Connect with us

Business

Model Portfolio: प्रभुदास लीलाधर का मॉडल पोर्टफोलियो जारी, मार्च तक बाजार में स्थिरता संभव

Published

on

Model Portfolio: प्रभुदास लीलाधर का मॉडल पोर्टफोलियो जारी, मार्च तक बाजार में स्थिरता संभव

Model Portfolio: भारतीय शेयर बाजार में जारी गिरावट जल्द ही थम सकती है। वित्तीय कंपनी प्रभुदास लीलाधर की पीएल कैपिटल (PL Capital) इकाई के अनुसार, मौजूदा वित्तीय वर्ष की चौथी तिमाही (जनवरी-मार्च) के अंत तक बाजार में स्थिरता लौट सकती है। यह रिपोर्ट हाल ही में जारी ‘इंडिया स्ट्रैटेजी रिपोर्ट’ में प्रस्तुत की गई है। रिपोर्ट के अनुसार, अल्पावधि में बाजार में उतार-चढ़ाव जारी रह सकता है, लेकिन लंबे समय में इसमें मजबूती देखने को मिलेगी।

एफपीआई की वापसी की संभावना

पीएल कैपिटल की रिपोर्ट के अनुसार, पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) में वृद्धि के चलते विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (FPI) की वापसी हो सकती है। आयकर दरों में कटौती और उपभोक्ता मांग में सुधार के कारण विदेशी निवेशकों का भारतीय बाजार में विश्वास फिर से बढ़ सकता है। प्रभुदास लीलाधर ने अगले 12 महीनों के लिए निफ्टी का लक्ष्य 25,689 निर्धारित किया है।

मांग और उपभोग में सुधार

रिपोर्ट में कहा गया है कि घरेलू मांग में सुधार होगा, जिसका मुख्य कारण खाद्य मुद्रास्फीति में गिरावट है। अक्टूबर 2024 में खाद्य मुद्रास्फीति 10.9% थी, जो अब घटकर 6% पर आ गई है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने रेपो रेट में 25 बेसिस पॉइंट की कटौती की है, जिससे अगले 3-6 महीनों में खुले बाजार परिचालन (OMO) के माध्यम से बाजार में नकदी की उपलब्धता बढ़ेगी।

इसके अलावा, बजट में करदाताओं के लिए आयकर दरों में कटौती की गई है और उन्हें 1 लाख करोड़ रुपये की राहत दी गई है, जिससे उपभोग में वृद्धि होगी। धार्मिक पर्यटन से भी अर्थव्यवस्था को लाभ होने की उम्मीद है। साथ ही, सरकार द्वारा पूंजीगत व्यय में 17% की वृद्धि की गई है, जिसमें सार्वजनिक उपक्रमों (PSUs) और राज्यों को भी आवंटन किया गया है।

पीएल कैपिटल का मॉडल पोर्टफोलियो

बाजार में मांग में तेजी की उम्मीद को देखते हुए, पीएल कैपिटल ने निवेशकों के लिए अपना मॉडल पोर्टफोलियो जारी किया है। रिपोर्ट के अनुसार, उपभोक्ता से जुड़े शेयरों में पीएल कैपिटल का झुकाव अधिक है। इसका मुख्य कारण कर दरों में कटौती, मुद्रास्फीति में गिरावट और ब्याज दरों में कमी के चलते मांग में संभावित वृद्धि है। इसके अलावा, बैंकिंग और हेल्थकेयर से जुड़े शेयरों पर भी कंपनी का ध्यान केंद्रित है।

पीएल कैपिटल ने अपने पोर्टफोलियो में निम्नलिखित कंपनियों को शामिल किया है:

  • सिप्ला (Cipla)
  • एस्ट्रल पॉली (Astral Poly)
  • मारुति सुजुकी (Maruti Suzuki)
  • आईसीआईसीआई बैंक (ICICI Bank)
  • कोटक महिंद्रा बैंक (Kotak Mahindra Bank)
  • एबीबी (ABB)
  • भारत इलेक्ट्रॉनिक्स (Bharat Electronics)
  • इंटरग्लोब एविएशन (IndiGo)
  • आईटीसी (ITC)
  • भारती एयरटेल (Bharti Airtel)

