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ChatGPT vs Grok AI: ChatGPT से पीछे क्यों है Grok AI क्या मस्क की टीम चूक गई है कहीं

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ChatGPT vs Grok AI: ChatGPT से पीछे क्यों है Grok AI क्या मस्क की टीम चूक गई है कहीं

ChatGPT vs Grok AI: एलन मस्क ने हाल ही में अपना नया AI मॉडल ग्रोक लॉन्च किया है जो कि ChatGPT को टक्कर देने का दावा करता है. यह मॉडल X और ट्विटर की टीम ने मिलकर तैयार किया है. हालांकि अभी तक यह खास पहचान नहीं बना पाया है और अन्य AI टूल्स से पीछे नजर आता है.

ग्रोक और चैटजीपीटी में फर्क

ChatGPT को OpenAI ने तैयार किया है और यह GPT-4 जैसे एडवांस तकनीक पर आधारित है. इसके पास बहुत बड़ा डेटा बेस है. वहीं ग्रोक अभी शुरुआती दौर में है और इसके पास न तो पर्याप्त डेटा है और न ही गहराई से ट्रेनिंग हुई है. इसी वजह से यह ChatGPT जितना सटीक जवाब नहीं दे पाता.

ChatGPT vs Grok AI: ChatGPT से पीछे क्यों है Grok AI क्या मस्क की टीम चूक गई है कहीं

कंटेंट और क्वालिटी का मुकाबला

ChatGPT की सबसे बड़ी ताकत उसकी कंटेंट क्वालिटी है. यह लगभग हर सवाल का जवाब दे सकता है और ज़्यादातर जवाब सही भी होते हैं. लेकिन ग्रोक की परफॉर्मेंस पर अभी सवाल उठ रहे हैं. इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि इसे अभी और डेटा और ट्रेनिंग की ज़रूरत है.

यूजर एक्सपीरियंस में भी फर्क

ChatGPT का इंटरफेस बहुत आसान और यूजर फ्रेंडली है. यही वजह है कि लोग इसे आसानी से इस्तेमाल कर पाते हैं. लेकिन ग्रोक का इंटरफेस थोड़ा जटिल माना गया है. कई यूजर्स ने इसे इस्तेमाल करने में कठिनाई बताई है जिससे इसका यूजर एक्सपीरियंस कमजोर पड़ जाता है.

भविष्य की उम्मीदें

ChatGPT को लगातार अपडेट्स और सुधार मिलते रहते हैं जिससे यह हमेशा नए डाटा और घटनाओं से जुड़ा रहता है. लेकिन ग्रोक को अभी ऐसी अपडेटिंग और एक्सपर्ट सपोर्ट नहीं मिल पा रही है. अगर ग्रोक अपनी ट्रेनिंग यूजर एक्सपीरियंस और डेटा पर ध्यान देता है तो वह भी भविष्य में एक मजबूत AI टूल बन सकता है.

 

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Google Feature: अब गूगल बताएगा पासवर्ड सुरक्षित है या नहीं, जानिए कैसे करता है आपकी डिजिटल सुरक्षा की निगरानी

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Google Feature: अब गूगल बताएगा पासवर्ड सुरक्षित है या नहीं, जानिए कैसे करता है आपकी डिजिटल सुरक्षा की निगरानी

Google Feature: आज के समय में जैसे हम अपने घर की सुरक्षा के लिए दरवाज़ा लॉक करते हैं ठीक वैसे ही ऑनलाइन खातों की सुरक्षा के लिए मजबूत पासवर्ड ज़रूरी हैं। लेकिन हाल ही में 16 अरब पासवर्ड लीक होने की खबर ने सबको चिंता में डाल दिया है। ऐसे में घबराने की नहीं बल्कि सतर्क रहने की ज़रूरत है। बहुत कम लोग जानते हैं कि गूगल के पास एक बेहद ज़रूरी टूल है जो आपके पासवर्ड की सुरक्षा पर नज़र रखता है और अगर पासवर्ड कहीं लीक होता है तो आपको तुरंत अलर्ट करता है। इस टूल का नाम है Google Password Checkup।

क्या है Google Password Checkup और ये कैसे काम करता है

जिस तरह एक डॉक्टर आपके शरीर की जांच करता है वैसे ही यह टूल आपके सेव किए हुए पासवर्ड की जांच करता है। यह पता लगाता है कि आपका पासवर्ड कहीं किसी डाटा लीक का हिस्सा तो नहीं बना। अगर आपका कोई पासवर्ड लीक हो चुका होता है तो यह टूल आपको तुरंत अलर्ट भेजता है ताकि आप समय रहते अपना पासवर्ड बदल सकें। लेकिन ध्यान रहे यह टूल तभी काम करेगा जब आपने अपने पासवर्ड Google Password Manager में सेव किए हों। अगर आपने अपने ज़रूरी लॉगिन डिटेल्स गूगल पर सेव कर रखे हैं तो यह टूल उन्हें लगातार मॉनिटर करता है।

