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Piyush Gupta: मार्च में इस्तीफा देंगे इस बैंक के भारतीय मूल के CEO, 2024 की सैलरी जानकर रह जाएंगे दंग!

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Piyush Gupta: मार्च में इस्तीफा देंगे इस बैंक के भारतीय मूल के CEO, 2024 की सैलरी जानकर रह जाएंगे दंग!

भारतीय मूल के Piyush Gupta इस महीने सिंगापुर के सबसे बड़े क्षेत्रीय बैंक DBS ग्रुप के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) पद से विदाई ले रहे हैं। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि वर्ष 2024 में गुप्ता को कुल 17.58 मिलियन सिंगापुर डॉलर (SGD) यानी लगभग 1,14,94,17,135 रुपये (115 करोड़ रुपये) का वेतन मिला है।

DBS बैंक ने एक बयान में कहा कि गुप्ता की सैलरी का आकलन बैंक के प्रदर्शन स्कोरकार्ड और 2023 में वरिष्ठ प्रबंधन द्वारा की गई कटौती के बाद के सामान्यीकरण को ध्यान में रखकर किया गया है।

2024 में बैंक का रिकॉर्ड प्रदर्शन

DBS बैंक ने हाल ही में अपनी वार्षिक रिपोर्ट जारी की, जिसमें कहा गया कि बैंक ने वर्ष 2024 में रिकॉर्ड प्रदर्शन किया है। बैंक का शुद्ध लाभ 11 प्रतिशत बढ़कर 11.4 बिलियन सिंगापुर डॉलर (SGD) हो गया, और बैंक का रिटर्न ऑन इक्विटी (ROE) 18 प्रतिशत तक पहुंच गया।

DBS बैंक ने रिपोर्ट में कहा कि बैंक की शानदार ऑलराउंड परफॉर्मेंस और तकनीकी मजबूती में सुधार के चलते बोर्ड द्वारा पिछले साल की तुलना में उच्च स्कोरकार्ड मूल्यांकन दिया गया।

2023 में हुई थी सैलरी में कटौती

रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2023 में पीयूष गुप्ता की सैलरी 27 प्रतिशत घटकर 11.2 मिलियन SGD हो गई थी। जबकि वर्ष 2022 में उन्हें 15.4 मिलियन SGD का वेतन मिला था।

2024 में उनकी सैलरी में 14 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई, जिससे यह 17.58 मिलियन SGD हो गई। उनकी सैलरी का बड़ा हिस्सा 9.36 मिलियन SGD के डिफर्ड अवार्ड (Deferred Award) के रूप में था, जिसे ज्यादातर शेयरों के रूप में दिया जाएगा।

इसके अतिरिक्त:

  • कैश बोनस: 6.65 मिलियन SGD
  • मूल वेतन: 1.5 मिलियन SGD
  • सर्विस लाभ: 80,533 SGD (जिसमें क्लब, कार और ड्राइवर सुविधाएं शामिल हैं)

Piyush Gupta: मार्च में इस्तीफा देंगे इस बैंक के भारतीय मूल के CEO, 2024 की सैलरी जानकर रह जाएंगे दंग!

DBS बैंक में 15 वर्षों का सफर

पीयूष गुप्ता ने नवंबर 2009 में DBS बैंक जॉइन किया था। उनके नेतृत्व में बैंक ने नई ऊंचाइयों को छुआ और सिंगापुर के सबसे बड़े क्षेत्रीय बैंक के रूप में अपनी पहचान बनाई।

गुप्ता की लीडरशिप में:

  • बैंक की डिजिटल क्षमताओं में भारी सुधार हुआ।
  • कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और ऑटोमेशन को अपनाया गया।
  • वैश्विक स्तर पर बैंक की मजबूत स्थिति बनी।

AI के चलते 4,000 कर्मचारियों की कटौती की योजना

फरवरी 2024 में, पीयूष गुप्ता ने घोषणा की कि अगले तीन वर्षों में DBS बैंक में 4,000 कॉन्ट्रैक्ट और टेम्पररी स्टाफ की कटौती की जाएगी। उन्होंने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) इंसानों की जगह ले रहा है और इससे बैंक के ऑपरेशनल मॉडल को नए सिरे से तैयार करने की जरूरत होगी।

