देश
भारतीय वायु सेना ने 60 साल सेवा देने वाले MiG-21 को किया अलविदा, प्रिया शर्मा की ऐतिहासिक उड़ान शामिल
भारतीय वायु सेना (IAF) शुक्रवार को अपने प्रतिष्ठित MiG-21 फाइटर जेट को विदाई देगी। यह जेट छह दशकों से भारतीय आकाश में उड़ान भरता आया है। चंडीगढ़ एयर फ़ोर्स स्टेशन पर एक भव्य समारोह का आयोजन किया गया है, जहाँ 1963 में MiG-21 को पहली बार inducted किया गया था। इस अवसर पर नंबर 23 स्क्वाड्रन “पैंथर्स” अंतिम फ्लायपास में भाग लेगी और इसके बाद जेट्स पानी की तोपों की सलामी के साथ अंतिम लैंडिंग करेंगे।
समारोह में मुख्य अतिथि और विशेष प्रदर्शन
इस ऐतिहासिक समारोह में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह मुख्य अतिथि होंगे। इसके अलावा, वायु सेना की आकाश गंगा स्काईडाइविंग टीम शानदार प्रदर्शन करेगी और एयर वॉरियर ड्रिल टीम अपनी सटीकता और अनुशासन का प्रदर्शन करेगी। वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह स्वयं MiG-21 उड़ाकर इस विदाई समारोह को यादगार बनाएंगे।
We shall remember you, #MiG21! A legendary icon of the Indian Air Force, this fearless warrior has etched its valour across generations. As its final sortie marks the close of a historic era, the #IAF celebrates its legacy with pride and ushers in a bold new chapter of innovation… pic.twitter.com/kp4WUy3aeo
— Ministry of Defence, Government of India (@SpokespersonMoD) September 26, 2025
प्रिया शर्मा की ऐतिहासिक भागीदारी
MiG-21 की अंतिम उड़ान में छह IAF पायलट शामिल होंगे, जिनमें स्क्वाड्रन लीडर प्रिया शर्मा विशेष रूप से ध्यान का केंद्र होंगी। प्रिया भारतीय वायु सेना की सातवीं महिला फाइटर पायलट हैं और उनका इस विदाई समारोह में हिस्सा लेना इतिहास रच रहा है। राजस्थान के झुंझुनूं जिले की प्रिया ने 2018 में डुंडिगल एयर फ़ोर्स अकादमी से अपनी ट्रेनिंग पूरी की और उस समय उन्हें सेना प्रमुख बिपिन रावत ने ग्रेजुएशन सर्टिफिकेट प्रदान किया।
प्रिया शर्मा का प्रेरक सफर
प्रिया ने इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने के बाद अपने पिता के कदमों पर चलते हुए वायु सेना में शामिल होने का निर्णय लिया। वह अपनी बैच की अकेली महिला फाइटर पायलट थीं। प्रिया ने हाकिमपेट एयर फ़ोर्स स्टेशन, हैदराबाद में प्रारंभिक प्रशिक्षण लिया और बाद में बिड़ार एयर फ़ोर्स स्टेशन, कर्नाटक में स्टेज 2 और स्टेज 3 एडवांस्ड फाइटर ट्रेनिंग पूरी की। बचपन में अपने पिता के बिड़ार में तैनात होने के दौरान उन्होंने जगुआर और हॉक विमान उड़ते देखे और पायलट बनने का सपना पाला।
MiG-21 की अमर विरासत
इस साल अगस्त में प्रिया ने बीकानेर के नाल एयर फ़ोर्स स्टेशन में एयर फ़ोर्स चीफ की MiG-21 विदाई उड़ान में भी भाग लिया था। आज चंडीगढ़ में अंतिम उड़ान में उनकी उपस्थिति MiG-21 की गौरवपूर्ण विरासत को और सम्मानित करेगी। यह जेट भारतीय वायु सेना में 60 साल से अधिक सेवा करता रहा और कई युद्धों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। MiG-21 ने न केवल भारत के रक्षा इतिहास में अपनी जगह बनाई बल्कि कई पायलट्स के सपनों को भी प्रेरित किया।
देश
Delhi Blast: DNA रिपोर्ट ने खोला राज! लाल किला ब्लास्ट की कार में कौन था ड्राइवर?”
