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Tamil Nadu: हिंदू मुन्नानी का थिरुपुरनकुंद्रम  में विरोध, मदुरै प्रशासन ने लगाई निषेधाज्ञा

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Tamil Nadu: हिंदू मुन्नानी का थिरुपुरनकुंद्रम  में विरोध, मदुरै प्रशासन ने लगाई निषेधाज्ञा

Tamil Nadu: मदुरै जिले में एक ताजा विवाद ने धार्मिक तनाव को जन्म दिया है, जब कुछ मुस्लिम समूहों ने सिकंदर दरगाह पर जानवरों की कुर्बानी की अनुमति देने की मांग की। हिंदू मुन्नानी ने इस मांग के विरोध में विशाल प्रदर्शन की घोषणा की है। इसके बाद, मदुरै जिला प्रशासन ने कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के तहत निषेधाज्ञा (Section 144 CrPC) लागू कर दी है, ताकि कोई भी सार्वजनिक विरोध प्रदर्शन न हो सके।

मदुरै प्रशासन ने 2 दिन के लिए निषेधाज्ञा लागू की

मदुरै जिले के कलेक्टर एम. एस. संगीता ने 3 फरवरी को आदेश जारी करते हुए कहा कि 3 फरवरी की सुबह 6 बजे से लेकर 5 फरवरी की मध्यरात्रि तक, थिरुपुरनकुंद्रम  और जिले के अन्य हिस्सों में निषेधाज्ञा लागू रहेगी। इसका उद्देश्य होने वाले विरोध प्रदर्शन और जनसभा को रोकना था, जिसमें हिंदू मुन्नानी ने इस विवादित मुद्दे पर प्रदर्शन करने का ऐलान किया था।

थिरुपुरनकुंद्रम  विवाद: धर्म और परंपरा का टकराव

थिरुपुरनकुंद्रम  की पहाड़ी तमिलनाडु में भगवान मुरुगन के छह पवित्र स्थानों में से एक है। यहां भगवान सुब्रह्मण्या स्वामी का प्रसिद्ध मंदिर स्थित है, जहां लाखों श्रद्धालु पूजा-अर्चना करने आते हैं। हिंदू धर्म के अनुयायी इसे अत्यंत पवित्र स्थान मानते हैं और विश्वास करते हैं कि इस पहाड़ी पर एक भी बूँद रक्त की नहीं गिरनी चाहिए। इसी पवित्रता को बनाए रखने के लिए कुछ लोग जानवरों की कुर्बानी को मंदिर और आसपास के क्षेत्र में अस्वीकार करते हैं।

वहीं दूसरी ओर, मुस्लिम समुदाय का एक वर्ग थिरुपुरनकुंद्रम  की सिकंदर दरगाह को एक वक्फ संपत्ति मानता है, जहां इस प्रकार की धार्मिक प्रथाएँ जारी रखने का अधिकार उन्हें है। यह स्थिति उस समय और भी गंभीर हो गई जब नवाज कनी, भारतीय यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) के सांसद, ने इस मुद्दे पर सार्वजनिक बयान दिया। सांसद ने कहा कि दरगाह पर कोई भी नियम नहीं है जो पके हुए मांसाहारी भोजन के सेवन को रोकता हो। उन्होंने यह भी कहा कि थिरुपुरनकुंद्रम  में पके हुए मांसाहारी भोजन के सेवन पर कोई पुलिस प्रतिबंध नहीं है।

Tamil Nadu: हिंदू मुन्नानी का थिरुपुरनकुंद्रम  में विरोध, मदुरै प्रशासन ने लगाई निषेधाज्ञा

हिंदू मुन्नानी का विरोध प्रदर्शन

हिंदू मुन्नानी ने इस विवादित मुद्दे पर जोरदार विरोध प्रदर्शन की योजना बनाई थी, जिसमें उनके समर्थक थिरुपुरनकुंद्रम  में एक विशाल सभा आयोजित करने वाले थे। इस प्रदर्शन का मुख्य उद्देश्य हिंदू धर्म की पवित्रता की रक्षा करना और यह सुनिश्चित करना था कि थिरुपुरनकुंद्रम  की पहाड़ी पर किसी प्रकार की धार्मिक गतिविधियों का उल्लंघन न हो।

हालांकि, मदुरै प्रशासन ने इस प्रदर्शन को अनुमति नहीं दी और इसे रोकने के लिए पुलिस को कड़ी सुरक्षा व्यवस्था करने का निर्देश दिया। पुलिस ने पूरे इलाके को सील कर दिया है और प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी है।

