Income Tax: देश में डायरेक्ट टैक्स यानी प्रत्यक्ष कर संग्रह में लगातार बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। सरकार द्वारा चालू वित्त वर्ष के शुरुआती 80 दिनों के आंकड़े जारी किए गए हैं जो इस बात की पुष्टि करते हैं। कॉर्पोरेट टैक्स और नॉन-कॉर्पोरेट टैक्स दोनों में जबरदस्त उछाल आया है। इसके अलावा अग्रिम कर यानी एडवांस टैक्स और रिफंड में भी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। सरकार की ओर से टैक्सपेयर्स को बेहतर सेवा और तेज प्रोसेसिंग मिलने से भी यह रुझान सामने आया है।
5.45 लाख करोड़ रुपये का डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन
सरकार के ताजा आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2025-26 में 19 जून तक देश का डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन 4.86 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ 5.45 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया है। यह पिछले साल की इसी अवधि में 5.19 लाख करोड़ रुपये था। इस कलेक्शन में कॉर्पोरेट टैक्स, नॉन-कॉर्पोरेट टैक्स, सिक्योरिटी ट्रांजैक्शन टैक्स (STT) और अन्य शुल्क शामिल हैं। हालांकि रिफंड में जबरदस्त बढ़ोतरी की वजह से नेट कलेक्शन में थोड़ी गिरावट जरूर दर्ज हुई है।

रिफंड में 58 फीसदी की जोरदार बढ़ोतरी
टैक्स रिफंड की बात करें तो इसमें साल दर साल 58.04 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। पिछले साल जहां रिफंड 54,661 करोड़ रुपये था, वहीं इस साल यह बढ़कर 86,385 करोड़ रुपये पहुंच गया है। माना जा रहा है कि सरकार द्वारा टैक्सपेयर्स को बेहतर सर्विस और तेजी से रिफंड प्रोसेस करने का असर दिख रहा है। हालांकि इसी वजह से नेट डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन में मामूली 1.39 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है जो पिछले साल 4.65 लाख करोड़ रुपये से घटकर 4.58 लाख करोड़ रुपये हो गया।
एडवांस टैक्स में भी देखने को मिली बढ़ोतरी
एडवांस टैक्स संग्रह यानी अग्रिम कर संग्रह में भी इजाफा देखने को मिला है। ताजा आंकड़ों के मुताबिक इसमें 3.87 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है और यह आंकड़ा अब 1,55,533 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है। इसमें से कॉर्पोरेट एडवांस टैक्स में करीब 6 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है और यह 1,21,604 करोड़ रुपये हो गया है। हालांकि नॉन-कॉर्पोरेट एडवांस टैक्स में 2.68 प्रतिशत की गिरावट आई है और यह घटकर 33,928 करोड़ रुपये रह गया है।
तेजी से प्रोसेसिंग और डिजिटल सिस्टम का असर
जानकारों का कहना है कि सरकार की ओर से आयकर विभाग में डिजिटल प्रोसेसिंग को बढ़ावा देना और टैक्सपेयर्स को आसानी से रिफंड उपलब्ध कराना इस पूरे बदलाव की बड़ी वजह है। टैक्सपेयर्स को अब पहले से ज्यादा आसानी और तेजी से रिफंड मिल रहा है। इससे टैक्स का दायरा भी बढ़ रहा है और लोग समय पर टैक्स भर रहे हैं। आने वाले समय में यह सुधार देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती देगा।