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Cong. rebel faction backed by CPI(M) claims victory in Kozhikode bank election; Cong. alleges malpractices

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Cong. rebel faction backed by CPI(M) claims victory in Kozhikode bank election; Cong. alleges malpractices
कांग्रेस कार्यकर्ताओं का एक समूह और सीपीआई (एम) द्वारा समर्थित विद्रोहियों का एक अन्य समूह, कोझिकोड शहर में लड़कों के लिए सरकारी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, परायंचेरी के बाहर हाथापाई कर रहा था, जहां चेवयूर सेवा सहकारी बैंक के निदेशकों को चुनने के लिए मतदान हो रहा था। शनिवार।

कांग्रेस कार्यकर्ताओं का एक समूह और सीपीआई (एम) द्वारा समर्थित विद्रोहियों का एक अन्य समूह, कोझिकोड शहर में लड़कों के लिए सरकारी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, परायंचेरी के बाहर हाथापाई कर रहा था, जहां चेवयूर सेवा सहकारी बैंक के निदेशकों को चुनने के लिए मतदान हो रहा था। शनिवार। | फोटो साभार: के. रागेश

कोझिकोड शहर के पारयानचेरी में लड़कों के लिए सरकारी उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के बाहर किसी तमाशे से कम नहीं था, जहां शनिवार को चेवयूर सेवा सहकारी बैंक के निदेशकों को चुनने के लिए चुनाव हुआ था।

दूर-दूर से मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करने आ रहे हैं; कथित तौर पर फर्जी मतदाता पहचान पत्र के साथ पकड़े जाने के बाद कुछ लोग बूथ से भाग गए; मतदाताओं को ले जाने वाले वाहनों को नुकसान पहुँचाना; प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवारों के समर्थकों के बीच हाथापाई; पुलिस कर्मियों की एक बड़ी संख्या को अक्सर स्थिति को नियंत्रित करने में कठिनाई होती है; कुछ मतदाता यह देखकर घर लौट रहे थे कि उनके वोट पहले ही डाले जा चुके हैं; कोझिकोड के सांसद एमके राघवन और वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं का धरना; और, सबसे बढ़कर शाम की बारिश।

यह चुनाव भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) द्वारा समर्थित कांग्रेस नेताओं के एक विद्रोही गुट के रूप में सुर्खियों में आया था। [CPI(M)]बैंक पर नियंत्रण पाने के लिए जिला कांग्रेस कमेटी (डीसीसी) द्वारा समर्थित आधिकारिक गुट के खिलाफ चुनावी लड़ाई लड़ रहा था। यह कांग्रेस के लिए एक प्रतिष्ठा का मुद्दा था क्योंकि यह पार्टी द्वारा नियंत्रित जिले में ठोस संपत्ति वाले कुछ वित्तीय संस्थानों में से एक था। जब रात करीब 8 बजे नतीजे घोषित हुए, तो चार सीपीआई (एम) उम्मीदवारों सहित विद्रोही गुट द्वारा खड़े किए गए सभी सात उम्मीदवार विजयी हुए। हालाँकि, इस पर अभी अंतिम शब्द आना बाकी है क्योंकि कांग्रेस पूरी प्रक्रिया को कानूनी रूप से चुनौती दे सकती है, यह दावा करते हुए कि सीपीआई (एम) ने पुलिस और सहकारिता विभाग के अधिकारियों के समर्थन से अनुचित कदम उठाया है। और चुनाव जीतने के लिए अलोकतांत्रिक तरीके अपनाए। पार्टी ने रविवार को कोझिकोड जिले में सुबह से शाम तक हड़ताल का भी आह्वान किया है।

चुनाव प्रक्रिया सुबह 8 बजे शुरू हुई जब मतदाता, जो सहकारी संस्था के सदस्य हैं, कोझिकोड के विभिन्न हिस्सों से आए, कुछ अन्य जिलों से भी। वरिष्ठ सीपीआई (एम) और कांग्रेस नेताओं सहित दोनों गुटों के प्रति निष्ठा रखने वाले बड़ी संख्या में लोगों को स्कूल के बाहर देखा गया। फिर खबरें आईं कि फर्जी आईडी कार्ड वाले कुछ लोग पकड़े गए हैं. वरिष्ठ नागरिकों सहित कुछ मतदाताओं ने दावा किया कि उनके वोट दूसरों को मिले हैं। देखते ही देखते दोनों गुटों के बीच हाथापाई होने लगी और नारेबाजी शुरू हो गई। कांग्रेस कार्यकर्ताओं के एक समूह ने कथित तौर पर एक बूथ में घुसने की कोशिश की. सीपीआई (एम) समर्थकों के एक वर्ग ने उनका विरोध किया। बाद में हालात पर काबू पाने के लिए पुलिस को घटनास्थल पर जाना पड़ा. हालाँकि, दोपहर में तनाव फिर से शुरू हो गया जब दोनों गुट लगभग मारपीट पर उतर आए। आरोप था कि सिर्फ चुनिंदा वोटरों को ही बूथ में प्रवेश की इजाजत दी जा रही थी.