सुरक्षा व्यवस्था और पुलिस बल की तैनाती

मदुरै प्रशासन ने इस मुद्दे की गंभीरता को देखते हुए थिरुपुरनकुंद्रम  में सुरक्षा व्यवस्था को और अधिक मजबूत किया है। पुलिस द्वारा 300 से अधिक सुरक्षा कर्मियों की तैनाती की गई है, और यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि कानून-व्यवस्था बनाए रखी जाए। थिरुपुरनकुंद्रम  में किसी भी प्रकार के धार्मिक या राजनीतिक विरोध प्रदर्शन को रोकने के लिए सुरक्षा कड़ी की गई है।

पुलिस ने यह भी सुनिश्चित किया है कि प्रदर्शनकारियों द्वारा मंदिर और दरगाह के आसपास कोई भी विरोध प्रदर्शन न हो। खासतौर पर, मंदिर के पास स्थित स्थानों को सुरक्षित किया गया है और पुलिस द्वारा यह कहा गया है कि किसी भी प्रकार के धार्मिक उल्लंघन की अनुमति नहीं दी जाएगी।

विवाद की जड़ और राजनीति

इस विवाद का राजनीतिक और धार्मिक दृष्टिकोण से बहुत महत्व है। थिरुपुरनकुंद्रम  के बारे में जारी इस विवाद ने न केवल स्थानीय समुदायों को बल्कि राज्य सरकार और पुलिस विभाग को भी परेशानी में डाल दिया है। यह मामला स्पष्ट रूप से हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच धार्मिक अधिकारों की सीमा पर खड़ा है।

हिंदू मुन्नानी और कुछ अन्य हिंदू संगठनों का तर्क है कि थिरुपुरनकुंद्रम  की पहाड़ी की धार्मिक पवित्रता को बचाना आवश्यक है, जबकि मुस्लिम समुदाय के कुछ सदस्य इसे अपनी धार्मिक स्वतंत्रता का हिस्सा मानते हैं।

हालांकि, यह मामला केवल धार्मिक ही नहीं है, बल्कि इसमें राजनीति भी घुसी हुई है। कांग्रेस पार्टी और भारतीय यूनियन मुस्लिम लीग ने इस मुद्दे पर अपनी आवाज उठाई है, जबकि भाजपा और हिंदू संगठनों ने इसे अपने धर्म और संस्कृति की रक्षा के रूप में देखा है।

मदुरै जिले में थिरुपुरनकुंद्रम  को लेकर जो विवाद उत्पन्न हुआ है, वह भारतीय समाज में धर्म, परंपरा और धार्मिक स्वतंत्रता के बीच संघर्ष का प्रतीक बन गया है। जहां एक ओर हिंदू संगठनों का तर्क है कि पहाड़ी की पवित्रता की रक्षा करना आवश्यक है, वहीं दूसरी ओर मुस्लिम समुदाय इसे अपनी धार्मिक स्वतंत्रता का हिस्सा मानते हुए आपत्ति जताता है।

मदुरै प्रशासन ने इस मुद्दे की गंभीरता को समझते हुए सुरक्षा इंतजाम किए हैं और किसी भी तरह के विरोध प्रदर्शन को रोकने के लिए कड़ी कार्रवाई का वादा किया है। यह देखा जाएगा कि आने वाले दिनों में इस विवाद का समाधान कैसे निकलता है और क्या धार्मिक सहिष्णुता के तहत दोनों समुदायों के बीच एक समझौता हो पाता है।

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पहली बार भारतीय प्रधानमंत्री Narendra Modi को मिला ‘The Grand Commander’ सम्मान, जानिए क्यों?

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पहली बार भारतीय प्रधानमंत्री Narendra Modi को मिला 'The Grand Commander' सम्मान, जानिए क्यों?

