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A battle between friends-turned-foes is on the cards in Mirapur

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A battle between friends-turned-foes is on the cards in Mirapur
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव सोमवार (नवंबर 18, 2024) को मीरापुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव के लिए रोड शो के दौरान।

समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव सोमवार (नवंबर 18, 2024) को मीरापुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव के लिए रोड शो के दौरान। | फोटो साभार: पीटीआई

में उपचुनाव मुजफ्फरनगर की मीरापुर सीट राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) और समाजवादी पार्टी (सपा) के बीच प्रतिष्ठा की लड़ाई बनती जा रही है, जो लंबे समय से दोस्त थे, जो लोकसभा चुनाव से ठीक पहले दुश्मन बन गए जब भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार की घोषणा के बाद रालोद राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में शामिल हो गया। चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न.

रालोद विधायक चंदन चौहान के बिजनौर से लोकसभा के लिए चुने जाने के बाद यह चुनाव जरूरी हो गया था। रालोद ने जहां मिथलेश पाल को मैदान में उतारा है, वहीं सपा ने मुजफ्फरनगर के पूर्व सांसद कादिर राणा की बहू सुम्बुल राणा पर भरोसा जताया है।

राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना ​​है कि पूर्व सुश्री राणा को मैदान में उतारकर सपा भाजपा की पिच पर खेल खेल रही है। श्री राणा मुजफ्फरनगर दंगों के समय बहुजन समाज पार्टी के सांसद थे और इस मामले में आरोपी हैं। उन्हें ध्रुवीकरण करने वाले व्यक्ति के रूप में देखा जाता है, लेकिन विधानसभा और लोकसभा चुनावों में प्रभावशाली परिवार को चुनावी राजनीति से बाहर रखने के बाद एसपी थिंक टैंक उनके दावे को नजरअंदाज नहीं कर सका। मुज़फ़्फ़रनगर और बिजनौर में 35% से अधिक आबादी होने के बावजूद, एसपी-आरएलडी गठबंधन ने दो लोकसभा क्षेत्रों के अंतर्गत आने वाली 10 विधानसभा सीटों पर एक भी मुस्लिम उम्मीदवार को मैदान में नहीं उतारा।

मुसलमानों के एक वर्ग को लगा कि दंगों के बाद संजीव बालियान, संगीत सोम और सुरेश राणा की राजनीति तो फली-फूली, लेकिन जो लोग उनके लिए खड़े थे, उन्हें बाहर कर दिया गया। लगभग एक लाख मुस्लिम मतदाताओं के साथ, मीरापुर स्थिति का परीक्षण करने के लिए सही विकल्प प्रतीत होता है, लेकिन बहुजन समाज पार्टी, आज़ाद समाज पार्टी (कांशीराम) और एआईएमआईएम ने भी मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है और वह भी संख्यात्मक रूप से मजबूत झोजा समुदाय से, मुस्लिम वोटों का विभाजन निश्चित प्रतीत होता है.

एक मुस्लिम राजपूत, सुश्री सुम्बुल, ने हिंदू राजपूत वोट मांगे, लेकिन ऐसा लगता है कि श्री राणा के अतीत के कारण राजपूतों ने उपचुनाव के लिए भाजपा के साथ अपने झगड़े को ठंडे बस्ते में डाल दिया है।

आरएलडी के जाट और गुर्जर मतदाताओं ने शुरू में आरएलडी की पूर्व विधायक सुश्री पाल को उम्मीदवार के रूप में चुने जाने पर असंतोष दिखाया, क्योंकि उन्हें लगा कि इससे केवल बीजेपी का सबसे पिछड़ी जाति का वोट बैंक मजबूत होगा जो उससे दूर हो गया था। यह लोकसभा चुनाव के दौरान था. आरएलडी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “हालांकि, मुसलमानों के हमसे दूर जाने के कारण, हमें हिंदू वोटों को मजबूत करने की जरूरत है और हम इसे अपने मतदाताओं तक पहुंचाने में सक्षम हैं।”

जबकि आरएलडी के साथ गठजोड़ को केंद्र की पसंद के रूप में देखा जाता है और पार्टी नेतृत्व ने राज्य सरकार की उस नीति का खुले तौर पर विरोध किया है, जिसके तहत उपचुनावों के लिए रेस्तरां और भोजनालयों को अपने प्रतिष्ठानों पर अपने मालिकों और स्वामियों का नाम लिखना अनिवार्य है, आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी और ऐसा लगता है कि योगी आदित्यनाथ आम विपक्ष से मुकाबला करने के लिए शत्रु बन गए हैं। रैलियों में, श्री चौधरी और श्री आदित्यनाथ दोनों ने समान तर्ज पर सपा की पीडीए पिच पर हमला किया।

