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Budget 2025: भारत के बजट में आयात शुल्क में कटौती, अमेरिका के निर्यात को मिलेगा लाभ

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Budget 2025: भारत के बजट में आयात शुल्क में कटौती, अमेरिका के निर्यात को मिलेगा लाभ

Budget 2025: भारत ने 1 फरवरी को अपने आम बजट में कुछ उत्पादों पर कस्टम ड्यूटी में कटौती की घोषणा की है, जो अमेरिका के लिए राहत का संकेत हो सकता है। इस निर्णय से अमेरिकी उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा मिलेगा। ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि मोटरसाइकिलों और कृत्रिम फ्लेवर एन्हांसर जैसे उत्पादों पर कस्टम ड्यूटी में कमी आई है, जिससे अमेरिकी निर्यातकों को फायदा होगा।

अमेरिका ने भारत को ‘टैरिफ किंग’ करार दिया था

GTRI के अनुसार, डोनाल्ड ट्रम्प प्रशासन द्वारा भारत को ‘टैरिफ किंग’ कहे जाने के बाद, भारत ने अपने बजट में कई उत्पादों पर कस्टम ड्यूटी में महत्वपूर्ण कटौती की है। इन उत्पादों में से कई अमेरिका से होने वाले निर्यात पर लाभकारी प्रभाव डाल सकते हैं। GTRI ने एक बयान में कहा, “भारत ने प्रौद्योगिकी, वाहनों, औद्योगिक कच्चे माल और स्क्रैप के आयात पर शुल्क में कटौती की है। यह वैश्विक व्यापार के तनावपूर्ण माहौल के बावजूद व्यापार को सुगम बनाने की दिशा में भारत द्वारा उठाया गया कदम है।”

Budget 2025: भारत के बजट में आयात शुल्क में कटौती, अमेरिका के निर्यात को मिलेगा लाभ

क्या अमेरिका का नजरिया बदलेगा?

हालांकि, GTRI को इस बात की आशंका है कि क्या इस कस्टम ड्यूटी में कटौती से अमेरिका का नजरिया भारत के व्यापार संबंधों के बारे में बदल पाएगा। GTRI के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा, “अमेरिका से भारत में मोटरसाइकिलों का निर्यात FY 2023-24 में $3 मिलियन था और यह शुल्क कटौती अमेरिकी निर्माताओं के लिए बाजार पहुंच को बढ़ावा दे सकती है।” श्रीवास्तव का मानना ​​है कि यह नीति में बदलाव का संकेत है, जो कई क्षेत्रों में अमेरिकी निर्यात को बढ़ावा दे सकता है।

नीति में बदलाव का संकेत

श्रीवास्तव ने कहा कि ट्रंप ने लंबे समय तक भारत की कस्टम संरचना की आलोचना की थी, लेकिन इस नवीनतम कटौती से यह स्पष्ट होता है कि भारत अब नीति में बदलाव की ओर अग्रसर है, जो अमेरिकी निर्यात को कई क्षेत्रों में बढ़ावा दे सकता है। यह कदम भारत और अमेरिका के बीच व्यापार संबंधों को और मजबूत करने का एक अवसर हो सकता है।

भारत-अमेरिका व्यापार संबंध

2024-25 के दौरान अप्रैल से नवंबर तक, अमेरिका भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापार साझीदार था, जिसका व्यापार $82.52 बिलियन था। इससे पहले 2021-24 में, अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापार साझीदार था। भारत और अमेरिका के बीच व्यापार संबंधों में तेजी से वृद्धि हुई है और इस नई नीति से और भी प्रगति हो सकती है।

भारत का उद्देश्य और वैश्विक व्यापार

भारत का यह कदम वैश्विक व्यापार को सुगम बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण है। कस्टम ड्यूटी में कटौती से न केवल अमेरिका, बल्कि अन्य देशों के उत्पादकों को भी फायदा हो सकता है। वैश्विक व्यापार पर्यावरण में उथल-पुथल के बावजूद, भारत के इस कदम से व्यापारिक संबंधों में सकारात्मक बदलाव की उम्मीद जताई जा रही है।

भारत ने अपने बजट में कस्टम ड्यूटी में कटौती कर यह संकेत दिया है कि वह वैश्विक व्यापार को सरल और सुविधाजनक बनाने के लिए कदम उठा रहा है। इससे भारतीय उद्योगों को भी लाभ हो सकता है, क्योंकि यह कदम व्यापारिक गतिविधियों को गति देगा और भारत के बाजार में विदेशी निवेश को आकर्षित करेगा।