Model Portfolio: प्रभुदास लीलाधर का मॉडल पोर्टफोलियो जारी, मार्च तक बाजार में स्थिरता संभव

वहीं, पीएल कैपिटल ने निम्नलिखित कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी घटाई है:

  • लार्सन एंड टुब्रो (L&T)
  • टाइटन (Titan)
  • हिंदुस्तान यूनिलीवर (HUL)
  • रिलायंस इंडस्ट्रीज (Reliance Industries)
  • एचसीएल टेक (HCL Tech)
  • एचडीएफसी एएमसी (HDFC AMC)

इसके अलावा, कंपनी ने शैलेट होटल्स (Chalet Hotels), इंगरसोल रैंड (Ingersoll Rand) और केन्स टेक (Kaynes Technology) के शेयरों को भी पसंद किया है।

विदेशी निवेशकों की बिकवाली के कारण

रिपोर्ट में बताया गया है कि वैश्विक अनिश्चितता और रुपये की कमजोरी के कारण विदेशी निवेशकों (FII) द्वारा भारतीय बाजार में बिकवाली हो रही है। अक्टूबर 2024 से अब तक विदेशी निवेशकों ने भारतीय इक्विटी बाजार और बॉन्ड से 20.2 अरब डॉलर की निकासी की है, जो हाल के वर्षों में सबसे अधिक है। भारत में 8.2 अरब डॉलर का पूंजी बहिर्वाह हुआ है।

पीएल कैपिटल ने भारतीय बाजार में एफआईआई निवेशों के लिए बाधा दर (हर्डल रेट) की गणना की है और अनुमान लगाया है कि:

  • डॉलर के मुकाबले रुपये में 4% की कमजोरी
  • पूंजीगत लाभ कर (Capital Gains Tax)
  • 10 वर्षीय अमेरिकी ट्रेजरी बॉन्ड की दर 4.5% होने के कारण

इन कारकों के चलते एफआईआई निवेश की कटऑफ दर 10.5% तक पहुंच गई है, जिससे विदेशी निवेशकों के लिए भारत में निवेश करना चुनौतीपूर्ण हो गया है।

बाजार के लिए भविष्य की संभावनाएँ

रिपोर्ट में कहा गया है कि अगले कुछ महीनों में बाजार में अस्थिरता बनी रह सकती है, लेकिन वर्ष 2025 की चौथी तिमाही तक स्थिरता आने की उम्मीद है। यदि सरकार द्वारा उठाए गए कदम सफल होते हैं, तो भारतीय शेयर बाजार में फिर से मजबूती आ सकती है। विदेशी निवेशकों की वापसी और घरेलू मांग में सुधार के साथ, बाजार में नए निवेशकों को भी अवसर मिल सकते हैं।

प्रभुदास लीलाधर की पीएल कैपिटल रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय शेयर बाजार में मौजूदा गिरावट अधिक समय तक नहीं टिकेगी। वित्तीय वर्ष 2024-25 की चौथी तिमाही के अंत तक बाजार में स्थिरता आने की उम्मीद है।

ब्याज दरों में कटौती, आयकर दरों में कमी और पूंजीगत व्यय में वृद्धि से घरेलू उपभोग और निवेश को बढ़ावा मिलेगा। हालांकि, वैश्विक अनिश्चितता और रुपये की कमजोरी के कारण विदेशी निवेशकों की बिकवाली अभी भी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। यदि सरकार और आरबीआई द्वारा उठाए गए कदम कारगर साबित होते हैं, तो भारतीय बाजार अगले कुछ महीनों में एक नई ऊँचाई पर पहुँच सकता है।

