Connect with us

Business

Groww IPO से चमका Lalit Keshare का नाम, Flipkart छोड़ने के बाद मिली अरबपति बनने की पहचान

Published

on

Groww IPO से चमका Lalit Keshare का नाम, Flipkart छोड़ने के बाद मिली अरबपति बनने की पहचान

Groww IPO: Groww के सह-संस्थापक ललित केशर की सफलता की कहानी आज सुर्खियों में है। कंपनी के हाल ही में हुए IPO के बाद, ललित केशर भारतीय अरबपतियों की सूची में शामिल हो गए हैं। ललित ने अपने करियर की शुरुआत फ्लिपकार्ट में प्रोडक्ट मैनेजर के रूप में की थी। लेकिन 2016 में उन्होंने फ्लिपकार्ट छोड़कर Groww की स्थापना की, और आज वह अरबपतियों की कतार में शामिल हैं।

Groww की शुरुआत और IPO का रिकॉर्ड

ललित केशर ने 2016 में फ्लिपकार्ट छोड़ने के बाद Groww की नींव रखी। कंपनी के IPO की लिस्टिंग 12 नवंबर को हुई, और सिर्फ चार ट्रेडिंग दिनों में इसके शेयर में 70% से अधिक की बढ़ोतरी दर्ज की गई। Groww का शेयर ₹174 पर बंद हुआ, जिससे कंपनी का कुल मूल्यांकन ₹9,448 करोड़ तक पहुंच गया। इसका मतलब है कि Groww अब लगभग $1.13 बिलियन के मूल्य की कंपनी बन गई है।

ललित केशर का व्यक्तिगत सफर

ललित केशर की कहानी मध्य प्रदेश के खरगोन जिले के लेपा गांव से शुरू होती है। एक किसान परिवार में जन्मे ललित ने सीमित संसाधनों के बावजूद अपनी पढ़ाई में उत्कृष्टता दिखाई। उन्होंने खरगोन के एकमात्र इंग्लिश-मीडियम स्कूल से शिक्षा प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने JEE क्वालीफाई किया और IIT बॉम्बे से इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की। उनकी मेहनत और दूरदर्शिता ने उन्हें Groww जैसी बड़ी कंपनी बनाने में मदद की।

Groww का मूल्यांकन और संस्थापक टीम

ललित केशर ने Groww की स्थापना अपने तीन साथियों—ईशान बंसल, हर्ष जैन और नीरज सिंह के साथ की। इस ऐप ने लाखों लोगों को शेयर मार्केट से आसानी से जोड़ने का रास्ता दिया। निवेशकों का भरोसा और फिनटेक सेक्टर में उछाल ने Groww के मार्केट वैल्यू को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। संस्थापकों की हिस्सेदारी को जोड़कर कंपनी का कुल मूल्यांकन अब ₹26,000 करोड़ से अधिक आंका गया है। Groww को BSE और NSE पर 12 नवंबर को लिस्ट किया गया। IPO की इश्यू प्राइस ₹100 तय की गई थी, लेकिन केवल चार ट्रेडिंग दिनों में शेयर ₹174 तक पहुंच गया।

Continue Reading
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Business

India China Trade: चीन को भारतीय एक्सपोर्ट में 42% की छलांग! क्या यह US टैरिफ के झटके को करेगा कम?

Published

on

India China Trade: चीन को भारतीय एक्सपोर्ट में 42% की छलांग! क्या यह US टैरिफ के झटके को करेगा कम?

India China Trade: अमेरिकी टैरिफ के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ रहे नकारात्मक असर के बीच भारत के लिए एक अच्छी खबर सामने आई है। पड़ोसी देश चीन के साथ व्यापारिक रिश्ते लगातार बेहतर हो रहे हैं। वित्त वर्ष 2024-25 के पहले सात महीनों में भारत के चीन को किए गए निर्यात हर महीने बढ़े हैं। खास बात यह है कि अक्टूबर में भारतीय निर्यातों में 42 प्रतिशत की जोरदार छलांग देखने को मिली। इसका सीधा मतलब है कि चीनी बाजार में भारतीय उत्पादों की पहुंच आसान हो रही है और अमेरिकी टैरिफ का जो दबाव बन रहा था, उसे यह वृद्धि काफी हद तक कम कर सकती है।

डेटा बताता है ट्रेड का असली हिसाब-किताब

आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल से अक्टूबर के बीच भारत के चीन को निर्यात में जबरदस्त वृद्धि दर्ज की गई। पिछले साल की तुलना में इस अवधि में भारतीय निर्यात 24.7 प्रतिशत बढ़कर 10.03 अरब डॉलर तक पहुंच गया। सबसे ज्यादा निर्यात पेट्रोलियम उत्पादों, टेलीकॉम उपकरणों और समुद्री उत्पादों का रहा। हालांकि, यही रफ्तार भारत के कुल निर्यात में नहीं दिखी। कुल निर्यात इस अवधि में केवल 0.63 प्रतिशत की मामूली बढ़ोतरी ही दर्ज कर सके, जो वैश्विक मांग में कमजोरी और प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं की सुस्ती को दर्शाता है।

India China Trade: चीन को भारतीय एक्सपोर्ट में 42% की छलांग! क्या यह US टैरिफ के झटके को करेगा कम?