अमेरिकी निर्यातकों के लिए अवसर

अमेरिका के निर्यातकों के लिए यह एक बड़ा अवसर हो सकता है। मोटरसाइकिल उद्योग जैसे क्षेत्रों में कस्टम ड्यूटी में कटौती से अमेरिकी निर्माताओं को भारतीय बाजार में अपनी उपस्थिति बढ़ाने में मदद मिल सकती है। इसके अतिरिक्त, कृत्रिम फ्लेवर एन्हांसर और अन्य उपभोक्ता उत्पादों की आयात पर शुल्क में कटौती से अमेरिका को अपने निर्यात को बढ़ावा देने का अवसर मिलेगा।

निर्यातकों का स्वागत

अमेरिका के निर्यातक इस कदम का स्वागत कर रहे हैं। उनका मानना ​​है कि यह कस्टम ड्यूटी में कटौती उनके लिए भारत में व्यापार के अवसरों को बढ़ाने का मौका देगी। विशेष रूप से मोटरसाइकिल निर्माताओं को इस बदलाव से लाभ हो सकता है, क्योंकि भारत में मोटरसाइकिलों की भारी मांग है और अब अमेरिकी निर्माताओं को इस बाजार में अधिक अवसर मिल सकते हैं।

निर्यात के क्षेत्र में वृद्धि

भारत ने कस्टम ड्यूटी में कटौती कर यह सुनिश्चित किया है कि अमेरिकी उत्पादों को भारत में अधिक सुलभ बनाया जा सके। इसके अलावा, यह भारत के उद्योगों के लिए भी फायदेमंद हो सकता है, क्योंकि विदेशी उत्पादों की अधिक उपलब्धता से प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, जो भारतीय उद्योगों को भी अधिक सुधार और नवाचार की दिशा में प्रेरित कर सकती है।

भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों का भविष्य

भारत और अमेरिका के बीच व्यापार संबंधों में इस नई नीति के बाद और भी मजबूती आ सकती है। हालांकि, यह देखना होगा कि अमेरिका का प्रशासन इस कदम को कितने सकारात्मक दृष्टिकोण से देखता है और क्या यह कस्टम ड्यूटी में कटौती से अमेरिका का व्यापारिक दृष्टिकोण पूरी तरह बदल जाएगा।

भारत का यह कदम अमेरिकी निर्यातकों के लिए एक नए अवसर के रूप में सामने आया है। मोटरसाइकिल और कृत्रिम फ्लेवर एन्हांसर जैसे उत्पादों पर कस्टम ड्यूटी में कटौती से न केवल अमेरिकी निर्यातकों को फायदा होगा, बल्कि इससे वैश्विक व्यापार को भी गति मिल सकती है। भारत का यह कदम वैश्विक व्यापारिक माहौल को बेहतर बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। अब यह देखना होगा कि अमेरिका का प्रशासन इस परिवर्तन को किस प्रकार स्वीकार करता है और क्या यह भारत के साथ व्यापारिक संबंधों को और प्रगति की ओर ले जाएगा।

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Gold Tax: क्या सच में कभी नहीं गिरती सोने की कीमत, जानिए चौंकाने वाली बातें!

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Gold Tax: क्या सच में कभी नहीं गिरती सोने की कीमत, जानिए चौंकाने वाली बातें!

Gold Tax: शादी के मौके पर लोग अलग-अलग तरह के तोहफे देते हैं लेकिन सबसे ज्यादा पसंद सोना दिया जाना है। इसका एक बड़ा कारण यह है कि सोना हमेशा से सुरक्षित निवेश माना जाता है। जब दुनिया की अर्थव्यवस्था अस्थिर होती है तो लोग सुरक्षित निवेश की तलाश में सोने की तरफ भागते हैं। इसलिए शादी में सोना देना न सिर्फ परंपरा का हिस्सा है बल्कि यह एक समझदारी भरा निवेश भी माना जाता है। इसके अलावा सोने की कीमत में कभी बड़ी गिरावट नहीं देखी जाती जिससे यह तोहफे के रूप में और भी आकर्षक बन जाता है।

सोना गिफ्ट में मिलने पर कितना टैक्स देना होगा

अगर आपको शादी या किसी भी मौके पर सोने का गहना या सामान तोहफे में मिलता है और उसकी कीमत 50,000 रुपये से ज्यादा होती है तो उसे इनकम फ्रॉम अदर सोर्स माना जाता है यानी यह आपकी अन्य आय में जुड़ जाता है और उस पर टैक्स देना पड़ता है। हालांकि अगर यह सोना आपके करीबी रिश्तेदारों से मिला हो जैसे माता-पिता सास-ससुर भाई-बहन जीवनसाथी दादा-दादी या नाना-नानी से तो यह टैक्स फ्री माना जाता है। यानी अपने परिवार से मिला सोना टैक्स के दायरे में नहीं आता लेकिन बाहर से मिला महंगा सोना आपको टैक्स की जद में ला सकता है।