Continue Reading
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Business

Ather Energy IPO: निवेशकों के लिए बड़ा मौका, जल्द खुलेगा इश्यू

Published

on

Ather Energy IPO: निवेशकों के लिए बड़ा मौका, जल्द खुलेगा इश्यू

Ather Energy IPO: हाल के दिनों में देश के अधिकांश हिस्सों में तापमान में हल्की गिरावट आई है। पहाड़ी इलाकों में बारिश और बर्फबारी के कारण आसपास के मैदानी इलाकों में ठंडी हवाएं चल रही थीं। लेकिन अब मौसम में फिर से बदलाव होने जा रहा है।

पिछले 24 घंटों में मौसम का हाल

पिछले 24 घंटों में देश के कई हिस्सों में भारी बारिश और तेज हवाओं का सामना करना पड़ा। अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, असम, केरल और तमिलनाडु के कुछ हिस्सों में बारिश के कारण जनजीवन प्रभावित हुआ। हालांकि, कर्नाटका के तटीय क्षेत्र, कोंकण और गोवा, सौराष्ट्र और कच्छ में मौसम पहले जैसा गर्म रहा।

पश्चिमी विक्षोभ का प्रभाव

मौसम विभाग के अनुसार, पश्चिमी विक्षोभ (Western Disturbance) जो अब इराक के आसपास सक्रिय हो रहा है, आने वाले दिनों में देश के कुछ हिस्सों में प्रभाव डाल सकता है। इससे उत्तर-पश्चिम भारत में अगले कुछ दिनों तक तापमान में वृद्धि की संभावना है। मौसम विभाग का कहना है कि गुजरात में 12 मार्च तक हीट वेव का प्रभाव रह सकता है, वहीं मध्य भारत, महाराष्ट्र, गुजरात और दक्षिणी भारत के कुछ हिस्सों में तापमान में 2 से 3 डिग्री की वृद्धि होने की संभावना जताई जा रही है।

बारिश और बर्फबारी का अलर्ट

मौसम विभाग ने 10 मार्च के लिए जम्मू और कश्मीर में बर्फबारी और बारिश का अलर्ट जारी किया है। इसके साथ ही हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश और आंधी की संभावना भी जताई जा रही है। तमिलनाडु में भी कुछ स्थानों पर बारिश के आसार हैं।

Ather Energy IPO: निवेशकों के लिए बड़ा मौका, जल्द खुलेगा इश्यू

11 और 12 मार्च को तमिलनाडु, केरल, कर्नाटका, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश और असम में बारिश की चेतावनी जारी की गई है। इन क्षेत्रों में लगातार बारिश की संभावना बनी रहेगी। वहीं, 13 मार्च को जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब और हरियाणा में भी बारिश की संभावना है।

दिल्ली में तेज हवाओं का असर

दिल्ली में मौसम का मिजाज फिर से बदलने वाला है। एक तरफ जहां गुजरात में हीट वेव का अलर्ट जारी किया गया है, वहीं दूसरी ओर दिल्ली में अगले कुछ दिनों तक तेज हवाएं चलने की संभावना है। मौसम विभाग के अनुसार, 10 मार्च को दिल्ली के आसमान में हल्के बादल देखे जा सकते हैं, लेकिन 14 मार्च तक दिल्ली में तेज हवाएं चल सकती हैं।

इस दौरान दिल्ली में अधिकतम तापमान 31 से 34 डिग्री सेल्सियस के बीच रह सकता है, जबकि न्यूनतम तापमान 14 से 18 डिग्री सेल्सियस के बीच रहने की संभावना है। हालांकि, बारिश के बाद तापमान में हल्की गिरावट आ सकती है।

दिल्ली में 9 मार्च को रिकॉर्ड गर्मी

9 मार्च को दिल्ली में इस सीजन का सबसे गर्म दिन रिकॉर्ड किया गया। अधिकतम तापमान 34 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था, जो सामान्य से अधिक था। इसी तरह, आने वाले दिनों में मौसम में बदलाव होने के बावजूद तापमान में थोड़ी सी गिरावट आने की संभावना है।

