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IISc and University College London to work together in healthcare (E-paper bottom slot)

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IISc and University College London to work together in healthcare (E-paper bottom slot)
भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरु

भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरु | फोटो साभार: सुधाकर जैन

भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) और यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन (यूसीएल) ने अनुसंधान, शिक्षा, नवाचार और व्यावसायीकरण में आईआईएससी के आगामी स्नातकोत्तर मेडिकल स्कूल के साथ घनिष्ठ सहयोग की सुविधा के लिए एक आशय पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं।

आईआईएससी ने कहा कि 18 नवंबर को आईआईएससी परिसर में हस्ताक्षरित पत्र, यूसीएल और आईआईएससी साझेदारी के लिए एक नए और रोमांचक चरण को रेखांकित करेगा क्योंकि विश्वविद्यालय बुनियादी और नैदानिक ​​विज्ञान, एप्लाइड इंजीनियरिंग जैसे क्षेत्रों में एक साथ महत्वपूर्ण नई शोध क्षमता बनाना चाहते हैं। और नैदानिक ​​अभ्यास.

“हम नए और उभरते क्षेत्रों में अत्याधुनिक अनुसंधान करने के लिए यूसीएल के साथ अपने सहयोग को आगे बढ़ाते हुए प्रसन्न हैं। यूसीएल और आईआईएससी के संयुक्त प्रयास चिकित्सा अनुसंधान और स्वास्थ्य सेवा में शिक्षा और नवाचार को भी सशक्त बनाएंगे, जो हमारे आगामी मेडिकल स्कूल में विश्व स्तरीय स्नातकोत्तर कार्यक्रम बनाने के हमारे प्रयासों से जुड़ा है, ”आईआईएससी के निदेशक प्रोफेसर गोविंदन रंगराजन ने कहा।

“यूसीएल आज की सबसे गंभीर चुनौतियों को हल करने के लिए विभिन्न विषयों के शोधकर्ताओं को सशक्त बनाने और एक साथ लाने की आईआईएससी की प्रतिबद्धता को साझा करता है। हमारी साझेदारी का यह अगला चरण स्वास्थ्य देखभाल केंद्रित एआई, क्वांटम तकनीक और रोबोटिक्स में महत्वपूर्ण नई संयुक्त अनुसंधान क्षमता तैयार करेगा, और भविष्य के चिकित्सकों को प्रशिक्षित करने के लिए शैक्षिक सहयोग विकसित करेगा, ”यूसीएल के अध्यक्ष और प्रोवोस्ट डॉ. माइकल स्पेंस ने कहा।

यूसीएल और आईआईएससी डिजिटल स्वास्थ्य, क्वांटम स्वास्थ्य, एआई और चिकित्सा जैसे भविष्य-केंद्रित अंतःविषय क्षेत्रों में कई संभावित सहयोगी पहलों का पता लगाने के लिए एक संयुक्त कार्य समूह बनाएंगे।

आईआईएससी ने कहा कि भागीदारों को उम्मीद है कि रूपरेखा नए कार्यक्रमों को बढ़ावा देगी, जो बाहरी फंडिंग के माध्यम से मिलकर काम करेंगे, जैसे सहयोगी पीएचडी, स्वास्थ्य प्रणालियों की सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करना, संकाय आदान-प्रदान और अनुसंधान फेलोशिप।

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Odisha rail accident: ओडिशा रेलवे मार्ग पर एंबुलेंस से टकराई मालगाड़ी, लोको पायलट की सतर्कता से टला हादसा

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Odisha rail accident: ओडिशा रेलवे मार्ग पर एंबुलेंस से टकराई मालगाड़ी, लोको पायलट की सतर्कता से टला हादसा

Odisha rail accident: ओडिशा के रायगढ़ा-मलकानगिरी-कोरापुट रेलवे मार्ग पर सोमवार को एक बड़ा हादसा टल गया। जानकारी के अनुसार, एक मालगाड़ी ने सिकरपाई और भालूमस्का स्टेशनों के बीच एक एंबुलेंस को टक्कर मार दी। हालांकि, इस हादसे के बावजूद ट्रेन नहीं रुकी और एंबुलेंस को लगभग 100 मीटर तक घसीटते हुए ले गई। राहत की बात यह रही कि इस हादसे में कोई भी व्यक्ति घायल नहीं हुआ।

एंबुलेंस में 8 मरीज थे:

