कांग्रेस सांसद Rahul Gandhi ने एक बार फिर केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला बोला है। इस बार उनका निशाना अमेरिका के साथ हो रही व्यापारिक डील पर है। उन्होंने केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल के हालिया बयान पर टिप्पणी करते हुए मोदी सरकार की नीति पर सवाल खड़े किए हैं। राहुल गांधी का कहना है कि केंद्र सरकार अमेरिका के दबाव में व्यापार समझौता करेगी और डेडलाइन के सामने झुक जाएगी।
क्या है पीयूष गोयल का बयान, जिस पर हुआ विवाद?
वास्तव में पीयूष गोयल ने कहा था कि अमेरिका के साथ व्यापार समझौते को लेकर बातचीत जारी है लेकिन भारत किसी भी डेडलाइन के दबाव में नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि देशहित किसी भी समयसीमा से ऊपर है और जब तक भारत के हित पूरी तरह से सुरक्षित नहीं होंगे तब तक कोई समझौता नहीं किया जाएगा। कृषि और ऑटोमोबाइल जैसे मुद्दे अब तक सुलझे नहीं हैं, इसलिए कोई जल्दबाज़ी नहीं की जाएगी।
राहुल गांधी का पलटवार – ‘मोदी-ट्रंप झुकेंगे डेडलाइन के आगे’
राहुल गांधी ने पीयूष गोयल के बयान पर कटाक्ष करते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा कि “गोयल चाहे जितना सीना ठोक लें, लेकिन याद रखना – मोदी और ट्रंप डेडलाइन के आगे झुकेंगे।” राहुल गांधी का दावा है कि सरकार दबाव में आकर अमेरिका से व्यापार समझौता करेगी, जिससे भारत के आर्थिक और घरेलू हितों को नुकसान पहुंच सकता है। उनका आरोप है कि यह सरकार अमेरिकी नीतियों के सामने मजबूर है।

टैरिफ डेडलाइन खत्म होने को है, बढ़ी हलचल
दरअसल, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कुछ समय पहले 100 से ज्यादा देशों पर जवाबी शुल्क (retaliatory tariffs) लगाए थे, जिसमें भारत पर 26% का शुल्क भी शामिल था। हालांकि बाद में अमेरिका ने इस पर 90 दिनों की अस्थायी रोक लगा दी थी। यह रोक अब 9 जुलाई को खत्म हो रही है, और इसी के चलते भारत और अमेरिका के बीच व्यापार वार्ता ने रफ्तार पकड़ी है। दोनों देशों के बीच इस टैरिफ मुद्दे को लेकर समझौते की कोशिशें तेज हो गई हैं।
क्या भारत करेगा समझौता या डटेगा अपने हितों पर?
पीयूष गोयल ने साफ किया है कि भारत किसी भी डील को तब तक स्वीकार नहीं करेगा जब तक वह देश के आर्थिक हितों को पूरी तरह सुरक्षित नहीं करता। सरकार का रुख फिलहाल सख्त दिखाई दे रहा है, लेकिन विपक्ष का आरोप है कि अमेरिका के दबाव में जल्दबाजी में फैसला लिया जा सकता है। अब देखना यह होगा कि 9 जुलाई से पहले क्या कोई ठोस समझौता होता है या नहीं।