मॉरीशस के प्रधानमंत्री नविनचंद्र रामगुलाम ने मंगलवार को घोषणा की कि प्रधानमंत्री Narendra Modi को देश के सर्वोच्च सम्मान से नवाजा जाएगा। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी को ‘The Grand Commander of the Order of Star and Key of Indian Ocean’ से सम्मानित किया जाएगा। यह विशेष सम्मान पीएम मोदी को भारत और मॉरीशस के बीच संबंधों को मजबूत करने में उनके योगदान के लिए दिया जा रहा है। रामगुलाम ने यह भी कहा कि मोदी अब इस सम्मान से नवाजे जाने वाले पांचवे विदेशी नागरिक हैं और वह पहले भारतीय हैं जिन्हें यह सम्मान प्राप्त हो रहा है।

यह सम्मान पीएम मोदी को उनके मॉरीशस दौरे के दौरान दिया गया। प्रधानमंत्री मोदी वर्तमान में दो दिवसीय दौरे पर मॉरीशस में हैं और इस सम्मान की घोषणा उस समय की गई जब उन्होंने एक समुदाय कार्यक्रम को संबोधित किया। पीएम मोदी ने इस सम्मान के लिए मॉरीशस के लोगों का आभार व्यक्त किया और इसे दोनों देशों के बीच मजबूत दोस्ती का प्रतीक बताया।

पीएम मोदी को 21वीं अंतरराष्ट्रीय सम्मान

प्रधानमंत्री मोदी को यह सम्मान उनकी विदेश नीति और अंतरराष्ट्रीय संबंधों में दी गई सफलताओं के लिए दिया गया है। यह पीएम मोदी का 21वां अंतरराष्ट्रीय सम्मान है, जिसे किसी अन्य देश द्वारा दिया गया है। पीएम मोदी को पहले भी विभिन्न देशों ने उनके नेतृत्व के लिए उच्चतम राष्ट्रीय सम्मान से नवाजा है। इसके साथ ही पीएम मोदी को दुनिया भर में सबसे लोकप्रिय नेताओं में से एक माना जाता है।

अन्य देशों द्वारा सम्मानित प्रधानमंत्री मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कई देशों ने उनके नेतृत्व और योगदान के लिए सम्मानित किया है। 2014 से लेकर अब तक 21 देशों ने उन्हें अपने सर्वोच्च राष्ट्रीय पुरस्कारों से नवाजा है। इनमें संयुक्त राष्ट्र द्वारा दिया गया ‘Champions of the Earth’ अवार्ड भी शामिल है, जो पर्यावरण के क्षेत्र में उनके नेतृत्व को मान्यता देता है।

पहली बार भारतीय प्रधानमंत्री को मिला 'The Grand Commander' सम्मान, जानिए क्यों?

इसके अलावा, पीएम मोदी को 2016 में अफगानिस्तान द्वारा ‘State Order of Ghazi Amir Amanullah Khan’, 2018 में फिलिस्तीन द्वारा ‘Grand Collar of the State of Palestine’, 2019 में संयुक्त अरब अमीरात द्वारा ‘Order of Zayed’, रूस द्वारा ‘Order of St. Andrew’ और मालदीव द्वारा ‘Order of the Distinguished Rule of Izzuddin’ जैसे सम्मान प्राप्त हुए हैं।

सिर्फ इतना ही नहीं, पीएम मोदी को 2019 में बहरीन द्वारा ‘King Hamad Order of the Renaissance’, 2020 में अमेरिका द्वारा ‘Legion of Merit’, 2021 में भूटान द्वारा ‘Order of the Dragon King’ और 2021 में फिजी और पापुआ न्यू गिनी द्वारा ‘Order of Fiji’ और ‘Order of Logohu’ से भी सम्मानित किया गया है।

पीएम मोदी की लोकप्रियता और अंतरराष्ट्रीय साख

प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता केवल भारत में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में बढ़ी है। उनका नेतृत्व विश्व स्तर पर सराहा गया है और विभिन्न देशों ने उनके काम और नेतृत्व के लिए उन्हें सम्मानित किया है। पीएम मोदी ने न केवल अपने देश में बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी भारत का सम्मान बढ़ाया है। उनकी कूटनीति और नेतृत्व ने भारत को एक मजबूत वैश्विक शक्ति के रूप में स्थापित किया है।

‘The Grand Commander of the Order of Star and Key of Indian Ocean’ का महत्व

मॉरीशस द्वारा दिया गया ‘The Grand Commander of the Order of Star and Key of Indian Ocean’ सम्मान एक ऐतिहासिक घटना है, क्योंकि यह पहली बार किसी भारतीय प्रधानमंत्री को इस सम्मान से नवाजा जा रहा है। यह सम्मान न केवल पीएम मोदी के नेतृत्व के लिए, बल्कि भारत और मॉरीशस के बीच संबंधों को मजबूत करने के लिए भी है। भारत और मॉरीशस के बीच गहरे ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और सामरिक संबंध हैं और पीएम मोदी के नेतृत्व में इन संबंधों को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया गया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मॉरीशस द्वारा ‘The Grand Commander of the Order of Star and Key of Indian Ocean’ से सम्मानित करना एक महत्वपूर्ण कदम है जो भारत और मॉरीशस के बीच दोस्ती और सहयोग को और मजबूत करेगा। पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत ने न केवल वैश्विक स्तर पर अपनी उपस्थिति को मजबूत किया है, बल्कि देशों के बीच मजबूत और सार्थक संबंध स्थापित किए हैं। यह सम्मान पीएम मोदी की अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक सफलता और उनकी नेतृत्व क्षमता को मान्यता देने का प्रतीक है।