बताया जा रहा है कि एंबुलेंस में आठ मरीज सवार थे, जो आंखों के ऑपरेशन के लिए जा रहे थे। एंबुलेंस का चालक और मरीजों के साथ एक आशा कार्यकर्ता भी मौजूद था। इन मरीजों का इलाज एक निजी आंखों के अस्पताल में होना था और वे सभी सिकरपाई पंचायत के विभिन्न गांवों जैसे कनीपाई, कंजाम जोड़ी, झाकुडू, बेटालंग और चक्रकलांग से आए थे।

अचानक एंबुलेंस रेलवे ट्रैक पर फंस गई और इसी दौरान मालगाड़ी ने उसे टक्कर मार दी। हालांकि, एंबुलेंस के चालक और मरीजों ने तत्परता दिखाई और सभी लोग सुरक्षित बाहर निकलने में सफल रहे, जिससे कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ।

Odisha rail accident: ओडिशा रेलवे मार्ग पर एंबुलेंस से टकराई मालगाड़ी, लोको पायलट की सतर्कता से टला हादसा

लोको पायलट की तत्परता से टला बड़ा हादसा:

दुर्घटना के बाद, चालक ने ट्रेन को तुरंत इमरजेंसी ब्रेक लगाकर रोका, जिससे बड़ी दुर्घटना टल गई। यदि ट्रेन समय पर नहीं रुकती तो न केवल एंबुलेंस में सवार लोग बल्कि ट्रेन के यात्री भी गंभीर रूप से प्रभावित हो सकते थे। यह सब हो सका लोको पायलट की सतर्कता के कारण।

रेलवे की सफाई:

इस घटना पर पूर्वी तटीय रेलवे ने अपनी सफाई दी है। रेलवे ने कहा कि यह बड़ी दुर्घटना लोको पायलट की सतर्कता के कारण टल गई। रेलवे ने यह भी स्पष्ट किया कि इस स्थान पर 3 नवम्बर 2024 को सुरक्षा उपाय के तहत एक बाड़ लगाई गई थी, लेकिन गांववालों ने अवैध रूप से इस बाड़ को हटा दिया था, जिसके कारण यह हादसा हुआ। रेलवे ने इसे एक अवैध अतिक्रमण की घटना करार दिया है।

रेलवे ने इस गंभीर उल्लंघन पर मामला दर्ज किया है और अतिक्रमण करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की बात की है।

इस हादसे में बड़ी राहत की बात यह है कि कोई भी व्यक्ति घायल नहीं हुआ और यह सब रेलवे के अधिकारियों और लोको पायलट की सतर्कता के कारण संभव हो सका। रेलवे प्रशासन ने इसे गंभीरता से लिया है और भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिए और सख्त कदम उठाने का आश्वासन दिया है। साथ ही, इस घटना ने यह भी साबित किया कि अगर प्रशासन और नागरिक अपनी जिम्मेदारियों का सही से पालन करें तो बड़े हादसों को टाला जा सकता है।

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Ranya Rao की कंपनी को जमीन कैसे मिली? सोना तस्करी मामले के बीच बड़ा सवाल

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Ranya Rao की कंपनी को जमीन कैसे मिली? सोना तस्करी मामले के बीच बड़ा सवाल

कर्नाटक में गोल्ड स्मगलिंग केस में गिरफ्तार एक्ट्रेस Ranya Rao अब एक नए विवाद में फंसती नजर आ रही हैं। 2023 में उनकी कंपनी को कर्नाटका इंडस्ट्रियल एरिया डेवलपमेंट बोर्ड (KIADB) द्वारा 12 एकड़ सरकारी भूमि आवंटित की गई थी। अब इस भूमि आवंटन को लेकर सवाल उठने लगे हैं, और आरोप लगाए जा रहे हैं कि यह भूमि दबाव डालकर, खासकर प्रभावशाली राजनेताओं के दबाव में दी गई थी।

भूमि आवंटन के पीछे कौन था?

रान्या राव की कंपनी, ‘Ksirodha India Private Limited’, को 2023 में Tumkuru के शिरा इंडस्ट्रियल एरिया में 12 एकड़ सरकारी भूमि दी गई थी। यह भूमि आवंटन 2 जनवरी 2023 को हुआ था, जब राज्य में भाजपा की सरकार थी। दस्तावेजों से पता चलता है कि इस भूमि आवंटन को 137वीं राज्य स्तरीय सिंगल विंडो क्लीयरेंस कमिटी (SLSWCC) की बैठक में मंजूरी दी गई थी।

कंपनी ने KIADB को यह प्रस्ताव दिया था कि वह इस भूमि पर 138 करोड़ रुपये का निवेश करके TMT स्ट्रिप्स, बार्स और सह-उत्पादों का उत्पादन संयंत्र स्थापित करेगी, जिससे करीब 160 रोजगार पैदा होंगे। इसी आधार पर भूमि आवंटन किया गया था।

Ranya Rao की कंपनी को जमीन कैसे मिली? सोना तस्करी मामले के बीच बड़ा सवाल

क्या राजनीतिक दबाव था?