देशभर में मौसम में उतार-चढ़ाव जारी है, खासकर दिल्ली में तेज हवाओं और पश्चिमी विक्षोभ के कारण तापमान में बदलाव की संभावना है। आने वाले दिनों में कुछ स्थानों पर बारिश और बर्फबारी की चेतावनी जारी की गई है। खासकर दिल्ली, गुजरात, उत्तर-पश्चिम भारत और तमिलनाडु में मौसम का मिजाज बदलने की संभावना है। साथ ही, प्रदूषण के स्तर में भी उतार-चढ़ाव हो सकता है, जिससे लोगों को स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

Continue Reading

Business

GST Rate Cut: आयकर के बाद अब घटेगा GST, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने दिए संकेत!

Published

on

GST Rate Cut: आयकर के बाद अब घटेगा GST, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने दिए संकेत!

GST Rate Cut: देश में आयकर दरों में कटौती के बाद अब GST दरों में कटौती का संकेत दिया गया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने खुद इस बारे में जानकारी दी है और कहा है कि Goods and Services Tax (GST) दरों और स्लैब्स को सुगम बनाने की प्रक्रिया लगभग अंतिम चरण में है और बहुत जल्द इस पर निर्णय लिया जा सकता है।

वित्त मंत्री ने ‘द इकनॉमिक टाइम्स अवॉर्ड्स’ के दौरान एक सवाल का जवाब देते हुए कहा, “GST दरों और स्लैब्स को सुगम बनाने का काम अब लगभग अंतिम चरण में है।” उन्होंने कहा कि जब GST की शुरुआत 1 जुलाई 2017 को हुई थी तब Revenue Neutral Rate (RNR) 15.8 प्रतिशत था, जो अब 2023 में घटकर 11.4 प्रतिशत हो गया है, और यह आगे भी घटेगा।

GST दरों और स्लैब्स में सुधार के लिए किया गया था समूह का गठन

वित्त मंत्री ने यह भी बताया कि GST काउंसिल, जिसे वित्त मंत्री खुद अध्यक्षता करती हैं, ने सितंबर 2021 में Group of Ministers (GoM) का गठन किया था। इस समूह का उद्देश्य था GST दरों में सुधार करना और स्लैब्स में बदलाव के लिए सुझाव देना।

निर्मला सीतारमण ने कहा, “GoM ने बहुत अच्छा काम किया है, लेकिन अब इस चरण में मैंने एक बार फिर से हर समूह के कार्य की पूरी समीक्षा करने का निर्णय लिया है, और फिर शायद इसे काउंसिल में प्रस्तुत किया जाएगा। तब यह विचार किया जाएगा कि क्या हम इस पर अंतिम निर्णय तक पहुंच सकते हैं या नहीं।”

उन्होंने आगे कहा कि कुछ कार्य और किए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया, “हम इसे अगले काउंसिल बैठक में लाएंगे। हम कुछ बहुत महत्वपूर्ण मुद्दों पर निर्णय लेने के बहुत करीब हैं, जैसे कि दरों में कटौती, रैशनलाइजेशन, स्लैब्स की संख्या को ध्यान में रखते हुए, आदि।”

क्यों हो रही है GST दरों में कटौती की चर्चा?

वर्तमान में सरकार के सामने एक बड़ी चुनौती है मांग और खपत को बढ़ावा देना, और इसके लिए अब GST काउंसिल दरों में कटौती पर विचार कर रही है। यह संभावना जताई जा रही है कि सरकार 12 प्रतिशत स्लैब को समाप्त कर सकती है और इस स्लैब में आने वाली वस्तुओं को 5 प्रतिशत या 18 प्रतिशत स्लैब में डाला जा सकता है, यदि आवश्यक हुआ तो। इसका मुख्य उद्देश्य खपत बढ़ाने के साथ-साथ GST दर संरचना को रैशनलाइज करना है।

GST स्लैब में बदलाव की पुरानी मांग

GST Rate Cut: आयकर के बाद अब घटेगा GST, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने दिए संकेत!