आईसीआरए रिपोर्ट में सामने आए दिलचस्प आंकड़े

आईसीआरए की हालिया रिपोर्ट में बताया गया कि वित्त वर्ष 2025-26 में सोने के गहनों की मांग (मूल्य के हिसाब से) 12 से 14 प्रतिशत बढ़ सकती है। हालांकि इस समय लोग सोने की खरीदारी की मात्रा में कमी कर रहे हैं। उदाहरण के लिए अगर पहले कोई व्यक्ति 20 ग्राम सोना खरीदता था तो अब उसकी कीमत बढ़ने के कारण वह सिर्फ 10 ग्राम खरीद पा रहा है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि लोग अब सोने के सिक्के और बारी (bars) ज्यादा खरीदने लगे हैं। इस वित्त वर्ष में सिक्के और बारी की खरीदारी में 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी जा सकती है जबकि पिछले साल इसमें 25 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। इसके बाद सिक्कों और बार्स का कुल सोना बिक्री में हिस्सा 35 प्रतिशत तक पहुंचने की उम्मीद है।

बढ़ती कीमत के बावजूद क्यों है सोने में निवेश का क्रेज

दुनिया की आर्थिक स्थिति में लगातार अनिश्चितता बढ़ रही है जिसके चलते लोग सुरक्षित निवेश के लिए सोने की तरफ आकर्षित हो रहे हैं। भले ही सोने की कीमतें लगातार ऊंचाई पर हैं लेकिन निवेशक इसे सुरक्षित मानकर इसमें निवेश कर रहे हैं। शादी जैसे अवसरों पर भी लोग नकद या महंगे गिफ्ट देने की बजाय सोना देना बेहतर समझते हैं क्योंकि यह न सिर्फ निवेश के रूप में सुरक्षित रहता है बल्कि इसका भाव भी कभी गिरता नहीं। यही वजह है कि शादी-ब्याह के सीजन में सोने की डिमांड तेजी से बढ़ जाती है और लोग इसका स्टॉक करने में पीछे नहीं रहते।

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BSE Share ने रचा इतिहास, IPO में लगाया पैसा बना करोड़ों की पहली सीढ़ी

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BSE Share ने रचा इतिहास, IPO में लगाया पैसा बना करोड़ों की पहली सीढ़ी

BSE Share: देश का सबसे पुराना स्टॉक एक्सचेंज BSE लिमिटेड आजकल सुर्खियों में है क्योंकि इसने अपने निवेशकों को शानदार रिटर्न दिया है। साल 2017 में जो लोग बीएसई के आईपीओ में एक लाख रुपये लगाए थे उनकी रकम अब बढ़कर 27 लाख रुपये से भी ज्यादा हो गई है। यह कमाल सिर्फ आठ साल में हुआ है। बीएसई ने ना सिर्फ अपने शेयरधारकों को बोनस दिए बल्कि हर साल डिविडेंड भी दिया और शेयर बायबैक भी किया। इन सबका असर ये हुआ कि निवेशकों की पूंजी कई गुना बढ़ गई।

कैसे एक शेयर बना नौ शेयर, दो बार मिला बोनस

BSE लिमिटेड ने साल 2017 में अपना आईपीओ लाया था जिसका इश्यू प्राइस था 806 रुपये। उस समय एक शेयर पर निवेश किया गया पैसा अब नौ शेयरों में बदल चुका है। मार्च 2022 में कंपनी ने हर एक शेयर पर दो बोनस शेयर दिए जिससे एक शेयर तीन बन गया। अब मई 2025 में फिर से दो बोनस शेयर दिए गए जिससे पहले के तीन शेयर अब नौ में बदल गए। यानी जिसने 2017 में एक शेयर लिया था उसके पास अब नौ शेयर हैं।

BSE Share ने रचा इतिहास, IPO में लगाया पैसा बना करोड़ों की पहली सीढ़ी

आईपीओ प्राइस से 27 गुना हुआ मुनाफा

बीएसई के एक शेयर की कीमत फिलहाल 2459 रुपये है। ऐसे में नौ शेयरों की कीमत हो गई है 22,131 रुपये। जब इसे 806 रुपये के आईपीओ प्राइस से तुलना करते हैं तो यह 27.45 गुना का रिटर्न बनता है। यानी एक लाख रुपये की निवेश राशि अब 27 लाख रुपये से भी ज्यादा हो गई है। इतना बड़ा मुनाफा किसी भी निवेशक के लिए सपने जैसा होता है और बीएसई ने यह सच कर दिखाया।

डिविडेंड और शेयर बायबैक से और फायदा

बीएसई ने न सिर्फ बोनस दिए बल्कि अपने शेयरधारकों को हर साल डिविडेंड भी दिया है। 14 मई 2025 को कंपनी ने 23 रुपये प्रति शेयर डिविडेंड देने की घोषणा की थी। इससे पहले 14 जून 2024 को 15 रुपये का डिविडेंड दिया गया था। इसके अलावा कंपनी ने जुलाई 2019 और सितंबर 2023 में शेयर बायबैक भी किए। इन सब वजहों से निवेशकों को लगातार फायदा मिला है।

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Petrol-Diesel Price: डीजल में 60 पैसे की गिरावट सिर्फ पटना में, बाकी राज्यों में क्यों स्थिरता?

