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चीन ने भारत के PLI और EV स्कीमों पर WTO में शिकायत दर्ज कर दी, व्यापार नियमों का हवाला दिया

चीन ने भारत के तीन कार्यक्रमों को लेकर विश्व व्यापार संगठन (WTO) में शिकायत दर्ज कराई है। चीन का आरोप है कि भारत की PLI योजना, उन्नत केमिस्ट्री सेल बैटरी उत्पादन, मोटर वाहन उत्पादन और इलेक्ट्रिक वाहन निर्माण को बढ़ावा देने वाली नीतियां वैश्विक व्यापार नियमों का उल्लंघन करती हैं। जेनेवा स्थित WTO से प्राप्त पत्र के अनुसार, चीन ने भारत से इन उपायों पर परामर्श की मांग की है। चीन का कहना है कि भारत की नीतियां घरेलू उत्पादों के पक्ष में हैं और चीनी उत्पादों के खिलाफ भेदभाव करती हैं।
विवादित भारतीय योजनाएं
चीन ने अपनी शिकायत में तीन प्रमुख भारतीय योजनाओं का उल्लेख किया है। इनमें उत्पादन-आधारित प्रोत्साहन योजना (Production-Based Incentive Scheme), उन्नत केमिस्ट्री सेल बैटरी स्टोरेज राष्ट्रीय कार्यक्रम (ACC Battery Storage), ऑटोमोटिव और घटक उद्योगों के लिए उत्पादन-आधारित प्रोत्साहन योजना और इलेक्ट्रिक पैसेंजर कार निर्माण को बढ़ावा देने की योजना शामिल हैं। चीन का कहना है कि ये उपाय SCM, GATT 1994 और TRIM समझौतों के तहत भारत की जिम्मेदारियों के अनुरूप नहीं हैं।
WTO में परामर्श प्रक्रिया
भारत और चीन दोनों WTO के सदस्य हैं। यदि किसी सदस्य देश को लगता है कि दूसरे सदस्य देश की नीति या योजना किसी वस्तु के उसके निर्यात को नुकसान पहुंचा रही है, तो वह WTO के विवाद निवारण तंत्र के तहत शिकायत दर्ज कर सकता है। WTO नियमों के अनुसार, परामर्श प्रक्रिया विवाद समाधान का पहला चरण होती है। यदि भारत के साथ परामर्श से संतोषजनक समाधान नहीं निकलता, तो WTO से समिति गठित करने का अनुरोध किया जा सकता है।
भारत-चीन व्यापार संतुलन
चीन, भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है। वित्त वर्ष 2024-25 में भारत के चीन को निर्यात में 14.5 प्रतिशत की गिरावट आई और यह 16.66 अरब डॉलर से घटकर 14.25 अरब डॉलर हो गया। वहीं, आयात में 11.52 प्रतिशत की वृद्धि हुई और यह 101.73 अरब डॉलर से बढ़कर 113.45 अरब डॉलर हो गया। इस वजह से भारत का चीन के साथ व्यापार घाटा 99.2 अरब डॉलर तक पहुँच गया।
आगे की संभावनाएं और प्रभाव
यदि WTO में भारत और चीन के बीच परामर्श सफल नहीं होते, तो यह मामला लंबे समय तक विवादित रह सकता है। भारतीय उद्योगों को संभावित प्रोत्साहनों में बदलाव का सामना करना पड़ सकता है, जबकि चीन अपनी निर्यात नीतियों की रक्षा करना चाहेगा। विशेषज्ञों का कहना है कि यह विवाद वैश्विक व्यापार नियमों और दो देशों के आर्थिक रिश्तों पर गंभीर असर डाल सकता है।
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Amazon Great Indian Festival 2025 में रिकॉर्ड विज़िट, बड़े स्क्रीन टीवी और प्रीमियम स्मार्टफोन की भारी डिमांड

Amazon Great Indian Festival 2025: घर बैठे ऑनलाइन शॉपिंग ने लोगों की जिंदगी बहुत आसान कर दी है। यही कारण है कि भारत में लोगों में ऑनलाइन खरीदारी का क्रेज लगातार बढ़ रहा है। दीवाली से पहले ही ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स ने सेल बढ़ाने और ग्राहकों को बेहतर अनुभव देने की तैयारी कर ली थी। इस बार के त्योहारी सीजन में छोटे शहरों (टीयर 3) से ऑनलाइन खरीदारी के आंकड़े आश्चर्यजनक रहे।
छोटे शहरों ने तोड़ा रिकॉर्ड