शाम 4 बजे मतदान प्रक्रिया समाप्त होने के बाद, कुल लगभग 35,000 वोटों में से केवल 8,500 वोट ही डाले गए। श्री राघवन और डीसीसी अध्यक्ष के. प्रवीण कुमार ने एक प्रेस वार्ता में मांग की कि चुनाव रद्द कर दिया जाए। उन्होंने यह भी दावा किया कि सीपीआई (एम) ने बड़े पैमाने पर हिंसा की थी, और केपीसीसी महासचिव पीएम नियास हाथापाई में घायल हो गए थे। यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट ने हड़ताल के आह्वान का समर्थन किया है.

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भतीजी की ग्रेजुएशन या राजनीति का बहाना? Rahul Gandhi की विदेश यात्रा पर मचा राजनीतिक तूफान

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भतीजी की ग्रेजुएशन या राजनीति का बहाना? Rahul Gandhi की विदेश यात्रा पर मचा राजनीतिक तूफान

लोकसभा में विपक्ष के नेता Rahul Gandhi एक बार फिर विदेश दौरे पर हैं और इसको लेकर भाजपा ने उन पर तीखा हमला किया है। भाजपा का आरोप है कि राहुल बार-बार विदेश चले जाते हैं और अचानक ‘गायब’ हो जाते हैं। वहीं कांग्रेस का कहना है कि यह दौरा पूरी तरह से निजी है और राहुल गांधी अपनी भतीजी की ग्रेजुएशन सेरेमनी में शामिल होने के लिए लंदन गए हैं। कांग्रेस ने साफ किया है कि वह जल्द ही भारत लौट आएंगे।

भाजपा ने उठाए सवाल, कांग्रेस ने दिया जवाब

भाजपा के आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने ट्वीट कर कहा कि राहुल गांधी पिछले सप्ताह ही विदेश छुट्टी पर गए थे और अब एक बार फिर कहीं अज्ञात स्थान पर निकल गए हैं। उन्होंने सवाल किया कि आखिर बार-बार ये दौरे क्यों हो रहे हैं और कौन सी ऐसी मजबूरी है कि उन्हें बार-बार देश छोड़ना पड़ता है। जवाब में कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने पलटवार करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) हमेशा की तरह ‘गंदी चालें’ चल रहा है क्योंकि उनके पास और कोई काम नहीं है।

सोशल मीडिया पर अफवाहों की बाढ़

राहुल गांधी की इस यात्रा को लेकर सोशल मीडिया पर तरह-तरह के दावे किए जा रहे थे। कुछ पोस्ट्स में कहा गया कि वे बहरीन गए हैं जबकि कांग्रेस के सूत्रों के अनुसार राहुल गांधी का फ्लाइट शेड्यूल नई दिल्ली-बहरीन-लंदन का था और उनका अंतिम गंतव्य लंदन ही था। यह स्पष्टीकरण आने के बाद भी भाजपा नेताओं और समर्थकों ने सोशल मीडिया पर हमले तेज कर दिए।

 विपक्ष के नेता की जिम्मेदारी या निजी जीवन का अधिकार?

इस पूरे विवाद में एक बड़ा सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या विपक्ष के नेता को अपने निजी जीवन के लिए स्वतंत्रता नहीं होनी चाहिए। क्या किसी सार्वजनिक व्यक्ति को परिवार के साथ वक्त बिताने का अधिकार नहीं है? राहुल गांधी की यात्रा यदि पूरी तरह से पारिवारिक है, तो उस पर राजनीति करना क्या सही है? कांग्रेस का यही कहना है कि भाजपा जानबूझकर जनता का ध्यान असल मुद्दों से हटाना चाहती है।

सियासत का मुद्दा या मीडिया की भटकाव नीति?