भारतीय किसान यूनियन के एक नेता ने कहा कि हरियाणा के विपरीत, जहां जाटों ने भाजपा के साथ गठबंधन करने के लिए दुष्यंत चौटाला को नजरअंदाज कर दिया था, ज्यादातर जाट किसान पश्चिम यूपी में माउंट चौधरी के पीछे हैं और भाजपा ने वास्तविकता को स्वीकार कर लिया है। उन्होंने कहा कि यह उन छोटी अवधियों में से एक थी जब किसानों ने यह देखने के लिए अपने ट्रैक्टर और लट्ठे (होल्ड पर) रख दिए थे कि उनके नेता कैसे उनके हितों की रक्षा करते हैं और उन्हें बढ़ावा देते हैं। “एक समय था जब सार्वजनिक सभाओं में जयंत को गदा भेंट की जाती थी। अब उन्हें फूल चढ़ाए जा रहे हैं।” उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि किसानों की समस्याएं हल हो गई हैं, लेकिन फिलहाल वह मुजफ्फरनगर दंगों की दर्दनाक यादों को खरीदने के लिए तैयार दिख रहे हैं, जिसे सत्तारूढ़ दल एक नए नारे के साथ बड़ी समस्या के रूप में बेच रहा है।

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Holi Festival 2025: पुलिस ने जारी की होली गाइडलाइन्स, रंग लगाने पर लगाई पाबंदी!

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Holi Festival 2025: पुलिस ने जारी की होली गाइडलाइन्स, रंग लगाने पर लगाई पाबंदी!

Holi Festival 2025: होली का त्यौहार पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन इस वर्ष सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए हैदराबाद और साइबराबाद पुलिस ने होली के दौरान कुछ महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इन दिशा-निर्देशों का उद्देश्य शहरों में शांति व्यवस्था बनाए रखना और जनता को असुविधा से बचाना है। पुलिस का कहना है कि इस साल होली के दौरान खास सावधानियां बरतनी होंगी, ताकि किसी तरह की अप्रिय घटना से बचा जा सके।

हैदराबाद और साइबराबाद में रंग डालने पर रोक:

हैदराबाद और साइबराबाद पुलिस ने एक नोटिफिकेशन जारी कर बताया कि होली के दौरान किसी भी व्यक्ति पर जबरन रंग डालने पर प्रतिबंध रहेगा। इसके तहत, बिना किसी की इच्छा के किसी पर रंग डालना या सड़कों और सार्वजनिक स्थानों पर रंगी हुई पानी की बौछार करना मना होगा।

पुलिस ने यह आदेश भी जारी किया कि सड़क और सार्वजनिक स्थानों पर दो पहिया वाहनों और अन्य वाहनों के समूह में चलने पर भी रोक लगाई गई है। इस कदम का उद्देश्य शांति और व्यवस्था बनाए रखना है, ताकि किसी भी प्रकार की दुर्घटनाएं या हिंसा न हो और लोग होली का पर्व सुरक्षित तरीके से मना सकें।

निर्देशों का समय:

हैदराबाद में यह आदेश 13 मार्च को शाम 6 बजे से लेकर 15 मार्च को सुबह 6 बजे तक लागू रहेगा, जबकि साइबराबाद में यह 14 मार्च को सुबह 6 बजे से लेकर 15 मार्च को सुबह 6 बजे तक प्रभावी रहेगा। इस अवधि में पुलिस सभी जगहों पर पैट्रोलिंग करेगी और अगर कोई इन नियमों का उल्लंघन करता हुआ पाया जाएगा तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

इंदौर में सुरक्षा के कड़े इंतजाम:

वहीं, मध्य प्रदेश के इंदौर में भी होली को लेकर सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। पुलिस और रैपिड एक्शन फोर्स (RAF) ने इस अवसर पर मखौ शहर में फ्लैग मार्च निकाला है। स्थानीय प्रशासन ने नागरिकों से अपील की है कि वे सुरक्षा दिशा-निर्देशों का पालन करें और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना पुलिस को दें।

इंदौर पुलिस ने कहा है कि होली के दौरान कोई भी सार्वजनिक स्थल पर कानून और व्यवस्था को बिगाड़ने की कोशिश करेगा, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। पुलिस और सुरक्षा बलों की भारी तैनाती के कारण इस बार इंदौर में होली के त्योहार के दौरान शांति बनी रहेगी।

