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Stock market में गिरावट, बजट के बाद उथल-पुथल और अमेरिकी व्यापार शुल्क वृद्धि का असर

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Stock market में गिरावट, बजट के बाद उथल-पुथल और अमेरिकी व्यापार शुल्क वृद्धि का असर

 सोमवार को भारतीय Stock market में गिरावट देखी गई, हालांकि बजट के बाद तेज गिरावट के बाद बाजार में थोड़ी सी रिकवरी हुई। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) का प्रमुख सूचकांक सेंसेक्स 319.22 अंक की भारी गिरावट के साथ 77,186.74 पर बंद हुआ। वहीं, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) का निफ्टी 50 भी 121.1 अंक गिरकर 23,361.05 के स्तर पर बंद हुआ। इस गिरावट के पीछे मुख्य कारण अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा चीन, कनाडा और मेक्सिको पर शुल्क बढ़ाने की घोषणा है, जिसके परिणामस्वरूप इन देशों ने भी प्रतिशोधी शुल्क लगाए हैं, जिससे वैश्विक बाजारों में हलचल मच गई है।

शेयर बाजार में प्रमुख विजेता और हारे हुए शेयर

सेंसेक्स के समापन तक, बाजाज फाइनेंस, महिंद्रा एंड महिंद्रा, बाजाज फिनसर्व, मारुति सुजुकी इंडिया, भारती एयरटेल, और जोमैटो जैसे शेयरों ने शीर्ष प्रदर्शन किया। वहीं, सबसे अधिक नुकसान उठाने वाले शेयरों में पावर ग्रिड कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया, आईटीसी, एशियन पेंट्स, टाटा मोटर्स, हिंदुस्तान यूनिलीवर और लार्सन एंड टुब्रो शामिल हैं। निफ्टी 50 में सबसे ज्यादा लाभ पाने वाले शेयरों में बाजाज फाइनेंस, श्रीराम फाइनेंस, महिंद्रा एंड महिंद्रा, विप्रो और बाजाज फिनसर्व रहे, जबकि सबसे अधिक नुकसान उठाने वाले शेयरों में लार्सन एंड टुब्रो, टाटा कंज्यूमर, हीरो मोटोकॉर्प, कोल इंडिया और बीईएल थे।

वैश्विक बाजारों में गिरावट का असर

सोमवार को वैश्विक बाजारों में गिरावट देखने को मिली, क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा प्रमुख व्यापार साझेदारों पर शुल्क बढ़ाने की घोषणा से चिंता बढ़ी। फ्रांस का CAC 40 1.6% गिरकर 7,826.14 पर पहुंच गया, जबकि जर्मनी का DAX 1.5% गिरकर 21,395.31 पर आ गया। ब्रिटेन का FTSE 100 भी 1.3% गिरकर 8,565.00 पर बंद हुआ। अमेरिका में डाउ फ्यूचर्स 1.2% गिरकर 44,152.00 पर पहुंचे, जबकि S&P 500 फ्यूचर्स 1.5% गिरकर 5,977.25 पर बंद हुए।

Stock market में गिरावट, बजट के बाद उथल-पुथल और अमेरिकी व्यापार शुल्क वृद्धि का असर

एशियाई बाजारों में भी उथल-पुथल

जापान का निक्केई 225 2.7% गिरकर 38,520.09 पर आ गया, जबकि ऑस्ट्रेलिया का S&P/ASX 200 1.8% गिरकर 8,379.40 पर पहुंच गया। दक्षिण कोरिया का कोस्पी 2.5% गिरकर 2,453.95 पर बंद हुआ। हांगकांग का हैंग सेंग 0.1% से भी कम गिरावट के साथ 20,217.26 पर था, जबकि शंघाई में व्यापार अवकाश के कारण कोई बदलाव नहीं था। विशेषज्ञों का कहना है कि एशियाई बाजारों को व्यापार युद्ध की स्थिति में उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ सकता है, जिससे और भी ज्यादा अस्थिरता देखने को मिल सकती है।

