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Real Estate: 17 हजार करोड़ के प्रोजेक्ट से बदल सकती है दिल्ली-एनसीआर की रियल एस्टेट की तस्वीर

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Real Estate: 17 हजार करोड़ के प्रोजेक्ट से बदल सकती है दिल्ली-एनसीआर की रियल एस्टेट की तस्वीर

Real Estate कंपनी डीएलएफ लिमिटेड ने वित्तीय वर्ष 2025-26 में 17 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा के आवासीय प्रोजेक्ट लॉन्च करने की योजना बनाई है कंपनी ने यह कदम लक्जरी होम्स की मजबूत मांग का लाभ उठाने के लिए उठाया है डीएलएफ ने बताया कि पिछले वित्तीय वर्ष में उसने 7.5 मिलियन वर्ग फुट क्षेत्र बिक्री के लिए लॉन्च किया था जिसका राजस्व अनुमानित 40 हजार 600 करोड़ रुपये है

क्षेत्रीय विस्तार और प्रोजेक्ट

डीएलएफ ने वित्तीय वर्ष 2024-25 की शुरुआत में कहा था कि वह मध्यम अवधि में 37 मिलियन वर्ग फुट क्षेत्र लॉन्च करेगा जिसका कुल राजस्व अनुमानित 1 लाख 14 हजार 500 करोड़ रुपये है कंपनी ने बताया कि इस क्षेत्र का लगभग 35 प्रतिशत हिस्सा वित्तीय वर्ष 2025 में लॉन्च किया गया है जबकि 15 प्रतिशत क्षेत्र को 2026 में लॉन्च करने की योजना है इस दौरान डीएलएफ ने अपना सुपर लक्जरी प्रोजेक्ट ‘द डाहलियास’ भी लॉन्च किया है जिसका कुल बिक्री क्षेत्र 4.5 मिलियन वर्ग फुट है

Real Estate: 17 हजार करोड़ के प्रोजेक्ट से बदल सकती है दिल्ली-एनसीआर की रियल एस्टेट की तस्वीर

प्रोजेक्ट्स की जबरदस्त मांग

डीएलएफ ने कहा कि इन प्रोजेक्ट्स के लिए जबरदस्त मांग देखी गई है जिससे पिछले वित्तीय वर्ष में 13 हजार 744 करोड़ रुपये की बिक्री बुकिंग हुई है कंपनी के अनुसार यह प्रतिक्रिया हमारे ब्रांड की मजबूती और ग्राहक-केंद्रितता की प्रतिबद्धता को दर्शाती है इसी कारण इस प्रोजेक्ट की कुल अनुमानित बिक्री क्षमता का लगभग 39 प्रतिशत पहले ही साल में मोनेटाइज हो चुका है

कंपनी की वित्तीय सफलता

डीएलएफ ने पिछले वित्तीय वर्ष में रिकॉर्ड बिक्री बुकिंग की है जो 21 हजार 223 करोड़ रुपये तक पहुंच गई है जो पिछले साल के 14 हजार 778 करोड़ रुपये से 44 प्रतिशत ज्यादा है इससे कंपनी की वित्तीय स्थिति मजबूत हुई है और उसे बाजार में बेहतर स्थान मिला है

लाभ और आय में वृद्धि

डीएलएफ की नेट प्रॉफिट वित्तीय वर्ष 2024-25 के अंतिम तिमाही में 39 प्रतिशत बढ़कर 1282.2 करोड़ रुपये हो गई है जो पिछले साल की इसी तिमाही में 919.82 करोड़ रुपये थी कुल आय भी 3347.77 करोड़ रुपये रही जो पिछले साल की इसी अवधि में 2316.7 करोड़ रुपये थी पूरे वित्तीय वर्ष में कंपनी का नेट प्रॉफिट 4366.82 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है जो पिछले साल के 2723 करोड़ रुपये से काफी ज्यादा है

