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GST Rate Cut: आयकर के बाद अब घटेगा GST, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने दिए संकेत!

GST Rate Cut: देश में आयकर दरों में कटौती के बाद अब GST दरों में कटौती का संकेत दिया गया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने खुद इस बारे में जानकारी दी है और कहा है कि Goods and Services Tax (GST) दरों और स्लैब्स को सुगम बनाने की प्रक्रिया लगभग अंतिम चरण में है और बहुत जल्द इस पर निर्णय लिया जा सकता है।
वित्त मंत्री ने ‘द इकनॉमिक टाइम्स अवॉर्ड्स’ के दौरान एक सवाल का जवाब देते हुए कहा, “GST दरों और स्लैब्स को सुगम बनाने का काम अब लगभग अंतिम चरण में है।” उन्होंने कहा कि जब GST की शुरुआत 1 जुलाई 2017 को हुई थी तब Revenue Neutral Rate (RNR) 15.8 प्रतिशत था, जो अब 2023 में घटकर 11.4 प्रतिशत हो गया है, और यह आगे भी घटेगा।
GST दरों और स्लैब्स में सुधार के लिए किया गया था समूह का गठन
वित्त मंत्री ने यह भी बताया कि GST काउंसिल, जिसे वित्त मंत्री खुद अध्यक्षता करती हैं, ने सितंबर 2021 में Group of Ministers (GoM) का गठन किया था। इस समूह का उद्देश्य था GST दरों में सुधार करना और स्लैब्स में बदलाव के लिए सुझाव देना।
निर्मला सीतारमण ने कहा, “GoM ने बहुत अच्छा काम किया है, लेकिन अब इस चरण में मैंने एक बार फिर से हर समूह के कार्य की पूरी समीक्षा करने का निर्णय लिया है, और फिर शायद इसे काउंसिल में प्रस्तुत किया जाएगा। तब यह विचार किया जाएगा कि क्या हम इस पर अंतिम निर्णय तक पहुंच सकते हैं या नहीं।”
उन्होंने आगे कहा कि कुछ कार्य और किए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया, “हम इसे अगले काउंसिल बैठक में लाएंगे। हम कुछ बहुत महत्वपूर्ण मुद्दों पर निर्णय लेने के बहुत करीब हैं, जैसे कि दरों में कटौती, रैशनलाइजेशन, स्लैब्स की संख्या को ध्यान में रखते हुए, आदि।”
क्यों हो रही है GST दरों में कटौती की चर्चा?
वर्तमान में सरकार के सामने एक बड़ी चुनौती है मांग और खपत को बढ़ावा देना, और इसके लिए अब GST काउंसिल दरों में कटौती पर विचार कर रही है। यह संभावना जताई जा रही है कि सरकार 12 प्रतिशत स्लैब को समाप्त कर सकती है और इस स्लैब में आने वाली वस्तुओं को 5 प्रतिशत या 18 प्रतिशत स्लैब में डाला जा सकता है, यदि आवश्यक हुआ तो। इसका मुख्य उद्देश्य खपत बढ़ाने के साथ-साथ GST दर संरचना को रैशनलाइज करना है।
GST स्लैब में बदलाव की पुरानी मांग
दरअसल, लंबे समय से GST स्लैब्स में बदलाव और दरों को सुगम बनाने की मांग की जा रही है। वर्तमान में GST के तहत चार स्लैब्स हैं, जो हैं:
- 5%
- 12%
- 18%
- 28%
इनके अलावा, कुछ लग्जरी और सिन वस्तुओं पर अलग से सेस लगाया जाता है। यह माना जा रहा है कि GST स्लैब्स की संख्या को घटाकर तीन किया जा सकता है, जो कि व्यापारी और उपभोक्ताओं के लिए अधिक सरल होगा।
सरकार की योजना और अपेक्षाएं
सरकार की योजना है कि GST दरों को पुनः व्यवस्थित किया जाए ताकि उपभोक्ता खपत में बढ़ोतरी हो और व्यापारियों के लिए कर प्रणाली सरल हो। इसके अलावा, इसका एक उद्देश्य यह भी हो सकता है कि व्यापारियों के लिए compliance यानी कर भुगतान प्रणाली को अधिक सरल और समझने योग्य बनाया जाए।
निर्मला सीतारमण ने इस मामले में कहा कि वे GST काउंसिल के अगले बैठक में इस पर अधिक चर्चाएं करेंगी और इसके लिए ठोस कदम उठाए जाएंगे। इसके तहत एक अनुमान है कि 12 प्रतिशत वाले स्लैब को 5 प्रतिशत या 18 प्रतिशत स्लैब में शामिल किया जा सकता है। इससे उपभोक्ता खर्च में बढ़ोतरी हो सकती है, जो कि इस समय के आर्थिक परिप्रेक्ष्य में बेहद आवश्यक है।
क्या होगा इसका असर?