अमेरिका के व्यापार शुल्क नीति का असर

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने चीन, कनाडा और मेक्सिको के खिलाफ शुल्क बढ़ाने की घोषणा की है, जिससे वैश्विक व्यापार युद्ध की आशंका पैदा हो गई है। इन देशों ने भी जवाबी कार्रवाई करते हुए शुल्क बढ़ाए हैं, जिससे बाजारों में और गिरावट देखने को मिली। इस व्यापार युद्ध के असर से वैश्विक निवेशकों में घबराहट है और बाजारों में अस्थिरता बढ़ रही है।

विशेषज्ञों का कहना है कि अगर यह व्यापार युद्ध और बढ़ता है, तो इसके परिणामस्वरूप वैश्विक अर्थव्यवस्था में धीमापन आ सकता है, जिसका असर भारतीय बाजारों पर भी पड़ सकता है। इसके अलावा, बढ़े हुए शुल्कों के कारण उत्पादों की कीमतें बढ़ सकती हैं, जिससे महंगाई में इजाफा हो सकता है, जो आर्थिक गतिविधियों को प्रभावित कर सकता है।

भारतीय बाजार पर वैश्विक प्रभाव

भारतीय शेयर बाजार में भी वैश्विक गिरावट का असर देखा गया है। भारतीय निवेशक अमेरिका और अन्य प्रमुख देशों के बाजारों से प्रभावित हो रहे हैं, और इसका असर भारतीय स्टॉक मार्केट पर भी दिख रहा है। निवेशकों ने नुकसान की संभावना को देखते हुए अपनी पोजीशन्स को बेचने की ओर रुख किया, जिससे बाजार में गिरावट आई। इसके अलावा, बजट के बाद भी बाजार में कुछ उथल-पुथल देखने को मिली है, जिसके कारण घरेलू निवेशकों में भी अनिश्चितता बनी हुई है।

आगे की दिशा: भारतीय बाजार क्या कर सकते हैं?

भारतीय बाजारों में आने वाली चुनौतियों का मुकाबला करने के लिए निवेशकों को सतर्क रहना होगा। वैश्विक बाजारों में अनिश्चितता को देखते हुए, भारतीय निवेशकों को यह सलाह दी जा रही है कि वे अपने निवेश पोर्टफोलियो को विविधित करें और जोखिम को कम करने के लिए सुरक्षित निवेश विकल्पों में निवेश करें। इसके अलावा, भारतीय अर्थव्यवस्था के भीतर के मजबूत संकेतकों जैसे कि बेहतर कॉर्पोरेट आय, विकास दर, और सुधारात्मक नीतियों पर भी ध्यान देना जरूरी होगा।

सोमवार के शेयर बाजार में गिरावट से यह स्पष्ट होता है कि वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताएं और अमेरिकी व्यापार शुल्क की नीतियों के कारण भारतीय बाजार भी प्रभावित हो रहे हैं। हालांकि, इन चुनौतियों के बावजूद, भारतीय बाजार में सुधार की संभावनाएं बनी हुई हैं। निवेशकों को बाजार की गतिविधियों के प्रति सतर्क रहकर रणनीतिक निवेश करने की आवश्यकता है ताकि वे इन उतार-चढ़ाव से बेहतर तरीके से निपट सकें।

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Silver Price Today: चाँदी का भाव आज ₹2,36,350 प्रति किलो पार, औद्योगिक मांग बढ़ने से उछाल

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Silver Price Today: चाँदी का भाव आज ₹2,36,350 प्रति किलो पार, औद्योगिक मांग बढ़ने से उछाल

Silver Price Today: सुनहरा और चांदी जैसे कीमती धातुओं की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं। खासकर चांदी की कीमतों में तेज उछाल देखने को मिल रहा है। शुक्रवार के ट्रेडिंग दिन में दिल्ली में चांदी की कीमतों में प्रति किलोग्राम ₹9,350 की बढ़ोतरी हुई।

