Connect with us

देश

Delhi HC issues summons to OpenAI on ANI’s copyright violation plea against ChatGPT

Published

on

Delhi HC issues summons to OpenAI on ANI’s copyright violation plea against ChatGPT
ओपनएआई के खिलाफ भारतीय समाचार मीडिया द्वारा कॉपीराइट उल्लंघन का यह पहला मामला है। फ़ाइल।

ओपनएआई के खिलाफ भारतीय समाचार मीडिया द्वारा कॉपीराइट उल्लंघन का यह पहला मामला है। फ़ाइल। | फोटो साभार: रॉयटर्स

दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार (नवंबर 19, 2024) को OpenAI को समन जारी किया, जो चैप्टजीपीटी संचालित करता हैसमाचार एजेंसी द्वारा दायर एक मुकदमे में एशियन न्यूज़ इंटरनेशनल (एएनआई) अपने उपयोगकर्ताओं को सेवाएं प्रदान करने के लिए उन्नत एआई-संचालित चैटबॉट द्वारा “बिना किसी लाइसेंस या अनुमति के” समाचार सामग्री का अत्यधिक उपयोग।

अपने ताजा मुकदमे में, एएनआई ने ओपनएआई पर चैटबॉट को प्रशिक्षित करने के लिए गैरकानूनी तरीके से अपनी सामग्री का उपयोग करने का आरोप लगाया। इसने ओपनएआई पर अपनी सामग्री को अवैध रूप से संग्रहीत करने का आरोप लगाया, जिसका उपयोग बड़े भाषा मॉडल (एलएलएम) को प्रशिक्षित करने के लिए किया जाता है ताकि परिणाम उत्पन्न किए जा सकें “वादी (एएनआई) के कार्यों को व्यापक रूप से कॉपी या संक्षेप में सारांशित किया जा सके”।

यह भी पढ़ें: सरकार ने AI एडवाइजरी क्यों जारी की है? | व्याख्या की

“ये परिणाम विशिष्ट सामग्री को पुन: पेश करते हैं और बिना किसी प्राधिकरण के वादी के कार्यों की प्रस्तुति के तरीके का भी अनुकरण करते हैं। यह स्पष्ट रूप से वादी के कार्यों में कॉपीराइट का उल्लंघन है।” एएनआई अपनी याचिका में कहा.

ओपनएआई के खिलाफ भारतीय समाचार मीडिया द्वारा कॉपीराइट उल्लंघन का यह पहला मामला है। संयुक्त राज्य अमेरिका में, कृत्रिम बुद्धिमत्ता कंपनी कॉपीराइट मामलों का सामना कर रही है कई अमेरिकी समाचार पत्रों द्वारा दायर किया गया शामिल न्यूयॉर्क डेली न्यूज़ और शिकागो ट्रिब्यून अनुमति या भुगतान के बिना अपने एलएलएम को प्रशिक्षित करने के लिए कॉपीराइट समाचार लेखों का उपयोग करने का आरोप लगाने के लिए।

ChatGPT को नवंबर 2022 में लॉन्च किया गया था, और दुनिया भर में इसके 200 मिलियन से अधिक सक्रिय उपयोगकर्ता हैं।

सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति अमित बंसल ने ओपनएआई के वकील के बयान को रिकॉर्ड पर लिया एएनआई का आधिकारिक वेबसाइट को पहले ही ब्लॉक कर दिया गया है ताकि इसकी सामग्री का उपयोग चैटजीपीटी द्वारा न किया जा सके।

एएनआई का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील सिद्धांत कुमार ने कहा कि ओपनएआई ने बिना एएनआई का सहमति, चैटजीपीटी के टेक्स्ट कॉर्पस में इसकी सामग्री शामिल है। उन्होंने कहा कि इस सामग्री का उपयोग एलएलएम द्वारा उपयोगकर्ता प्रश्नों के उत्तर उत्पन्न करने के लिए किया जाता है।

एएनआईने 3 अक्टूबर, 2024 को एलएलएम के प्रशिक्षण के लिए समाचार सामग्री का उपयोग करने के लिए ओपनएआई को लाइसेंस देने की पेशकश की। हालाँकि, अमेरिका स्थित कंपनी ने इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया।

श्री कुमार ने कहा कि यह सार्वजनिक रूप से ज्ञात है कि ओपनएआई ने समाचार संगठनों जैसे रणनीतिक साझेदारी और लाइसेंसिंग व्यवस्था में प्रवेश किया है। फाइनेंशियल टाइम्स, एसोसिएटेड प्रेसऔर कोंडे नास्ट जो एएनआई के समान बिजनेस मॉडल पर कार्य करता है।

