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Real estate news: प्रॉपर्टी खरीदते समय रखें इन जरूरी बातों का ध्यान, नहीं होगा नुकसान

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Real estate news: प्रॉपर्टी खरीदते समय रखें इन जरूरी बातों का ध्यान, नहीं होगा नुकसान

Real estate news: घर खरीदना हर व्यक्ति के जीवन में एक बड़ा फैसला होता है। यह एक ऐसी डील होती है, जिसे लोग अक्सर एक या दो बार ही करते हैं। इसलिए प्रॉपर्टी खरीदते समय पूरी सावधानी और सोच-विचार के बाद ही कोई निर्णय लेना चाहिए। जल्दबाजी में लिया गया फैसला आपके लिए लंबे समय तक पछतावे का कारण बन सकता है। यदि आप भी घर खरीदने की योजना बना रहे हैं, तो यह आर्टिकल आपके लिए बहुत उपयोगी साबित होगा। इसमें हम आपको बताएंगे कि घर खरीदते समय किन बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है, जिससे आपका निवेश सुरक्षित रहे और आपको किसी तरह की आर्थिक परेशानी न झेलनी पड़े।

बजट के अनुसार खरीदें घर

घर खरीदते समय सबसे पहले आपको अपने बजट पर ध्यान देना चाहिए। अगर आप बिना योजना के घर खरीदते हैं, तो भविष्य में आपको आर्थिक संकट का सामना करना पड़ सकता है। पहले से तय करें कि आपको कितने का घर चाहिए और वह कितना बड़ा होना चाहिए। इसके बाद ही घर खरीदने की प्रक्रिया शुरू करें।

दोस्तों और पड़ोसियों से लें राय

अगर आप किसी इलाके में घर खरीदने की सोच रहे हैं, तो वहां पहले से रह रहे लोगों से सलाह लेना न भूलें। वे आपको उस क्षेत्र में मिलने वाली सुविधाओं, मकानों की कीमतों और अन्य महत्वपूर्ण जानकारियों के बारे में सही सुझाव दे सकते हैं।

बिचौलियों से बचें, सीधे मालिक से खरीदें

यदि आप प्रॉपर्टी एजेंट के माध्यम से घर खरीदते हैं, तो आपको अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ सकता है। आमतौर पर, एजेंट घर के खरीदार से 1 से 1.5 प्रतिशत तक कमीशन लेते हैं, जबकि कई बार वे घर बेचने वाले से भी 1 प्रतिशत कमीशन वसूलते हैं। इस तरह, अंततः यह सारा बोझ खरीदार पर ही पड़ता है और उसे 2.5 से 3 प्रतिशत अतिरिक्त राशि चुकानी पड़ती है। यदि संभव हो, तो घर सीधे मालिक या डेवलपर से खरीदने की कोशिश करें, जिससे आप इस अतिरिक्त खर्च से बच सकते हैं।

Real estate news: प्रॉपर्टी खरीदते समय रखें इन जरूरी बातों का ध्यान, नहीं होगा नुकसान

इलाके की प्रॉपर्टी दरों की जानकारी लें

किसी भी क्षेत्र में प्रॉपर्टी खरीदने से पहले वहां के स्थानीय निवासियों और प्रॉपर्टी विशेषज्ञों से उस इलाके में चल रहे रेट की जानकारी लें। इससे आपको सही कीमत पर घर खरीदने में मदद मिलेगी और आप अधिक भुगतान करने से बच सकते हैं।

रेडी-टू-मूव बनाम अंडर-कंस्ट्रक्शन प्रॉपर्टी

अगर आप तुरंत शिफ्ट होने की योजना बना रहे हैं, तो रेडी-टू-मूव घर खरीदना बेहतर होगा। हालांकि, यह अंडर-कंस्ट्रक्शन प्रॉपर्टी की तुलना में महंगा होता है। अगर आपके पास इंतजार करने का समय है, तो अंडर-कंस्ट्रक्शन घर खरीदकर आप ज्यादा छूट और सुविधाएं प्राप्त कर सकते हैं।