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Tax Collection: कॉर्पोरेट टैक्स में इजाफा और रिफंड में गिरावट से बढ़ी सरकार की आमदनी, ₹5.02 लाख करोड़ हुई कलेक्शन

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Tax Collection: कॉर्पोरेट टैक्स में इजाफा और रिफंड में गिरावट से बढ़ी सरकार की आमदनी, ₹5.02 लाख करोड़ हुई कलेक्शन

Tax Collection: वित्त वर्ष 2025-26 में 12 अक्टूबर तक नेट डायरेक्ट टैक्स संग्रह 6.33 प्रतिशत बढ़कर ₹11.89 लाख करोड़ से अधिक हो गया है. इस वृद्धि का मुख्य कारण कॉरपोरेट टैक्स संग्रह में इजाफा और रिफंड में कमी रही. इस दौरान अप्रैल 1 से 12 अक्टूबर तक जारी रिफंड 16 प्रतिशत घटकर ₹2.03 लाख करोड़ रहे.

कॉरपोरेट टैक्स में मजबूती

कॉरपोरेट टैक्स संग्रह इस वित्त वर्ष में अप्रैल 1 से अक्टूबर 12 तक लगभग ₹5.02 लाख करोड़ रहा, जो पिछले साल इसी अवधि में ₹4.92 लाख करोड़ था. इससे स्पष्ट होता है कि बड़ी कंपनियों का कर भुगतान नियमित रूप से बढ़ रहा है और सरकार को राजस्व संग्रह में स्थिरता मिल रही है.

Tax Collection: कॉर्पोरेट टैक्स में इजाफा और रिफंड में गिरावट से बढ़ी सरकार की आमदनी, ₹5.02 लाख करोड़ हुई कलेक्शन

गैर-कॉरपोरेट टैक्स और STT में वृद्धि

सिर्फ कॉरपोरेट टैक्स ही नहीं, गैर-कॉरपोरेट टैक्स संग्रह और सिक्योरिटीज ट्रांजेक्शन टैक्स (STT) संग्रह में भी वृद्धि दर्ज की गई. गैर-कॉरपोरेट टैक्स संग्रह इस दौरान लगभग ₹6.56 लाख करोड़ रहा, जबकि पिछले साल यह ₹5.94 लाख करोड़ था. वहीं, STT संग्रह भी बढ़कर ₹30,878 करोड़ हुआ, जो पिछले साल ₹30,630 करोड़ था.

सरकारी लक्ष्य: ₹25.20 लाख करोड़

वर्तमान वित्त वर्ष के लिए सरकार ने डायरेक्ट टैक्स संग्रह का लक्ष्य ₹25.20 लाख करोड़ रखा है, जो सालाना आधार पर 12.7 प्रतिशत अधिक है. 12 अक्टूबर तक सकल डायरेक्ट टैक्स संग्रह, रिफंड की कटौती से पहले, ₹13.92 लाख करोड़ से अधिक रहा, जो पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में 2.36 प्रतिशत अधिक है. सरकार की यह रणनीति कर संग्रह बढ़ाकर वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने की दिशा में अहम कदम है.

आगे की राह और अनुमान

अब तक के आंकड़े यह संकेत देते हैं कि सरकार वित्त वर्ष के अंत तक डायरेक्ट टैक्स संग्रह के लक्ष्य के करीब पहुंच सकती है. कॉरपोरेट और व्यक्तिगत आयकर में लगातार वृद्धि और रिफंड में नियंत्रण सरकार की राजस्व नीतियों की सफलता को दर्शाता है. यदि यह प्रवृत्ति बनी रहती है, तो 2025-26 में कर संग्रह का लक्ष्य आसानी से हासिल हो सकता है.

