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Tata Technologies का अमेरिका में निवेश टल सकता है, CEO Warren Harris ने बताई वजह

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Tata Technologies का अमेरिका में निवेश टल सकता है, CEO Warren Harris ने बताई वजह

टाटा टेक्नोलॉजीज (Tata Technologies) के अमेरिका में निवेश करने के फैसले में देरी हो सकती है। कंपनी के सीईओ और एमडी वॉरेन हैरिस (Warren Harris) ने कहा कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) की टैरिफ नीति (Tariff Policies) को लेकर अब भी अनिश्चितता बनी हुई है, जिससे निवेश का निर्णय प्रभावित हो सकता है। हालांकि, इस प्रमुख वैश्विक उत्पाद इंजीनियरिंग और डिजिटल सेवाओं की कंपनी को उम्मीद है कि अगले एक से दो महीनों में नीति को लेकर स्थिति स्पष्ट हो जाएगी।

हैरिस ने समाचार एजेंसी PTI-भाषा से बातचीत में कहा,
“हम मध्यम और दीर्घकालिक दृष्टि से उत्तरी अमेरिका (North America) को लेकर काफी आशावादी हैं। लेकिन टैरिफ जैसी चीजों को लेकर स्पष्टता की कमी हमारे ग्राहकों के लिए मददगार नहीं है। और जब हमारे ग्राहकों के लिए यह अनुकूल नहीं होता, तो हमारे निवेश के निर्णय में भी देरी होने की संभावना होती है।”

ट्रम्प प्रशासन की नीति पर टिकी है निवेश की योजना

वॉरेन हैरिस से जब अमेरिका में ट्रंप प्रशासन द्वारा विभिन्न देशों पर लगाए गए टैरिफ के प्रभावों पर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा,
“ट्रम्प प्रशासन को सत्ता में आए अभी दो महीने भी पूरे नहीं हुए हैं, इसलिए मुझे लगता है कि अगले एक या दो महीने में नीति को लेकर स्पष्टता आ जाएगी। चाहे हमें टैरिफ पसंद आए या नहीं, सबसे महत्वपूर्ण चीज स्पष्टता है। जब हमारे ग्राहकों को चीजों की स्पष्टता मिल जाएगी, तो वे उसी के अनुसार उचित समायोजन कर पाएंगे।”

Tata Technologies का अमेरिका में निवेश टल सकता है, CEO Warren Harris ने बताई वजह

बदलते बाजार को लेकर सतर्क है टाटा टेक्नोलॉजीज

क्या टाटा टेक्नोलॉजीज किसी भी स्थिति के लिए तैयार है? इस सवाल पर वॉरेन हैरिस ने जवाब दिया,
“बिल्कुल, हम हमेशा बाजार की परिस्थितियों पर नजर रखते हैं। पिछले 12 महीनों ने हमें सिखाया है कि हमें सतर्क और लचीला रहना होगा।”

उन्होंने जोर देकर कहा कि टाटा टेक्नोलॉजीज टैरिफ जैसी नीतियों का समर्थन नहीं करती है।
“हम एक वैश्विक कंपनी हैं और इसलिए जो भी चीजें मुक्त व्यापार (Free Trade) को बढ़ावा देती हैं, हम पूरी तरह से उसके साथ हैं।”

यूरोप, अमेरिका और चीन की अलग-अलग चुनौतियां

हैरिस ने आगे कहा,
“हमने सीखा है कि दुनिया के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग बाजार परिस्थितियों से कैसे निपटा जाए। यूरोप (Europe) की स्थितियां उत्तरी अमेरिका (North America) से बहुत अलग हैं। चीन (China) में जो हो रहा है, वह भारत (India) की परिस्थितियों से पूरी तरह भिन्न है।”

टाटा टेक्नोलॉजीज एक ग्लोबल कंपनी के रूप में विभिन्न बाज़ारों की अलग-अलग चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार है। हैरिस ने कहा कि कंपनी अपनी रणनीतियों को लचीला (Agile & Flexible) रखकर दुनिया भर के बाजारों में मजबूती से आगे बढ़ने के लिए प्रतिबद्ध है।

क्या होगा अमेरिका में टाटा टेक्नोलॉजीज के निवेश का भविष्य?

