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Justice Bhushan Ramakrishna Gavai: कौन हैं जस्टिस गवई जिनकी शपथ के बाद मां के चरणों में झुक गया भारत का सर्वोच्च न्यायालय

Justice Bhushan Ramakrishna Gavai ने आज बुधवार को देश के 52वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। यह समारोह राष्ट्रपति भवन में हुआ जहां राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें हिंदी में शपथ दिलाई। उन्होंने शपथ लेने के बाद अपनी मां के चरण छूकर आशीर्वाद लिया।
शपथ ग्रहण में दिखा राष्ट्रीय नेतृत्व
इस समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और गृह मंत्री अमित शाह भी मौजूद रहे। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के पूर्व और वर्तमान न्यायाधीशों ने भी शिरकत की। जस्टिस संजीव खन्ना के रिटायर होने के बाद जस्टिस गवई ने यह जिम्मेदारी संभाली है।
सिफारिश से लेकर नियुक्ति तक का सफर
16 अप्रैल को तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश द्वारा केंद्र सरकार को जस्टिस गवई के नाम की सिफारिश की गई थी। इसके बाद 14 मई को भारत सरकार ने अधिसूचना जारी कर उन्हें मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया। यह नियुक्ति संविधान के अनुच्छेद 124 के अंतर्गत राष्ट्रपति के अधिकार से की गई है।
#WATCH | Delhi: CJI BR Gavai greets President Droupadi Murmu, Prime Minister Narendra Modi, Vice President Jagdeep Dhankhar, former President Ram Nath Kovind and other dignitaries at the Rashtrapati Bhavan. He took oath as the 52nd Chief Justice of India.
(Video Source:… pic.twitter.com/yMUL0Sw3LH
— ANI (@ANI) May 14, 2025
कानून के क्षेत्र में लंबा अनुभव
जस्टिस गवई ने 1985 में वकालत की शुरुआत की थी और बाद में नागपुर नगर निगम और अमरावती विश्वविद्यालय के लिए वकील रहे। 2003 में उन्हें बॉम्बे हाई कोर्ट का अतिरिक्त जज बनाया गया और 2005 में वे स्थायी जज बने। सुप्रीम कोर्ट में वे 2019 में आए और अब वे सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश हैं।
महत्वपूर्ण फैसलों में निभाई बड़ी भूमिका
सुप्रीम कोर्ट में रहते हुए जस्टिस गवई ने कई ऐतिहासिक फैसलों का हिस्सा बने। वे उस पांच जजों की पीठ में शामिल थे जिसने अनुच्छेद 370 हटाने के फैसले को सही ठहराया। उन्होंने चुनावी बॉन्ड स्कीम को रद्द करने और नोटबंदी के फैसले को मंजूरी देने वाली पीठ में भी भूमिका निभाई।
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Earthquake: दिल्ली में बार-बार आ रहे भूकंप के झटकों ने बढ़ाई चिंता! हर हफ्ते हिल रही है दिल्ली की ज़मीन

Earthquake: दिल्लीवासियों ने जुलाई के महीने में भूकंप के झटकों को लगातार महसूस किया है। शुक्रवार 11 जुलाई की सुबह और उससे एक दिन पहले गुरुवार को सुबह 9 बजकर 4 मिनट पर भी भूकंप आया। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 4.4 मापी गई। लगातार झटकों के कारण लोगों में डर का माहौल बन गया है। जैसे ही धरती हिली लोग घरों से बाहर भागते दिखे।
तीसरी बार जुलाई में आया भूकंप
यह जुलाई महीने में तीसरी बार है जब दिल्ली में धरती कांपी है। हालांकि सभी भूकंपों की तीव्रता सामान्य रही है और किसी प्रकार के नुकसान की खबर नहीं है। फिर भी लगातार झटकों ने आम जनता को बेचैन कर दिया है। लोग हर समय डर में जी रहे हैं कि कहीं कोई बड़ा भूकंप न आ जाए।
क्यों बार-बार आते हैं दिल्ली में भूकंप
दिल्ली एक ऐसे क्षेत्र में स्थित है जो भूकंप के लिए संवेदनशील माना जाता है। दिल्ली हिमालय के पास स्थित है और यहां भारत और यूरेशिया की टेक्टोनिक प्लेट्स टकराती हैं। इन्हीं प्लेट्स की हरकतों से धरती कांपती है। नेपाल और तिब्बत में आने वाले झटकों का असर भी दिल्ली में महसूस किया जाता है। अगर दिल्ली में कोई बड़ा भूकंप आया तो उसकी तीव्रता 6 से 6.9 तक हो सकती है।