नोएडा में फ्लैग मार्च:

नोएडा पुलिस ने भी होली के दौरान सुरक्षा व्यवस्था को लेकर विशेष कदम उठाए हैं। बुधवार को पुलिस ने फ्लैग मार्च निकाला, ताकि शहर में शांति व्यवस्था बनाए रखी जा सके। नोएडा के पुलिस उपायुक्त राम बदन सिंह ने कहा कि सुरक्षा को लेकर पूरी तैयारी की गई है और यदि कोई अव्यवस्था पैदा करने की कोशिश करेगा तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि होली के त्योहार पर पुलिस प्रशासन ने पर्याप्त बल तैनात किए हैं ताकि कोई भी असमाजिक तत्व इस अवसर का फायदा न उठा सके।

होलिका दहन की तैयारियां:

होलिका दहन, जो कि होली का अहम हिस्सा है, आज पूरे देश में मनाया जाएगा। यह आयोजन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। हिन्दू परिवारों में इस दिन विशेष पूजा की जाती है, जिसमें लोग लकड़ी की ढेर पर सफेद धागा बांधते हैं और इसके बाद उसमें कुमकुम, पानी और फूल चढ़ाकर पूजा करते हैं। इसके बाद, होलिका दहन किया जाता है।

होलिका दहन के बाद, अगले दिन यानी 15 मार्च को लोग रंगों से खेलते हैं, एक-दूसरे को गले लगाकर होली की शुभकामनाएं देते हैं और रंगों में रंग जाते हैं। यह दिन खुशियों और प्यार का प्रतीक होता है, जहां लोग अपने पुराने विवादों को भुलाकर एक-दूसरे से प्रेम और भाईचारे के संदेश को फैलाते हैं।

होली के दौरान सुरक्षा और शांति बनाए रखना:

होली के त्योहार के दौरान सुरक्षा व्यवस्था का सबसे बड़ा उद्देश्य शांति बनाए रखना है। यह दिन जहां एक तरफ खुशियों का होता है, वहीं दूसरी तरफ यह दिन दुर्घटनाओं का भी होता है, खासकर सड़कों पर। इसलिए पुलिस प्रशासन ने इस बार विशेष सुरक्षा इंतजाम किए हैं, ताकि किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना से बचा जा सके।

पुलिस अधिकारियों का कहना है कि अगर कोई व्यक्ति रंग डालने या अन्य असामाजिक गतिविधियों में लिप्त पाया जाता है, तो उस पर तुरंत कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा, अगर किसी को भी असुविधा होती है या वह किसी के द्वारा जबरन रंग डाले जाने की शिकायत करता है, तो पुलिस उस पर कार्रवाई करेगी।

इस बार होली के त्योहार पर सुरक्षा को लेकर कड़े कदम उठाए गए हैं, और पुलिस प्रशासन पूरी तरह से तैयार है ताकि किसी भी प्रकार की घटना से बचा जा सके। हैदराबाद, साइबराबाद, नोएडा और इंदौर सहित कई अन्य शहरों में पुलिस ने अपनी तैनाती बढ़ा दी है और लोगों से अपील की है कि वे होली के दौरान सुरक्षा दिशा-निर्देशों का पालन करें।

यह समय है जब हम अपने पुराने विवादों को भूलकर एक-दूसरे के साथ प्यार और शांति से होली मनाएं। हम सभी को मिलकर इस पर्व को सुरक्षित और आनंदमयी बनाना है।

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पहली बार भारतीय प्रधानमंत्री Narendra Modi को मिला ‘The Grand Commander’ सम्मान, जानिए क्यों?

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पहली बार भारतीय प्रधानमंत्री Narendra Modi को मिला 'The Grand Commander' सम्मान, जानिए क्यों?

मॉरीशस के प्रधानमंत्री नविनचंद्र रामगुलाम ने मंगलवार को घोषणा की कि प्रधानमंत्री Narendra Modi को देश के सर्वोच्च सम्मान से नवाजा जाएगा। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी को ‘The Grand Commander of the Order of Star and Key of Indian Ocean’ से सम्मानित किया जाएगा। यह विशेष सम्मान पीएम मोदी को भारत और मॉरीशस के बीच संबंधों को मजबूत करने में उनके योगदान के लिए दिया जा रहा है। रामगुलाम ने यह भी कहा कि मोदी अब इस सम्मान से नवाजे जाने वाले पांचवे विदेशी नागरिक हैं और वह पहले भारतीय हैं जिन्हें यह सम्मान प्राप्त हो रहा है।