त्योहारों पर मिलने वाले ऑफर्स का उठाएं लाभ

त्योहारों के दौरान कई बिल्डर्स और डेवलपर्स नए-नए ऑफर्स और छूट लेकर आते हैं। इस समय प्रॉपर्टी खरीदने पर आपको अतिरिक्त छूट और अन्य लाभ मिल सकते हैं, जैसे कि फ्री पार्किंग, मॉड्यूलर किचन, फ्री होम अप्लायंसेज आदि।

ग्रुप डीलिंग से मिल सकता है डिस्काउंट

अगर एक ही प्रोजेक्ट में दो-चार ग्राहक मिलकर घर खरीदते हैं, तो डेवलपर उन्हें अतिरिक्त छूट दे सकता है। इसलिए, यदि आप किसी ऐसे व्यक्ति को जानते हैं जो भी घर खरीदने की योजना बना रहा है, तो उनके साथ मिलकर एक ही प्रोजेक्ट में घर खरीदने का विचार करें। इससे आपको अच्छा डिस्काउंट मिल सकता है।

होम लोन लेने से पहले करें रिसर्च

होम लोन लेने से पहले विभिन्न बैंकों और वित्तीय संस्थानों द्वारा दिए जा रहे ब्याज दरों और ऑफर्स की तुलना करें। जिस बैंक या संस्था की ब्याज दर और शर्तें आपके लिए सबसे उपयुक्त हों, उसी से लोन लें। इससे आपको भविष्य में ज्यादा ब्याज चुकाने की समस्या से बचने में मदद मिलेगी।

लम्प सम पेमेंट करने पर मिल सकती है अतिरिक्त छूट

अगर आप डेवलपर को घर की कीमत एक साथ चुकाते हैं, तो आपको घर की कीमत पर विशेष छूट मिल सकती है। अधिकतर बिल्डर्स लम्प सम पेमेंट करने वाले ग्राहकों को अतिरिक्त लाभ देते हैं। इसलिए, यदि संभव हो तो घर की अधिकतम कीमत नकद में चुकाने की कोशिश करें।

घर खरीदने से पहले इन जरूरी दस्तावेजों की करें जांच

घर खरीदने से पहले निम्नलिखित दस्तावेजों को अच्छी तरह जांच लें:

  1. सेल डीड (Sale Deed): यह प्रॉपर्टी खरीदने का सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेज होता है।
  2. एन्कम्ब्रेंस सर्टिफिकेट (Encumbrance Certificate): इससे पता चलता है कि प्रॉपर्टी पर किसी तरह की कानूनी बाध्यता या कर्ज तो नहीं है।
  3. पजेशन लेटर (Possession Letter): डेवलपर द्वारा खरीदार को दिया गया एक पत्र, जिसमें संपत्ति का कब्जा सौंपने की तिथि होती है।
  4. बिल्डिंग अप्रूवल प्लान (Building Approval Plan): यह सुनिश्चित करें कि बिल्डिंग को नगर निगम या संबंधित प्राधिकरण से मंजूरी मिली है।
  5. ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट (Occupancy Certificate): यह प्रमाणित करता है कि निर्माण सभी नियमों का पालन करते हुए किया गया है और इसमें लोग रह सकते हैं।

किसी भी फर्जीवाड़े से बचने के लिए लीगल एडवाइजर की लें मदद

यदि आप पहली बार घर खरीद रहे हैं, तो किसी अच्छे लीगल एडवाइजर या रियल एस्टेट कंसल्टेंट से सलाह लेना बेहतर होगा। इससे आपको किसी भी कानूनी परेशानी से बचने में मदद मिलेगी।

