!

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Google से ₹8500 कैसे पाएं? पिक्सल यूज़र्स के लिए बड़ी खुशखबरी!

Google के Pixel 6a फोन यूज़र्स लगातार फोन के गर्म होने और बैटरी जल्दी खत्म होने की शिकायत कर रहे थे। इन शिकायतों को ध्यान में रखते हुए Google ने एक नया बैटरी परफॉर्मेंस प्रोग्राम शुरू किया है। इस योजना के तहत या तो कंपनी बैटरी मुफ्त में बदलेगी या फिर यूज़र को 100 डॉलर (करीब ₹8500) का Google Store क्रेडिट देगी।

बैटरी बदली जाए या कैश मिले – यूज़र को मिलेगा विकल्प

अगर आप Pixel 6a चला रहे हैं और आपके फोन में बैटरी की समस्या है तो आप Google के अधिकृत सर्विस सेंटर जाकर बैटरी बदलवा सकते हैं। अगर आप बैटरी नहीं बदलवाना चाहते हैं तो आपको दो विकल्प दिए जाएंगे – $100 (₹8500) या $150 (₹12,800) का Google Store क्रेडिट। यह ऑफर उन लोगों के लिए है जो बैटरी की समस्या से परेशान हैं पर रिप्लेसमेंट नहीं चाहते।

Google से ₹8500 कैसे पाएं? पिक्सल यूज़र्स के लिए बड़ी खुशखबरी!

पात्रता कैसे जांचें? ये है आसान 

यूज़र यह जानने के लिए कि वह इस प्रोग्राम के लिए पात्र हैं या नहीं, Google की आधिकारिक सपोर्ट वेबसाइट पर जा सकते हैं। वहाँ “Confirm” बटन पर क्लिक करें और फिर अपने फोन का IMEI नंबर और रजिस्टर्ड ईमेल एड्रेस दर्ज करें। सबमिट करते ही आपकी पात्रता की पुष्टि हो जाएगी। ध्यान दें कि यह सुविधा कुछ देशों में ही उपलब्ध है और भुगतान Payoneer के जरिए किया जाएगा।

किन लोगों को नहीं मिलेगा लाभ? जानिए नियम

Google ने स्पष्ट किया है कि वे फोन जिनमें फिजिकल डैमेज है या जो पानी से खराब हो चुके हैं, उन्हें यह सुविधा नहीं दी जाएगी। अगर फोन की स्क्रीन टूटी हुई है और वह वारंटी में नहीं है तो बैटरी बदलवाने पर सर्विस चार्ज देना होगा। इसलिए यह ऑफर केवल उन्हीं यूज़र्स के लिए है जिनके डिवाइस में कोई बाहरी क्षति नहीं है।

भारत में कब से मिलेगा लाभ? यह तारीख है अहम

Google ने कहा है कि यह बैटरी रिप्लेसमेंट प्रोग्राम 21 जुलाई 2025 से शुरू होगा। भारत के अलावा यह सुविधा कनाडा, अमेरिका, यूके, जापान, सिंगापुर और जर्मनी में भी वॉक-इन रिपेयर सेंटर्स पर मिलेगी। भारत में भी अधिकृत सर्विस सेंटर्स पर जाकर यूज़र इस सुविधा का लाभ उठा सकेंगे।

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Smartphone Magnetic Speaker: स्मार्टफोन में साउंड क्रांति! जानिए मैग्नेटिक स्पीकर कैसे बदल रहा है ऑडियो अनुभव

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Smartphone Magnetic Speaker: स्मार्टफोन में साउंड क्रांति! जानिए मैग्नेटिक स्पीकर कैसे बदल रहा है ऑडियो अनुभव

Smartphone Magnetic Speaker: मैग्नेटिक स्पीकर एक ऐसी टेक्नोलॉजी है जिसमें आवाज को बेहतर बनाने के लिए चुंबकीय क्षेत्र का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें नॉर्मल स्पीकर्स की तुलना में साउंड वेव्स और वाइब्रेशन को ज्यादा क्लियर और गहराई से बाहर निकाला जाता है। यह टेक्नोलॉजी फोन को बेहतर ऑडियो क्वालिटी देने में मदद करती है।

फोन में मैग्नेटिक स्पीकर के फायदे

मैग्नेटिक स्पीकर से निकलने वाली आवाज ज्यादा साफ, बैलेंस्ड और डीप होती है। इससे म्यूजिक सुनने, वीडियो देखने और कॉल करने का अनुभव पहले से बेहतर होता है। हाई वॉल्यूम पर भी आवाज फटती नहीं है और साउंड डिस्टॉर्शन फ्री रहता है। इसके अलावा ये स्पीकर कम पावर खपत करते हैं जिससे फोन की बैटरी भी ज्यादा चलती है।

Smartphone Magnetic Speaker: स्मार्टफोन में साउंड क्रांति! जानिए मैग्नेटिक स्पीकर कैसे बदल रहा है ऑडियो अनुभव

क्यों अपनाई जा रही है यह टेक्नोलॉजी?