इस उछाल के बाद, चांदी का भाव ₹2,36,350 प्रति किलोग्राम तक पहुँच गया। यदि पिछले सप्ताह की तुलना करें तो 19 दिसंबर को चांदी का भाव लगभग ₹2,04,100 था। केवल कुछ ही दिनों में इसका भाव ₹2,36,000 को पार कर गया। इस तेजी ने निवेशकों और व्यापारियों की उत्सुकता बढ़ा दी है।

अंतरराष्ट्रीय बाजार में चांदी का रिकॉर्ड स्तर

अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी चांदी की कीमतों में मजबूत उछाल देखा गया। स्पॉट चांदी ने पहली बार $75 प्रति आउंस का स्तर पार किया। इस दौरान चांदी की कीमत में $3.72 या लगभग 5.18 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। ट्रेडिंग के दौरान चांदी ने $75.63 प्रति आउंस का रिकॉर्ड स्तर छुआ।

विशेषज्ञों का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतों में यह उछाल मुख्य रूप से बढ़ती मांग और सीमित आपूर्ति के कारण आया है। वैश्विक स्तर पर निवेशक और उद्योग दोनों ही इस धातु की ओर आकर्षित हो रहे हैं।

औद्योगिक मांग में वृद्धि और चांदी की अहमियत

चांदी की कीमतों में तेजी का एक बड़ा कारण औद्योगिक क्षेत्र में लगातार बढ़ती मांग है। फैक्ट्रियों और तकनीकी क्षेत्र में चांदी की खपत बढ़ी है। विशेषकर इलेक्ट्रिक वाहन, सौर ऊर्जा सेक्टर और सॉलिड-स्टेट बैटरियों जैसे उभरते क्षेत्रों में चांदी का उपयोग बढ़ रहा है।

चांदी की सीमित वैश्विक उत्पादन और बढ़ती मांग ने कीमतों को और अधिक ऊँचा किया है। वर्तमान में विशेषज्ञों का अनुमान है कि वैश्विक स्तर पर लगभग 850 मिलियन आउंस चांदी का उत्पादन हो रहा है, जबकि मांग लगभग 1.16 बिलियन आउंस है। इस अंतर ने चांदी की कीमतों में लगातार तेजी बनाए रखी है।

वैश्विक राजनीतिक तनाव और भविष्य की संभावनाएं

इसके अलावा, यूएस और वेनेजुएला के बीच बढ़ते तनाव भी चांदी के निर्यात और कीमतों को प्रभावित कर सकते हैं। इस तनाव के कारण वैश्विक आपूर्ति प्रभावित हो सकती है, जिससे मूल्य और बढ़ सकते हैं।

विशेषज्ञों का कहना है कि निवेशक और उद्योग अब चांदी को सुरक्षित निवेश और तकनीकी उपयोग दोनों के दृष्टिकोण से महत्व दे रहे हैं। आने वाले महीनों में, यदि मांग और वैश्विक बाजार की स्थिति ऐसे ही बनी रही, तो चांदी की कीमतें और बढ़ सकती हैं। इस कारण निवेशक और व्यापारी सावधानीपूर्वक रणनीति बनाकर ही चांदी में निवेश कर रहे हैं।

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Silver Price: वायदा कारोबार में चांदी पांचवे दिन लगातार मजबूत, 75 डॉलर प्रति औंस के सर्वकालिक उच्च स्तर पर

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Silver Price: वायदा कारोबार में चांदी पांचवे दिन लगातार मजबूत, 75 डॉलर प्रति औंस के सर्वकालिक उच्च स्तर पर