घर खरीदना एक बड़ा फैसला होता है और इसमें सतर्कता बरतनी बेहद जरूरी है। सही प्लानिंग और जानकारी के बिना घर खरीदने से आपको आर्थिक नुकसान हो सकता है। बजट तय करना, इलाके की जांच करना, एजेंट की फीस से बचना, सही समय पर घर खरीदना और सभी कानूनी दस्तावेजों की जांच करना बहुत जरूरी है। यदि आप इन सभी बातों का ध्यान रखते हैं, तो आप एक अच्छा और सुरक्षित घर खरीद सकते हैं, जिसमें आपको किसी तरह की समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा।

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Gold Tax: क्या सच में कभी नहीं गिरती सोने की कीमत, जानिए चौंकाने वाली बातें!

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Gold Tax: क्या सच में कभी नहीं गिरती सोने की कीमत, जानिए चौंकाने वाली बातें!

Gold Tax: शादी के मौके पर लोग अलग-अलग तरह के तोहफे देते हैं लेकिन सबसे ज्यादा पसंद सोना दिया जाना है। इसका एक बड़ा कारण यह है कि सोना हमेशा से सुरक्षित निवेश माना जाता है। जब दुनिया की अर्थव्यवस्था अस्थिर होती है तो लोग सुरक्षित निवेश की तलाश में सोने की तरफ भागते हैं। इसलिए शादी में सोना देना न सिर्फ परंपरा का हिस्सा है बल्कि यह एक समझदारी भरा निवेश भी माना जाता है। इसके अलावा सोने की कीमत में कभी बड़ी गिरावट नहीं देखी जाती जिससे यह तोहफे के रूप में और भी आकर्षक बन जाता है।

सोना गिफ्ट में मिलने पर कितना टैक्स देना होगा

अगर आपको शादी या किसी भी मौके पर सोने का गहना या सामान तोहफे में मिलता है और उसकी कीमत 50,000 रुपये से ज्यादा होती है तो उसे इनकम फ्रॉम अदर सोर्स माना जाता है यानी यह आपकी अन्य आय में जुड़ जाता है और उस पर टैक्स देना पड़ता है। हालांकि अगर यह सोना आपके करीबी रिश्तेदारों से मिला हो जैसे माता-पिता सास-ससुर भाई-बहन जीवनसाथी दादा-दादी या नाना-नानी से तो यह टैक्स फ्री माना जाता है। यानी अपने परिवार से मिला सोना टैक्स के दायरे में नहीं आता लेकिन बाहर से मिला महंगा सोना आपको टैक्स की जद में ला सकता है।

आईसीआरए रिपोर्ट में सामने आए दिलचस्प आंकड़े

आईसीआरए की हालिया रिपोर्ट में बताया गया कि वित्त वर्ष 2025-26 में सोने के गहनों की मांग (मूल्य के हिसाब से) 12 से 14 प्रतिशत बढ़ सकती है। हालांकि इस समय लोग सोने की खरीदारी की मात्रा में कमी कर रहे हैं। उदाहरण के लिए अगर पहले कोई व्यक्ति 20 ग्राम सोना खरीदता था तो अब उसकी कीमत बढ़ने के कारण वह सिर्फ 10 ग्राम खरीद पा रहा है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि लोग अब सोने के सिक्के और बारी (bars) ज्यादा खरीदने लगे हैं। इस वित्त वर्ष में सिक्के और बारी की खरीदारी में 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी जा सकती है जबकि पिछले साल इसमें 25 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। इसके बाद सिक्कों और बार्स का कुल सोना बिक्री में हिस्सा 35 प्रतिशत तक पहुंचने की उम्मीद है।