लॉजिस्टिक्स इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म ClickPost ने 42.5 मिलियन शिपमेंट का विश्लेषण किया। इसके अनुसार, इस बार छोटे शहरों ने ऑनलाइन खरीदारी में सबसे अधिक योगदान दिया। टीयर 3 शहरों ने कुल ई-कॉमर्स ऑर्डर का 50.7% हिस्सा दिया जबकि टीयर 2 शहरों का योगदान 24.8% रहा। कुल मिलाकर गैर-मेट्रो शहरों का हिस्सा 74.7% तक पहुंच गया।
अमेज़न ग्रेट इंडियन फेस्टिवल का धमाका
CNBC TV18 की रिपोर्ट के अनुसार, अमेज़न पर ग्रेट इंडियन फेस्टिवल 2025 के दौरान 2.76 अरब लोग पहुंचे, जो अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है। इस दौरान बड़े स्क्रीन टीवी, प्रीमियम स्मार्टफोन, फैशन और ब्यूटी प्रोडक्ट्स की बिक्री में डबल डिजिट ग्रोथ दर्ज हुई। टीयर 2 और टीयर 3 शहरों में फैशन और ब्यूटी प्रोडक्ट्स की मांग सबसे अधिक रही।
इन प्रोडक्ट्स की मांग में उछाल
अमेज़न इंडिया के उपाध्यक्ष सौरभ श्रीवास्तव के अनुसार, बड़े स्क्रीन टीवी, QLED और मिनी LED टीवी की बिक्री तेजी से बढ़ रही है। 20,000 रुपये से ऊपर के स्मार्टफोन की बिक्री में 50% सालाना वृद्धि हुई। इसके अलावा बड़े घरेलू उपकरण, फैशन, ब्यूटी, हेल्थ और पर्सनल केयर, होम और किचन आइटम्स की मांग भी उच्च रही।
त्वरित कॉमर्स और भुगतान के नए रुझान
धनतेरस पर लोगों ने इंस्टामार्ट और बिगबास्केट जैसी क्विक कॉमर्स ऐप्स पर भी भरोसा किया। इंस्टामार्ट ने सोने और चांदी के सिक्कों की बिक्री में पांच गुना वृद्धि दर्ज की। वहीं बिगबास्केट में सोने के सिक्कों की बिक्री 146% और चांदी के सिक्कों की बिक्री 234% बढ़ी। डिलीवरी समय औसतन 2.83 दिन रहा और उसी दिन हाइपरलोकल डिलीवरी में 42% की वृद्धि हुई। टीयर 3 शहरों में कैश ऑन डिलीवरी का रुझान मजबूत रहा जबकि हाई-वैल्यू प्रोडक्ट्स के लिए प्रीपेड डिजिटल पेमेंट्स लोकप्रिय रहे। औसत ऑर्डर वैल्यू 2024 के ₹3,281 से बढ़कर 2025 में ₹4,346 हो गई।
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Post Office MIS Scheme: पोस्ट ऑफिस MIS में निवेश करें और हर महीने पाएं ₹9,250 तक की फिक्स इनकम, जानें पूरी डिटेल्स

Post Office MIS Scheme: अगर आप सुरक्षित निवेश और निश्चित मासिक आय की तलाश में हैं, तो पोस्ट ऑफिस की मासिक आय योजना (MIS) आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प साबित हो सकती है। इस योजना में आपको केवल एक बार निवेश करना होता है और इसके बदले में हर महीने निश्चित ब्याज की रकम आपके बैंक खाते में सीधे ट्रांसफर हो जाती है। यह योजना निवेशकों को स्थिर आय का भरोसेमंद स्रोत प्रदान करती है।
साझा खाता खोलकर अधिक लाभ
यदि आप चाहें तो इस योजना में खाता संयुक्त रूप से अपनी पत्नी या किसी अन्य परिवार के सदस्य के साथ खोल सकते हैं। संयुक्त खाता खोलने की स्थिति में आप अधिकतम ₹9,250 प्रति माह का निश्चित ब्याज कमा सकते हैं। इस विकल्प से परिवार के सदस्यों की बचत और आय दोनों सुनिश्चित होती हैं और निवेशकों को नियमित मासिक आय का लाभ मिलता है।
ब्याज दर और निवेश सीमा
वर्तमान समय में पोस्ट ऑफिस MIS योजना पर वार्षिक ब्याज दर 7.4% है। इस योजना में न्यूनतम ₹1,000 से निवेश शुरू किया जा सकता है। एकल खाता में अधिकतम निवेश की सीमा ₹9 लाख है। वहीं, संयुक्त खाता में तीन लोगों तक ₹15 लाख तक निवेश किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, अगर आप अपनी पत्नी के साथ ₹10 लाख का निवेश करते हैं, तो केवल ब्याज से ही अच्छी मासिक आय अर्जित की जा सकती है।
निश्चित मासिक ब्याज और लाभ