Silver Price: वायदा कारोबार में शुक्रवार को चांदी की कीमतों में जबरदस्त तेजी देखने को मिली। मार्च 2026 डिलीवरी वाली चांदी वायदा में करीब 8,951 रुपये की उछाल दर्ज की गई और यह 2,32,741 रुपये प्रति किलोग्राम के नए सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गई। यह लगातार पांचवां कारोबारी सत्र रहा, जब चांदी मजबूत रही। विशेषज्ञों का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में चांदी के भाव के 75 डॉलर प्रति औंस के स्तर को पार करने के कारण घरेलू वायदा बाजार में भी तेजी आई। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) पर इस उछाल ने निवेशकों को आकर्षित किया और कीमतों में 14.33 प्रतिशत यानी कुल 29,176 रुपये की तेजी दर्ज हुई है।

सोने का भाव भी नई ऊंचाई पर

चांदी के साथ-साथ सोने की कीमतों ने भी नया इतिहास रच दिया। फरवरी डिलीवरी वाले सोने का वायदा 1,39,216 रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर पर पहुंच गया, जो पहले कभी नहीं देखा गया। लगातार चौथे कारोबारी सत्र में सोने में तेजी रही और यह 1,119 रुपये यानी 0.81 प्रतिशत बढ़कर नए शिखर पर पहुंचा। क्रिसमस के मौके पर घरेलू जिंस बाजार बंद रहने के बावजूद, अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने और चांदी के रिकॉर्ड स्तर का असर घरेलू सर्राफा बाजार पर साफ देखा गया। इससे पता चलता है कि वैश्विक स्तर पर निवेशक सुरक्षित संपत्ति की ओर अधिक आकर्षित हो रहे हैं।

अंतरराष्ट्रीय बाजार में रिकॉर्ड उछाल

अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी सोने और चांदी दोनों ने जबरदस्त उछाल दिखाया। अमेरिका के कॉमेक्स पर फरवरी डिलीवरी वाले सोने का वायदा 58.8 डॉलर यानी 1.3 प्रतिशत बढ़कर 4,561.6 डॉलर प्रति औंस के नए उच्च स्तर पर पहुंच गया। रिलायंस सिक्योरिटीज के वरिष्ठ शोध विश्लेषक जिगर त्रिवेदी के अनुसार, भू-राजनीतिक तनाव और अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदों के चलते सुरक्षित निवेश के रूप में सोने की मांग बढ़ी, जिससे कीमतों को मजबूती मिली। वहीं, मार्च डिलीवरी वाली चांदी वायदा में लगातार पांचवें दिन तेजी देखी गई और यह 3.81 डॉलर यानी 5.31 प्रतिशत बढ़कर 75.49 डॉलर प्रति औंस के नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई।

सुरक्षित निवेश और वैश्विक अनिश्चितता का प्रभाव

विशेषज्ञों का मानना है कि सोना और चांदी दोनों के रिकार्ड स्तर तक पहुंचने का मुख्य कारण वैश्विक अनिश्चितता और सुरक्षित निवेश की बढ़ती मांग है। चांदी के लगातार मजबूत रहने से निवेशकों का भरोसा बढ़ा है और वैश्विक बाजार में इसकी कीमतों में स्थिरता देखने को मिल रही है। भविष्य में भी यदि भू-राजनीतिक तनाव जारी रहता है या अमेरिकी फेडरल रिजर्व की नीतियों में कोई बदलाव आता है, तो सोना और चांदी दोनों की कीमतों में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है। फिलहाल, निवेशक इन कीमती धातुओं को सुरक्षित निवेश के रूप में देख रहे हैं और मांग लगातार बढ़ रही है।

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IndiGo के 67 घरेलू फ्लाइट्स रद्द, यात्रियों को भटकाव और लंबी देरी का सामना करना पड़ा

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IndiGo के 67 घरेलू फ्लाइट्स रद्द, यात्रियों को भटकाव और लंबी देरी का सामना करना पड़ा