यह सम्मान पीएम मोदी को उनके मॉरीशस दौरे के दौरान दिया गया। प्रधानमंत्री मोदी वर्तमान में दो दिवसीय दौरे पर मॉरीशस में हैं और इस सम्मान की घोषणा उस समय की गई जब उन्होंने एक समुदाय कार्यक्रम को संबोधित किया। पीएम मोदी ने इस सम्मान के लिए मॉरीशस के लोगों का आभार व्यक्त किया और इसे दोनों देशों के बीच मजबूत दोस्ती का प्रतीक बताया।

पीएम मोदी को 21वीं अंतरराष्ट्रीय सम्मान

प्रधानमंत्री मोदी को यह सम्मान उनकी विदेश नीति और अंतरराष्ट्रीय संबंधों में दी गई सफलताओं के लिए दिया गया है। यह पीएम मोदी का 21वां अंतरराष्ट्रीय सम्मान है, जिसे किसी अन्य देश द्वारा दिया गया है। पीएम मोदी को पहले भी विभिन्न देशों ने उनके नेतृत्व के लिए उच्चतम राष्ट्रीय सम्मान से नवाजा है। इसके साथ ही पीएम मोदी को दुनिया भर में सबसे लोकप्रिय नेताओं में से एक माना जाता है।

अन्य देशों द्वारा सम्मानित प्रधानमंत्री मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कई देशों ने उनके नेतृत्व और योगदान के लिए सम्मानित किया है। 2014 से लेकर अब तक 21 देशों ने उन्हें अपने सर्वोच्च राष्ट्रीय पुरस्कारों से नवाजा है। इनमें संयुक्त राष्ट्र द्वारा दिया गया ‘Champions of the Earth’ अवार्ड भी शामिल है, जो पर्यावरण के क्षेत्र में उनके नेतृत्व को मान्यता देता है।

पहली बार भारतीय प्रधानमंत्री को मिला 'The Grand Commander' सम्मान, जानिए क्यों?

इसके अलावा, पीएम मोदी को 2016 में अफगानिस्तान द्वारा ‘State Order of Ghazi Amir Amanullah Khan’, 2018 में फिलिस्तीन द्वारा ‘Grand Collar of the State of Palestine’, 2019 में संयुक्त अरब अमीरात द्वारा ‘Order of Zayed’, रूस द्वारा ‘Order of St. Andrew’ और मालदीव द्वारा ‘Order of the Distinguished Rule of Izzuddin’ जैसे सम्मान प्राप्त हुए हैं।

सिर्फ इतना ही नहीं, पीएम मोदी को 2019 में बहरीन द्वारा ‘King Hamad Order of the Renaissance’, 2020 में अमेरिका द्वारा ‘Legion of Merit’, 2021 में भूटान द्वारा ‘Order of the Dragon King’ और 2021 में फिजी और पापुआ न्यू गिनी द्वारा ‘Order of Fiji’ और ‘Order of Logohu’ से भी सम्मानित किया गया है।

पीएम मोदी की लोकप्रियता और अंतरराष्ट्रीय साख

प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता केवल भारत में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में बढ़ी है। उनका नेतृत्व विश्व स्तर पर सराहा गया है और विभिन्न देशों ने उनके काम और नेतृत्व के लिए उन्हें सम्मानित किया है। पीएम मोदी ने न केवल अपने देश में बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी भारत का सम्मान बढ़ाया है। उनकी कूटनीति और नेतृत्व ने भारत को एक मजबूत वैश्विक शक्ति के रूप में स्थापित किया है।

‘The Grand Commander of the Order of Star and Key of Indian Ocean’ का महत्व

मॉरीशस द्वारा दिया गया ‘The Grand Commander of the Order of Star and Key of Indian Ocean’ सम्मान एक ऐतिहासिक घटना है, क्योंकि यह पहली बार किसी भारतीय प्रधानमंत्री को इस सम्मान से नवाजा जा रहा है। यह सम्मान न केवल पीएम मोदी के नेतृत्व के लिए, बल्कि भारत और मॉरीशस के बीच संबंधों को मजबूत करने के लिए भी है। भारत और मॉरीशस के बीच गहरे ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और सामरिक संबंध हैं और पीएम मोदी के नेतृत्व में इन संबंधों को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया गया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मॉरीशस द्वारा ‘The Grand Commander of the Order of Star and Key of Indian Ocean’ से सम्मानित करना एक महत्वपूर्ण कदम है जो भारत और मॉरीशस के बीच दोस्ती और सहयोग को और मजबूत करेगा। पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत ने न केवल वैश्विक स्तर पर अपनी उपस्थिति को मजबूत किया है, बल्कि देशों के बीच मजबूत और सार्थक संबंध स्थापित किए हैं। यह सम्मान पीएम मोदी की अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक सफलता और उनकी नेतृत्व क्षमता को मान्यता देने का प्रतीक है।