याचिका में कहा गया है कि 11 सितंबर, 2024 को ओपनएआई ने रखने का दावा किया था एएनआई का वेबसाइट एक आंतरिक ब्लॉकलिस्ट पर है, जो दर्शाता है कि चैटजीपीटी अब एएनआई के कार्यों का उपयोग नहीं करता है। याचिका में कहा गया है, “हालांकि, वादी (एएनआई) की वेबसाइट को काली सूची में डाले जाने के बाद भी, चैटजीपीटी लगातार अपने ग्राहकों की वेबसाइट पर प्रकाशित वादी के कार्यों का उपयोग कर रहा है।”

“वादी (एएनआई) के कार्यों की नाजायज नकल और भंडारण के अलावा, चैटजीपीटी खुले तौर पर वादी को समाचार सामग्री का गलत श्रेय दे रहा है। चैटजीपीटी गलत और दुर्भावनापूर्ण तरीके से वादी को उन बयानों और समाचार घटनाओं के साथ मान्यता दे रहा है जो कभी घटित ही नहीं हुईं,” याचिका में कहा गया है।

इसमें शामिल मुद्दे की जटिलता और विस्तृत श्रृंखला को ध्यान में रखते हुए, न्यायमूर्ति बंसल ने कहा कि वह एक न्याय मित्र नियुक्त करेंगे, जो मामले में अदालत की सहायता करेगा।

न्यायाधीश द्वारा यह पूछे जाने पर कि क्या अन्य देशों में ओपनएआई के खिलाफ इस तरह का मुकदमा दायर किया गया है, ओपनएआई का प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ वकील अमित सिब्बल ने कहा कि चैटजीपीटी लॉन्च होने के बाद से उनके मुवक्किल को अमेरिका में 13, कनाडा में दो और जर्मनी में एक मुकदमे का सामना करना पड़ रहा है। .

कोर्ट अगले साल जनवरी में मामले की दोबारा सुनवाई करेगा.

Continue Reading
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

देश

भतीजी की ग्रेजुएशन या राजनीति का बहाना? Rahul Gandhi की विदेश यात्रा पर मचा राजनीतिक तूफान

Published

on

भतीजी की ग्रेजुएशन या राजनीति का बहाना? Rahul Gandhi की विदेश यात्रा पर मचा राजनीतिक तूफान

लोकसभा में विपक्ष के नेता Rahul Gandhi एक बार फिर विदेश दौरे पर हैं और इसको लेकर भाजपा ने उन पर तीखा हमला किया है। भाजपा का आरोप है कि राहुल बार-बार विदेश चले जाते हैं और अचानक ‘गायब’ हो जाते हैं। वहीं कांग्रेस का कहना है कि यह दौरा पूरी तरह से निजी है और राहुल गांधी अपनी भतीजी की ग्रेजुएशन सेरेमनी में शामिल होने के लिए लंदन गए हैं। कांग्रेस ने साफ किया है कि वह जल्द ही भारत लौट आएंगे।

भाजपा ने उठाए सवाल, कांग्रेस ने दिया जवाब

भाजपा के आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने ट्वीट कर कहा कि राहुल गांधी पिछले सप्ताह ही विदेश छुट्टी पर गए थे और अब एक बार फिर कहीं अज्ञात स्थान पर निकल गए हैं। उन्होंने सवाल किया कि आखिर बार-बार ये दौरे क्यों हो रहे हैं और कौन सी ऐसी मजबूरी है कि उन्हें बार-बार देश छोड़ना पड़ता है। जवाब में कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने पलटवार करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) हमेशा की तरह ‘गंदी चालें’ चल रहा है क्योंकि उनके पास और कोई काम नहीं है।

सोशल मीडिया पर अफवाहों की बाढ़

राहुल गांधी की इस यात्रा को लेकर सोशल मीडिया पर तरह-तरह के दावे किए जा रहे थे। कुछ पोस्ट्स में कहा गया कि वे बहरीन गए हैं जबकि कांग्रेस के सूत्रों के अनुसार राहुल गांधी का फ्लाइट शेड्यूल नई दिल्ली-बहरीन-लंदन का था और उनका अंतिम गंतव्य लंदन ही था। यह स्पष्टीकरण आने के बाद भी भाजपा नेताओं और समर्थकों ने सोशल मीडिया पर हमले तेज कर दिए।

 विपक्ष के नेता की जिम्मेदारी या निजी जीवन का अधिकार?