आजकल स्मार्टफोन कंपनियां सिर्फ कैमरा और प्रोसेसर पर ध्यान नहीं दे रहीं बल्कि ऑडियो एक्सपीरियंस को भी बेहतर बना रही हैं। यूजर्स अब फोन से सिर्फ बात नहीं करना चाहते बल्कि म्यूजिक सुनना, मूवी देखना और गेम खेलना भी चाहते हैं। इसी वजह से कंपनियां अब मिड-रेंज और फ्लैगशिप फोनों में मैग्नेटिक या ड्यूल स्पीकर सिस्टम देना शुरू कर चुकी हैं।

स्मार्टफोन में स्पेस की बचत और डिजाइन में स्टाइल

मैग्नेटिक स्पीकर को छोटे साइज में भी फिट किया जा सकता है जिससे फोन स्लिम और स्टाइलिश बना रहता है। ये स्पीकर अच्छा बास और ट्रेबल भी देते हैं जिससे गेमिंग और मूवी देखने का मजा डबल हो जाता है। कंपनियों के लिए यह एक स्मार्ट सॉल्यूशन है जिससे डिजाइन और ऑडियो दोनों में कोई समझौता नहीं करना पड़ता।

किन स्मार्टफोनों में मिल रहे हैं ये स्पीकर?

Redmi, Realme, Vivo, OnePlus, Samsung, iQOO और Motorola जैसी कंपनियां अब अपने नए फोनों में मैग्नेटिक या हाई-फाई स्पीकर देने लगी हैं। इससे यूजर्स को सिनेमैटिक साउंड क्वालिटी मिलती है। अगर आप भी फोन खरीदने की सोच रहे हैं तो अब प्रोसेसर और कैमरे के साथ ऑडियो टेक्नोलॉजी भी जरूर चेक करें।

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ChatGPT की चालाकी पर फुलस्टॉप! जानिए कैसे पकड़ में आएगा फेक AI कंटेंट

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ChatGPT की चालाकी पर फुलस्टॉप! जानिए कैसे पकड़ में आएगा फेक AI कंटेंट

आजकल छात्र हों या ब्लॉगर्स, स्टार्टअप हों या बड़ी कंपनियां, सभी ChatGPT जैसे AI टूल्स का जमकर इस्तेमाल कर रहे हैं। ऐसे में जब कोई आपके सामने कोई कंटेंट लाता है तो यह जानना जरूरी हो जाता है कि वह असली है या AI ने लिखा है। खासकर रिसर्च, पढ़ाई या प्रोफेशनल रिपोर्ट्स में इसकी जांच बहुत अहम हो जाती है।

AI कंटेंट पहचानने वाले टूल्स का इस्तेमाल करें

कई ऐसे खास टूल्स हैं जो बता सकते हैं कि कंटेंट इंसान ने लिखा है या AI ने। इन टूल्स में Originality.ai, GPTZero, Copyleaks AI Content Detector, Sapling AI Detector और Writer.com AI Detector प्रमुख हैं। इन पर आप कंटेंट को कॉपी-पेस्ट करें और ये टूल आपको बता देंगे कि कितनी प्रतिशत सामग्री AI जनरेटेड है और कितनी इंसानी है।

ChatGPT की चालाकी पर फुलस्टॉप! जानिए कैसे पकड़ में आएगा फेक AI कंटेंट

डेटा और फैक्ट्स की जांच जरूर करें

AI टूल्स कभी-कभी पुराने या गलत आंकड़े भी इस्तेमाल कर सकते हैं। इसलिए कंटेंट में दिए गए डेटा, तिथियों और रिपोर्ट्स को इंटरनेट पर सर्च करें। अगर किसी वेबसाइट, रिपोर्ट या रिसर्च का हवाला दिया गया है तो उसे क्रॉस चेक करें कि वह वाकई मौजूद है या नहीं और क्या वह अपडेटेड है।