उन्होंने कहा, “हमें पूरी तरह से नई संभावनाओं को अपनाना होगा, जिससे हमारे ऑपरेशन मॉडल और बिजनेस मॉडल में मूलभूत बदलाव आएंगे।”

सेवानिवृत्ति पर गुप्ता की टिप्पणी

अपने 15 साल के कार्यकाल के बाद CEO पद से सेवानिवृत्त होने पर गुप्ता ने कहा, “अब से एक महीने से भी कम समय में, मैं 15 वर्षों तक DBS बैंक के शीर्ष पद पर रहने के बाद रिटायर हो जाऊंगा।”

गुप्ता का यह सफर न केवल सिंगापुर बल्कि वैश्विक बैंकिंग क्षेत्र के लिए भी प्रेरणादायक रहा है।

पीयूष गुप्ता ने अपने कार्यकाल में DBS बैंक को एक मजबूत डिजिटल बैंक के रूप में स्थापित किया। 2024 में बैंक ने रिकॉर्ड प्रॉफिट कमाया, जिससे गुप्ता की सैलरी में इजाफा हुआ। हालांकि, AI के कारण 4,000 कर्मचारियों की छंटनी की योजना भी बनाई गई है।

उनका CEO पद से विदाई लेना बैंकिंग जगत के लिए एक बड़ा बदलाव साबित होगा, लेकिन उनकी लीडरशिप और योगदान को हमेशा याद रखा जाएगा।

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Gold Tax: क्या सच में कभी नहीं गिरती सोने की कीमत, जानिए चौंकाने वाली बातें!

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Gold Tax: क्या सच में कभी नहीं गिरती सोने की कीमत, जानिए चौंकाने वाली बातें!

Gold Tax: शादी के मौके पर लोग अलग-अलग तरह के तोहफे देते हैं लेकिन सबसे ज्यादा पसंद सोना दिया जाना है। इसका एक बड़ा कारण यह है कि सोना हमेशा से सुरक्षित निवेश माना जाता है। जब दुनिया की अर्थव्यवस्था अस्थिर होती है तो लोग सुरक्षित निवेश की तलाश में सोने की तरफ भागते हैं। इसलिए शादी में सोना देना न सिर्फ परंपरा का हिस्सा है बल्कि यह एक समझदारी भरा निवेश भी माना जाता है। इसके अलावा सोने की कीमत में कभी बड़ी गिरावट नहीं देखी जाती जिससे यह तोहफे के रूप में और भी आकर्षक बन जाता है।

सोना गिफ्ट में मिलने पर कितना टैक्स देना होगा

अगर आपको शादी या किसी भी मौके पर सोने का गहना या सामान तोहफे में मिलता है और उसकी कीमत 50,000 रुपये से ज्यादा होती है तो उसे इनकम फ्रॉम अदर सोर्स माना जाता है यानी यह आपकी अन्य आय में जुड़ जाता है और उस पर टैक्स देना पड़ता है। हालांकि अगर यह सोना आपके करीबी रिश्तेदारों से मिला हो जैसे माता-पिता सास-ससुर भाई-बहन जीवनसाथी दादा-दादी या नाना-नानी से तो यह टैक्स फ्री माना जाता है। यानी अपने परिवार से मिला सोना टैक्स के दायरे में नहीं आता लेकिन बाहर से मिला महंगा सोना आपको टैक्स की जद में ला सकता है।

आईसीआरए रिपोर्ट में सामने आए दिलचस्प आंकड़े

आईसीआरए की हालिया रिपोर्ट में बताया गया कि वित्त वर्ष 2025-26 में सोने के गहनों की मांग (मूल्य के हिसाब से) 12 से 14 प्रतिशत बढ़ सकती है। हालांकि इस समय लोग सोने की खरीदारी की मात्रा में कमी कर रहे हैं। उदाहरण के लिए अगर पहले कोई व्यक्ति 20 ग्राम सोना खरीदता था तो अब उसकी कीमत बढ़ने के कारण वह सिर्फ 10 ग्राम खरीद पा रहा है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि लोग अब सोने के सिक्के और बारी (bars) ज्यादा खरीदने लगे हैं। इस वित्त वर्ष में सिक्के और बारी की खरीदारी में 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी जा सकती है जबकि पिछले साल इसमें 25 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। इसके बाद सिक्कों और बार्स का कुल सोना बिक्री में हिस्सा 35 प्रतिशत तक पहुंचने की उम्मीद है।