दरअसल, लंबे समय से GST स्लैब्स में बदलाव और दरों को सुगम बनाने की मांग की जा रही है। वर्तमान में GST के तहत चार स्लैब्स हैं, जो हैं:

  1. 5%
  2. 12%
  3. 18%
  4. 28%

इनके अलावा, कुछ लग्जरी और सिन वस्तुओं पर अलग से सेस लगाया जाता है। यह माना जा रहा है कि GST स्लैब्स की संख्या को घटाकर तीन किया जा सकता है, जो कि व्यापारी और उपभोक्ताओं के लिए अधिक सरल होगा।

सरकार की योजना और अपेक्षाएं

सरकार की योजना है कि GST दरों को पुनः व्यवस्थित किया जाए ताकि उपभोक्ता खपत में बढ़ोतरी हो और व्यापारियों के लिए कर प्रणाली सरल हो। इसके अलावा, इसका एक उद्देश्य यह भी हो सकता है कि व्यापारियों के लिए compliance यानी कर भुगतान प्रणाली को अधिक सरल और समझने योग्य बनाया जाए।

निर्मला सीतारमण ने इस मामले में कहा कि वे GST काउंसिल के अगले बैठक में इस पर अधिक चर्चाएं करेंगी और इसके लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे। इसके तहत एक अनुमान है कि 12 प्रतिशत वाले स्लैब को 5 प्रतिशत या 18 प्रतिशत स्लैब में शामिल किया जा सकता है। इससे उपभोक्ता खर्च में बढ़ोतरी हो सकती है, जो कि इस समय के आर्थिक परिप्रेक्ष्य में बेहद आवश्यक है।

क्या होगा इसका असर?

GST दरों में कटौती का सीधा असर आम आदमी की खरीदारी की आदतों पर पड़ेगा। यदि सरकार 12 प्रतिशत स्लैब को खत्म करती है और उन वस्तुओं को 5 प्रतिशत या 18 प्रतिशत स्लैब में शिफ्ट करती है, तो इसका फायदा छोटे व्यापारियों और उपभोक्ताओं को मिलेगा। इससे वस्तुओं की कीमतें कम हो सकती हैं, जो मांग बढ़ाने में सहायक होगी।

GST काउंसिल और इसके निर्णयों का महत्व

GST काउंसिल वह संस्था है, जो GST दरों और स्लैब्स के बारे में निर्णय लेती है। इसके निर्णय पूरे देश के व्यापारिक परिदृश्य को प्रभावित करते हैं। इसलिए काउंसिल के द्वारा किया गया कोई भी निर्णय ना सिर्फ व्यापारियों के लिए, बल्कि आम नागरिकों के लिए भी महत्वपूर्ण होता है।

विशेषज्ञों का मानना है कि यदि काउंसिल दरों में कटौती करने का निर्णय लेती है, तो इससे अर्थव्यवस्था में सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और खपत बढ़ेगी, जिससे आर्थिक वृद्धि में मदद मिलेगी।

GST दरों में कटौती की प्रक्रिया अब अंतिम चरण में है, और बहुत जल्द इसका अंतिम निर्णय लिया जा सकता है। इससे व्यापारियों और उपभोक्ताओं के लिए कर प्रणाली और भी सरल हो जाएगी। इससे मांग बढ़ाने और खपत में वृद्धि को भी बढ़ावा मिलेगा, जो आर्थिक विकास के लिए बेहद आवश्यक है। अब यह देखना होगा कि सरकार काउंसिल के अगले बैठक में इस पर क्या निर्णय लेती है।

इस फैसले के बाद, GST स्लैब्स की संख्या घटने और दरों में कटौती के रूप में नई उम्मीदें पैदा हो सकती हैं, जो भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक साबित होंगी।

Continue Reading

Business

Gold Rate Today: सोने की कीमतों में तेजी, डॉलर में गिरावट और टैरिफ युद्ध के बीच ₹87,500 तक पहुँच सकती है कीमत