Delhi Blast: दिल्ली के लाल किले के पास सोमवार को हुए भीषण कार धमाके की जांच में बड़ा खुलासा हुआ है। जांच एजेंसियों के सूत्रों के मुताबिक, जिस i20 कार में धमाका हुआ था, उसे डॉ. उमर चला रहे थे। इस बात की पुष्टि डीएनए टेस्ट के बाद हुई है। सूत्रों का कहना है कि जिस शव के अवशेष कार से बरामद हुए थे, वह किसी और के नहीं बल्कि डॉ. उमर के ही थे। इस विस्फोट के बाद से ही पुलिस और एनआईए की टीमें लगातार मामले की तहकीकात में जुटी हुई हैं।
डीएनए टेस्ट ने खोला राज — हड्डियों और दाँतों के नमूने से हुई पहचान
पुलिस सूत्रों के अनुसार, जांच एजेंसियों ने कार से मिले हड्डियों और दाँतों के नमूने डॉ. उमर की माँ के डीएनए सैंपल से मिलाए। जब दोनों नमूनों की तुलना की गई, तो रिपोर्ट ने 100 प्रतिशत मैच की पुष्टि की। यह टेस्ट रोहिणी एफएसएल लैब में किया गया था। अधिकारियों ने बताया कि इस डीएनए मैच के बाद यह पूरी तरह स्पष्ट हो गया है कि धमाके के समय कार चला रहे व्यक्ति की पहचान डॉ. उमर के रूप में हुई है। बताया जा रहा है कि डॉ. उमर ही वह व्यक्ति थे जो 10 नवंबर की शाम लाल किले के पास सुभाष मार्ग सिग्नल पर विस्फोटक से भरी i20 चला रहे थे।

धमाके की तीव्रता ने मचाया हाहाकार, उमर की मौत मौके पर ही
रिपोर्ट्स के मुताबिक, धमाका इतना शक्तिशाली था कि आसपास खड़ी कई गाड़ियों में आग लग गई और पूरा इलाका दहशत में आ गया। पुलिस को कार के अंदर से डॉ. उमर की टांग एक्सिलरेटर में फंसी हुई मिली, जिससे अंदाज़ा लगाया गया कि वह विस्फोट के समय वाहन चला रहे थे। कार पूरी तरह जलकर खाक हो चुकी थी और अंदर मौजूद व्यक्ति की मौके पर ही मौत हो गई। यह घटना इतनी भयावह थी कि कई मीटर दूर तक धमाके की गूंज सुनाई दी। जांच एजेंसियां अब यह पता लगाने में जुटी हैं कि विस्फोटक कैसे और कहाँ से लाया गया तथा इसमें और कौन-कौन शामिल हो सकता है।
अब तक 12 की मौत, प्रधानमंत्री मोदी ने घायलों से की मुलाकात
इस दिल्ली ब्लास्ट में अब तक 12 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि 29 लोग घायल हुए हैं। इनमें से पाँच की हालत अभी भी नाज़ुक बताई जा रही है। घायलों का इलाज लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल में जारी है। बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अस्पताल जाकर घायलों से मुलाकात की और अधिकारियों को हर संभव मदद देने के निर्देश दिए। राजधानी के कई इलाकों में सुरक्षा कड़ी कर दी गई है, जबकि एनआईए और दिल्ली पुलिस की टीमें मिलकर मामले की हर कड़ी को जोड़ने में लगी हैं। फिलहाल, यह साफ है कि धमाके में मारे गए व्यक्ति की पहचान अब पूरी तरह से डॉ. उमर के रूप में हो चुकी है, जिससे जांच का एक महत्वपूर्ण चरण पूरा हो गया है।
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ED Raids: ED की बड़ी कार्रवाई! मुंबई और ठाणे में 13 जगहों पर छापेमारी, ₹85 करोड़ के फ्रॉड का खुलासा
ED Raids: बुधवार, 12 नवंबर 2025 को Enforcement Directorate (ईडी) ने महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई और ठाणे जिले में 13 स्थानों पर छापेमारी की। ये छापे मुंबई के विभिन्न क्षेत्रों में, जैसे वर्ली और डोंबिवली, के अलावा ठाणे जिले में भी किए गए। यह कार्रवाई Lodha Developers Limited (अब Macrotech Developers Limited) के पूर्व निदेशक राजेंद्र लोढ़ा से जुड़ी कथित मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में की गई।
ईडी जांच में क्या सामने आया
सूत्रों के अनुसार, ये छापेमारी Lodha Developers द्वारा दर्ज एफआईआर के आधार पर की गई। एफआईआर में आरोप है कि राजेंद्र लोढ़ा ने 2013 से 2025 के बीच अपने पद का दुरुपयोग कर कंपनी को लगभग ₹85 करोड़ का नुकसान पहुँचाया। इस नुकसान का कारण कथित तौर पर अनधिकृत जमीन के सौदे, कम कीमत पर प्लॉट बेचना और धोखाधड़ीपूर्ण खरीदारी बताई गई है।
कुल 10 व्यक्तियों के खिलाफ मामला दर्ज
