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Real Estate Investment: EMI भरते रह गए लेकिन मुनाफा नहीं मिला! जानिए रियल एस्टेट की सबसे बड़ी गलती

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Real Estate Investment: EMI भरते रह गए लेकिन मुनाफा नहीं मिला! जानिए रियल एस्टेट की सबसे बड़ी गलती

Real Estate Investment: देश के कई बड़े शहरों में प्रॉपर्टी की कीमतें पिछले चार वर्षों में दोगुनी या तिगुनी हो गई हैं। गुरुग्राम से लेकर नोएडा तक 2बीएचके फ्लैट की कीमत करोड़ों में पहुंच चुकी है। इस तेजी ने कुछ निवेशकों को ज़रूर मालामाल किया है लेकिन ज़्यादातर लोग इस मौके का फायदा नहीं उठा पाए हैं। जिन लोगों ने उम्मीदों से भरे मन से फ्लैट या दुकान खरीदी थी वे अब ईएमआई का बोझ झेल रहे हैं और प्रॉफिट की राह तक रहे हैं।

निवेश में सबसे बड़ी गलती: भावनाओं का खेल

गुरुग्राम की रियल एस्टेट सलाहकार ऐश्वर्या श्री कपूर के अनुसार भारत में 90% रियल एस्टेट निवेशक नुकसान में हैं और सिर्फ 1% ही मुनाफा कमा रहे हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह है भावनात्मक निवेश। लोग प्रॉपर्टी खरीदते समय प्रोजेक्ट की गुणवत्ता, लोकेशन और भविष्य की संभावनाओं की जगह केवल डिस्काउंट और स्क्वायर फीट की कीमत देखते हैं। एक दिन में 6-7 प्रोजेक्ट देखना और जिस ब्रोकर ने ज्यादा छूट दी उससे डील फाइनल करना निवेश नहीं बल्कि जुआ कहलाता है।

Real Estate Investment: EMI भरते रह गए लेकिन मुनाफा नहीं मिला! जानिए रियल एस्टेट की सबसे बड़ी गलती

गलत समय और गलत जगह पर निवेश का नुकसान

ज़्यादातर लोग रियल एस्टेट में तब निवेश करते हैं जब कीमतें पहले ही चढ़ चुकी होती हैं। ऐसे में उनके लिए भविष्य में कैपिटल ग्रोथ की संभावना बहुत कम रह जाती है। इसके अलावा वे ऐसे प्रोजेक्ट्स में पैसा लगाते हैं जिनकी आसपास की लोकेशन में विकास की संभावनाएं नहीं होतीं। यही कारण है कि निवेश के बावजूद उनकी संपत्ति की वैल्यू नहीं बढ़ती और वे घाटे में रह जाते हैं।

 मुनाफा कमाने वाले निवेशक कैसे सोचते हैं?

जो लोग रियल एस्टेट से अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं वे भावना नहीं बल्कि रणनीति के आधार पर निवेश करते हैं। ये लोग प्रोजेक्ट के प्री-लॉन्च फेज में ही निवेश करते हैं जब कीमतें सबसे कम होती हैं। वे कड़ी मोलभाव करते हैं और 3 से 5 साल में एग्ज़िट की प्लानिंग बनाते हैं। उनका मकसद सिर्फ घर खरीदना नहीं होता बल्कि निवेश का रिटर्न पाना होता है। यही रणनीति उन्हें सफलता दिलाती है।

यदि बचना है नुकसान से, तो अपनाएं सही रणनीति

अगर आप भी रियल एस्टेट में निवेश करने की सोच रहे हैं तो याद रखें कि यह केवल ब्रोकर की सलाह से नहीं हो सकता। इसके लिए आपको बाजार की समझ, इलाके का विश्लेषण और प्रोजेक्ट की वैधता की गहराई से जांच करनी होगी। अगर आप लॉन्ग टर्म में सही समय पर सही जगह निवेश करते हैं तभी आप मुनाफा कमा सकते हैं। वरना आप भी उन 90% लोगों की सूची में शामिल हो जाएंगे जो केवल ईएमआई भरने में ही उलझे रहते हैं।

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Stock Market: शेयर बाजार में मुनाफा चाहिए? जानिए 55:23:22 का चमत्कारी फॉर्मूला

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Stock Market: शेयर बाजार में मुनाफा चाहिए? जानिए 55:23:22 का चमत्कारी फॉर्मूला

Stock Market:  कोरोना महामारी के बाद से भारत में शेयर बाजार में निवेश करने वालों की संख्या तेजी से बढ़ी है। बिहार जैसे राज्यों में भी रिकॉर्ड डिमैट खाते खुले हैं। लेकिन निवेशकों की संख्या भले ही बढ़ी हो, लाभ कमाने वाले निवेशकों की संख्या अभी भी कम है। कई लोग अभी भी नुकसान में बैठे हैं। ऐसे में यह जरूरी हो गया है कि निवेश रणनीति को समझदारी से अपनाया जाए।

क्या है 55:23:22 फॉर्मूला?