Published

on

Gold Rate Today: सोने की कीमतों में तेजी, डॉलर में गिरावट और टैरिफ युद्ध के बीच ₹87,500 तक पहुँच सकती है कीमत

Gold Rate Today: सोने की कीमतें इस हफ्ते भी रिकॉर्ड ऊंचाई के आसपास बनी हुई हैं। अमेरिकी डॉलर में तेज गिरावट और शुल्क युद्ध (Tariff War) के बीच सोने की कीमतों में तेजी देखी गई है। शुक्रवार को MCX एक्सचेंज पर गोल्ड फ्यूचर्स (Gold Futures) की कीमत ₹85,820 प्रति 10 ग्राम पर बंद हुई। यह पिछले शुक्रवार के बंद भाव ₹84,202 प्रति 10 ग्राम की तुलना में ₹1,618 ज्यादा है। इस तरह, एक हफ्ते में सोने के दाम ₹1,618 बढ़ गए हैं। हालांकि, यह अभी भी अपने रिकॉर्ड उच्च स्तर ₹86,549 प्रति 10 ग्राम से ₹729 कम है।

सोने की कीमतें रिकॉर्ड स्तर के करीब

इस हफ्ते सोने की कीमतें ₹86,356 प्रति 10 ग्राम के साप्ताहिक उच्च स्तर को छूने के बाद ₹86,000 से नीचे बंद हुईं। इससे साफ है कि घरेलू बाजार में सोने की कीमतें लगातार रिकॉर्ड स्तर के आसपास बनी हुई हैं।

अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने की कीमतें

अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी सोने की कीमतों में तेजी देखी गई।

  • स्पॉट गोल्ड (Spot Gold) की कीमत इस हफ्ते $2,910 प्रति औंस पर बंद हुई, जो पिछले शुक्रवार के $2,858 प्रति औंस के मुकाबले $52 ज्यादा है।
  • कॉमेक्स (Comex) पर गोल्ड की कीमत $2,914 प्रति औंस रही, जो पिछले शुक्रवार के $2,862 प्रति औंस के मुकाबले $52 ज्यादा है।

यह आंकड़े दिखाते हैं कि सोने की कीमतें सिर्फ घरेलू बाजार में ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी मजबूती बनाए हुए हैं।

महत्वपूर्ण स्तर और संभावित उतार-चढ़ाव

सोने की कीमतों के लिए अहम रेजिस्टेंस और सपोर्ट लेवल

केडिया एडवाइजरी (Kedia Advisory) के एमडी अजय केडिया के अनुसार, सोने की कीमतों को ₹86,350 से ₹86,600 के बीच महत्वपूर्ण रेजिस्टेंस (Resistance) का सामना करना पड़ सकता है।

संभावित परिदृश्य:

  1. यदि कीमतें इस स्तर को तोड़ने में सफल रहती हैं, तो सोने की कीमत ₹87,500 प्रति 10 ग्राम तक जा सकती है।
  2. यदि यह स्तर नहीं टूटता, तो सोने की कीमतों में गिरावट भी देखी जा सकती है।
  3. नीचे की ओर, सोने की कीमतों को ₹84,300 और फिर ₹83,500 पर सपोर्ट मिलेगा।

किन आर्थिक कारकों पर रहेगी बाजार की नजर?

Gold Rate Today: सोने की कीमतों में तेजी, डॉलर में गिरावट और टैरिफ युद्ध के बीच ₹87,500 तक पहुँच सकती है कीमत

SS Wealthstreet की सुगंधा सचदेवा ने बताया कि सोने की कीमतों को प्रभावित करने वाले मुख्य कारक होंगे:

1. अमेरिका का महंगाई डेटा (US Inflation Data)

  • फरवरी के महंगाई डेटा (Inflation Data) पर निवेशकों की नजर रहेगी।
  • महंगाई में तेजी रहने पर सोने की कीमतें और बढ़ सकती हैं, जबकि गिरावट आने पर कीमतों में नरमी देखने को मिल सकती है।