देश की प्रमुख एयरलाइन IndiGo ने गुरुवार को विभिन्न हवाई अड्डों से कुल 67 घरेलू उड़ानें रद्द कर दीं। एयरलाइन की वेबसाइट के अनुसार, इनमें से केवल चार उड़ानें परिचालन संबंधी कारणों से रद्द हुईं, जबकि शेष उड़ानों को खराब मौसम की संभावना के चलते प्रभावित बताया गया। PTI की रिपोर्ट के अनुसार, इन रद्द उड़ानों से अगरतला, चंडीगढ़, देहरादून, वाराणसी और बेंगलुरु जैसे कई प्रमुख हवाई अड्डों पर असर पड़ा। वहीं, सिविल एविएशन महानिदेशालय (DGCA) ने 10 दिसंबर से 10 फरवरी तक की अवधि को आधिकारिक शीतकालीन कोहरे की विंडो घोषित किया है, जिसमें उत्तरी भारत समेत कई क्षेत्रों में उड़ान संचालन पर कोहरे के कारण चुनौती बनी रहती है।

विशेष प्रशिक्षित पायलट अनिवार्य

DGCA के Fog Operations (CAT-IIIB) नियमों के तहत एयरलाइंस को कम दृश्यता की स्थितियों में उड़ान संचालन के लिए विशेष प्रशिक्षित पायलट तैनात करने और CAT-IIIB मानक वाले विमान का उपयोग करने की आवश्यकता है। कैटेगरी III एक उन्नत नेविगेशन प्रणाली है जो घने कोहरे में भी विमान के सुरक्षित लैंडिंग को सुनिश्चित करती है। CAT-III-A में विमान रनवे दृश्य सीमा (RVR) 200 मीटर तक लैंड कर सकता है, जबकि CAT-III-B में दृश्यता केवल 50 मीटर होने पर भी लैंडिंग संभव है। ध्यान देने वाली बात है कि दिसंबर की शुरुआत में हजारों उड़ान रद्द होने के बाद IndiGo का संचालन DGCA की कड़ी निगरानी में है, और एयरलाइन वर्तमान में सरकारी निर्देशों के तहत सीमित उड़ान कार्यक्रम चला रही है।

घरेलू उड़ानों की संख्या में कमी

IndiGo को अपने मूल शीतकालीन उड़ान कार्यक्रम के तहत प्रति सप्ताह 15,014 घरेलू उड़ानें संचालित करने की अनुमति थी, यानी औसतन 2,144 उड़ानें प्रतिदिन। यह 2025 की गर्मियों की उड़ानों (14,158 प्रति सप्ताह) की तुलना में लगभग छह प्रतिशत अधिक थी। हालांकि, व्यापक परिचालन बाधाओं के कारण, सरकार ने IndiGo के घरेलू उड़ान कार्यक्रम में 10 प्रतिशत की कटौती कर दी, यानी लगभग 214 उड़ानों प्रतिदिन। इसके परिणामस्वरूप, एयरलाइन अब वर्तमान शीतकालीन कार्यक्रम में अधिकतम 1,930 घरेलू उड़ानें प्रतिदिन संचालित कर सकती है।

यात्रियों के लिए IndiGo की चेतावनी और समस्याएं

1 से 9 दिसंबर के बीच, राहुल भाटिया नियंत्रित एयरलाइन ने हजारों उड़ानें रद्द कीं। इसके पीछे मुख्य कारण नई नियमावली के तहत पायलट की ड्यूटी अवधि और विश्राम अवधि की योजना में कमी और क्रू की कमी बताई गई। इन घटनाओं के बाद DGCA ने चार सदस्यीय जांच समिति का गठन किया, जिसमें संयुक्त DG संजय ब्रहमणे, डिप्टी DG अमित गुप्ता, सीनियर फ्लाइट ऑपरेशंस इंस्पेक्टर कपिल मंगलिक और FOI लोकेश रामपाल शामिल हैं। समिति ने पहले ही IndiGo के CEO पीटर एल्बर्स और COO इसिड्रे पोरकेरास से पूछताछ की है और इस सप्ताह अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने की संभावना है।

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