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Swiggy Share Price: स्विगी के तिमाही परिणामों से बाजार निराश, शेयर कीमत IPO मूल्य से भी नीचे गिरी

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Swiggy Share Price: स्विगी के तिमाही परिणामों से बाजार निराश, शेयर कीमत IPO मूल्य से भी नीचे गिरी

Swiggy Share Price: ऑनलाइन फूड डिलीवरी और क्विक कॉमर्स कंपनी स्विगी के वित्तीय वर्ष 2024-25 की तीसरी तिमाही के परिणामों से बाजार में निराशा देखने को मिली। इसके कारण स्विगी का शेयर पहली बार अपने लिस्टिंग के बाद सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया। गुरुवार को स्विगी का शेयर 7 प्रतिशत से ज्यादा गिरकर ₹387.95 पर खुला और फिर ₹387 तक गिर गया, जो कि कंपनी के आईपीओ के ₹390 के इश्यू प्राइस से भी कम है। वर्तमान में स्विगी का शेयर ₹395.40 पर कारोबार कर रहा है, जो कि 5.43 प्रतिशत की गिरावट दिखाता है।

स्विगी के शेयर गिरने के कारण

स्विगी को तीसरी तिमाही में ₹800 करोड़ का घाटा हुआ है, जबकि पिछले साल की इसी तिमाही में ₹524 करोड़ का घाटा हुआ था। डार्क स्टोर्स का विस्तार और ऑनलाइन फूड डिलीवरी तथा क्विक कॉमर्स में बढ़ती प्रतिस्पर्धा ने कंपनी के मार्जिन को प्रभावित किया है। यह माना जा रहा है कि आने वाली तिमाही में भी ये चुनौतियां बनी रह सकती हैं।

तीसरी तिमाही के परिणामों से निराशा

स्विगी ने बुधवार को अपनी तिमाही के परिणामों की घोषणा की। कंपनी ने कहा कि उसने तीसरी तिमाही में ₹799 करोड़ का घाटा उठाया है, जो पिछले वित्तीय वर्ष की तीसरी तिमाही के ₹574 करोड़ से 39 प्रतिशत अधिक है। हालांकि, इस दौरान कंपनी की आय में 31 प्रतिशत का उछाल देखने को मिला और यह ₹3993 करोड़ रही, जबकि पिछले साल यह ₹3049 करोड़ थी।

स्विगी के अलावा, ज़ोमैटो भी तीसरी तिमाही में अपने परिणामों से बाजार को निराश करने में सफल रहा। ज़ोमैटो का मुनाफा साल दर साल 57 प्रतिशत घटकर ₹59 करोड़ रहा।

स्विगी का शेयर अपने उच्चतम स्तर से 40 प्रतिशत नीचे

स्विगी के शेयर की कीमत अब अपने ऐतिहासिक उच्चतम स्तर ₹617 से 40 प्रतिशत गिर चुकी है। स्विगी के शेयर पर ब्रोकरेज हाउस का मिश्रित रुख है। यूबीएस ने निवेशकों को ₹515 के लक्ष्य के साथ शेयर को खरीदने की सलाह दी है, जबकि मैक्वेरी का मानना है कि यह शेयर अंडरपरफॉर्म करेगा और इसका लक्ष्य ₹325 रखा गया है।

Swiggy Share Price: स्विगी के तिमाही परिणामों से बाजार निराश, शेयर कीमत IPO मूल्य से भी नीचे गिरी

स्विगी के परिणामों का विश्लेषण

स्विगी के तिमाही परिणामों में कंपनी के बढ़ते घाटे के बावजूद आय में वृद्धि देखने को मिली। हालांकि, इन परिणामों ने यह भी स्पष्ट किया है कि स्विगी को अपनी लागत और प्रतिस्पर्धा के बीच संतुलन बनाने में कठिनाई हो रही है। डार्क स्टोर्स का विस्तार और बढ़ती प्रतिस्पर्धा के चलते कंपनी की संचालन लागत बढ़ी है, जो उसके लाभ को प्रभावित कर रही है।

इसके अतिरिक्त, स्विगी को अपने वित्तीय स्वास्थ्य को सुधारने के लिए और अधिक कदम उठाने की जरूरत हो सकती है। कंपनी के पास पहले से ही एक मजबूत ग्राहक आधार है, लेकिन उसे अपने खर्चों को काबू में लाने और नए तरीके से अपनी सेवाओं को पेश करने की आवश्यकता है।

कंपनी के भविष्य की दिशा

स्विगी के भविष्य के बारे में विभिन्न विश्लेषकों की राय अलग-अलग है। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि कंपनी के पास दीर्घकालिक विकास की संभावनाएं हैं, जबकि अन्य मानते हैं कि प्रतिस्पर्धा और बढ़ती लागत के कारण कंपनी को आने वाले समय में मुश्किलें हो सकती हैं।