मान लीजिए आपने MIS में ₹10 लाख जमा किए हैं, तो आपको हर महीने ₹6,167 का निश्चित ब्याज प्राप्त होगा। इस योजना की परिपक्वता अवधि 5 वर्ष है। योजना की अवधि पूरी होने पर आपका निवेश और उससे अर्जित ब्याज दोनों आपके खाते में लौटाया जाएगा। यह निवेश विकल्प उन लोगों के लिए उपयुक्त है जो नियमित मासिक आय चाहते हैं और अपने धन को सुरक्षित रखना चाहते हैं।
निवेश के लिए आवश्यकताएं और समापन
पोस्ट ऑफिस MIS योजना में निवेश करने के लिए आपके पास पोस्ट ऑफिस बचत खाता होना आवश्यक है। इस योजना का सबसे बड़ा लाभ यह है कि इसमें न केवल आपके निवेश की सुरक्षा है बल्कि यह नियमित आय भी सुनिश्चित करता है। ऐसे निवेशक जो जोखिम से बचना चाहते हैं और स्थिर आय की चाह रखते हैं, उनके लिए यह योजना एक आदर्श विकल्प है।
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RBI MPC सदस्य राम सिंह का बयान: इस समय रेपो रेट कट करना अर्थव्यवस्था के लिए जोखिमपूर्ण और अनावश्यक

भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) के बाहरी सदस्य राम सिंह का मानना है कि इस समय अतिरिक्त ब्याज दर में कटौती करना जोखिम भरा हो सकता है। उन्होंने कहा कि मौजूदा स्थिति में यह आवश्यक नहीं है। राम सिंह ने इंटरव्यू में बताया कि मौद्रिक और राजकोषीय उपायों का प्रभाव अभी भी जारी है और बैंक और वित्तीय संस्थान अभी धीरे-धीरे रेपो दर कटौती के लाभों को ग्राहकों तक पहुंचा रहे हैं।
नीति दर स्थिर रखने का निर्णय
राम सिंह ने 1 अक्टूबर को MPC की बैठक में नीति दर को स्थिर रखने के पक्ष में मतदान किया। हालांकि, उन्होंने नीति रुख को ‘सहायक’ से ‘तटस्थ’ में बदलने का समर्थन किया। उनका कहना है कि नाममात्र और वास्तविक GDP वृद्धि दोनों पर ध्यान देना जरूरी है क्योंकि ये अलग-अलग विश्लेषणात्मक उद्देश्यों के लिए महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने यह भी बताया कि कम मुद्रास्फीति व्यवसायों के लिए अच्छी नहीं है क्योंकि इसका असर निवेश और रोजगार निर्णयों पर पड़ता है।
मौद्रिक उपायों का अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
राम सिंह ने कहा कि इस वर्ष 1% रेपो दर कटौती का प्रभाव अभी पूरी तरह से महसूस नहीं हुआ है। इसलिए, वर्तमान स्थिति में अतिरिक्त कटौती अर्थव्यवस्था के लिए अत्यधिक हो सकती है और जोखिम पैदा कर सकती है। उन्होंने बताया कि इस वित्तीय वर्ष की पहली दो तिमाहियों में मांग और क्रेडिट वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए कई मौद्रिक उपायों को लागू किया गया, जिसने अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दिया।
GST और निवेश में वृद्धि
MPC के बाहरी सदस्य ने कहा कि बजट में आयकर छूट के बाद, GST दर राहत जैसी कई नीतियों का निवेश और मांग पर सकारात्मक प्रभाव दिखाई दे रहा है। उन्होंने जोर दिया कि अब मौजूदा उपायों को सिस्टम में काम करने देना चाहिए और इस समय नई नीति दर कटौती की कोई आवश्यकता नहीं है। राम सिंह का कहना है कि मौजूदा नीतियाँ प्रभावी साबित हो रही हैं और उन्हें पूरा असर दिखाने का समय दिया जाना चाहिए।
भविष्य की राह और वैश्विक स्थिति
राम सिंह ने यह भी उल्लेख किया कि उच्च अमेरिकी टैरिफ के मुद्दे पर अधिक स्पष्टता आने की उम्मीद है। यह वैश्विक व्यापार और आर्थिक वातावरण पर असर डाल सकता है। इस समय, भारतीय अर्थव्यवस्था को मौजूदा नीतिगत उपायों के माध्यम से स्थिरता और वृद्धि के लिए सही दिशा में रखा गया है। उन्होंने संकेत दिया कि RBI को अब तत्काल रेपो दर में कटौती करने की आवश्यकता नहीं है।
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