ईडी अधिकारियों ने बताया कि इस कार्रवाई का मुख्य उद्देश्य अवैध धन के स्रोत और उसके उपयोग को ट्रैक करना है। इस मामले में कुल 10 आरोपियों पर केस दर्ज किया गया है, जिनमें राजेंद्र लोढ़ा भी शामिल हैं। उल्लेखनीय है कि राजेंद्र लोढ़ा को पहले इसी मामले में सितंबर 2025 में मुंबई पुलिस क्राइम ब्रांच ने गिरफ्तार किया था।
जांच जारी, अन्य एजेंसियों के साथ समन्वय
ईडी की टीमें मंगलवार की देर रात (11 नवंबर 2025) तक वर्ली, डोंबिवली और ठाणे के आवासीय और व्यावसायिक ठिकानों पर छापेमारी करती रहीं। एजेंसी अधिकारियों के अनुसार, इस जांच में अन्य एजेंसियों के साथ समन्वय किया जा रहा है ताकि मनी लॉन्ड्रिंग के सबूत और अवैध धन से खरीदी गई संपत्तियों की पहचान स्पष्ट रूप से की जा सके।
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Delhi Bomb Blast: दिल्ली पुलिस और एजेंसियों ने लाल किले के बम धमाके की जांच में तीन महत्वपूर्ण तथ्य खोजे
Delhi Bomb Blast: दिल्ली के लाल किले के पास सोमवार शाम हुए कार बम विस्फोट की जांच तेज़ी से जारी है। इस भयंकर हमले में अब तक 12 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 20 से अधिक लोग घायल हैं और अस्पतालों में इलाजरत हैं। कई घायल गंभीर हालत में हैं। पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां इस घटना से जुड़े कई पहलुओं की छानबीन कर रही हैं। अब जांच मुख्य रूप से तीन अहम बिंदुओं पर केंद्रित हो गई है, जिन्हें समझना बेहद जरूरी है।
पहला महत्वपूर्ण बिंदु: डॉ. उमर के तीन घंटे
इस मामले में सबसे बड़ा सवाल है कि डॉ. उमर लाल किले के पार्किंग स्थल पर तीन घंटे कहां थे। शाम 3:19 बजे उनकी कार पार्किंग में आई और 6:22 बजे कार पार्किंग से बाहर निकली। इस तीन घंटे के दौरान डॉ. उमर कहां थे? क्या वे पार्किंग स्थल पर ही थे या किसी से मिलने गए थे? क्या वे इलाके की जाँच-पड़ताल कर रहे थे? या फिर उस समय भीड़ बढ़ने का इंतजार कर रहे थे ताकि विस्फोट का प्रभाव ज्यादा हो?
जानकारी मिली है कि डॉ. उमर को पता था कि उनके साथी पहले ही गिरफ्तार हो चुके हैं और पुलिस किसी भी वक्त उनके पास पहुंच सकती है। फिर भी उन्होंने इतनी संवेदनशील जगह पर इतने लंबे समय तक रहना क्यों चुना? क्या वे किसी स्लीपर सेल या सपोर्ट टीम के आने का इंतजार कर रहे थे? यह भी जांच का महत्वपूर्ण हिस्सा है कि उन्होंने तीन घंटे में किसी से संपर्क किया या नहीं।
दूसरा महत्वपूर्ण बिंदु: संदिग्ध नेटवर्क और हथियार
जांच में यह बात सामने आई है कि फरीदाबाद की अल फलाह यूनिवर्सिटी के तीन डॉक्टरों के नाम इस मामले में जुड़े हुए हैं। इसके अलावा इस नेटवर्क में और कितने सक्रिय या निष्क्रिय सदस्य थे, जिन्हें स्लीपर सेल कहा जाता है? यह भी जांच का विषय है कि इतनी बड़ी मात्रा में विस्फोटक सामग्री और हथियार कहां से आए? क्या ये अलग-अलग समय पर विभिन्न कंसाइनमेंट के रूप में भेजे गए थे?
कौन इस विस्फोटकों और हथियारों की आपूर्ति कर रहा था? टेलीग्राम समूह में कौन-कौन से सदस्य जुड़े थे? यह नेटवर्क कब से सक्रिय था? क्या दिल्ली की जाँच डॉ. उमर, मुझम्मिल या आदिल ने की थी या कोई और? इन सवालों के जवाब भी जांच की महत्वपूर्ण कड़ियां हैं।
तीसरा महत्वपूर्ण बिंदु: विस्फोट का तरीका और प्रभाव
दिल्ली में अब तक हुए लगभग सभी बम विस्फोटों में ब्लंट ऑब्जेक्ट्स जैसे कि कीलें, गेंद के बीयरिंग्स, तेज धार वाले ब्लेड आदि का इस्तेमाल किया गया है ताकि विस्फोट का असर ज्यादा और व्यापक हो सके। लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं हुआ। पुलिस ने विस्फोट स्थल से किसी भी प्रकार के ब्लंट ऑब्जेक्ट्स नहीं पाए। फिर सवाल उठता है कि इतनी ताकतवर धमाके का प्रभाव बिना सड़क पर गड्ढा बने या विस्फोट स्थल पर गहरा गड्ढा बने कैसे हुआ? विस्फोट ने आसपास के वाहनों को पूरी तरह तबाह कर दिया, केवल विस्फोट वाली गाड़ी ही नहीं, बल्कि आसपास की अन्य गाड़ियां भी प्रभावित हुईं। यह विस्फोट का तरीका और इसका असर जांच के लिए एक रहस्य बना हुआ है।
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