फिलहाल, टाटा टेक्नोलॉजीज की अमेरिकी निवेश योजना डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन की नीतियों पर निर्भर है। अगर आने वाले महीनों में टैरिफ नीति को लेकर स्पष्टता मिलती है, तो कंपनी अमेरिका में अपने निवेश संबंधी निर्णय को आगे बढ़ा सकती है।

अब देखना होगा कि आने वाले समय में अमेरिका की व्यापार नीतियां किस दिशा में जाती हैं और इसका टाटा टेक्नोलॉजीज सहित अन्य वैश्विक कंपनियों पर क्या असर पड़ता है।

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GST Notice: UPI लेनदेन पर जीएसटी नोटिस का विवाद! व्यापारियों में गुस्सा और हड़ताल का ऐलान

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GST Notice: UPI लेनदेन पर जीएसटी नोटिस का विवाद! व्यापारियों में गुस्सा और हड़ताल का ऐलान

GST Notice: कर्नाटक के व्यापारियों को हाल ही में बड़ी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि सरकार ने करीब 6000 व्यापारियों को जीएसटी नोटिस भेज दिए हैं। ये नोटिस उनके यूपीआई लेनदेन के आधार पर जारी किए गए हैं। व्यापारी संगठनों का कहना है कि डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा देने के बावजूद अब उसी पर टैक्स नोटिस देना नाइंसाफी है। इस मुद्दे को लेकर व्यापारियों में भारी नाराजगी देखी जा रही है।

विभाग का जवाब: नियमों के तहत है कार्रवाई

वाणिज्यिक कर विभाग की संयुक्त आयुक्त मीरा सुरेश पंडित ने इस कदम को पूरी तरह कानून के दायरे में बताया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह नोटिस अंतिम टैक्स डिमांड नहीं हैं। व्यापारियों को अपना जवाब देने का पूरा मौका मिलेगा। अगर व्यापारी यह साबित कर दें कि उनका व्यापार पूरी तरह जीएसटी छूट के दायरे में है तो नोटिस वापस ले लिया जाएगा।

25 जुलाई को हड़ताल और यूपीआई बहिष्कार का ऐलान

कर्नाटक के व्यापारियों ने सरकार की इस कार्रवाई के विरोध में 25 जुलाई को हड़ताल का ऐलान कर दिया है। साथ ही उन्होंने यूपीआई लेनदेन से दूरी बनाने की भी बात कही है। व्यापारियों का कहना है कि वे अब कैश लेनदेन को प्राथमिकता देंगे क्योंकि डिजिटल लेनदेन पर टैक्स नोटिस मिलना व्यापारियों के लिए डर का कारण बन रहा है।

जीएसटी पंजीकरण की कानूनी शर्तें क्या हैं?

विभाग का कहना है कि साल भर में अगर कोई व्यापारी सेवा क्षेत्र में 20 लाख और वस्तु क्षेत्र में 40 लाख रुपये से ज्यादा का कारोबार करता है तो उसे जीएसटी के तहत पंजीकरण कराना जरूरी है। पंजीकरण के बाद ही व्यापारी ग्राहकों से टैक्स वसूल सकता है और उसे सरकार को जमा करना होता है। अगर कोई बिना पंजीकरण के कारोबार करता है और टैक्स वसूल कर सरकार को नहीं देता तो उस पर कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।

व्यापारी बोले- डिजिटल को प्रोत्साहन मिले, दंड नहीं

व्यापारी संगठनों का कहना है कि सरकार ने देशभर में डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चलाईं। अब जब व्यापारी यूपीआई का इस्तेमाल कर रहे हैं तो उन्हें ही दंडित किया जा रहा है। वे मानते हैं कि सरकार को पहले स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी करने चाहिए थे ताकि व्यापारी जान सकें कि किन लेनदेन पर जीएसटी लागू होगा और कहां छूट मिलेगी।

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National Highway: मेवात की सड़क से खुलेगा विकास का दरवाज़ा, दो साल में बनकर तैयार होगा 45 किमी लंबा हाईवे

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National Highway: मेवात की सड़क से खुलेगा विकास का दरवाज़ा, दो साल में बनकर तैयार होगा 45 किमी लंबा हाईवे

National Highway: सरकार देश के बुनियादी ढांचे को मजबूत कर विकास की गति को तेज करने में जुटी हुई है। इसी कड़ी में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने नूंह से फिरोज़पुर झिरका होते हुए राजस्थान सीमा तक 45 किलोमीटर लंबे फोर-लेन नेशनल हाईवे के निर्माण के लिए ₹325 करोड़ का टेंडर जारी किया है। यह सड़क नेशनल हाईवे-248A का हिस्सा होगी जो मेवात और आसपास के इलाकों को राजस्थान से जोड़ेगी।

फ्लाईओवर और अंडरपास से मिलेगा आराम

इस नए नेशनल हाईवे पर कुल 9 फ्लाईओवर और 6 अंडरपास बनाए जाएंगे। साथ ही नूंह के मालब और भादस गांवों में बाईपास की भी योजना है जिससे ट्रैफिक दबाव कम होगा और स्थानीय लोगों को सुविधा मिलेगी। सड़क को आधुनिक तकनीक से तैयार किया जाएगा ताकि भारी वाहनों और लंबी दूरी के यात्रियों को भी दिक्कत न हो।