कई राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि देश में जब भी महंगाई, बेरोजगारी या किसी संवेदनशील मुद्दे पर सरकार घिरती है, तब विपक्षी नेताओं के निजी मामलों को सामने लाकर मुद्दे भटकाए जाते हैं। राहुल गांधी के विदेश दौरे का मुद्दा भी शायद इसी रणनीति का हिस्सा है। अगर यह दौरा पारिवारिक है, तो इसे बार-बार उठाकर क्या संदेश दिया जा रहा है?

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Iran-Israel war : ईरान में फंसे थे हजारों भारतीय, भारत ने उठाया बड़ा कदम, रातोंरात लौटे 285 नागरिक

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Iran-Israel war : ईरान में फंसे थे हजारों भारतीय, भारत ने उठाया बड़ा कदम, रातोंरात लौटे 285 नागरिक

Iran-Israel war : ईरान और इज़राइल के बीच बढ़ते युद्ध ने पूरी दुनिया को चिंता में डाल दिया है। ऐसे तनावपूर्ण माहौल में भारत ने अपनी जनता की सुरक्षा को सर्वोपरि मानते हुए ‘ऑपरेशन सिंधु’ की शुरुआत की। इस मिशन का मकसद था – ईरान में फंसे भारतीय नागरिकों को सुरक्षित स्वदेश वापस लाना। 18 जून को शुरू हुए इस ऑपरेशन के तहत अब तक कुल 1713 भारतीयों की सफलतापूर्वक वापसी कराई जा चुकी है। हाल ही में 285 भारतीय नागरिकों को विशेष विमान से दिल्ली लाया गया। यह साहसी कदम भारत सरकार की तत्परता और मानवीय दृष्टिकोण को दर्शाता है।

10 राज्यों के नागरिक लौटे स्वदेश, केंद्रीय मंत्री ने किया स्वागत

रविवार देर रात जैसे ही विशेष विमान दिल्ली एयरपोर्ट पर उतरा, वैसे ही वहां मौजूद राज्य विदेश मंत्री पबित्रा मरगेरीटा ने सभी नागरिकों का गर्मजोशी से स्वागत किया। विमान में बिहार, जम्मू-कश्मीर, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र सहित 10 राज्यों के नागरिक सवार थे। मंत्री ने जानकारी दी कि अगले दो से तीन दिनों में और भी उड़ानों के ज़रिए भारतीयों को लाया जाएगा। सरकार लगातार ईरान और इज़राइल में रह रहे भारतीयों से संपर्क बनाए हुए है ताकि उनकी स्थिति पर नजर रखी जा सके।

भारतीयों की जुबानी दर्द और राहत की कहानी

ईरान से लौटे भारतीय नागरिकों की आँखों में डर भी था और राहत भी। मुंबई के सैयद शाहजाद अली जाफरी ने बताया कि वे पिछले तीन वर्षों से ईरान में काम कर रहे थे और इस बार तीर्थयात्रा के उद्देश्य से गए थे। लेकिन युद्ध ने हालात को बदल दिया। भारतीय सरकार ने उन्हें हिम्मत दी और अब वे सुरक्षित घर लौट आए हैं। वहीं सतिर फातिमा ने कहा कि वहां रहना अब जानलेवा हो गया था। “प्रधानमंत्री मोदी और भारत सरकार की वजह से आज मैं ज़िंदा हूं”, उन्होंने भावुक होकर कहा।

भारत की वैश्विक छवि को मिला और मज़बूती का संकेत

‘ऑपरेशन सिंधु’ सिर्फ एक बचाव मिशन नहीं बल्कि भारत की अंतरराष्ट्रीय भूमिका की मिसाल भी है। जब दुनिया के कई देश युद्ध में फंसे अपने नागरिकों को नहीं निकाल पाए, भारत ने तत्काल एक्शन लिया और नागरिकों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित की। यह दर्शाता है कि भारत आज न केवल अपने नागरिकों की चिंता करता है, बल्कि विश्व मंच पर भी जिम्मेदार देश के रूप में उभर रहा है।