बढ़ती कीमत के बावजूद क्यों है सोने में निवेश का क्रेज

दुनिया की आर्थिक स्थिति में लगातार अनिश्चितता बढ़ रही है जिसके चलते लोग सुरक्षित निवेश के लिए सोने की तरफ आकर्षित हो रहे हैं। भले ही सोने की कीमतें लगातार ऊंचाई पर हैं लेकिन निवेशक इसे सुरक्षित मानकर इसमें निवेश कर रहे हैं। शादी जैसे अवसरों पर भी लोग नकद या महंगे गिफ्ट देने की बजाय सोना देना बेहतर समझते हैं क्योंकि यह न सिर्फ निवेश के रूप में सुरक्षित रहता है बल्कि इसका भाव भी कभी गिरता नहीं। यही वजह है कि शादी-ब्याह के सीजन में सोने की डिमांड तेजी से बढ़ जाती है और लोग इसका स्टॉक करने में पीछे नहीं रहते।

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BSE Share ने रचा इतिहास, IPO में लगाया पैसा बना करोड़ों की पहली सीढ़ी

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BSE Share ने रचा इतिहास, IPO में लगाया पैसा बना करोड़ों की पहली सीढ़ी

BSE Share: देश का सबसे पुराना स्टॉक एक्सचेंज BSE लिमिटेड आजकल सुर्खियों में है क्योंकि इसने अपने निवेशकों को शानदार रिटर्न दिया है। साल 2017 में जो लोग बीएसई के आईपीओ में एक लाख रुपये लगाए थे उनकी रकम अब बढ़कर 27 लाख रुपये से भी ज्यादा हो गई है। यह कमाल सिर्फ आठ साल में हुआ है। बीएसई ने ना सिर्फ अपने शेयरधारकों को बोनस दिए बल्कि हर साल डिविडेंड भी दिया और शेयर बायबैक भी किया। इन सबका असर ये हुआ कि निवेशकों की पूंजी कई गुना बढ़ गई।

कैसे एक शेयर बना नौ शेयर, दो बार मिला बोनस

BSE लिमिटेड ने साल 2017 में अपना आईपीओ लाया था जिसका इश्यू प्राइस था 806 रुपये। उस समय एक शेयर पर निवेश किया गया पैसा अब नौ शेयरों में बदल चुका है। मार्च 2022 में कंपनी ने हर एक शेयर पर दो बोनस शेयर दिए जिससे एक शेयर तीन बन गया। अब मई 2025 में फिर से दो बोनस शेयर दिए गए जिससे पहले के तीन शेयर अब नौ में बदल गए। यानी जिसने 2017 में एक शेयर लिया था उसके पास अब नौ शेयर हैं।

BSE Share ने रचा इतिहास, IPO में लगाया पैसा बना करोड़ों की पहली सीढ़ी

आईपीओ प्राइस से 27 गुना हुआ मुनाफा

बीएसई के एक शेयर की कीमत फिलहाल 2459 रुपये है। ऐसे में नौ शेयरों की कीमत हो गई है 22,131 रुपये। जब इसे 806 रुपये के आईपीओ प्राइस से तुलना करते हैं तो यह 27.45 गुना का रिटर्न बनता है। यानी एक लाख रुपये की निवेश राशि अब 27 लाख रुपये से भी ज्यादा हो गई है। इतना बड़ा मुनाफा किसी भी निवेशक के लिए सपने जैसा होता है और बीएसई ने यह सच कर दिखाया।

डिविडेंड और शेयर बायबैक से और फायदा

बीएसई ने न सिर्फ बोनस दिए बल्कि अपने शेयरधारकों को हर साल डिविडेंड भी दिया है। 14 मई 2025 को कंपनी ने 23 रुपये प्रति शेयर डिविडेंड देने की घोषणा की थी। इससे पहले 14 जून 2024 को 15 रुपये का डिविडेंड दिया गया था। इसके अलावा कंपनी ने जुलाई 2019 और सितंबर 2023 में शेयर बायबैक भी किए। इन सब वजहों से निवेशकों को लगातार फायदा मिला है।

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Petrol-Diesel Price: डीजल में 60 पैसे की गिरावट सिर्फ पटना में, बाकी राज्यों में क्यों स्थिरता?