स्विगी के लिए सबसे बड़ी चुनौती अपने लाभ को सुधारना और अपने ऑपरेशंस को और अधिक दक्ष बनाना है। इसके अलावा, स्विगी को डार्क स्टोर्स और क्विक कॉमर्स में अपने निवेशों को सही दिशा में मोड़ने की आवश्यकता हो सकती है, ताकि वह बेहतर मुनाफा कमाने में सक्षम हो सके।

निवेशकों के लिए सलाह

स्विगी के शेयर में हाल की गिरावट को देखते हुए, निवेशकों को सावधानी से काम लेने की सलाह दी जा रही है। कुछ विश्लेषक इसे एक खरीदारी का अवसर मानते हैं, जबकि कुछ इसे एक जोखिम भरा निवेश मानते हैं। यदि आप स्विगी के शेयर में निवेश करने का विचार कर रहे हैं, तो आपको कंपनी की मौजूदा वित्तीय स्थिति, प्रतिस्पर्धी माहौल और भविष्य के संभावित जोखिमों का गहराई से मूल्यांकन करना चाहिए।

स्विगी के शेयर में गिरावट ने बाजार में चिंता का माहौल पैदा किया है। कंपनी को अभी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन इसके पास एक मजबूत ब्रांड और ग्राहक आधार है। निवेशकों को यह समझने की जरूरत है कि शेयर की कीमतें बाजार के विविध कारकों पर निर्भर करती हैं और स्विगी के लिए आने वाले समय में कुछ मुश्किलें हो सकती हैं। इसलिए, निवेशकों को सावधानी से निवेश करना चाहिए और कंपनी के तिमाही परिणामों और भविष्य के रुझानों पर ध्यान देना चाहिए।

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GST 2.0 लागू होने के बाद NCH पर आई हजारों शिकायतें, जानिए कौन सी समस्याओं ने आम उपभोक्ताओं को परेशान किया

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GST 2.0 लागू होने के बाद NCH पर आई हजारों शिकायतें, जानिए कौन सी समस्याओं ने आम उपभोक्ताओं को परेशान किया

22 सितंबर 2025 से भारत में GST 2.0 सुधार लागू हो गए हैं। इसके प्रभाव को लेकर सोमवार, 29 अक्टूबर को उपभोक्ता मामलों की सचिव निधि खरे ने मीडिया से बातचीत की। उन्होंने बताया कि नेशनल कंज्यूमर हेल्पलाइन (NCH) को GST 2.0 लागू होने के बाद अब तक लगभग 3,000 शिकायतें मिली हैं। इन शिकायतों को सेंट्रल बोर्ड ऑफ इंडायरेक्ट टैक्सेस एंड कस्टम्स (CBIC) को कार्रवाई के लिए भेजा जा रहा है। उपभोक्ताओं द्वारा बताई गई समस्याओं में मुख्य रूप से यह शिकायतें हैं कि दुकानदार GST रेट कट का लाभ सही तरीके से ग्राहकों तक नहीं पहुँचा रहे हैं।

मंत्रालय कर रहा है स्थिति की निगरानी

निधि खरे ने यह भी बताया कि उपभोक्ता मामलों का मंत्रालय सभी मामलों पर कड़ी निगरानी रख रहा है। मंत्रालय यह सुनिश्चित कर रहा है कि GST रेट कट के लाभ का सही लाभ सीधे उपभोक्ताओं तक पहुँच सके। उन्होंने बताया कि कई दुकानदार जानबूझकर गलत जानकारी फैला रहे हैं ताकि ग्राहकों को रेट कट का लाभ न मिल सके। ऐसे मामलों में मंत्रालय ने विशेष सतर्कता बढ़ा दी है और शिकायतों की जांच के लिए तकनीक का उपयोग कर रहा है।

GST 2.0 लागू होने के बाद NCH पर आई हजारों शिकायतें, जानिए कौन सी समस्याओं ने आम उपभोक्ताओं को परेशान किया

AI और चैटबॉट्स के माध्यम से शिकायतों का मूल्यांकन

मंत्रालय ने AI और चैटबॉट्स का इस्तेमाल करना शुरू किया है ताकि GST 2.0 से जुड़ी शिकायतों का त्वरित और सटीक मूल्यांकन किया जा सके। निधि खरे ने बताया कि यह कदम इसलिए उठाया गया है क्योंकि कई रिटेलर्स GST रेट कट का लाभ ग्राहकों को नहीं दे रहे हैं, जिससे उपभोक्ता ठगे जा रहे हैं। मंत्रालय का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि हर शिकायत का समय पर समाधान हो और जनता को सीधे लाभ मिले।