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Petrol-Diesel Price: डीजल में 60 पैसे की गिरावट सिर्फ पटना में, बाकी राज्यों में क्यों स्थिरता?

Petrol-Diesel Price: कोलकाता में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में हल्की बढ़ोतरी हुई है। ऑयल मार्केटिंग कंपनियों द्वारा फ्यूल के बेसिक प्राइस को फिर से एडजस्ट करने के बाद यह बदलाव सामने आया है। अब कोलकाता में पेट्रोल की कीमत ₹105.41 प्रति लीटर हो गई है जबकि डीजल की कीमत ₹92.02 प्रति लीटर पहुंच गई है। एक प्रमुख ऑयल कंपनी के अधिकारी ने बताया कि पेट्रोल की कीमत में 40 पैसे प्रति लीटर की बढ़ोतरी की गई है जबकि डीजल की कीमत में 20 पैसे प्रति लीटर का इजाफा हुआ है। हालांकि इसके उलट बिहार की राजधानी पटना में डीजल के दाम में 60 पैसे प्रति लीटर की गिरावट दर्ज की गई है। वहीं अन्य पूर्वी राज्यों में ईंधन की कीमतें स्थिर बनी हुई हैं।

क्यों होता है ईंधन की कीमतों में बदलाव

ईंधन की कीमतें तय करने का आधार उसका बेसिक प्राइस होता है जिसे ऑयल मार्केटिंग कंपनियां समय-समय पर रिव्यू करती हैं। इसमें ऑपरेशनल खर्च और लॉजिस्टिक्स जैसे कई फैक्टरों को ध्यान में रखते हुए एडजस्टमेंट किया जाता है। इस बेसिक प्राइस में केंद्र और राज्य सरकारों के टैक्स जुड़ने के बाद रिटेल प्राइस बनता है जो आम उपभोक्ता को चुकाना पड़ता है। हाल ही में हुए इस मामूली बदलाव ने सीधे तौर पर पेट्रोल-डीजल की कीमतों को प्रभावित किया है। इन बदलावों का असर चाहे कम हो लेकिन जब हर लीटर पर कुछ पैसे बढ़ते हैं तो उसका असर लाखों लोगों की जेब पर पड़ता है।

Petrol-Diesel Price: डीजल में 60 पैसे की गिरावट सिर्फ पटना में, बाकी राज्यों में क्यों स्थिरता?

पटना में राहत, बाकी राज्यों में स्थिरता

जहां एक तरफ कोलकाता में पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़े हैं वहीं पटना के लोगों को थोड़ी राहत मिली है। वहां डीजल के दाम में 60 पैसे प्रति लीटर की गिरावट आई है। हालांकि पेट्रोल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं हुआ है। इसके अलावा झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल के अन्य हिस्सों और असम जैसे पूर्वी राज्यों में कीमतें जस की तस बनी हुई हैं। इससे साफ है कि कंपनियां केवल उन्हीं शहरों में दाम बदल रही हैं जहां लॉजिस्टिक्स या वितरण से जुड़ी लागत में बदलाव हुआ है।

अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के भाव स्थिर

अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें बीते कुछ समय से स्थिर बनी हुई हैं। इसी वजह से भारत में तेल कंपनियों को कीमतों में बड़ी बढ़ोतरी करने की ज़रूरत नहीं पड़ी। मंगलवार दोपहर को डब्ल्यूटीआई क्रूड ऑयल की कीमत $62.05 प्रति बैरल रही जिसमें 0.15 प्रतिशत या $0.11 की मामूली बढ़त देखी गई। वहीं ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमत $65.02 प्रति बैरल रही जिसमें 0.09 प्रतिशत या $0.06 की बढ़त हुई। इन स्थिर कीमतों से संकेत मिलता है कि अभी पेट्रोल-डीजल की दरों में बड़ा उछाल आने की संभावना कम है। हालांकि लोकल लेवल पर बेस प्राइस के रीएडजस्टमेंट से छोटे-मोटे उतार-चढ़ाव होते रहेंगे।

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