GST दरों में कटौती का सीधा असर आम आदमी की खरीदारी की आदतों पर पड़ेगा। यदि सरकार 12 प्रतिशत स्लैब को खत्म करती है और उन वस्तुओं को 5 प्रतिशत या 18 प्रतिशत स्लैब में शिफ्ट करती है, तो इसका फायदा छोटे व्यापारियों और उपभोक्ताओं को मिलेगा। इससे वस्तुओं की कीमतें कम हो सकती हैं, जो मांग बढ़ाने में सहायक होगी।
GST काउंसिल और इसके निर्णयों का महत्व
GST काउंसिल वह संस्था है, जो GST दरों और स्लैब्स के बारे में निर्णय लेती है। इसके निर्णय पूरे देश के व्यापारिक परिदृश्य को प्रभावित करते हैं। इसलिए काउंसिल के द्वारा किया गया कोई भी निर्णय ना सिर्फ व्यापारियों के लिए, बल्कि आम नागरिकों के लिए भी महत्वपूर्ण होता है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि काउंसिल दरों में कटौती करने का निर्णय लेती है, तो इससे अर्थव्यवस्था में सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और खपत बढ़ेगी, जिससे आर्थिक वृद्धि में मदद मिलेगी।
GST दरों में कटौती की प्रक्रिया अब अंतिम चरण में है, और बहुत जल्द इसका अंतिम निर्णय लिया जा सकता है। इससे व्यापारियों और उपभोक्ताओं के लिए कर प्रणाली और भी सरल हो जाएगी। इससे मांग बढ़ाने और खपत में वृद्धि को भी बढ़ावा मिलेगा, जो आर्थिक विकास के लिए बेहद आवश्यक है। अब यह देखना होगा कि सरकार काउंसिल के अगले बैठक में इस पर क्या निर्णय लेती है।
इस फैसले के बाद, GST स्लैब्स की संख्या घटने और दरों में कटौती के रूप में नई उम्मीदें पैदा हो सकती हैं, जो भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए सकारात्मक साबित होंगी।
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Real estate news: प्रॉपर्टी खरीदते समय रखें इन जरूरी बातों का ध्यान, नहीं होगा नुकसान

Real estate news: घर खरीदना हर व्यक्ति के जीवन में एक बड़ा फैसला होता है। यह एक ऐसी डील होती है, जिसे लोग अक्सर एक या दो बार ही करते हैं। इसलिए प्रॉपर्टी खरीदते समय पूरी सावधानी और सोच-विचार के बाद ही कोई निर्णय लेना चाहिए। जल्दबाजी में लिया गया फैसला आपके लिए लंबे समय तक पछतावे का कारण बन सकता है। यदि आप भी घर खरीदने की योजना बना रहे हैं, तो यह आर्टिकल आपके लिए बहुत उपयोगी साबित होगा। इसमें हम आपको बताएंगे कि घर खरीदते समय किन बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है, जिससे आपका निवेश सुरक्षित रहे और आपको किसी तरह की आर्थिक परेशानी न झेलनी पड़े।
बजट के अनुसार खरीदें घर
घर खरीदते समय सबसे पहले आपको अपने बजट पर ध्यान देना चाहिए। अगर आप बिना योजना के घर खरीदते हैं, तो भविष्य में आपको आर्थिक संकट का सामना करना पड़ सकता है। पहले से तय करें कि आपको कितने का घर चाहिए और वह कितना बड़ा होना चाहिए। इसके बाद ही घर खरीदने की प्रक्रिया शुरू करें।
दोस्तों और पड़ोसियों से लें राय
अगर आप किसी इलाके में घर खरीदने की सोच रहे हैं, तो वहां पहले से रह रहे लोगों से सलाह लेना न भूलें। वे आपको उस क्षेत्र में मिलने वाली सुविधाओं, मकानों की कीमतों और अन्य महत्वपूर्ण जानकारियों के बारे में सही सुझाव दे सकते हैं।
बिचौलियों से बचें, सीधे मालिक से खरीदें
यदि आप प्रॉपर्टी एजेंट के माध्यम से घर खरीदते हैं, तो आपको अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ सकता है। आमतौर पर, एजेंट घर के खरीदार से 1 से 1.5 प्रतिशत तक कमीशन लेते हैं, जबकि कई बार वे घर बेचने वाले से भी 1 प्रतिशत कमीशन वसूलते हैं। इस तरह, अंततः यह सारा बोझ खरीदार पर ही पड़ता है और उसे 2.5 से 3 प्रतिशत अतिरिक्त राशि चुकानी पड़ती है। यदि संभव हो, तो घर सीधे मालिक या डेवलपर से खरीदने की कोशिश करें, जिससे आप इस अतिरिक्त खर्च से बच सकते हैं।
इलाके की प्रॉपर्टी दरों की जानकारी लें