55:23:22 एक ऐसा फॉर्मूला है जो शेयरों में पैसा लगाने का संतुलित तरीका बताता है। इसका मतलब है कि अगर आपके पास 1000 रुपये निवेश के लिए हैं तो 555 रुपये लार्ज कैप कंपनियों में, 230 रुपये मिड कैप में और 220 रुपये स्मॉल कैप में लगाएं। इस तरीके से आपके पोर्टफोलियो में स्थिरता भी बनी रहेगी और अच्छे रिटर्न्स की संभावना भी बनी रहेगी। आनंद राठी के शेनॉय के अनुसार, यह फॉर्मूला लंबी अवधि में जोखिम को संतुलित करते हुए बेहतर रिटर्न्स देता है।

Stock Market: शेयर बाजार में मुनाफा चाहिए? जानिए 55:23:22 का चमत्कारी फॉर्मूला

सही कंपनियों का चुनाव ही असली रणनीति

हाल ही में मिड कैप और स्मॉल कैप शेयरों में काफी उतार-चढ़ाव देखा गया है। इनसे जुड़े कई निवेशकों को भारी नुकसान हुआ। व्हाइट ओक कैपिटल के वैभव चुग के अनुसार, जोखिम बाजार में नहीं बल्कि निवेश के लिए चुनी गई कंपनियों में होता है। अक्सर निवेशक हाल में अच्छा प्रदर्शन करने वाली कंपनियों में निवेश करके फंस जाते हैं। इसलिए सही कंपनी का चुनाव और उसके वैल्यूएशन को ध्यान में रखना बेहद जरूरी है।

बाजार में फिर से दिख रही रफ्तार

बीते वित्त वर्ष में बाजार में वैश्विक तनाव और कमजोर कॉर्पोरेट नतीजों की वजह से प्रदर्शन धीमा रहा। लेकिन अब स्थिति बेहतर हो रही है। इस साल अब तक लार्ज कैप इंडेक्स 10 फीसदी, मिड कैप 14 फीसदी और स्मॉल कैप 17.5 फीसदी तक ऊपर गया है। कॉर्पोरेट अर्निंग्स में सुधार बाजार को नई ऊर्जा दे रहा है।

जोखिम कम करें और रिटर्न बढ़ाएं

जो निवेशक घाटे में बैठे हैं, उन्हें घबराने की बजाय अपनी रणनीति पर ध्यान देने की जरूरत है। 55:23:22 फॉर्मूले को अपनाकर, सही कंपनियों का चुनाव करके और बाजार की चाल को समझते हुए निवेश करें। इससे पोर्टफोलियो में स्थिरता आएगी और जोखिम कम होगा। लंबे समय में यही तरीका आपको फायदे में ला सक

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8th pay commission से कर्मचारियों को मिल सकती है 34% तक की बढ़ोतरी

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8th pay commission से कर्मचारियों को मिल सकती है 34% तक की बढ़ोतरी

8th pay commission: देशभर के 1.2 करोड़ से ज्यादा केंद्रीय कर्मचारी और पेंशनधारक 8वें वेतन आयोग के लागू होने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। पहले ऐसा माना जा रहा था कि आयोग 1 जनवरी 2026 से लागू होगा लेकिन अब तक आयोग के सदस्यों की नियुक्ति को लेकर कोई खास प्रगति नहीं हुई है जिससे इसकी संभावना कमजोर हो गई है।

अंबिट कैपिटल की रिपोर्ट से आई उम्मीद की किरण

ब्रोकरेज फर्म अंबिट कैपिटल की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 8वें वेतन आयोग के लागू होने के बाद सरकारी कर्मचारियों की सैलरी में 34% तक की बढ़ोतरी हो सकती है। यह बढ़ोतरी न केवल कर्मचारियों की आय को बढ़ाएगी बल्कि देश की उपभोक्ता मांग और खर्च को भी जबरदस्त बढ़ावा देगी।

8th pay commission से कर्मचारियों को मिल सकती है 34% तक की बढ़ोतरी

फिटमेंट फैक्टर से तय होती है सैलरी की गणना

सरकारी कर्मचारियों के वेतन, पेंशन और भत्तों में बदलाव फिटमेंट फैक्टर के आधार पर किया जाता है। यह एक प्रमुख गुणक होता है जो कर्मचारी की नई सैलरी तय करता है। 7वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर 2.57 था जबकि 8वें वेतन आयोग में यह 1.83 से 2.46 के बीच हो सकता है। यह फैक्टर जितना ज्यादा होगा, सैलरी में बढ़ोतरी उतनी ही ज्यादा होगी।