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सोने-चांदी की कीमतों में तेज उछाल, दिल्ली-मुंबई-कॉलकाता में ग्रैमीमीटर पर रिकॉर्ड दाम, निवेशकों में हड़कंप

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सोने-चांदी की कीमतों में तेज उछाल, दिल्ली-मुंबई-कॉलकाता में ग्रैमीमीटर पर रिकॉर्ड दाम, निवेशकों में हड़कंप

सोने-चांदी के दामों में सोमवार, 13 अक्टूबर को अचानक तेजी देखी गई, जिसने बाजार में हलचल मचा दी। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर दोनों की कीमतें बढ़ीं। MCX की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, दिसंबर डिलीवरी के लिए सोने की कीमत 1.56 प्रतिशत बढ़कर ₹1,23,298 प्रति 10 ग्राम हो गई। इसी तरह, चाँदी की कीमत भी 3.67 प्रतिशत बढ़कर ₹1,51,839 प्रति किलोग्राम पहुंच गई। विशेषज्ञ इस तेजी पर नज़र बनाए हुए हैं और इसे आर्थिक अस्थिरता का संकेत भी मान रहे हैं।

मेट्रो शहरों में आज का सोना

दिल्ली में 24 कैरेट सोने की कीमत ₹12,555 प्रति ग्राम, 22 कैरेट सोना ₹11,510 और 18 कैरेट सोना ₹9,420 प्रति ग्राम रही। मुंबई में 24 कैरेट सोने की कीमत ₹12,540, 22 कैरेट ₹11,495 और 18 कैरेट ₹9,405 रही। कोलकाता और बेंगलुरु में भी 24 कैरेट सोने का भाव ₹12,540, 22 कैरेट ₹11,495 और 18 कैरेट ₹9,405 प्रति ग्राम था। चेन्नई में 24 कैरेट सोना ₹12,573, 22 कैरेट ₹11,525 और 18 कैरेट ₹9,525 प्रति ग्राम रहा।

सोने-चांदी की कीमतों में तेज उछाल, दिल्ली-मुंबई-कॉलकाता में ग्रैमीमीटर पर रिकॉर्ड दाम, निवेशकों में हड़कंप

चाँदी की कीमतों में भी उछाल

सोने के साथ-साथ चाँदी की कीमतों में भी जबरदस्त वृद्धि देखी गई। पिछले सत्र की तुलना में चाँदी की कीमत 3.67 प्रतिशत बढ़ी और यह ₹1,51,839 प्रति किलोग्राम तक पहुँच गई। निवेशक और व्यापारी इसे सुरक्षित निवेश के रूप में देख रहे हैं। वैश्विक बाजार में भी चाँदी और सोने की मांग में वृद्धि हुई है, जिससे कीमतों में यह तेजी आई है।

वैश्विक बाजार में सोने का रिकार्ड

ग्लोबल मार्केट में भी सोने ने रिकॉर्ड तोड़ते हुए $4,070 प्रति औंस का स्तर छू लिया। अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक तनाव तथा आर्थिक अनिश्चितता के कारण सुरक्षित निवेश की मांग बढ़ी। राष्ट्रपति ट्रंप ने शुक्रवार को चेतावनी दी कि वे चीन से आने वाले निर्यात पर 100 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क और महत्वपूर्ण सॉफ़्टवेयर पर नए नियंत्रण लगा सकते हैं, जिससे वैश्विक बाजार में सोने की कीमत बढ़ी।

निवेशकों के लिए संकेत

विशेषज्ञों का कहना है कि सोने और चाँदी की कीमतों में यह तेजी आर्थिक अस्थिरता और वैश्विक तनाव का संकेत है। निवेशकों को इस समय अपने निवेश पर ध्यान देना चाहिए। तेजी का यह दौर शायद निवेशकों को सुरक्षित विकल्प की ओर खींचे। मेट्रो शहरों और MCX दोनों जगह कीमतों में उछाल से यह स्पष्ट होता है कि सोने और चाँदी की मांग भविष्य में भी बनी रहेगी।

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चीन ने दिया सख्त संदेश, 100 प्रतिशत अमेरिकी टैरिफ की धमकी के बावजूद नहीं झुके, कड़ा रुख अपनाया