इस पूरे विवाद में एक बड़ा सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या विपक्ष के नेता को अपने निजी जीवन के लिए स्वतंत्रता नहीं होनी चाहिए। क्या किसी सार्वजनिक व्यक्ति को परिवार के साथ वक्त बिताने का अधिकार नहीं है? राहुल गांधी की यात्रा यदि पूरी तरह से पारिवारिक है, तो उस पर राजनीति करना क्या सही है? कांग्रेस का यही कहना है कि भाजपा जानबूझकर जनता का ध्यान असल मुद्दों से हटाना चाहती है।

सियासत का मुद्दा या मीडिया की भटकाव नीति?

कई राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि देश में जब भी महंगाई, बेरोजगारी या किसी संवेदनशील मुद्दे पर सरकार घिरती है, तब विपक्षी नेताओं के निजी मामलों को सामने लाकर मुद्दे भटकाए जाते हैं। राहुल गांधी के विदेश दौरे का मुद्दा भी शायद इसी रणनीति का हिस्सा है। अगर यह दौरा पारिवारिक है, तो इसे बार-बार उठाकर क्या संदेश दिया जा रहा है?

Continue Reading

देश

Iran-Israel war : ईरान में फंसे थे हजारों भारतीय, भारत ने उठाया बड़ा कदम, रातोंरात लौटे 285 नागरिक

Published

on

Iran-Israel war : ईरान में फंसे थे हजारों भारतीय, भारत ने उठाया बड़ा कदम, रातोंरात लौटे 285 नागरिक

Iran-Israel war : ईरान और इज़राइल के बीच बढ़ते युद्ध ने पूरी दुनिया को चिंता में डाल दिया है। ऐसे तनावपूर्ण माहौल में भारत ने अपनी जनता की सुरक्षा को सर्वोपरि मानते हुए ‘ऑपरेशन सिंधु’ की शुरुआत की। इस मिशन का मकसद था – ईरान में फंसे भारतीय नागरिकों को सुरक्षित स्वदेश वापस लाना। 18 जून को शुरू हुए इस ऑपरेशन के तहत अब तक कुल 1713 भारतीयों की सफलतापूर्वक वापसी कराई जा चुकी है। हाल ही में 285 भारतीय नागरिकों को विशेष विमान से दिल्ली लाया गया। यह साहसी कदम भारत सरकार की तत्परता और मानवीय दृष्टिकोण को दर्शाता है।

10 राज्यों के नागरिक लौटे स्वदेश, केंद्रीय मंत्री ने किया स्वागत

रविवार देर रात जैसे ही विशेष विमान दिल्ली एयरपोर्ट पर उतरा, वैसे ही वहां मौजूद राज्य विदेश मंत्री पबित्रा मरगेरीटा ने सभी नागरिकों का गर्मजोशी से स्वागत किया। विमान में बिहार, जम्मू-कश्मीर, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र सहित 10 राज्यों के नागरिक सवार थे। मंत्री ने जानकारी दी कि अगले दो से तीन दिनों में और भी उड़ानों के ज़रिए भारतीयों को लाया जाएगा। सरकार लगातार ईरान और इज़राइल में रह रहे भारतीयों से संपर्क बनाए हुए है ताकि उनकी स्थिति पर नजर रखी जा सके।

भारतीयों की जुबानी दर्द और राहत की कहानी

ईरान से लौटे भारतीय नागरिकों की आँखों में डर भी था और राहत भी। मुंबई के सैयद शाहजाद अली जाफरी ने बताया कि वे पिछले तीन वर्षों से ईरान में काम कर रहे थे और इस बार तीर्थयात्रा के उद्देश्य से गए थे। लेकिन युद्ध ने हालात को बदल दिया। भारतीय सरकार ने उन्हें हिम्मत दी और अब वे सुरक्षित घर लौट आए हैं। वहीं सतिर फातिमा ने कहा कि वहां रहना अब जानलेवा हो गया था। “प्रधानमंत्री मोदी और भारत सरकार की वजह से आज मैं ज़िंदा हूं”, उन्होंने भावुक होकर कहा।

भारत की वैश्विक छवि को मिला और मज़बूती का संकेत

‘ऑपरेशन सिंधु’ सिर्फ एक बचाव मिशन नहीं बल्कि भारत की अंतरराष्ट्रीय भूमिका की मिसाल भी है। जब दुनिया के कई देश युद्ध में फंसे अपने नागरिकों को नहीं निकाल पाए, भारत ने तत्काल एक्शन लिया और नागरिकों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित की। यह दर्शाता है कि भारत आज न केवल अपने नागरिकों की चिंता करता है, बल्कि विश्व मंच पर भी जिम्मेदार देश के रूप में उभर रहा है।