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Odisha rail accident: ओडिशा रेलवे मार्ग पर एंबुलेंस से टकराई मालगाड़ी, लोको पायलट की सतर्कता से टला हादसा

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Odisha rail accident: ओडिशा रेलवे मार्ग पर एंबुलेंस से टकराई मालगाड़ी, लोको पायलट की सतर्कता से टला हादसा

Odisha rail accident: ओडिशा के रायगढ़ा-मलकानगिरी-कोरापुट रेलवे मार्ग पर सोमवार को एक बड़ा हादसा टल गया। जानकारी के अनुसार, एक मालगाड़ी ने सिकरपाई और भालूमस्का स्टेशनों के बीच एक एंबुलेंस को टक्कर मार दी। हालांकि, इस हादसे के बावजूद ट्रेन नहीं रुकी और एंबुलेंस को लगभग 100 मीटर तक घसीटते हुए ले गई। राहत की बात यह रही कि इस हादसे में कोई भी व्यक्ति घायल नहीं हुआ।

एंबुलेंस में 8 मरीज थे:

बताया जा रहा है कि एंबुलेंस में आठ मरीज सवार थे, जो आंखों के ऑपरेशन के लिए जा रहे थे। एंबुलेंस का चालक और मरीजों के साथ एक आशा कार्यकर्ता भी मौजूद था। इन मरीजों का इलाज एक निजी आंखों के अस्पताल में होना था और वे सभी सिकरपाई पंचायत के विभिन्न गांवों जैसे कनीपाई, कंजाम जोड़ी, झाकुडू, बेटालंग और चक्रकलांग से आए थे।

अचानक एंबुलेंस रेलवे ट्रैक पर फंस गई और इसी दौरान मालगाड़ी ने उसे टक्कर मार दी। हालांकि, एंबुलेंस के चालक और मरीजों ने तत्परता दिखाई और सभी लोग सुरक्षित बाहर निकलने में सफल रहे, जिससे कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ।

Odisha rail accident: ओडिशा रेलवे मार्ग पर एंबुलेंस से टकराई मालगाड़ी, लोको पायलट की सतर्कता से टला हादसा

लोको पायलट की तत्परता से टला बड़ा हादसा:

दुर्घटना के बाद, चालक ने ट्रेन को तुरंत इमरजेंसी ब्रेक लगाकर रोका, जिससे बड़ी दुर्घटना टल गई। यदि ट्रेन समय पर नहीं रुकती तो न केवल एंबुलेंस में सवार लोग बल्कि ट्रेन के यात्री भी गंभीर रूप से प्रभावित हो सकते थे। यह सब हो सका लोको पायलट की सतर्कता के कारण।

रेलवे की सफाई:

इस घटना पर पूर्वी तटीय रेलवे ने अपनी सफाई दी है। रेलवे ने कहा कि यह बड़ी दुर्घटना लोको पायलट की सतर्कता के कारण टल गई। रेलवे ने यह भी स्पष्ट किया कि इस स्थान पर 3 नवम्बर 2024 को सुरक्षा उपाय के तहत एक बाड़ लगाई गई थी, लेकिन गांववालों ने अवैध रूप से इस बाड़ को हटा दिया था, जिसके कारण यह हादसा हुआ। रेलवे ने इसे एक अवैध अतिक्रमण की घटना करार दिया है।

रेलवे ने इस गंभीर उल्लंघन पर मामला दर्ज किया है और अतिक्रमण करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की बात की है।

इस हादसे में बड़ी राहत की बात यह है कि कोई भी व्यक्ति घायल नहीं हुआ और यह सब रेलवे के अधिकारियों और लोको पायलट की सतर्कता के कारण संभव हो सका। रेलवे प्रशासन ने इसे गंभीरता से लिया है और भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिए और सख्त कदम उठाने का आश्वासन दिया है। साथ ही, इस घटना ने यह भी साबित किया कि अगर प्रशासन और नागरिक अपनी जिम्मेदारियों का सही से पालन करें तो बड़े हादसों को टाला जा सकता है।

