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Deposit Insurance Coverage: नए कदम से बैंक डूबने पर भी ग्राहकों के पैसे की सुरक्षा, जानिए सरकार की योजना
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Tata Capital Update: टाटा कैपिटल IPO लॉन्च से पहले ले सकता है बड़ा फैसला, कंपनी की बोर्ड बैठक अगले सप्ताह
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Tata Capital Update: टाटा समूह की NBFC कंपनी टाटा कैपिटल इस साल IPO लाकर शेयर बाजार में सूचीबद्ध होने की तैयारी कर रही है। लेकिन इससे पहले कंपनी ने एक बड़ा फैसला लिया है। कंपनी मौजूदा शेयरधारकों से धन जुटाने के लिए राइट्स इश्यू के माध्यम से शेयर बेचने की योजना बना रही है। टाटा कैपिटल के निदेशक मंडल की बैठक मंगलवार, 24 फरवरी 2025 को होने वाली है, जिसमें इस राइट्स इश्यू को लेकर अंतिम निर्णय लिया जा सकता है।
राइट्स इश्यू को लेकर बोर्ड बैठक 24 फरवरी को
शेयर बाजार को दी गई जानकारी में टाटा कैपिटल ने कहा कि 24 फरवरी को कंपनी के निदेशक मंडल की बैठक बुलाई गई है, जिसमें मौजूदा शेयरधारकों से राइट्स इश्यू के जरिए धन जुटाने पर विचार किया जाएगा। बताया जा रहा है कि टाटा कैपिटल का IPO सितंबर 2025 से पहले लॉन्च हो सकता है। कंपनी IPO के माध्यम से पूंजी बाजार से 15,000 करोड़ रुपये जुटा सकती है। इस राशि को ऑफर फॉर सेल (OFS) के साथ-साथ नए शेयर जारी करके जुटाया जा सकता है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के नियमों के अनुसार, टाटा कैपिटल को सितंबर 2025 से पहले स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होना अनिवार्य है, क्योंकि यह एक अपर-लेयर NBFC है।
टाटा समूह ने IPO की तैयारी शुरू की
टाटा समूह ने टाटा कैपिटल के IPO को लाने की तैयारियां शुरू कर दी हैं। समूह ने हाल ही में कोटक इन्वेस्टमेंट बैंक को IPO लाने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए अधिकृत किया है। भारतीय रिजर्व बैंक के नियमों के अनुसार, टाटा समूह की दो NBFC कंपनियों, टाटा सन्स और टाटा कैपिटल, को सितंबर 2025 से पहले शेयर बाजार में सूचीबद्ध करना आवश्यक है। टाटा सन्स की टाटा कैपिटल में 93 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
टाटा टेक्नोलॉजीज IPO से निवेशकों को मिला शानदार रिटर्न
इससे पहले, नवंबर 2023 में, टाटा समूह ने अपनी कंपनी टाटा टेक्नोलॉजीज का IPO लाया था और यह 30 नवंबर 2023 को स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध हुआ था। टाटा टेक्नोलॉजीज का IPO 500 रुपये के इश्यू प्राइस पर आया था और यह 140 प्रतिशत की बढ़त के साथ 1200 रुपये पर लिस्ट हुआ था। लिस्टिंग के पहले ही दिन निवेशकों को मल्टीबैगर रिटर्न मिला था। इससे पहले, वर्ष 2003-04 में, टाटा समूह की आईटी कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) का IPO आया था।
निवेशकों के लिए IPO एक बड़ा अवसर
टाटा कैपिटल के IPO को लेकर निवेशकों में काफी उत्सुकता है। टाटा समूह की कंपनियां हमेशा से ही निवेशकों को अच्छे रिटर्न देने के लिए जानी जाती हैं। अब देखना होगा कि टाटा कैपिटल का IPO निवेशकों के लिए कितना फायदेमंद साबित होता है।
टाटा कैपिटल IPO से पहले राइट्स इश्यू के जरिए मौजूदा शेयरधारकों से धन जुटाने की योजना बना रहा है। बोर्ड बैठक में इस पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा। अगर सब कुछ योजना के अनुसार चलता है, तो टाटा कैपिटल सितंबर 2025 से पहले स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध हो सकता है, जिससे निवेशकों को एक नया निवेश अवसर मिलेगा।
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SBI: ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मिल रही मजबूती, GDP वृद्धि दर मौजूदा वित्तीय वर्ष में 6.3% रहने का अनुमान
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भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की शोध रिपोर्ट के अनुसार, चालू वित्तीय वर्ष 2024-25 के दौरान सकल घरेलू उत्पाद (GDP) वृद्धि दर 6.3 प्रतिशत रहने का अनुमान है। रिपोर्ट के अनुसार, 36 उच्च-आवृत्ति संकेतकों (हाई फ़्रीक्वेंसी इंडिकेटर्स) के विश्लेषण से पता चलता है कि चालू वित्तीय वर्ष की तीसरी तिमाही में GDP वृद्धि दर 6.2 प्रतिशत से 6.3 प्रतिशत के बीच रह सकती है।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) के अनुसार, 2024-25 के लिए ‘वास्तविक’ (रियल) और ‘नाममात्र’ (नॉमिनल) GDP वृद्धि दर क्रमशः 6.4 प्रतिशत और 9.7 प्रतिशत रहने की संभावना है। रिपोर्ट में कहा गया है कि एक मजबूत ग्रामीण अर्थव्यवस्था स्थिरता को बनाए रखने और अन्य क्षेत्रों में गति बनाए रखने में मदद कर रही है। वर्तमान घरेलू मुद्रास्फीति में कमी से विवेकाधीन खर्च (डिस्क्रीशनरी स्पेंडिंग) को बढ़ावा मिलता है और मांग आधारित वृद्धि को समर्थन मिलता है।