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Odisha rail accident: ओडिशा रेलवे मार्ग पर एंबुलेंस से टकराई मालगाड़ी, लोको पायलट की सतर्कता से टला हादसा

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Odisha rail accident: ओडिशा रेलवे मार्ग पर एंबुलेंस से टकराई मालगाड़ी, लोको पायलट की सतर्कता से टला हादसा

Odisha rail accident: ओडिशा के रायगढ़ा-मलकानगिरी-कोरापुट रेलवे मार्ग पर सोमवार को एक बड़ा हादसा टल गया। जानकारी के अनुसार, एक मालगाड़ी ने सिकरपाई और भालूमस्का स्टेशनों के बीच एक एंबुलेंस को टक्कर मार दी। हालांकि, इस हादसे के बावजूद ट्रेन नहीं रुकी और एंबुलेंस को लगभग 100 मीटर तक घसीटते हुए ले गई। राहत की बात यह रही कि इस हादसे में कोई भी व्यक्ति घायल नहीं हुआ।

एंबुलेंस में 8 मरीज थे:

बताया जा रहा है कि एंबुलेंस में आठ मरीज सवार थे, जो आंखों के ऑपरेशन के लिए जा रहे थे। एंबुलेंस का चालक और मरीजों के साथ एक आशा कार्यकर्ता भी मौजूद था। इन मरीजों का इलाज एक निजी आंखों के अस्पताल में होना था और वे सभी सिकरपाई पंचायत के विभिन्न गांवों जैसे कनीपाई, कंजाम जोड़ी, झाकुडू, बेटालंग और चक्रकलांग से आए थे।

अचानक एंबुलेंस रेलवे ट्रैक पर फंस गई और इसी दौरान मालगाड़ी ने उसे टक्कर मार दी। हालांकि, एंबुलेंस के चालक और मरीजों ने तत्परता दिखाई और सभी लोग सुरक्षित बाहर निकलने में सफल रहे, जिससे कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ।

Odisha rail accident: ओडिशा रेलवे मार्ग पर एंबुलेंस से टकराई मालगाड़ी, लोको पायलट की सतर्कता से टला हादसा

लोको पायलट की तत्परता से टला बड़ा हादसा:

दुर्घटना के बाद, चालक ने ट्रेन को तुरंत इमरजेंसी ब्रेक लगाकर रोका, जिससे बड़ी दुर्घटना टल गई। यदि ट्रेन समय पर नहीं रुकती तो न केवल एंबुलेंस में सवार लोग बल्कि ट्रेन के यात्री भी गंभीर रूप से प्रभावित हो सकते थे। यह सब हो सका लोको पायलट की सतर्कता के कारण।

रेलवे की सफाई:

इस घटना पर पूर्वी तटीय रेलवे ने अपनी सफाई दी है। रेलवे ने कहा कि यह बड़ी दुर्घटना लोको पायलट की सतर्कता के कारण टल गई। रेलवे ने यह भी स्पष्ट किया कि इस स्थान पर 3 नवम्बर 2024 को सुरक्षा उपाय के तहत एक बाड़ लगाई गई थी, लेकिन गांववालों ने अवैध रूप से इस बाड़ को हटा दिया था, जिसके कारण यह हादसा हुआ। रेलवे ने इसे एक अवैध अतिक्रमण की घटना करार दिया है।

रेलवे ने इस गंभीर उल्लंघन पर मामला दर्ज किया है और अतिक्रमण करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की बात की है।

इस हादसे में बड़ी राहत की बात यह है कि कोई भी व्यक्ति घायल नहीं हुआ और यह सब रेलवे के अधिकारियों और लोको पायलट की सतर्कता के कारण संभव हो सका। रेलवे प्रशासन ने इसे गंभीरता से लिया है और भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिए और सख्त कदम उठाने का आश्वासन दिया है। साथ ही, इस घटना ने यह भी साबित किया कि अगर प्रशासन और नागरिक अपनी जिम्मेदारियों का सही से पालन करें तो बड़े हादसों को टाला जा सकता है।

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