अब जबकि रान्या राव गोल्ड स्मगलिंग केस में गिरफ्तार हो चुकी हैं, सवाल उठ रहे हैं कि इस भूमि आवंटन के पीछे कौन था। क्या कोई बड़ा राजनीतिक गठजोड़ इसमें शामिल था? क्या इस भूमि आवंटन को प्रभावशाली राजनेताओं के दबाव में मंजूरी दी गई? इस मामले में असल सच्चाई केवल जांच के बाद ही सामने आएगी।

KIADB ने इस मुद्दे पर अपनी सफाई दी है और कहा है कि जब यह भूमि आवंटित की गई थी, तब राज्य में भाजपा सरकार थी।

भूमि आवंटन की प्रक्रिया पर सवाल

राजनीतिक दबाव या प्रशासनिक गलती? यह सवाल अब उठने लगा है, और विशेष रूप से अब जब केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने गोल्ड स्मगलिंग केस की जांच अपने हाथ में ले ली है, तो यह देखना होगा कि इस मामले में सरकार और जांच एजेंसियां किस दिशा में कदम उठाती हैं।

क्या भूमि आवंटन की प्रक्रिया में कोई गलती हुई थी या यह सिर्फ एक संयोग था? केवल जांच के बाद ही यह स्पष्ट हो पाएगा।

SBI जांच और भविष्य की कार्रवाई

इस नए विवाद ने यह स्पष्ट कर दिया है कि इस मामले में कई सवाल उठने वाले हैं। अब यह सीबीआई की जांच पर निर्भर करेगा कि वह रान्या राव और उनके कंपनी के संबंध में किस तरह की कार्रवाई करती है और क्या किसी राजनैतिक दबाव का प्रभाव इस भूमि आवंटन पर पड़ा था।

रान्या राव के खिलाफ गोल्ड स्मगलिंग केस के अलावा भूमि आवंटन विवाद ने उन्हें फिर से सुर्खियों में ला दिया है। अब यह देखना होगा कि जांच एजेंसियां इस मामले में क्या कदम उठाती हैं और क्या भूमि आवंटन में किसी प्रकार की गड़बड़ी पाई जाती है। सरकार और संबंधित विभागों की कार्रवाई से इस मामले की सच्चाई सामने आएगी।

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Maharashtra Politics: संजय राउत ने राहुल गांधी के ‘बी टीम’ बयान का किया समर्थन, कहा- ऐसे लोग गद्दार!

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Maharashtra Politics: संजय राउत ने राहुल गांधी के 'बी टीम' बयान का किया समर्थन, कहा- ऐसे लोग गद्दार!

Maharashtra Politics: महाराष्ट्र की राजनीति में आज एक अहम मोड़ देखने को मिला, जब शिवसेना (उद्धव गुट) की ओर से मुंबई में एक महत्वपूर्ण कैंप आयोजित किया गया। इस बैठक में पार्टी संगठन को मजबूत करने और राज्य की राजनीतिक परिस्थितियों पर विस्तार से चर्चा हुई। इस दौरान शिवसेना नेता संजय राउत ने पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि यह बैठक पूरे महाराष्ट्र के शिवसैनिकों को एक नई दिशा देने का काम करेगी।

संजय राउत ने बैठक में शिवसेना के वैचारिक आधार को और मजबूत करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि यह शिविर पार्टी को सही विचारधारा के साथ आगे बढ़ाने में मदद करेगा। इसके साथ ही, उन्होंने पार्टी में मौजूद गद्दारों पर भी निशाना साधते हुए कहा कि जो लोग पार्टी में रहकर उसकी जड़ों को कमजोर कर रहे हैं, वे ‘नमक हराम’ हैं।

संजय राउत ने राहुल गांधी के बयान का किया समर्थन

इस शिविर के दौरान संजय राउत ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के हालिया भाषण का समर्थन किया। राहुल गांधी ने हाल ही में एक बयान में कहा था कि कांग्रेस के अंदर एक ‘बी टीम’ मौजूद है, जो पार्टी के खिलाफ काम कर रही है। इस बयान पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए संजय राउत ने कहा कि ऐसी ‘बी टीम’ सिर्फ कांग्रेस में ही नहीं, बल्कि कई राजनीतिक दलों में मौजूद है।