क्यों खास है यह बढ़ता व्यापार?

भारत-चीन व्यापार के लिए यह दौर सबसे मजबूत अवधियों में से एक है। खासकर तब जब पूरी दुनिया आर्थिक दबाव में है और निर्यात बाजारों में प्रतिस्पर्धा बढ़ती जा रही है। ऐसे समय में चीन जैसे विशाल बाजार में भारतीय उत्पादों की मांग में तेजी आना भारत के लिए रणनीतिक और आर्थिक, दोनों दृष्टि से महत्वपूर्ण है। यह न केवल भारतीय निर्यातकों का आत्मविश्वास बढ़ाता है, बल्कि उन सेक्टर्स को भी मजबूती देता है जिन पर वैश्विक बाजार में दबाव बढ़ रहा है।

चीन बना सबसे बड़ा आयातक, उम्मीदें बढ़ा बढ़ा रहा है निर्यात

अप्रैल से अक्टूबर के बीच चीन भारत का सबसे बड़ा आयातक देश बनकर सामने आया। इस दौरान चीन से भारत ने 73.99 अरब डॉलर का सामान खरीदा। बड़े आयात के कारण दोनों देशों के बीच व्यापार घाटा 64 अरब डॉलर तक पहुंच गया। हालांकि, निर्यात में लगातार बढ़ोतरी ने उम्मीदें जगाई हैं कि यह घाटा आने वाले समय में कुछ हद तक कम हो सकता है। विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर भारत आने वाले महीनों में भी यही रफ्तार बनाए रखता है, तो चीन के साथ व्यापारिक संतुलन की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए जा सकते हैं।

Continue Reading

व्यापार

India Energy Sector 2025-26: OMCs का फायदा बढ़ेगा 50%, Crisil ने बताया $18-20 प्रति बैरल ऑपरेटिंग प्रॉफिट का अनुमान

Published

on

India Energy Sector 2025-26: OMCs का फायदा बढ़ेगा 50%, Crisil ने बताया $18-20 प्रति बैरल ऑपरेटिंग प्रॉफिट का अनुमान

India Energy Sector 2025-26: भारत में तेल विपणन कंपनियां (OMCs) 2025-26 वित्तीय वर्ष में तेज़ी से सुधार की ओर बढ़ रही हैं। क्रिसिल रेटिंग्स के अनुसार, इन कंपनियों के ऑपरेटिंग प्रॉफिट में 50 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि होने की संभावना है, जो इस वित्तीय वर्ष में प्रति बैरल 18-20 डॉलर तक पहुँच सकता है। स्थिर रिटेल ईंधन कीमतों और अनुकूल कच्चे तेल की परिस्थितियों के बीच मजबूत मार्केटिंग मार्जिन इन मुनाफों को बढ़ावा देंगे।

क्रिसिल रेटिंग्स की रिपोर्ट

तेल विपणन कंपनियां पेट्रोल, डीज़ल और अन्य ईंधनों के रिफ़ाइनिंग (ग्रॉस रिफ़ाइनिंग मार्जिन या GRM) और मार्केटिंग से राजस्व कमाती हैं। क्रिसिल रेटिंग्स ने कहा, “वर्तमान वित्तीय वर्ष में मार्केटिंग मार्जिन में सुधार रिफ़ाइनिंग मार्जिन में गिरावट को अधिक than पूरी तरह से संतुलित करेगा, क्योंकि वैश्विक मांग धीमी होने के बावजूद दुनिया क्लीनर ऊर्जा स्रोतों की ओर बढ़ रही है।” बेहतर मुनाफा नकदी भंडार को ₹75,000-80,000 करोड़ तक बढ़ा देगा, जो पिछले वित्तीय वर्ष 2024-25 में लगभग ₹55,000 करोड़ था।

India Energy Sector 2025-26: OMCs का फायदा बढ़ेगा 50%, Crisil ने बताया $18-20 प्रति बैरल ऑपरेटिंग प्रॉफिट का अनुमान

मजबूत नकदी प्रवाह और पूंजीगत व्यय

तेल विपणन कंपनियों के मजबूत नकदी प्रवाह से इस क्षेत्र की ₹90,000 करोड़ की योजनाबद्ध पूंजीगत व्यय को समर्थन मिलेगा। यह व्यय मुख्य रूप से मौजूदा परियोजनाओं के विस्तार और घरेलू मांग आधारित प्रोजेक्ट्स पर केंद्रित होगा। कच्चे तेल की कीमतें इस वित्तीय वर्ष में $65-67 प्रति बैरल रहने की संभावना है, जिससे ग्रॉस रिफ़ाइनिंग मार्जिन (GRM) $4-6 प्रति बैरल तक सीमित रहेगा। इसके विपरीत, मार्केटिंग प्रॉफिट लगभग $14 प्रति बैरल (लगभग ₹8 प्रति लीटर) तक बढ़ने का अनुमान है।