फरीदाबाद बना भूकंप का केंद्र
मंगलवार सुबह 6 बजे एक और भूकंप आया जिसकी तीव्रता 3.2 मापी गई। इसका केंद्र हरियाणा के फरीदाबाद में था। यह झटका 5 सेकंड तक महसूस किया गया और लोगों को डरा गया। हालांकि इससे किसी भी प्रकार की जान या माल की हानि नहीं हुई। फिर भी लोगों को समझ नहीं आ रहा कि भूकंप आखिर इतने बार क्यों आ रहे हैं।
भविष्य में बड़े खतरे की आशंका
नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के अनुसार भूकंप का केंद्र ज़मीन से 5 किलोमीटर नीचे था। अगर भविष्य में टेक्टोनिक प्लेट्स की गतिविधियां बढ़ती हैं तो दिल्ली एक बड़े भूकंप की चपेट में आ सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि लोगों को सतर्क रहना चाहिए और भूकंप से जुड़ी प्राथमिक सुरक्षा जानकारी जरूर रखनी चाहिए।
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Kawad Yatra 2025: कांवड़ियों के लिए सुरक्षा और सुविधा दोनों पक्की! दिल्ली से मेरठ तक श्रद्धालुओं के स्वागत में बिछा जनसैलाब

Kawad Yatra 2025: सावन माह के दूसरे सोमवार को भोलेनाथ के भक्त कांवड़ यात्रा पर निकले और पूरे उत्साह के साथ अपने-अपने गंतव्यों की ओर बढ़ते नजर आए। गंगाजल लेकर पैदल चलकर महादेव को जल चढ़ाने की यह यात्रा आस्था और समर्पण का प्रतीक बन चुकी है। उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, दिल्ली समेत कई राज्यों में इस बार भी लाखों की संख्या में कांवड़ियों ने भाग लिया। रास्ते भर उनके स्वागत और सेवा के लिए कई स्थानों पर विशेष इंतज़ाम किए गए।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का पुष्प वर्षा से स्वागत
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मेरठ में कांवड़ियों का सड़क पर पुष्पवर्षा कर भव्य स्वागत किया। उन्होंने पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई अन्य जिलों में हेलीकॉप्टर से भी फूल बरसाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि कांवड़ यात्रा को बदनाम करने की साजिश रचने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। यात्रा की पवित्रता को बिगाड़ने की कोशिश करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। उनके पोस्टर सार्वजनिक किए जाएंगे।
#WATCH | Sambhal, UP: Chandausi CO Anuj Chaudhary welcomed and greeted Kanwariyas on their arrival back to Sambhal, ahead of Sawan Shivratri, which will be observed across the country on 23 July. (20.07) pic.twitter.com/sytVGSQaJI
— ANI (@ANI) July 21, 2025
प्रशासन की सेवा भावना: भोजन, स्वास्थ्य और सुरक्षा का विशेष ध्यान
कांवड़ियों के लिए सभी प्रमुख रास्तों पर कैंप लगाए गए हैं। इन शिविरों में भोजन, जलपान, स्वास्थ्य सेवाएं और विश्राम की सुविधाएं दी जा रही हैं। चंदौसी में CO अनुज चौधरी ने खुद कांवड़ियों का स्वागत किया और उन्हें केले बांटे। उन्होंने बताया कि मेडिकल सहायता, फल और पूरी सुरक्षा के इंतज़ाम किए गए हैं। हर मंदिर पर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं और भारी पुलिस बल की तैनाती की गई है।
#WATCH | Delhi CM Rekha Gupta serves food at Kanwar Camp in Delhi's Dhaula Kuan. pic.twitter.com/Gy813MYum5
— ANI (@ANI) July 20, 2025
बुलंदशहर और दिल्ली में सख्त सुरक्षा व्यवस्था
बुलंदशहर में एसपी ग्रामीण तेजवीर सिंह ने बताया कि कांवड़ यात्रा के मार्ग को ज़ोन और सेक्टर में बांटकर सुरक्षा व्यवस्था की गई है। हर एक किलोमीटर पर पेट्रोलिंग बाइक तैनात की गई है और ट्रैफिक डायवर्जन को नियंत्रित करने के लिए विशेष फोर्स तैनात है। दिल्ली में भी मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता और समाज कल्याण मंत्री रविंद्र इंद्राज सिंह ने शिविरों में जाकर स्वयंसेवा की और कांवड़ियों का पुष्पवर्षा से स्वागत किया।