भविष्य की तैयारियों में जुटा भारत, संपर्क में हैं सभी मिशन

भारत सरकार की अगली चुनौती है – वहां अभी भी फंसे हुए बाकी नागरिकों को सुरक्षित लाना। इसी के तहत भारत ईरान और इज़राइल में अपने मिशनों को एक्टिव मोड में रखे हुए है। विदेश मंत्रालय लगातार वहां की स्थिति की निगरानी कर रहा है। दो से तीन और उड़ानों की योजना बनाई गई है ताकि हर भारतीय सुरक्षित घर लौट सके। इस तरह भारत फिर से साबित कर रहा है कि जब भी जरूरत पड़ी, सरकार हर नागरिक के साथ खड़ी होती है।

Continue Reading

देश

Iran and Israel War: OIC की बैठक सिर्फ दिखावा Mehbooba Mufti बोलीं- ट्रंप को नोबेल देने वाला पाकिस्तान अब पछता रहा होगा

Published

on

Iran and Israel War: OIC की बैठक सिर्फ दिखावा Mehbooba Mufti बोलीं- ट्रंप को नोबेल देने वाला पाकिस्तान अब पछता रहा होगा

Iran and Israel War: ईरान और इज़राइल के बीच लगातार बढ़ते तनाव पर शनिवार को इस्लामिक सहयोग संगठन यानी OIC की बैठक इस्तांबुल में हुई। इस बैठक में दोनों देशों के बीच हो रहे हमलों और बढ़ती हिंसा पर चर्चा हुई। लेकिन जैसे हर बार होता है इस बार भी OIC ने सिर्फ बयानबाज़ी की और कोई ठोस कदम नहीं उठाया। इसी पर जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती ने OIC की आलोचना करते हुए कहा कि यह सिर्फ जुबानी जमा-खर्च तक ही सीमित रही।

महबूबा मुफ़्ती ने साधा पाकिस्तान पर निशाना

महबूबा मुफ़्ती ने पाकिस्तान को लेकर भी तंज कसते हुए कहा कि जो देश डोनाल्ड ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए सिफारिश करने में सबसे आगे था उसे अब जरूर पछताना पड़ रहा होगा। उन्होंने कहा कि ईरान पर हमले के बाद OIC की भूमिका शर्मनाक रही और इस्लामी देशों को मिलकर कोई ठोस कदम उठाना चाहिए था। लेकिन हर बार की तरह इस बार भी सिर्फ प्रेस रिलीज़ और बयानबाज़ी तक ही मामला सीमित रह गया।

ट्रंप की वजह से और बिगड़ा मामला

महबूबा मुफ़्ती ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर भी हमला बोला और कहा कि उन्होंने ईरान पर हमला करके हालात और बिगाड़ दिए। उन्होंने कहा कि इस हमले से पूरे क्षेत्र में एक बार फिर हिंसा की लहर चल पड़ी है और यह स्थिति एक वैश्विक युद्ध की ओर इशारा कर रही है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत जैसे देश को इस समय एक ऐतिहासिक और सैद्धांतिक भूमिका निभानी चाहिए थी लेकिन दुर्भाग्यवश भारत इस पूरे मामले में न सिर्फ चुप है बल्कि कहीं ना कहीं हमलावर के पक्ष में खड़ा भी दिखाई दे रहा है।

पाकिस्तानी जनरल ने ट्रंप को नोबेल के लिए कहा था

महबूबा मुफ़्ती ने हाल ही में हुई एक मुलाकात का जिक्र भी किया जिसमें अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल मुनीर की बैठक हुई थी। इस बैठक में मुनीर ने ट्रंप से कहा था कि वे उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित करेंगे। लेकिन कुछ ही दिनों बाद अमेरिका ने ईरान पर हमला कर दिया। महबूबा ने कहा कि अब पाकिस्तान को भी यह महसूस हो रहा होगा कि उसने ट्रंप को लेकर जो समर्थन दिया था वह एक भूल थी।

ईरान पर अमेरिका का बड़ा हमला और चेतावनी

ईरान-इज़राइल के बीच की लड़ाई में अब अमेरिका भी खुलकर कूद चुका है। डोनाल्ड ट्रंप ने खुद कहा कि अमेरिका ने ईरान के तीन न्यूक्लियर ठिकानों पर हमला किया है। ट्रंप ने ईरान को चेतावनी दी है कि वह शांति का रास्ता अपनाए वरना उसके लिए गंभीर परिणाम होंगे। इस बीच पाकिस्तान की भूमिका भी संदिग्ध बनी हुई है क्योंकि वो अब खुले तौर पर इस लड़ाई का हिस्सा बनता दिख रहा है।

Continue Reading

Trending