Google Feature: अब गूगल बताएगा पासवर्ड सुरक्षित है या नहीं, जानिए कैसे करता है आपकी डिजिटल सुरक्षा की निगरानी

कैसे करें पासवर्ड Google Password Manager में सेव और चेक

सबसे पहले अपने लैपटॉप या कंप्यूटर में Google Chrome ब्राउज़र खोलें। फिर ऊपर दाईं तरफ तीन डॉट्स (⋮) पर क्लिक करें। अब ‘Passwords and Autofill’ या ‘Password Manager’ ऑप्शन पर जाएं। यहां बाईं तरफ आपको Passwords, Checkup और Settings जैसे विकल्प दिखेंगे। अगर आप नया पासवर्ड सेव करना चाहते हैं तो Passwords सेक्शन में जाएं और “Add” पर क्लिक करें। अगर पासवर्ड पहले से सेव हैं तो आप सीधे “Checkup” ऑप्शन पर जाकर यह देख सकते हैं कि कोई पासवर्ड लीक तो नहीं हुआ है। Compromised Passwords सेक्शन में आपको जानकारी मिलेगी कि कौन सा पासवर्ड लीक हुआ है और कौन से पासवर्ड बहुत कमजोर हैं या बार-बार दोहराए गए हैं।

मोबाइल से कैसे करें पासवर्ड चेक और सुरक्षित

अगर आप अपने मोबाइल पर पासवर्ड सेव करते हैं तो वहां भी यह चेक करना आसान है। इसके लिए अपने फोन में Settings > Google > Autofill with Google > Password Manager में जाएं। यहां से आप पता लगा सकते हैं कि कोई पासवर्ड लीक हुआ है या आपने कोई कमजोर पासवर्ड तो नहीं रखा है। इस फीचर की सबसे खास बात यह है कि यह बिना कोई एक्स्ट्रा ऐप डाउनलोड किए सीधे गूगल अकाउंट से जुड़ा होता है और हमेशा आपके पासवर्ड की निगरानी करता है। ऐसे में आपको किसी भी तरह के साइबर फ्रॉड से बचाव का मौका मिल जाता है और आप समय रहते अपने डिटेल्स को अपडेट कर सकते हैं।

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1 जुलाई को आएगा कैमरा का बेताज बादशाह! Nothing Phone 3 में मिलेंगे 50MP के तीन-तीन कैमरे

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1 जुलाई को आएगा कैमरा का बेताज बादशाह! Nothing Phone 3 में मिलेंगे 50MP के तीन-तीन कैमरे

टेक्नोलॉजी की दुनिया में Nothing Phone 3 इन दिनों सबसे चर्चित नाम बन चुका है। कंपनी ने इसकी लॉन्चिंग डेट 1 जुलाई तय की है और तब से लेकर अब तक एक के बाद एक टीज़र्स शेयर कर यूज़र्स की उत्सुकता बढ़ा दी है। Nothing ने खुद इस बात की पुष्टि कर दी है कि यह फोन Snapdragon 8s Gen 4 चिपसेट के साथ आएगा और इसे 5 साल तक Android OS अपडेट और 7 साल तक सिक्योरिटी पैच मिलते रहेंगे।

कैमरा सेटअप में मिलेगा तगड़ा अपग्रेड

Nothing Phone 3 का कैमरा सेटअप इस बार काफी दमदार होने वाला है। कंपनी ने X पर शेयर किए गए पोस्ट में बताया कि फोन में 50 मेगापिक्सल का पेरिस्कोप टेलीफोटो कैमरा दिया जाएगा, जो 3x ऑप्टिकल ज़ूम सपोर्ट करेगा। इसके अलावा कैमरा सेटअप में 50MP का मेन सेंसर और 50MP का अल्ट्रा-वाइड शूटर भी शामिल होने की उम्मीद है। यह सेटअप पिछले Nothing Phone 2 के ड्यूल कैमरा सिस्टम के मुकाबले बड़ा अपग्रेड माना जा रहा है।

फ्रंट कैमरा और डिस्प्ले भी है दमदार

फोन की सेल्फी लवर्स के लिए खुशखबरी है। Nothing Phone 3 में 50MP का फ्रंट कैमरा भी मिलने वाला है। वहीं डिस्प्ले की बात करें तो इसमें 6.7 इंच का LTPO OLED स्क्रीन मिलेगा जो 1.5K रेजोल्यूशन के साथ आएगा। यह डिस्प्ले हाई रिफ्रेश रेट और शानदार विजुअल एक्सपीरियंस देगा, जिससे गेमिंग और वीडियो स्ट्रीमिंग का मज़ा दोगुना हो जाएगा।

 बैटरी और चार्जिंग में भी सबको पीछे छोड़ेगा

Nothing Phone 3 में 5150mAh की दमदार बैटरी दी जाएगी। यह बैटरी 100W फास्ट वायर्ड चार्जिंग को सपोर्ट करेगी, जिससे फोन कुछ ही मिनटों में फुल चार्ज हो जाएगा। इतना ही नहीं, फोन में वायरलेस और रिवर्स वायरलेस चार्जिंग का भी सपोर्ट मिलेगा, जिससे आप अपने अन्य गैजेट्स को भी चार्ज कर पाएंगे।