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चीन ने दिया सख्त संदेश, 100 प्रतिशत अमेरिकी टैरिफ की धमकी के बावजूद नहीं झुके, कड़ा रुख अपनाया

रविवार को चीन ने संकेत दिया कि वह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा 100 प्रतिशत टैरिफ की धमकी के बावजूद पीछे नहीं हटेगा। चीन ने अमेरिका से आग्रह किया कि वे मतभेदों को धमकियों के बजाय संवाद के जरिए सुलझाएं। चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने एक ऑनलाइन बयान में कहा, “चीन की स्थिति स्पष्ट है। हम टैरिफ युद्ध नहीं चाहते, लेकिन अगर ऐसा हुआ तो हम डरेंगे नहीं।” यह बयान ट्रंप के 1 नवंबर से अतिरिक्त 100 प्रतिशत टैरिफ की घोषणा के दो दिन बाद आया।

द्विपक्षीय संबंधों पर असर

इस विकास से ट्रंप और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच संभावित बैठक खतरे में पड़ सकती है और टैरिफ युद्ध पर पहले से तय समझौता भी प्रभावित हो सकता है। अप्रैल में दोनों पक्षों के नए टैरिफ ने अस्थायी रूप से 100 प्रतिशत की सीमा पार कर दी थी। ट्रंप ने इस साल कई व्यापारिक भागीदारों के आयात पर टैरिफ बढ़ाए ताकि टैरिफ में कमी के बदले में चीन से रियायतें प्राप्त कर सकें। चीन उन कुछ देशों में से एक है जिसने अपनी आर्थिक ताकत पर पीछे नहीं हटा।

चीन ने दिया सख्त संदेश, 100 प्रतिशत अमेरिकी टैरिफ की धमकी के बावजूद नहीं झुके, कड़ा रुख अपनाया

चीन की आर्थिक शक्ति के सामने अमेरिका

चीन ने अमेरिका के सामने अपनी आर्थिक शक्ति दिखाते हुए संकेत दिया कि वह दबाव में नहीं आएगा। चीन के नए नियमों ने दुर्लभ पृथ्वी तत्वों के निर्यात पर प्रतिबंध लगाए हैं, जो कई उपभोक्ता और सैन्य उत्पादों में अहम भूमिका निभाते हैं। अमेरिका ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए 100 प्रतिशत टैरिफ की धमकी दी थी। चीन की प्रतिक्रिया ने यह साफ कर दिया कि वह अपने हितों की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाने से नहीं हिचकेगा।

भारी टैरिफ की धमकी समाधान का रास्ता नहीं

चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने कहा, “बार-बार भारी टैरिफ लगाने की धमकी देना चीन से संवाद करने का सही तरीका नहीं है।” यह बयान एक अनाम प्रवक्ता द्वारा मीडिया से सवालों के जवाब में जारी किया गया। चीन ने जोर देकर कहा कि किसी भी चिंता का समाधान संवाद के जरिए होना चाहिए। मंत्रालय ने स्पष्ट किया, “यदि अमेरिकी पक्ष अपनी जिद और नीति पर कायम रहता है, तो चीन अपने वैध अधिकारों और हितों की रक्षा के लिए दृढ़ उपाय करेगा।”

वैश्विक अर्थव्यवस्था और निवेशकों के लिए संकेत

इस टैरिफ युद्ध की नवीनीकरण की संभावना वैश्विक अर्थव्यवस्था और निवेशकों के लिए चिंता का विषय है। चीन और अमेरिका दोनों के बीच बढ़ते तनाव से वैश्विक व्यापार, स्टॉक मार्केट और मुद्रा बाजार प्रभावित हो सकते हैं। निवेशक इस मुद्दे पर नजर रख रहे हैं कि दोनों देश संवाद के जरिए समाधान निकालते हैं या टैरिफ युद्ध और लंबा खिंचता है। यह स्थिति अंतरराष्ट्रीय व्यापार और आर्थिक संतुलन के लिए निर्णायक साबित हो सकती है।

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