किसी भी क्षेत्र में प्रॉपर्टी खरीदने से पहले वहां के स्थानीय निवासियों और प्रॉपर्टी विशेषज्ञों से उस इलाके में चल रहे रेट की जानकारी लें। इससे आपको सही कीमत पर घर खरीदने में मदद मिलेगी और आप अधिक भुगतान करने से बच सकते हैं।
रेडी-टू-मूव बनाम अंडर-कंस्ट्रक्शन प्रॉपर्टी
अगर आप तुरंत शिफ्ट होने की योजना बना रहे हैं, तो रेडी-टू-मूव घर खरीदना बेहतर होगा। हालांकि, यह अंडर-कंस्ट्रक्शन प्रॉपर्टी की तुलना में महंगा होता है। अगर आपके पास इंतजार करने का समय है, तो अंडर-कंस्ट्रक्शन घर खरीदकर आप ज्यादा छूट और सुविधाएं प्राप्त कर सकते हैं।
त्योहारों पर मिलने वाले ऑफर्स का उठाएं लाभ
त्योहारों के दौरान कई बिल्डर्स और डेवलपर्स नए-नए ऑफर्स और छूट लेकर आते हैं। इस समय प्रॉपर्टी खरीदने पर आपको अतिरिक्त छूट और अन्य लाभ मिल सकते हैं, जैसे कि फ्री पार्किंग, मॉड्यूलर किचन, फ्री होम अप्लायंसेज आदि।
ग्रुप डीलिंग से मिल सकता है डिस्काउंट
अगर एक ही प्रोजेक्ट में दो-चार ग्राहक मिलकर घर खरीदते हैं, तो डेवलपर उन्हें अतिरिक्त छूट दे सकता है। इसलिए, यदि आप किसी ऐसे व्यक्ति को जानते हैं जो भी घर खरीदने की योजना बना रहा है, तो उनके साथ मिलकर एक ही प्रोजेक्ट में घर खरीदने का विचार करें। इससे आपको अच्छा डिस्काउंट मिल सकता है।
होम लोन लेने से पहले करें रिसर्च
होम लोन लेने से पहले विभिन्न बैंकों और वित्तीय संस्थानों द्वारा दिए जा रहे ब्याज दरों और ऑफर्स की तुलना करें। जिस बैंक या संस्था की ब्याज दर और शर्तें आपके लिए सबसे उपयुक्त हों, उसी से लोन लें। इससे आपको भविष्य में ज्यादा ब्याज चुकाने की समस्या से बचने में मदद मिलेगी।
लम्प सम पेमेंट करने पर मिल सकती है अतिरिक्त छूट
अगर आप डेवलपर को घर की कीमत एक साथ चुकाते हैं, तो आपको घर की कीमत पर विशेष छूट मिल सकती है। अधिकतर बिल्डर्स लम्प सम पेमेंट करने वाले ग्राहकों को अतिरिक्त लाभ देते हैं। इसलिए, यदि संभव हो तो घर की अधिकतम कीमत नकद में चुकाने की कोशिश करें।
घर खरीदने से पहले इन जरूरी दस्तावेजों की करें जांच
घर खरीदने से पहले निम्नलिखित दस्तावेजों को अच्छी तरह जांच लें:
- सेल डीड (Sale Deed): यह प्रॉपर्टी खरीदने का सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेज होता है।
- एन्कम्ब्रेंस सर्टिफिकेट (Encumbrance Certificate): इससे पता चलता है कि प्रॉपर्टी पर किसी तरह की कानूनी बाध्यता या कर्ज तो नहीं है।
- पजेशन लेटर (Possession Letter): डेवलपर द्वारा खरीदार को दिया गया एक पत्र, जिसमें संपत्ति का कब्जा सौंपने की तिथि होती है।
- बिल्डिंग अप्रूवल प्लान (Building Approval Plan): यह सुनिश्चित करें कि बिल्डिंग को नगर निगम या संबंधित प्राधिकरण से मंजूरी मिली है।
- ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट (Occupancy Certificate): यह प्रमाणित करता है कि निर्माण सभी नियमों का पालन करते हुए किया गया है और इसमें लोग रह सकते हैं।
किसी भी फर्जीवाड़े से बचने के लिए लीगल एडवाइजर की लें मदद
यदि आप पहली बार घर खरीद रहे हैं, तो किसी अच्छे लीगल एडवाइजर या रियल एस्टेट कंसल्टेंट से सलाह लेना बेहतर होगा। इससे आपको किसी भी कानूनी परेशानी से बचने में मदद मिलेगी।
घर खरीदना एक बड़ा फैसला होता है और इसमें सतर्कता बरतनी बेहद जरूरी है। सही प्लानिंग और जानकारी के बिना घर खरीदने से आपको आर्थिक नुकसान हो सकता है। बजट तय करना, इलाके की जांच करना, एजेंट की फीस से बचना, सही समय पर घर खरीदना और सभी कानूनी दस्तावेजों की जांच करना बहुत जरूरी है। यदि आप इन सभी बातों का ध्यान रखते हैं, तो आप एक अच्छा और सुरक्षित घर खरीद सकते हैं, जिसमें आपको किसी तरह की समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा।
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