2. प्रोड्यूसर प्राइस इंडेक्स (Producer Price Index – PPI) और बेरोजगारी के आंकड़े

  • अमेरिका में प्रोड्यूसर प्राइस इंडेक्स (PPI) और साप्ताहिक बेरोजगारी क्लेम (Unemployment Claims) के आंकड़े भी सोने की कीमतों को प्रभावित करेंगे।
  • यदि बेरोजगारी बढ़ती है और अर्थव्यवस्था कमजोर होती है, तो सोने की कीमतें चढ़ सकती हैं।

3. शुल्क युद्ध (Tariff War) से जुड़े घटनाक्रम

  • यदि अमेरिका और चीन के बीच व्यापार शुल्क को लेकर कोई नई स्थिति बनती है, तो इसका असर सोने की कीमतों पर भी पड़ेगा।
  • शुल्क युद्ध बढ़ने से निवेशक गोल्ड में निवेश बढ़ा सकते हैं, जिससे इसकी कीमतें और ऊपर जा सकती हैं।

सोने में निवेश करने का यह सही समय?

सोने की कीमतें रिकॉर्ड स्तर के करीब बनी हुई हैं, जिससे निवेशकों के मन में यह सवाल उठ रहा है कि क्या यह सही समय है सोने में निवेश करने का?

विशेषज्ञों की राय:

  1. दीर्घकालिक (Long-Term) निवेशकों के लिए सोना अब भी सुरक्षित निवेश का विकल्प बना हुआ है।
  2. छोटे समय के निवेशकों को सावधानी बरतने की जरूरत है, क्योंकि कीमतें उच्च स्तर पर हैं और थोड़ी गिरावट आ सकती है।
  3. यदि कीमतें ₹86,600 का स्तर तोड़ देती हैं, तो यह ₹87,500 तक जा सकता है।

गोल्ड ETF और डिजिटल गोल्ड के फायदे

जो लोग सोने में निवेश करना चाहते हैं लेकिन भौतिक रूप में नहीं खरीदना चाहते, वे गोल्ड ईटीएफ (Gold ETF) और डिजिटल गोल्ड में निवेश कर सकते हैं। यह विकल्प कम जोखिम और अधिक सुरक्षा प्रदान करते हैं।

चांदी की कीमतों का हाल

सोने की तरह चांदी की कीमतों में भी इस हफ्ते तेजी देखने को मिली।

  • MCX पर चांदी का वायदा भाव (Silver Futures Price) ₹99,480 प्रति किलोग्राम पर बंद हुआ।
  • यह पिछले सप्ताह के मुकाबले ₹2,200 प्रति किलोग्राम ज्यादा है।
  • अंतरराष्ट्रीय बाजार में चांदी की कीमतें $34.52 प्रति औंस पर पहुंच गई हैं।
  • सोने की कीमतें इस समय रिकॉर्ड स्तर के करीब बनी हुई हैं।
  • एक हफ्ते में सोने के दाम ₹1,618 बढ़ गए हैं, लेकिन अभी भी यह अपने रिकॉर्ड उच्च स्तर से ₹729 कम है।
  • महत्वपूर्ण स्तर: ₹86,350 – ₹86,600 के ऊपर जाने पर सोना ₹87,500 तक जा सकता है।
  • अमेरिका की आर्थिक स्थिति, महंगाई डेटा और व्यापार युद्ध के घटनाक्रम सोने की कीमतों को प्रभावित करेंगे।
  • निवेशकों को सतर्क रहने की जरूरत है, खासकर छोटे समय के निवेशकों को।

यदि आप दीर्घकालिक निवेशक हैं, तो गोल्ड में निवेश करना एक सुरक्षित विकल्प बना रहेगा। हालांकि, जिन लोगों को जल्द लाभ की उम्मीद है, उन्हें बाजार में उतार-चढ़ाव का ध्यान रखना होगा।

Continue Reading

Trending