प्लेज़रिज़्म यानी नकल की जांच करें

हालांकि ChatGPT मूल कंटेंट तैयार करता है, लेकिन इंटरनेट पर मौजूद कुछ वाक्यों या लाइनों का दोहराव हो सकता है। इसलिए Grammarly, Turnitin या Quetext जैसे प्लेजरिज़्म चेकर का इस्तेमाल करें। इससे पता चलेगा कि क्या वही कंटेंट पहले से कहीं और प्रकाशित हो चुका है।

सही जानकारी का मूल्य समझें

AI टूल्स ने कंटेंट बनाना आसान कर दिया है लेकिन अंधविश्वास से बचना जरूरी है। जब बात किसी रिसर्च पेपर, यूनिवर्सिटी असाइनमेंट या कॉर्पोरेट रिपोर्ट की हो तो आपको इस बात की जांच करनी चाहिए कि सामग्री विश्वसनीय है या नहीं। ऊपर बताए गए तरीकों से आप आसानी से पहचान सकते हैं कि कोई आर्टिकल इंसान ने लिखा है या मशीन ने।

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25 साल बाद Microsoft ने छोड़ा पाकिस्तान, जानिए किन वजहों से टूटा भरोसा

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25 साल बाद Microsoft ने छोड़ा पाकिस्तान, जानिए किन वजहों से टूटा भरोसा

Microsoft: पाकिस्तान में बीते 25 वर्षों से अपनी सेवाएं दे रही टेक्नोलॉजी की दिग्गज कंपनी माइक्रोसॉफ्ट ने अब वहां अपना कारोबार पूरी तरह से बंद कर दिया है। कंपनी के पाकिस्तान प्रमुख जावेद रहमान ने इस फैसले को “एक युग का अंत” कहा है। माइक्रोसॉफ्ट ने पाकिस्तान में 7 मार्च 2000 को अपने ऑपरेशंस की शुरुआत की थी और अब 3 जुलाई 2025 को इसका समापन हो गया।

आर्थिक और राजनीतिक अस्थिरता बनी बड़ी वजह

कंपनी ने भले ही आधिकारिक रूप से बंद होने की वजह नहीं बताई हो लेकिन जानकारों के अनुसार पाकिस्तान में लगातार बदलती सरकारें, करेंसी में गिरावट, भारी टैक्स और टेक सप्लाई चेन में रुकावट जैसी समस्याएं मुख्य कारण हैं। इन सभी अस्थिरताओं ने एक बड़े अंतरराष्ट्रीय ब्रांड को पीछे हटने के लिए मजबूर कर दिया।

25 साल बाद Microsoft ने छोड़ा पाकिस्तान, जानिए किन वजहों से टूटा भरोसा

स्थानीय टैलेंट की कमी ने बढ़ाई मुश्किलें

माइक्रोसॉफ्ट को पाकिस्तान में टेक्निकल और इनोवेशन से जुड़े टैलेंट की भारी कमी का सामना करना पड़ा। कई बार प्रोजेक्ट्स को क्वालिटी के हिसाब से समय पर पूरा नहीं किया जा सका। इसके चलते कंपनी की दक्षता और मुनाफा दोनों पर असर पड़ा। इसके अलावा लोकल पार्टनरशिप्स में भी लगातार गिरावट देखी गई।

भारत-पाक तनाव ने बढ़ाई परेशानियां

भारत और पाकिस्तान के बीच लगातार बिगड़ते व्यापारिक रिश्तों ने भी इस फैसले में भूमिका निभाई। 2018 में दोनों देशों के बीच व्यापार $3 अरब डॉलर था, जो 2024 में घटकर केवल $1.2 अरब रह गया। 2025 में इसमें और गिरावट की आशंका जताई गई है। पहलगाम आतंकी हमले के बाद तनाव और गहराया जिससे विदेशी निवेश और कंपनियों का भरोसा भी टूटा।

वियतनाम में बढ़ाया विस्तार, पाकिस्तान को अलविदा

2022 में माइक्रोसॉफ्ट पाकिस्तान में अपने कारोबार का विस्तार करने जा रही थी, लेकिन वहां की स्थिति को देखते हुए कंपनी ने वियतनाम में निवेश करना बेहतर समझा। बीते दो सालों में माइक्रोसॉफ्ट ने पाकिस्तान में अपने कई प्रोग्राम बंद कर दिए और किसी भी नए सहयोग की संभावना भी खत्म कर दी। अब यह कदम पाकिस्तान के लिए आर्थिक झटका बन गया है।

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