बढ़ती कीमत के बावजूद क्यों है सोने में निवेश का क्रेज

दुनिया की आर्थिक स्थिति में लगातार अनिश्चितता बढ़ रही है जिसके चलते लोग सुरक्षित निवेश के लिए सोने की तरफ आकर्षित हो रहे हैं। भले ही सोने की कीमतें लगातार ऊंचाई पर हैं लेकिन निवेशक इसे सुरक्षित मानकर इसमें निवेश कर रहे हैं। शादी जैसे अवसरों पर भी लोग नकद या महंगे गिफ्ट देने की बजाय सोना देना बेहतर समझते हैं क्योंकि यह न सिर्फ निवेश के रूप में सुरक्षित रहता है बल्कि इसका भाव भी कभी गिरता नहीं। यही वजह है कि शादी-ब्याह के सीजन में सोने की डिमांड तेजी से बढ़ जाती है और लोग इसका स्टॉक करने में पीछे नहीं रहते।

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BSE Share ने रचा इतिहास, IPO में लगाया पैसा बना करोड़ों की पहली सीढ़ी

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BSE Share ने रचा इतिहास, IPO में लगाया पैसा बना करोड़ों की पहली सीढ़ी

BSE Share: देश का सबसे पुराना स्टॉक एक्सचेंज BSE लिमिटेड आजकल सुर्खियों में है क्योंकि इसने अपने निवेशकों को शानदार रिटर्न दिया है। साल 2017 में जो लोग बीएसई के आईपीओ में एक लाख रुपये लगाए थे उनकी रकम अब बढ़कर 27 लाख रुपये से भी ज्यादा हो गई है। यह कमाल सिर्फ आठ साल में हुआ है। बीएसई ने ना सिर्फ अपने शेयरधारकों को बोनस दिए बल्कि हर साल डिविडेंड भी दिया और शेयर बायबैक भी किया। इन सबका असर ये हुआ कि निवेशकों की पूंजी कई गुना बढ़ गई।

कैसे एक शेयर बना नौ शेयर, दो बार मिला बोनस

BSE लिमिटेड ने साल 2017 में अपना आईपीओ लाया था जिसका इश्यू प्राइस था 806 रुपये। उस समय एक शेयर पर निवेश किया गया पैसा अब नौ शेयरों में बदल चुका है। मार्च 2022 में कंपनी ने हर एक शेयर पर दो बोनस शेयर दिए जिससे एक शेयर तीन बन गया। अब मई 2025 में फिर से दो बोनस शेयर दिए गए जिससे पहले के तीन शेयर अब नौ में बदल गए। यानी जिसने 2017 में एक शेयर लिया था उसके पास अब नौ शेयर हैं।

BSE Share ने रचा इतिहास, IPO में लगाया पैसा बना करोड़ों की पहली सीढ़ी

आईपीओ प्राइस से 27 गुना हुआ मुनाफा

बीएसई के एक शेयर की कीमत फिलहाल 2459 रुपये है। ऐसे में नौ शेयरों की कीमत हो गई है 22,131 रुपये। जब इसे 806 रुपये के आईपीओ प्राइस से तुलना करते हैं तो यह 27.45 गुना का रिटर्न बनता है। यानी एक लाख रुपये की निवेश राशि अब 27 लाख रुपये से भी ज्यादा हो गई है। इतना बड़ा मुनाफा किसी भी निवेशक के लिए सपने जैसा होता है और बीएसई ने यह सच कर दिखाया।

डिविडेंड और शेयर बायबैक से और फायदा

बीएसई ने न सिर्फ बोनस दिए बल्कि अपने शेयरधारकों को हर साल डिविडेंड भी दिया है। 14 मई 2025 को कंपनी ने 23 रुपये प्रति शेयर डिविडेंड देने की घोषणा की थी। इससे पहले 14 जून 2024 को 15 रुपये का डिविडेंड दिया गया था। इसके अलावा कंपनी ने जुलाई 2019 और सितंबर 2023 में शेयर बायबैक भी किए। इन सब वजहों से निवेशकों को लगातार फायदा मिला है।

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Petrol-Diesel Price: डीजल में 60 पैसे की गिरावट सिर्फ पटना में, बाकी राज्यों में क्यों स्थिरता?

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Petrol-Diesel Price: डीजल में 60 पैसे की गिरावट सिर्फ पटना में, बाकी राज्यों में क्यों स्थिरता?