पूंजीगत व्यय में सुधार
SBI की रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि चालू वित्तीय वर्ष की तीसरी तिमाही में पूंजीगत व्यय (कैपिटल एक्सपेंडिचर) में सुधार देखा गया है। हालांकि, भूराजनीतिक घटनाक्रम (जियोपॉलिटिकल डेवलपमेंट्स) और आपूर्ति श्रृंखला में आई बाधाओं (सप्लाई चेन डिसरप्शन) का प्रभाव केवल भारत तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका असर वैश्विक स्तर पर पड़ा है। इसके बावजूद, SBI की रिपोर्ट के अनुसार भारत विश्व की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक बना हुआ है।
IMF का वैश्विक विकास पूर्वानुमान
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के हालिया वैश्विक विकास पूर्वानुमान के अनुसार, भारत की विकास दर 2024-25 और आगामी वित्तीय वर्ष 2025-26 में 6.5 प्रतिशत रहने की संभावना है। इस वृद्धि के पीछे घरेलू मांग में मजबूती और सरकार द्वारा किए गए नीतिगत हस्तक्षेप (पॉलिसी इंटरवेंशन) को मुख्य कारण बताया गया है।
दिसंबर तिमाही में अर्थव्यवस्था 6.4% की दर से बढ़ेगी
रेटिंग एजेंसी ICRA (ICRA) ने भी अपनी रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया है कि अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में भारत की GDP वृद्धि दर 6.4 प्रतिशत रह सकती है। एजेंसी ने इस वृद्धि का श्रेय सरकार के बढ़े हुए खर्च को दिया है, हालांकि उपभोग (कंजम्प्शन) में असमानता बनी हुई है।
अर्थव्यवस्था पर पिछली तिमाहियों का प्रभाव
भारतीय अर्थव्यवस्था ने अप्रैल-जून तिमाही में 6.7 प्रतिशत की वृद्धि दर दर्ज की थी, लेकिन सितंबर तिमाही में यह घटकर 5.4 प्रतिशत पर आ गई थी। यह सात तिमाहियों में सबसे कम वृद्धि दर थी। इस गिरावट का कारण आम चुनावों के चलते सरकारी पूंजीगत व्यय में कटौती और उपभोग मांग में कमजोरी को माना गया।
ICRA की मुख्य अर्थशास्त्री की राय
ICRA की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2024-25 की तीसरी तिमाही में भारत के आर्थिक प्रदर्शन को निम्नलिखित कारकों से सहायता मिली:
- केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा कुल सरकारी व्यय (कैपिटल और राजस्व व्यय) में वृद्धि
- सेवा निर्यात (सर्विस एक्सपोर्ट) में उच्च वृद्धि दर
- माल निर्यात (मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट) में सुधार
- प्रमुख खरीफ फसलों के अच्छे उत्पादन
इन सभी कारकों ने ग्रामीण क्षेत्रों में सकारात्मक भावना (रूरल सेंटिमेंट) को मजबूत किया है और अर्थव्यवस्था को गति प्रदान की है।
ग्रामीण अर्थव्यवस्था का योगदान
ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ती आय, सरकार की नीतियों और कृषि क्षेत्र में सुधार से मांग में वृद्धि हो रही है, जिससे कुल आर्थिक विकास को समर्थन मिल रहा है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना (PM-KISAN), ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MGNREGA) और अन्य सरकारी योजनाओं के तहत बढ़ती मदद से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल रही है।
अर्थव्यवस्था के लिए आगे का मार्ग
भारत की आर्थिक वृद्धि को बनाए रखने के लिए निम्नलिखित कारकों पर ध्यान देना आवश्यक होगा:
- बुनियादी ढांचे में निवेश – सड़क, रेलवे, और अन्य बुनियादी ढांचे में पूंजीगत व्यय जारी रखना आवश्यक होगा।
- निर्यात वृद्धि – वैश्विक व्यापार में अस्थिरता के बावजूद निर्यात को बढ़ावा देने के लिए नई रणनीतियाँ अपनानी होंगी।
- निजी उपभोग में वृद्धि – घरेलू उपभोग को बढ़ाने के लिए रोजगार सृजन और आय वृद्धि को प्राथमिकता देनी होगी।
- विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा – ‘मेक इन इंडिया’ और ‘पीएलआई योजना’ जैसी पहलों को और सशक्त बनाना होगा।
SBI और ICRA की रिपोर्टों से स्पष्ट है कि भारत की अर्थव्यवस्था सही दिशा में आगे बढ़ रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में मजबूती और सरकार के नीतिगत समर्थन से GDP वृद्धि दर 6.3% से 6.4% तक रहने की संभावना है। हालाँकि, वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों और भू-राजनीतिक घटनाओं से उत्पन्न चुनौतियों से निपटने के लिए निरंतर सतर्कता आवश्यक होगी। सरकार के निवेश, नीति सुधार और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के समर्थन से भारत अगले कुछ वर्षों में भी अपनी उच्च विकास दर बनाए रख सकता है।
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