National Highway: मेवात की सड़क से खुलेगा विकास का दरवाज़ा, दो साल में बनकर तैयार होगा 45 किमी लंबा हाईवे

दो साल में पूरा होगा काम

सरकार ने इस प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए 24 महीने यानी दो साल की समयसीमा तय की है। ₹325 करोड़ की इस योजना में ₹310.44 करोड़ निर्माण कार्य के लिए और ₹40,000 टेंडर फीस के रूप में शामिल हैं। इसके साथ ही इस सड़क की देखरेख और रखरखाव की जिम्मेदारी भी 60 महीने यानी पांच साल के लिए तय की गई है।

आर्थिक विकास को मिलेगा बढ़ावा

इस नेशनल हाईवे के बनने से मेवात क्षेत्र में आर्थिक गतिविधियों को नई रफ्तार मिलेगी। बेहतर कनेक्टिविटी से न सिर्फ खेती और व्यापार को बढ़ावा मिलेगा बल्कि पर्यटन और उद्योगों के लिए भी यह इलाका और अधिक आकर्षक बन जाएगा। इससे निवेशकों की रुचि बढ़ेगी और स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे।

करीब 50 गांवों को होगा सीधा लाभ

इस हाईवे से नूंह और आसपास के लगभग 50 गांवों को सीधा लाभ मिलेगा। गांवों के लोगों को शहरों से बेहतर जुड़ाव मिलेगा जिससे स्वास्थ्य सेवाओं, शिक्षा और व्यापार में सुविधा होगी। सड़क बनने के बाद राजस्थान की ओर जाने वाले यात्रियों का समय बचेगा और ट्रैफिक भी सुगम होगा।

 

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India and UK Free Trade Agreement: FTA के जरिए ब्रिटेन से सीधे जुड़ेगा भारत, क्या यूरोप में बनेगा नया इंडियन हब?

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India and UK Free Trade Agreement: FTA के जरिए ब्रिटेन से सीधे जुड़ेगा भारत, क्या यूरोप में बनेगा नया इंडियन हब?

India and UK Free Trade Agreement: भारत और ब्रिटेन के बीच हुआ यह मुक्त व्यापार समझौता भारत के लिए एक बहुत बड़ा आर्थिक अवसर बन सकता है। इसमें भारत को ब्रिटेन के बाजार में 99 प्रतिशत सामान पर ड्यूटी-फ्री एक्सेस मिलेगा। इससे भारत की कंपनियों को यूरोप तक पहुंच आसान हो जाएगी और उनका लागत खर्च भी कम होगा।

ग्लोबल कंपनियों के लिए भारत बनेगा नई पसंद

‘चाइना + वन स्ट्रेटेजी’ के तहत अब कई बहुराष्ट्रीय कंपनियां चीन के अलावा दूसरे देशों में सप्लाई चेन सेट कर रही हैं। ऐसे में भारत एक भरोसेमंद और सस्ता विकल्प बनकर उभर रहा है। इस समझौते के बाद भारत को विदेशी कंपनियों से निवेश मिलने की संभावना काफी बढ़ जाएगी जो देश की अर्थव्यवस्था के लिए फायदेमंद होगा।

India and UK Free Trade Agreement: FTA के जरिए ब्रिटेन से सीधे जुड़ेगा भारत, क्या यूरोप में बनेगा नया इंडियन हब?

टेक्सटाइल और फार्मा सेक्टर को मिलेगा बूस्ट

इस समझौते का सबसे ज्यादा फायदा उन सेक्टरों को होगा जो श्रम पर आधारित हैं जैसे कपड़ा उद्योग, रत्न और आभूषण, चमड़ा उद्योग, कृषि और समुद्री उत्पाद। इसके साथ ही इंजीनियरिंग सामान और फार्मा सेक्टर को भी नया जीवन मिलेगा। इससे देश में रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे जो युवाओं के लिए राहत की खबर है।

निवेश के लिए अलग करार पर भी काम जारी

पूर्व वाणिज्य सचिव राजीव खेर के अनुसार भारत और ब्रिटेन के बीच पहले से ही आर्थिक संबंध हैं लेकिन इस समझौते के बाद ये संबंध और मजबूत होंगे। इसके साथ एक अलग निवेश समझौता भी किया जा रहा है जिससे विदेशी निवेश को लेकर स्पष्टता आएगी और कंपनियों को भारत में निवेश करने में सुविधा होगी।

अभी बाकी है अंतिम शर्तों का इंतज़ार

हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि यह समझौता कई अवसर लेकर आएगा लेकिन इसकी असली तस्वीर तो अंतिम शर्तों के सामने आने के बाद ही साफ होगी। फिर भी इतना तय है कि यह एफटीए भारत को निवेश, रोजगार और विकास की नई दिशा दे सकता है।

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