उन्होंने बिना नाम लिए शिवसेना के बागी गुट पर निशाना साधते हुए कहा कि पार्टी के अंदर रहकर जो लोग उसे कमजोर कर रहे हैं, वे गद्दार हैं। राउत का इशारा साफतौर पर एकनाथ शिंदे गुट की ओर था, जिसने शिवसेना से अलग होकर बीजेपी के साथ गठबंधन कर लिया था।

शिवसेना को मजबूत करने की रणनीति पर चर्चा

शिवसेना कैंप में पार्टी संगठन को मजबूत करने के लिए कई अहम फैसले लिए गए। पार्टी ने तय किया कि राज्यभर में शिवसैनिकों को एकजुट करने के लिए जिला और ब्लॉक स्तर पर विशेष अभियान चलाया जाएगा। इस कैंप में यह भी तय किया गया कि आने वाले नगर निगम और विधानसभा चुनावों में शिवसेना (उद्धव गुट) पूरी मजबूती से उतरेगी।

बैठक में पार्टी के भीतर अनुशासन बनाए रखने पर जोर दिया गया और कहा गया कि जो नेता पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल पाए जाएंगे, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

Maharashtra Politics: संजय राउत ने राहुल गांधी के 'बी टीम' बयान का किया समर्थन, कहा- ऐसे लोग गद्दार!

RSS पर संजय राउत का बड़ा हमला

शिवसेना कैंप में संजय राउत ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) पर भी तीखा हमला किया। उन्होंने आरोप लगाया कि आरएसएस देश के लिए नहीं, बल्कि विदेशी शक्तियों के लिए काम करता है।

राउत ने पूर्व डीआरडीओ (DRDO) अधिकारी प्रदीप कुरुलकर के जासूसी मामले का जिक्र करते हुए कहा कि वह आरएसएस से जुड़े हुए थे और उन पर पाकिस्तान के लिए जासूसी करने का आरोप लगा है। संजय राउत ने सवाल उठाते हुए कहा, “अगर आरएसएस वास्तव में देशभक्त संगठन है, तो इसके लोग इस तरह की देशविरोधी गतिविधियों में क्यों शामिल होते हैं?”

उन्होंने यह भी कहा कि बीजेपी और आरएसएस की विचारधारा लोकतंत्र के खिलाफ है और ये संगठन देश में नफरत फैलाने का काम कर रहे हैं।

महाराष्ट्र की राजनीति में मचा बवाल

संजय राउत के इन बयानों के बाद महाराष्ट्र की राजनीति में जबरदस्त हलचल मच गई है। बीजेपी और शिंदे गुट की ओर से इस बयान की तीखी प्रतिक्रिया आने की संभावना है। वहीं, कांग्रेस और एनसीपी (शरद पवार गुट) संजय राउत के इस बयान का समर्थन कर सकते हैं।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह बयान शिवसेना (उद्धव गुट) की रणनीति का हिस्सा है, जिसके जरिए वह अपने कार्यकर्ताओं को मजबूत संदेश देना चाहते हैं और पार्टी में एक नई ऊर्जा भरना चाहते हैं।

BJP और शिंदे गुट की प्रतिक्रिया का इंतजार

अब सबकी नजरें इस बात पर हैं कि बीजेपी और शिंदे गुट इस पर क्या प्रतिक्रिया देते हैं। एकनाथ शिंदे पहले भी उद्धव ठाकरे गुट के खिलाफ तीखे बयान दे चुके हैं और यह देखना दिलचस्प होगा कि वह संजय राउत के इन आरोपों का कैसे जवाब देते हैं।

शिवसेना का यह कैंप महाराष्ट्र की राजनीति के लिए बेहद महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। संजय राउत के बयानों से साफ हो गया है कि उद्धव ठाकरे गुट अब पूरी तरह से बीजेपी और शिंदे गुट के खिलाफ मोर्चा खोलने को तैयार है।

आरएसएस और बीजेपी पर किए गए हमलों से साफ है कि शिवसेना (उद्धव गुट) अब पूरी तरह से विपक्षी खेमें में खड़ा होना चाहता है और आने वाले चुनावों में वह कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर बीजेपी को चुनौती देने की रणनीति बना रहा है।

अब यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या इस कैंप से शिवसेना (उद्धव गुट) को मजबूती मिलेगी या फिर बीजेपी और शिंदे गुट इस पर बड़ा पलटवार करेंगे।

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