Nothing Phone 3 के साथ लॉन्च होंगे Headphone 1

1 जुलाई को सिर्फ Phone 3 ही नहीं, बल्कि Nothing Headphone 1 भी लॉन्च होने वाला है। इसका मतलब है कि कंपनी एक साथ स्मार्टफोन और ऑडियो सेगमेंट में नया धमाका करने जा रही है। पिछले कुछ महीनों से सामने आ रही लीक्स और टीज़र्स ने इस फोन को पहले ही चर्चा का विषय बना दिया है और यूज़र्स इसकी लॉन्च का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे हैं।

 

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Telegram Bot: सेफ्टी फीचर सिर्फ दिखावा? टू-स्टेप वेरिफिकेशन के बावजूद लीक हो रहा डेटा, Telegram Bot का खुलासा

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Telegram Bot: सेफ्टी फीचर सिर्फ दिखावा? टू-स्टेप वेरिफिकेशन के बावजूद लीक हो रहा डेटा, Telegram Bot का खुलासा

Telegram Bot: आज के डिजिटल युग में हम अपने मोबाइल और ऐप्स पर पूरी दुनिया समेटे बैठे हैं। हम सोचते हैं कि टू-स्टेप वेरिफिकेशन जैसे फीचर्स से हमारी जानकारी पूरी तरह से सुरक्षित है। लेकिन हाल ही में सामने आई एक रिपोर्ट ने इस भरोसे को पूरी तरह से हिला कर रख दिया है। एक Telegram Bot सिर्फ एक मोबाइल नंबर भेजने पर मात्र दो सेकंड में किसी भी व्यक्ति की पूरी प्रोफाइल सामने रख देता है, जिसमें उसका नाम, पता, आधार नंबर, PAN कार्ड और यहां तक कि वोटर ID की डिटेल्स भी शामिल होती है।

Telegram Bot से हो रहा है डेटा का सौदा

Telegram पर बॉट बनाना और इस्तेमाल करना कोई नई बात नहीं है। लेकिन अब इसका इस्तेमाल डेटा बेचने जैसे खतरनाक काम के लिए किया जा रहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार, एक Telegram Bot भारतीय नागरिकों का संवेदनशील डेटा बेच रहा है। रिपोर्ट में बॉट का नाम नहीं बताया गया है, लेकिन दावा किया गया है कि एक टिप से इस बॉट का पता चला है। बॉट का प्लान ₹99 से ₹4999 तक का है और उस हिसाब से डेटा की गहराई बढ़ती जाती है।

Telegram Bot: सेफ्टी फीचर सिर्फ दिखावा? टू-स्टेप वेरिफिकेशन के बावजूद लीक हो रहा डेटा, Telegram Bot का खुलासा

आधार और PAN से लेकर पिता का नाम तक लीक

यह बॉट उस व्यक्ति की डिटेल्स देता है जिसका 10-अंकों वाला मोबाइल नंबर भेजा जाता है। दो सेकंड के अंदर जो जानकारी मिलती है उसमें व्यक्ति का नाम, पता, वैकल्पिक मोबाइल नंबर, आधार नंबर, पिता का नाम, PAN कार्ड डिटेल्स, और वोटर ID नंबर तक शामिल हैं। सोचिए कि ये सारी जानकारियां किसी अजनबी के हाथ में चली जाएं तो उसका दुरुपयोग कैसे हो सकता है। यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या ऐप कंपनियां सच में हमारे डेटा की सुरक्षा कर पा रही हैं?

ऐप्स के दावे खोखले साबित हो रहे हैं

हर ऐप दावा करता है कि वह अपने यूज़र्स की प्राइवेसी को सबसे ज़्यादा महत्व देता है। टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन, OTP लॉगिन, बायोमेट्रिक सिक्योरिटी जैसे फीचर्स लोगों को सुरक्षा का भ्रम देते हैं। लेकिन जब बैकेंड में ही डेटा लीक हो रहा हो, तो ये सारे फीचर्स केवल दिखावा बनकर रह जाते हैं। यह मामला केवल Telegram तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरी डिजिटल इकोसिस्टम पर एक बड़ा सवाल उठाता है।

अब सवाल यह है – हम करें तो क्या करें?

इस घटना के सामने आने के बाद आम यूज़र के मन में डर स्वाभाविक है। अब सवाल ये है कि हम खुद को कैसे सुरक्षित रखें। सबसे पहले, अनजानी वेबसाइटों या ऐप्स को पर्सनल जानकारी देना बंद करें। आधार या PAN जैसी डिटेल्स शेयर करने से पहले सोचें कि क्या वाकई उसकी जरूरत है। और सरकार से यह उम्मीद की जानी चाहिए कि वह ऐसे प्लेटफॉर्म्स के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करे जो डेटा की सुरक्षा में लापरवाही बरतते हैं।

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