सेवा का भाव अच्छा है अगर उसके पीछे का भाव अच्छा है। pic.twitter.com/SarHjnRZ8w
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) July 18, 2025
दिल्ली में भी उमड़ा उत्साह, हर स्तर पर सेवा
दिल्ली के ढौला कुआं में मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कांवड़ शिविर में भोजन परोसा और गंगाजल के कलश और जूट के थैले बांटे। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार पूरी तरह श्रद्धालुओं के साथ है और किसी भी स्तर पर असुविधा नहीं होने दी जाएगी। दिल्ली के रोहिणी में मंत्री रविंद्र इंद्राज सिंह ने भी कांवड़ियों का स्वागत किया और बताया कि लाखों नहीं, करोड़ों शिव भक्त दिल्ली से होकर गुज़र रहे हैं।
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Monsoon Session of Parliament 2025: जन विश्वास से लेकर खेल प्रशासन तक, सरकार ला रही है नए कानून! जानिए अंदर की रणनीति

Monsoon Session of Parliament 2025: संसद का मानसून सत्र सोमवार से शुरू हो रहा है जो 21 अगस्त तक चलेगा। इस दौरान कुल 21 बैठकें होंगी। हालांकि स्वतंत्रता दिवस समारोह के चलते 12 से 18 अगस्त तक संसद की कार्यवाही स्थगित रहेगी। सरकार इस सत्र में कई अहम बिलों पर चर्चा करने और कुछ नए बिल पेश करने की योजना बना रही है। यह सत्र न केवल विधायी कामकाज के लिहाज से बल्कि राजनीतिक माहौल के दृष्टिकोण से भी काफी महत्वपूर्ण होने वाला है।
सर्वदलीय बैठक में नेताओं का जमावड़ा
सत्र से पहले रविवार को सरकार ने सर्वदलीय बैठक बुलाई जिसमें विभिन्न दलों के प्रमुख नेताओं ने भाग लिया। बीजेपी के जेपी नड्डा और किरेन रिजिजू, कांग्रेस के गौरव गोगोई और प्रमोद तिवारी, एनसीपी की सुप्रिया सुले, शिवसेना के श्रीकांत शिंदे, डीएमके के टीआर बालू, आरजेडी के प्रेमचंद्र गुप्ता, जेडीयू के संजय झा समेत कई वरिष्ठ नेता बैठक में शामिल हुए। बैठक का उद्देश्य था कि सभी दलों को मिलाकर सत्र की कार्यवाही को सुचारु रूप से चलाया जा सके।
पेश किए जाएंगे ये नए बिल
इस बार सरकार कुल 8 नए बिल संसद में पेश करने जा रही है। इनमें प्रमुख हैं मणिपुर जीएसटी संशोधन बिल, कराधान कानून संशोधन बिल, जन विश्वास संशोधन विधेयक, भारतीय प्रबंधन संस्थान संशोधन विधेयक, भू-धरोहर संरक्षण विधेयक, खनिज संसाधन सुधार विधेयक, राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक और राष्ट्रीय डोपिंग विरोध संशोधन विधेयक। ये बिल शिक्षा, खेल, पर्यावरण और कर व्यवस्था जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में बदलाव ला सकते हैं।
लटके हुए पुराने बिलों पर भी होगी चर्चा
इस सत्र में 7 ऐसे पुराने बिलों पर भी चर्चा होनी है जो पहले से लंबित हैं। इनमें भारतीय बंदरगाह विधेयक, इनकम टैक्स बिल, गोवा में अनुसूचित जनजातियों के पुनः प्रतिनिधित्व से जुड़ा बिल, मर्चेंट शिपिंग बिल, कोस्टल शिपिंग बिल, समुद्री वस्तुओं के परिवहन से जुड़े बिल और बिल ऑफ लैंडिंग बिल शामिल हैं। ये सभी बिल भारत के समुद्री कानून और आर्थिक नीति से जुड़े हैं जिनका देश की व्यापार व्यवस्था पर सीधा प्रभाव पड़ेगा।
विपक्ष और सरकार की रणनीति का टकराव
हालांकि सरकार इस सत्र को विधायी दृष्टि से सफल बनाना चाहती है लेकिन विपक्ष पहले ही संकेत दे चुका है कि वह कुछ मुद्दों पर सरकार को घेरने की योजना बना रहा है। महंगाई, बेरोजगारी और मणिपुर हिंसा जैसे मुद्दे विपक्ष के एजेंडे में शामिल हैं। ऐसे में इस सत्र में बहस गर्म होने की पूरी संभावना है। सर्वदलीय बैठक भले ही सौहार्दपूर्ण रही हो लेकिन सदन के अंदर माहौल कितना शांत रहेगा यह देखने वाली बात होगी।
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