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Petrol-Diesel Price: डीजल में 60 पैसे की गिरावट सिर्फ पटना में, बाकी राज्यों में क्यों स्थिरता?

Petrol-Diesel Price: कोलकाता में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में हल्की बढ़ोतरी हुई है। ऑयल मार्केटिंग कंपनियों द्वारा फ्यूल के बेसिक प्राइस को फिर से एडजस्ट करने के बाद यह बदलाव सामने आया है। अब कोलकाता में पेट्रोल की कीमत ₹105.41 प्रति लीटर हो गई है जबकि डीजल की कीमत ₹92.02 प्रति लीटर पहुंच गई है। एक प्रमुख ऑयल कंपनी के अधिकारी ने बताया कि पेट्रोल की कीमत में 40 पैसे प्रति लीटर की बढ़ोतरी की गई है जबकि डीजल की कीमत में 20 पैसे प्रति लीटर का इजाफा हुआ है। हालांकि इसके उलट बिहार की राजधानी पटना में डीजल के दाम में 60 पैसे प्रति लीटर की गिरावट दर्ज की गई है। वहीं अन्य पूर्वी राज्यों में ईंधन की कीमतें स्थिर बनी हुई हैं।

क्यों होता है ईंधन की कीमतों में बदलाव

ईंधन की कीमतें तय करने का आधार उसका बेसिक प्राइस होता है जिसे ऑयल मार्केटिंग कंपनियां समय-समय पर रिव्यू करती हैं। इसमें ऑपरेशनल खर्च और लॉजिस्टिक्स जैसे कई फैक्टरों को ध्यान में रखते हुए एडजस्टमेंट किया जाता है। इस बेसिक प्राइस में केंद्र और राज्य सरकारों के टैक्स जुड़ने के बाद रिटेल प्राइस बनता है जो आम उपभोक्ता को चुकाना पड़ता है। हाल ही में हुए इस मामूली बदलाव ने सीधे तौर पर पेट्रोल-डीजल की कीमतों को प्रभावित किया है। इन बदलावों का असर चाहे कम हो लेकिन जब हर लीटर पर कुछ पैसे बढ़ते हैं तो उसका असर लाखों लोगों की जेब पर पड़ता है।

Petrol-Diesel Price: डीजल में 60 पैसे की गिरावट सिर्फ पटना में, बाकी राज्यों में क्यों स्थिरता?

पटना में राहत, बाकी राज्यों में स्थिरता

जहां एक तरफ कोलकाता में पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़े हैं वहीं पटना के लोगों को थोड़ी राहत मिली है। वहां डीजल के दाम में 60 पैसे प्रति लीटर की गिरावट आई है। हालांकि पेट्रोल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं हुआ है। इसके अलावा झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल के अन्य हिस्सों और असम जैसे पूर्वी राज्यों में कीमतें जस की तस बनी हुई हैं। इससे साफ है कि कंपनियां केवल उन्हीं शहरों में दाम बदल रही हैं जहां लॉजिस्टिक्स या वितरण से जुड़ी लागत में बदलाव हुआ है।

अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के भाव स्थिर

अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें बीते कुछ समय से स्थिर बनी हुई हैं। इसी वजह से भारत में तेल कंपनियों को कीमतों में बड़ी बढ़ोतरी करने की ज़रूरत नहीं पड़ी। मंगलवार दोपहर को डब्ल्यूटीआई क्रूड ऑयल की कीमत $62.05 प्रति बैरल रही जिसमें 0.15 प्रतिशत या $0.11 की मामूली बढ़त देखी गई। वहीं ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमत $65.02 प्रति बैरल रही जिसमें 0.09 प्रतिशत या $0.06 की बढ़त हुई। इन स्थिर कीमतों से संकेत मिलता है कि अभी पेट्रोल-डीजल की दरों में बड़ा उछाल आने की संभावना कम है। हालांकि लोकल लेवल पर बेस प्राइस के रीएडजस्टमेंट से छोटे-मोटे उतार-चढ़ाव होते रहेंगे।

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