GST सुधारों का सार और लाभ

22 सितंबर से लागू हुए GST सुधारों ने भारत के अप्रत्यक्ष कर प्रणाली में ऐतिहासिक बदलाव किए हैं। इन सुधारों के तहत टैक्स स्लैब को केवल दो कर दिया गया है – 5% और 18%, जिससे प्रणाली सरल हो गई है। इसके अलावा, पहले 12% टैक्स स्लैब में आने वाले कई आवश्यक वस्तुओं को 5% में लाया गया है, जैसे शैम्पू, साबुन, टूथपेस्ट, बेबी प्रोडक्ट्स और डेयरी उत्पाद। इन वस्तुओं की कीमतें घट गई हैं। वहीं तंबाकू, सिगरेट और अन्य हानिकारक वस्तुओं पर 40% टैक्स लगाया गया है। जीवन और स्वास्थ्य बीमा पर लागू 18% GST को भी हटा दिया गया है। इन सुधारों का मुख्य उद्देश्य उपभोक्ताओं को राहत देना और कर प्रणाली को सरल बनाना है।

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Atlanta Electricals IPO शुरू, पहले दिन मिला 0.80 गुना सब्सक्रिप्शन, निवेशकों में उत्साह बढ़ा ₹687.34 करोड़ के लिए

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Atlanta Electricals IPO शुरू, पहले दिन मिला 0.80 गुना सब्सक्रिप्शन, निवेशकों में उत्साह बढ़ा ₹687.34 करोड़ के लिए

ट्रांसफॉर्मर निर्माता Atlanta Electricals का IPO अब स्टॉक मार्केट में प्रवेश कर चुका है। यह बुक-बिल्ट इश्यू 24 सितंबर तक खुला रहेगा। IPO के पहले दिन ही इसका शानदार प्रदर्शन देखने को मिला। पहले दिन इस पर 0.80 गुना सब्सक्रिप्शन मिला। कुल IPO का आकार ₹687.34 करोड़ है, और निवेशकों में इस पर अच्छी दिलचस्पी देखने को मिली। IPO में QIB (Qualified Institutional Buyers), NII (Non-Institutional Investors) और रिटेल निवेशकों ने भाग लिया, जिससे इसकी शुरुआत मजबूत रही।

पहले दिन की बोली और सब्सक्रिप्शन

पहले दिन सबसे अधिक बोली QIB कैटेगरी में लगी। रिटेल और NII कैटेगरी में भी अच्छा रिस्पॉन्स देखने को मिला। रिटेल निवेशकों ने 0.75 गुना, QIB ने 1.00 गुना, और NII ने 0.67 गुना सब्सक्रिप्शन किया। Atlanta Electricals IPO में 0.53 करोड़ नई शेयरों की पेशकश (₹400 करोड़) और 0.38 करोड़ शेयर OFS (Offer for Sale) विंडो के तहत बेचे जा रहे हैं, जिसकी कीमत ₹287.34 करोड़ है। शेयरों का अलॉटमेंट 25 सितंबर को किया जाएगा और BSE एवं NSE पर सूचीबद्ध होने की संभावना अगले सप्ताह, 29 सितंबर को है।

Atlanta Electricals IPO शुरू, पहले दिन मिला 0.80 गुना सब्सक्रिप्शन, निवेशकों में उत्साह बढ़ा ₹687.34 करोड़ के लिए

Atlanta Electricals IPO का ग्रे मार्केट प्रीमियम (GMP)

IPO के शेयरों का ग्रे मार्केट में भी अच्छा कारोबार हो रहा है। InvestorGain के अनुसार, 22 सितंबर को दोपहर 12:33 बजे Atlanta Electricals के IPO का GMP ₹125 था। इसके आधार पर अनुमानित लिस्टिंग प्राइस ₹879 हो सकती है, जिससे निवेशकों को प्रति शेयर लगभग 16.58% का लाभ होने की संभावना है। हालांकि, 21 अगस्त को इसका GMP ₹142 था, जो दिखाता है कि एक दिन में इसके ग्रे मार्केट प्रीमियम में काफी कमी आई है। IPO की कीमत बैंड ₹718 से ₹754 प्रति शेयर तय की गई है।