सैलरी स्ट्रक्चर में कैसे होता है बदलाव

7वें वेतन आयोग में बेशक फिटमेंट फैक्टर 2.57 रखा गया था लेकिन इससे वास्तविक सैलरी में केवल 14.3% की बढ़ोतरी हुई थी क्योंकि यह सिर्फ बेसिक सैलरी पर लागू होता है। बेसिक सैलरी के अलावा कर्मचारियों को महंगाई भत्ता (DA), मकान किराया भत्ता (HRA) और यात्रा भत्ता (TA) भी मिलता है। बेसिक सैलरी कुल वेतन का 51.5% हिस्सा होती है।

नई सैलरी से बढ़ेगा उपभोक्ता खर्च और अर्थव्यवस्था को मिलेगा बल

रिपोर्ट के अनुसार, यदि 8वें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होती हैं तो इससे करोड़ों कर्मचारियों की क्रय शक्ति बढ़ेगी। इससे बाजार में मांग बढ़ेगी और देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। साथ ही पेंशनधारकों की आय में भी इजाफा होगा जिससे उनका जीवन स्तर सुधरेगा।

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Veg Biryani Price: रेलवे की वेज बिरयानी का असली दाम क्या है? जानिए सफर में ठगे जाने से कैसे बचें

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Veg Biryani Price: रेलवे की वेज बिरयानी का असली दाम क्या है? जानिए सफर में ठगे जाने से कैसे बचें

Veg Biryani Price: रेल यात्रा के दौरान खाने-पीने की चीजों के सही दाम न पता होने के कारण यात्रियों को अक्सर मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। कई बार वेंडर मनमाने दाम वसूलते हैं और यात्रियों को ठग लेते हैं। ऐसी ही बढ़ती शिकायतों को देखते हुए अब खुद रेलवे मंत्रालय ने सामने आकर वेज बिरयानी के सही दाम बताए हैं जिससे यात्री सही जानकारी लेकर सफर कर सकें।

प्लेटफॉर्म और ट्रेन में अलग-अलग कीमत

रेलवे मंत्रालय ने अपने आधिकारिक X (पूर्व में ट्विटर) हैंडल से जानकारी दी कि स्टेशन पर मिलने वाली 350 ग्राम की वेज बिरयानी का मूल्य 70 रुपये है। वहीं ट्रेन में यही बिरयानी यात्रियों को 80 रुपये में दी जाएगी। यह अंतर सेवा शुल्क और ऑनबोर्ड सर्विस के चलते है। बिरयानी में 70 ग्राम सब्जियां और कुल वजन 350 ग्राम होता है। साथ ही इसमें 80 ग्राम ब्रांडेड दही और 12 ग्राम अचार भी दिया जाता है जो इसी कीमत में शामिल है।

सुविधाएं भी तय मानकों के अनुसार मिलेंगी

रेलवे के अनुसार वेंडर को वेज बिरयानी के साथ दही और अचार के अलावा बायोडिग्रेडेबल चम्मच, टिशू पेपर और सैनिटाइजर भी देना जरूरी है। ये सभी चीजें ग्राहक को बिना अतिरिक्त शुल्क के मिलनी चाहिए। इससे न केवल सफाई बनी रहती है बल्कि यात्रियों को भी बेहतर अनुभव मिलता है।

मनमानी हो तो करें शिकायत

अगर कोई वेंडर अधिक पैसे मांगता है, कम मात्रा में खाना देता है या तय सुविधाएं नहीं देता तो यात्री तुरंत शिकायत दर्ज कर सकते हैं। इसके लिए 139 हेल्पलाइन नंबर पर कॉल किया जा सकता है या रेल मदद पोर्टल और रेलवे के X अकाउंट पर शिकायत की जा सकती है। रेलवे ने साफ किया है कि खाने की गुणवत्ता और कीमत पर किसी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

जागरूक यात्री ही सुरक्षित यात्री

यह जरूरी है कि यात्री खुद भी जागरूक रहें और खाने के पैकेट पर लिखी कीमत जांचें। यदि कीमत नहीं लिखी है या बिल नहीं दिया जा रहा है तो सतर्क हो जाएं। रेलवे का यह कदम यात्रियों को सशक्त बनाने की दिशा में एक बड़ा प्रयास है जिससे यात्रा के दौरान ठगी से बचा जा सके।

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