भविष्य की तैयारियों में जुटा भारत, संपर्क में हैं सभी मिशन

भारत सरकार की अगली चुनौती है – वहां अभी भी फंसे हुए बाकी नागरिकों को सुरक्षित लाना। इसी के तहत भारत ईरान और इज़राइल में अपने मिशनों को एक्टिव मोड में रखे हुए है। विदेश मंत्रालय लगातार वहां की स्थिति की निगरानी कर रहा है। दो से तीन और उड़ानों की योजना बनाई गई है ताकि हर भारतीय सुरक्षित घर लौट सके। इस तरह भारत फिर से साबित कर रहा है कि जब भी जरूरत पड़ी, सरकार हर नागरिक के साथ खड़ी होती है।

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Iran and Israel War: OIC की बैठक सिर्फ दिखावा Mehbooba Mufti बोलीं- ट्रंप को नोबेल देने वाला पाकिस्तान अब पछता रहा होगा

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Iran and Israel War: OIC की बैठक सिर्फ दिखावा Mehbooba Mufti बोलीं- ट्रंप को नोबेल देने वाला पाकिस्तान अब पछता रहा होगा

Iran and Israel War: ईरान और इज़राइल के बीच लगातार बढ़ते तनाव पर शनिवार को इस्लामिक सहयोग संगठन यानी OIC की बैठक इस्तांबुल में हुई। इस बैठक में दोनों देशों के बीच हो रहे हमलों और बढ़ती हिंसा पर चर्चा हुई। लेकिन जैसे हर बार होता है इस बार भी OIC ने सिर्फ बयानबाज़ी की और कोई ठोस कदम नहीं उठाया। इसी पर जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती ने OIC की आलोचना करते हुए कहा कि यह सिर्फ जुबानी जमा-खर्च तक ही सीमित रही।

महबूबा मुफ़्ती ने साधा पाकिस्तान पर निशाना

महबूबा मुफ़्ती ने पाकिस्तान को लेकर भी तंज कसते हुए कहा कि जो देश डोनाल्ड ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए सिफारिश करने में सबसे आगे था उसे अब जरूर पछताना पड़ रहा होगा। उन्होंने कहा कि ईरान पर हमले के बाद OIC की भूमिका शर्मनाक रही और इस्लामी देशों को मिलकर कोई ठोस कदम उठाना चाहिए था। लेकिन हर बार की तरह इस बार भी सिर्फ प्रेस रिलीज़ और बयानबाज़ी तक ही मामला सीमित रह गया।

ट्रंप की वजह से और बिगड़ा मामला

महबूबा मुफ़्ती ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर भी हमला बोला और कहा कि उन्होंने ईरान पर हमला करके हालात और बिगाड़ दिए। उन्होंने कहा कि इस हमले से पूरे क्षेत्र में एक बार फिर हिंसा की लहर चल पड़ी है और यह स्थिति एक वैश्विक युद्ध की ओर इशारा कर रही है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत जैसे देश को इस समय एक ऐतिहासिक और सैद्धांतिक भूमिका निभानी चाहिए थी लेकिन दुर्भाग्यवश भारत इस पूरे मामले में न सिर्फ चुप है बल्कि कहीं ना कहीं हमलावर के पक्ष में खड़ा भी दिखाई दे रहा है।

पाकिस्तानी जनरल ने ट्रंप को नोबेल के लिए कहा था

महबूबा मुफ़्ती ने हाल ही में हुई एक मुलाकात का जिक्र भी किया जिसमें अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल मुनीर की बैठक हुई थी। इस बैठक में मुनीर ने ट्रंप से कहा था कि वे उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित करेंगे। लेकिन कुछ ही दिनों बाद अमेरिका ने ईरान पर हमला कर दिया। महबूबा ने कहा कि अब पाकिस्तान को भी यह महसूस हो रहा होगा कि उसने ट्रंप को लेकर जो समर्थन दिया था वह एक भूल थी।

ईरान पर अमेरिका का बड़ा हमला और चेतावनी

ईरान-इज़राइल के बीच की लड़ाई में अब अमेरिका भी खुलकर कूद चुका है। डोनाल्ड ट्रंप ने खुद कहा कि अमेरिका ने ईरान के तीन न्यूक्लियर ठिकानों पर हमला किया है। ट्रंप ने ईरान को चेतावनी दी है कि वह शांति का रास्ता अपनाए वरना उसके लिए गंभीर परिणाम होंगे। इस बीच पाकिस्तान की भूमिका भी संदिग्ध बनी हुई है क्योंकि वो अब खुले तौर पर इस लड़ाई का हिस्सा बनता दिख रहा है।

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