कच्चे तेल की कीमतों का अनुमान और वैश्विक प्रभाव

पिछले पांच वित्तीय वर्षों में भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं के कारण तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव देखा गया है, जबकि रिटेल ईंधन की कीमतें स्थिर रही हैं। क्रिसिल रेटिंग्स के वरिष्ठ निदेशक अनुज सेठी ने कहा, “कच्चे तेल की कीमतें अस्थिर होने के बावजूद, इस वित्तीय वर्ष में $65-67 प्रति बैरल तक स्थिर होने की उम्मीद है। वैश्विक मांग में कमजोरी और ऊर्जा संक्रमण की प्रवृत्ति के कारण रिफ़ाइनिंग स्प्रेड पर दबाव रहेगा, जिससे GRM $4-6 प्रति बैरल तक सीमित रहेगा।” इस सुधार से कुल ऑपरेटिंग मार्जिन में वृद्धि होगी और OMCs के विकास को बढ़ावा मिलेगा।

Continue Reading

Business

SIP Investment Tips: छोटे निवेश से करोड़पति बनने का तरीका, जानें सही रणनीति और गणना के राज़

Published

on

SIP Investment Tips: छोटे निवेश से करोड़पति बनने का तरीका, जानें सही रणनीति और गणना के राज़

SIP Investment Tips: भारतीय निवेशक आजकल Systematic Investment Plan (SIP) यानी व्यवस्थित निवेश योजना को एक लोकप्रिय निवेश विकल्प के रूप में देख रहे हैं। कई निवेशक अपने वित्तीय लक्ष्यों के अनुसार SIP के माध्यम से निवेश करना पसंद करते हैं। अगर आप भी छोटे-छोटे निवेश करके लंबी अवधि में संपत्ति बनाने का लक्ष्य रखते हैं, तो SIP आपके लिए सही विकल्प हो सकता है। SIP निवेश लंबी अवधि में धीरे-धीरे आपका धन बढ़ाने का माध्यम है, जिससे बड़ी पूंजी तैयार की जा सकती है।

SIP से करोड़ों का निर्माण कैसे संभव है

मान लीजिए आप प्रति माह 12,000 रुपये का SIP शुरू करते हैं और इसे लगभग 19 वर्षों तक जारी रखते हैं। इस अवधि में आपका कुल निवेश ₹27,36,000 होगा। यदि इस निवेश पर अनुमानित 12% की वार्षिक दर से रिटर्न मिलता है, तो लंबी अवधि में आपकी संपत्ति में जबरदस्त वृद्धि होगी। SIP का असली फायदा कंपाउंडिंग में निहित है। यदि सभी बाजार की परिस्थितियाँ अनुकूल बनी रहती हैं, तो 19 वर्षों के अंत में आपके पास कुल ₹1,05,03,905 का बड़ा कोरपस तैयार हो सकता है। इसमें से लगभग ₹77,67,905 केवल ब्याज के रूप में आपके निवेश पर अर्जित होगा।

SIP Investment Tips: छोटे निवेश से करोड़पति बनने का तरीका, जानें सही रणनीति और गणना के राज़

SIP क्या है और कैसे काम करता है

SIP यानी Systematic Investment Plan एक ऐसा निवेश माध्यम है जिसमें निवेशक नियमित अंतराल पर छोटे-छोटे राशियों का निवेश करते हैं। यह निवेश किसी विशेष समय अवधि के लिए किया जाता है और इसका उद्देश्य लंबी अवधि में बड़ा कोरपस तैयार करना होता है। SIP निवेश के माध्यम से निवेशक बाजार की उतार-चढ़ाव का लाभ उठाते हुए धीरे-धीरे अपनी संपत्ति बढ़ा सकते हैं।

SIP निवेश में जोखिम और सावधानियाँ

हालांकि SIP निवेश लंबे समय में धन बढ़ाने का उत्तम तरीका है, लेकिन यह स्टॉक मार्केट पर निर्भर करता है। इसलिए, इसके रिटर्न में उतार-चढ़ाव हो सकता है। निवेशक को यह समझना जरूरी है कि SIP निवेश में बाजार जोखिम हमेशा मौजूद रहता है। सही समय, अनुशासन और नियमित निवेश के साथ SIP में निवेश करने से आप अपने वित्तीय लक्ष्यों को सफलतापूर्वक हासिल कर सकते हैं। निवेशकों को सलाह दी जाती है कि वे निवेश से पहले बाजार की स्थिति और अपनी जोखिम क्षमता का मूल्यांकन अवश्य करें।

Continue Reading

Trending