Petrol-Diesel Price: कोलकाता में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में हल्की बढ़ोतरी हुई है। ऑयल मार्केटिंग कंपनियों द्वारा फ्यूल के बेसिक प्राइस को फिर से एडजस्ट करने के बाद यह बदलाव सामने आया है। अब कोलकाता में पेट्रोल की कीमत ₹105.41 प्रति लीटर हो गई है जबकि डीजल की कीमत ₹92.02 प्रति लीटर पहुंच गई है। एक प्रमुख ऑयल कंपनी के अधिकारी ने बताया कि पेट्रोल की कीमत में 40 पैसे प्रति लीटर की बढ़ोतरी की गई है जबकि डीजल की कीमत में 20 पैसे प्रति लीटर का इजाफा हुआ है। हालांकि इसके उलट बिहार की राजधानी पटना में डीजल के दाम में 60 पैसे प्रति लीटर की गिरावट दर्ज की गई है। वहीं अन्य पूर्वी राज्यों में ईंधन की कीमतें स्थिर बनी हुई हैं।

क्यों होता है ईंधन की कीमतों में बदलाव

ईंधन की कीमतें तय करने का आधार उसका बेसिक प्राइस होता है जिसे ऑयल मार्केटिंग कंपनियां समय-समय पर रिव्यू करती हैं। इसमें ऑपरेशनल खर्च और लॉजिस्टिक्स जैसे कई फैक्टरों को ध्यान में रखते हुए एडजस्टमेंट किया जाता है। इस बेसिक प्राइस में केंद्र और राज्य सरकारों के टैक्स जुड़ने के बाद रिटेल प्राइस बनता है जो आम उपभोक्ता को चुकाना पड़ता है। हाल ही में हुए इस मामूली बदलाव ने सीधे तौर पर पेट्रोल-डीजल की कीमतों को प्रभावित किया है। इन बदलावों का असर चाहे कम हो लेकिन जब हर लीटर पर कुछ पैसे बढ़ते हैं तो उसका असर लाखों लोगों की जेब पर पड़ता है।

Petrol-Diesel Price: डीजल में 60 पैसे की गिरावट सिर्फ पटना में, बाकी राज्यों में क्यों स्थिरता?

पटना में राहत, बाकी राज्यों में स्थिरता

जहां एक तरफ कोलकाता में पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़े हैं वहीं पटना के लोगों को थोड़ी राहत मिली है। वहां डीजल के दाम में 60 पैसे प्रति लीटर की गिरावट आई है। हालांकि पेट्रोल की कीमतों में कोई बदलाव नहीं हुआ है। इसके अलावा झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल के अन्य हिस्सों और असम जैसे पूर्वी राज्यों में कीमतें जस की तस बनी हुई हैं। इससे साफ है कि कंपनियां केवल उन्हीं शहरों में दाम बदल रही हैं जहां लॉजिस्टिक्स या वितरण से जुड़ी लागत में बदलाव हुआ है।

अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के भाव स्थिर

अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें बीते कुछ समय से स्थिर बनी हुई हैं। इसी वजह से भारत में तेल कंपनियों को कीमतों में बड़ी बढ़ोतरी करने की ज़रूरत नहीं पड़ी। मंगलवार दोपहर को डब्ल्यूटीआई क्रूड ऑयल की कीमत $62.05 प्रति बैरल रही जिसमें 0.15 प्रतिशत या $0.11 की मामूली बढ़त देखी गई। वहीं ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमत $65.02 प्रति बैरल रही जिसमें 0.09 प्रतिशत या $0.06 की बढ़त हुई। इन स्थिर कीमतों से संकेत मिलता है कि अभी पेट्रोल-डीजल की दरों में बड़ा उछाल आने की संभावना कम है। हालांकि लोकल लेवल पर बेस प्राइस के रीएडजस्टमेंट से छोटे-मोटे उतार-चढ़ाव होते रहेंगे।

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