कंपनी का परिचय और उत्पादन क्षमता

Atlanta Electricals कंपनी की स्थापना 1983 में हुई थी और इसका मुख्यालय आनंद, गुजरात में स्थित है। कंपनी 30 से अधिक वर्षों के अनुभव के साथ पावर, ऑटो, फर्नेस और इन्वर्टर-ड्यूटी ट्रांसफॉर्मर का उत्पादन करती है। इसके पास आनंद और बेंगलुरु में तीन उत्पादन इकाइयाँ हैं और वडोदरा में एक और सुविधा निर्माणाधीन है। अब तक, Atlanta Electricals ने लगभग 4,000 ट्रांसफॉर्मर 19 राज्यों और 3 केंद्रशासित प्रदेशों में आपूर्ति किए हैं, जिनकी कुल क्षमता 78,000 MVA है। यह अनुभव और व्यापक वितरण नेटवर्क निवेशकों के लिए भरोसेमंद निवेश विकल्प प्रस्तुत करता है।

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RBI ने डॉलर बाजार में बढ़ाई गतिविधि, रुपये को मजबूत करने के लिए उठाया अहम कदम, जानें असर क्यों पड़ा

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RBI ने डॉलर बाजार में बढ़ाई गतिविधि, रुपये को मजबूत करने के लिए उठाया अहम कदम, जानें असर क्यों पड़ा

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने डॉलर के मुकाबले रुपये को मजबूत बनाए रखने के लिए ऑफ़शोर नॉन-डिलीवरएबल फॉरवर्ड (NDF) मार्केट में अपनी गतिविधियाँ बढ़ा दी हैं। रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, बैंकरों का मानना है कि अमेरिकी टैरिफ के कारण ट्रेडर्स के डॉलर खरीदने और बेचने की रणनीतियों में बदलाव आया है, जिससे रुपये पर दबाव बढ़ा है। निर्यातक अपने डॉलर की बिक्री रोक रहे हैं, जबकि आयातक अमेरिकी टैरिफ के खतरे से बचने के लिए ज्यादा हेजिंग कर रहे हैं। इससे डॉलर की मांग और आपूर्ति में असंतुलन पैदा हो रहा है, जो रुपये की कमजोरी का प्रमुख कारण बन रहा है।

आयातक बढ़ा रहे हैं हेजिंग

टैरिफ की अनिश्चितता ने ट्रेडर्स की रणनीतियों को बदल दिया है। जो कंपनियाँ सामान विदेश भेजती हैं, वे अब डॉलर बेचने में जल्दी नहीं कर रही हैं। वहीं, जो कंपनियाँ विदेश से सामान आयात करती हैं, वे भविष्य में डॉलर की खरीद करके अपने खर्च को सुरक्षित कर रही हैं। इसका सीधा असर रुपये पर पड़ रहा है क्योंकि डॉलर की मांग बढ़ी है, लेकिन बाजार में डॉलर की आपूर्ति कम हो गई है। इस असंतुलन ने रुपये के मूल्य में दबाव बढ़ा दिया है और मुद्रा की कमजोरी का कारण बन रहा है।

RBI ने डॉलर बाजार में बढ़ाई गतिविधि, रुपये को मजबूत करने के लिए उठाया अहम कदम, जानें असर क्यों पड़ा

RBI की प्राथमिकता: बाजार नियंत्रण

एक निजी बैंक के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, RBI अब बाजार में अधिक लचीला दृष्टिकोण अपनाता दिख रहा है। पहले RBI किसी विशेष एक्सचेंज रेट पर रुपये को स्थिर रखने की कोशिश करता था, लेकिन अब इसका ध्यान मुख्य रूप से बाजार में अत्यधिक उतार-चढ़ाव को रोकने पर है। उदाहरण के तौर पर, जब रुपये का मूल्य डॉलर के मुकाबले लगभग 88.40 तक पहुंच गया, तब RBI ने NDF मार्केट में डॉलर बेचकर रुपये के गिरने को रोकने की कोशिश की। इस रणनीति ने रुपये की तेजी से गिरावट को रोका और बाजार को स्थिर किया।

ऑनशोर और ऑफ़शोर बाजार में RBI की सक्रियता

मुंबई के एक करेंसी ट्रेडर के अनुसार, RBI की सक्रियता अक्सर NDF मार्केट में देखी जाती है, और इस बार भी यही देखा गया। इसके अलावा, RBI ने देश के अंदर स्पॉट यानी ऑनशोर मार्केट में भी सक्रिय भूमिका निभाई। इस रणनीति के परिणामस्वरूप रुपये की कीमतों में अत्यधिक उतार-चढ़ाव नहीं हुआ। विश्लेषकों का कहना है कि इस कदम से एक महीने की करेंसी वोलैटिलिटी अब पिछले छह महीनों में सबसे कम स्तर पर पहुंच गई है। इससे यह स्पष्ट होता है कि बाजार में रुपये की कीमतों को लेकर उम्मीदें अब काफी स्थिर हो गई हैं और RBI की यह गतिविधि रुपये को मजबूत करने में महत्वपूर्ण साबित हो रही है।

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