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Ranya Rao की कंपनी को जमीन कैसे मिली? सोना तस्करी मामले के बीच बड़ा सवाल

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Ranya Rao की कंपनी को जमीन कैसे मिली? सोना तस्करी मामले के बीच बड़ा सवाल

कर्नाटक में गोल्ड स्मगलिंग केस में गिरफ्तार एक्ट्रेस Ranya Rao अब एक नए विवाद में फंसती नजर आ रही हैं। 2023 में उनकी कंपनी को कर्नाटका इंडस्ट्रियल एरिया डेवलपमेंट बोर्ड (KIADB) द्वारा 12 एकड़ सरकारी भूमि आवंटित की गई थी। अब इस भूमि आवंटन को लेकर सवाल उठने लगे हैं, और आरोप लगाए जा रहे हैं कि यह भूमि दबाव डालकर, खासकर प्रभावशाली राजनेताओं के दबाव में दी गई थी।

भूमि आवंटन के पीछे कौन था?

रान्या राव की कंपनी, ‘Ksirodha India Private Limited’, को 2023 में Tumkuru के शिरा इंडस्ट्रियल एरिया में 12 एकड़ सरकारी भूमि दी गई थी। यह भूमि आवंटन 2 जनवरी 2023 को हुआ था, जब राज्य में भाजपा की सरकार थी। दस्तावेजों से पता चलता है कि इस भूमि आवंटन को 137वीं राज्य स्तरीय सिंगल विंडो क्लीयरेंस कमिटी (SLSWCC) की बैठक में मंजूरी दी गई थी।

कंपनी ने KIADB को यह प्रस्ताव दिया था कि वह इस भूमि पर 138 करोड़ रुपये का निवेश करके TMT स्ट्रिप्स, बार्स और सह-उत्पादों का उत्पादन संयंत्र स्थापित करेगी, जिससे करीब 160 रोजगार पैदा होंगे। इसी आधार पर भूमि आवंटन किया गया था।

Ranya Rao की कंपनी को जमीन कैसे मिली? सोना तस्करी मामले के बीच बड़ा सवाल

क्या राजनीतिक दबाव था?

अब जबकि रान्या राव गोल्ड स्मगलिंग केस में गिरफ्तार हो चुकी हैं, सवाल उठ रहे हैं कि इस भूमि आवंटन के पीछे कौन था। क्या कोई बड़ा राजनीतिक गठजोड़ इसमें शामिल था? क्या इस भूमि आवंटन को प्रभावशाली राजनेताओं के दबाव में मंजूरी दी गई? इस मामले में असल सच्चाई केवल जांच के बाद ही सामने आएगी।

KIADB ने इस मुद्दे पर अपनी सफाई दी है और कहा है कि जब यह भूमि आवंटित की गई थी, तब राज्य में भाजपा सरकार थी।

भूमि आवंटन की प्रक्रिया पर सवाल

राजनीतिक दबाव या प्रशासनिक गलती? यह सवाल अब उठने लगा है, और विशेष रूप से अब जब केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने गोल्ड स्मगलिंग केस की जांच अपने हाथ में ले ली है, तो यह देखना होगा कि इस मामले में सरकार और जांच एजेंसियां किस दिशा में कदम उठाती हैं।

क्या भूमि आवंटन की प्रक्रिया में कोई गलती हुई थी या यह सिर्फ एक संयोग था? केवल जांच के बाद ही यह स्पष्ट हो पाएगा।

SBI जांच और भविष्य की कार्रवाई

इस नए विवाद ने यह स्पष्ट कर दिया है कि इस मामले में कई सवाल उठने वाले हैं। अब यह सीबीआई की जांच पर निर्भर करेगा कि वह रान्या राव और उनके कंपनी के संबंध में किस तरह की कार्रवाई करती है और क्या किसी राजनैतिक दबाव का प्रभाव इस भूमि आवंटन पर पड़ा था।

रान्या राव के खिलाफ गोल्ड स्मगलिंग केस के अलावा भूमि आवंटन विवाद ने उन्हें फिर से सुर्खियों में ला दिया है। अब यह देखना होगा कि जांच एजेंसियां इस मामले में क्या कदम उठाती हैं और क्या भूमि आवंटन में किसी प्रकार की गड़बड़ी पाई जाती है। सरकार और संबंधित विभागों की कार्रवाई से इस मामले की सच्चाई सामने आएगी।

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