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Bengaluru News: बेंगलुरु में मोबाइल के लिए मां की डांट, 10वीं की छात्रा ने 20वीं मंजिल से कूदकर दी जान

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Bengaluru News: बेंगलुरु में मोबाइल के लिए मां की डांट, 10वीं की छात्रा ने 20वीं मंजिल से कूदकर दी जान

Bengaluru News: बेंगलुरु के कादुगोडी पुलिस थाना क्षेत्र के बाहरी इलाके में एक 15 वर्षीय लड़की ने अपने अपार्टमेंट की 20वीं मंजिल से कूदकर आत्महत्या कर ली। लड़की की पहचान अवंतीका चौरेसिया के रूप में हुई है, जो कक्षा 10वीं की छात्रा थी। पुलिस के अनुसार, लड़की का परिवार मध्य प्रदेश से है। इस दुखद घटना के बाद से इलाके में शोक की लहर दौड़ गई है।

लड़की के परिवार और शिक्षा के बारे में जानकारी

अवंतीका के पिता एक इंजीनियर हैं और उनकी माँ गृहिणी हैं। लड़की एक निजी स्कूल में पढ़ाई कर रही थी और हाल ही में उसने एक परीक्षा में कम अंक प्राप्त किए थे। पुलिस का कहना है कि यह घटना उस समय हुई जब सालाना परीक्षा 15 फरवरी से शुरू होने वाली थीं। लड़की को अपने मोबाइल फोन के साथ समय बिताते हुए देखा गया था।

लड़की की माँ ने मोबाइल फोन के इस्तेमाल पर आपत्ति जताई

लड़की की माँ ने बताया कि जब उन्होंने अपनी बेटी को मोबाइल फोन का अधिक इस्तेमाल करते देखा, तो उन्होंने उसे इस पर आपत्ति जताई और उसे ज्यादा समय मोबाइल पर न बिताने की सलाह दी। माँ ने अपनी बेटी से यह भी कहा कि उसे अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, क्योंकि परीक्षा नजदीक थी। पुलिस का मानना है कि शायद अपनी माँ की नाराजगी और इस कड़ी सलाह से दुखी होकर लड़की ने आत्महत्या करने का कदम उठाया।

पुलिस ने मौके पर पहुंचकर जांच शुरू की

कादुगोडी पुलिस घटना स्थल पर पहुंची और मामले की जांच शुरू की। पुलिस ने इस मामले को लेकर अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, और लड़की के माता-पिता से भी बयान दर्ज नहीं किया गया है। पुलिस ने इस घटना को लेकर अज्ञात परिस्थितियों में मौत की रिपोर्ट (UDR) दर्ज की है और मामले की जांच की जा रही है।

आत्महत्या का कदम क्या था गुस्से में लिया गया?

प्रारंभिक जांच के अनुसार, लड़की की माँ ने उसे परीक्षा के दौरान मोबाइल का इस्तेमाल न करने की सलाह दी थी, जिससे लड़की गुस्से में आ गई और उसने यह दुखद कदम उठा लिया। इस घटना के बाद, पुलिस ने आत्महत्या की वजह जानने के लिए कड़ी जांच शुरू कर दी है।

Bengaluru News: बेंगलुरु में मोबाइल के लिए मां की डांट, 10वीं की छात्रा ने 20वीं मंजिल से कूदकर दी जान

कक्षा 10वीं की छात्रा का आत्महत्या का कदम

अवंतीका एक CBSE स्कूल में पढ़ाई कर रही थी, जो बेंगलुरु के व्हाइटफील्ड इलाके में स्थित है। प्रारंभिक रिपोर्ट्स के अनुसार, लड़की ने गुस्से में आकर यह कदम उठाया। उसे अपनी माँ की सलाह और परीक्षा के दबाव के कारण मानसिक तनाव हो सकता था, जिससे वह आत्महत्या की ओर बढ़ी। यह घटना एक बार फिर यह सवाल उठाती है कि क्या बच्चों को परीक्षा के दबाव से बचाने के लिए कुछ किया जा सकता है।

अन्य आत्महत्या की घटनाएँ

इससे पहले, बेंगलुरु के ज्ञान भारती परिसर में 4 फरवरी को एक 24 वर्षीय पोस्टग्रेजुएट छात्रा का शव उनके होस्टल कमरे में पाया गया। छात्रा बेंगलुरु विश्वविद्यालय में कन्नड़ में MA की तीसरी सेमेस्टर की छात्रा थी और H.D. कोटे के एक गांव की रहने वाली थी। यह आत्महत्या का मामला भी पुलिस ने दर्ज किया है और जांच की जा रही है।

इसके अलावा, 6 फरवरी को बेंगलुरु के रामनगर जिले में एक 19 वर्षीय नर्सिंग छात्रा ने अपनी होस्टल कमरे में आत्महत्या कर ली। यह घटनाएँ इस बात का संकेत हैं कि मानसिक स्वास्थ्य और तनाव के मुद्दे गंभीर हो सकते हैं, खासकर छात्रों के लिए।

आत्महत्या से जुड़े कारणों की जांच जारी

पुलिस के अनुसार, अवंतीका की आत्महत्या के कारणों की जांच की जा रही है। यह संभव है कि लड़की को अपनी परीक्षाओं और मोबाइल के उपयोग को लेकर तनाव हो, लेकिन किसी भी कारण से आत्महत्या करना एक बेहद दुखद घटना है। परिवार और समाज को यह समझने की आवश्यकता है कि बच्चों और युवाओं में मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना कितना महत्वपूर्ण है।

परीक्षाओं का दबाव और मानसिक स्वास्थ्य की चिंता

यह घटनाएँ मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे को गंभीरता से उठाती हैं, खासकर उन बच्चों और छात्रों के लिए जो परीक्षाओं के दबाव में आते हैं। कई बार यह दबाव उनके मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है, और वे इसको संभालने में असमर्थ हो जाते हैं। इस प्रकार की घटनाएँ समाज के लिए एक चेतावनी हो सकती हैं, जिससे बच्चों और किशोरों के मानसिक स्वास्थ्य पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है।

समाज में मानसिक स्वास्थ्य पर चर्चा की आवश्यकता

समाज में बच्चों और युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य को लेकर एक गंभीर चर्चा की आवश्यकता है। स्कूलों, कॉलेजों और घरों में बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता बढ़ानी चाहिए ताकि ऐसे दुखद घटनाओं को रोका जा सके। विद्यार्थियों को मानसिक दबाव से निपटने के लिए उपाय सिखाने की आवश्यकता है, और साथ ही उनके परिवारों को भी मदद की आवश्यकता है।

बेंगलुरु में हुई अवंतीका की आत्महत्या एक दुखद घटना है, जो मानसिक स्वास्थ्य और परीक्षा के दबाव के गंभीर मुद्दे को उजागर करती है। हमें इस दिशा में आगे बढ़ने और बच्चों और युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल करने की आवश्यकता है, ताकि ऐसी घटनाओं को रोका जा सके। इस घटना ने यह भी दिखाया है कि बच्चों के प्रति पारिवारिक दबाव और उम्मीदें उन्हें किस तरह प्रभावित कर सकती हैं। समाज को इस दिशा में काम करने की जरूरत है।

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राजनाथ सिंह ने जवानों को किया सम्मानित और नक्सलवाद पर किया बड़ा खुलासा, जानिए क्या कहा देश की सुरक्षा पर

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राजनाथ सिंह ने जवानों को किया सम्मानित और नक्सलवाद पर किया बड़ा खुलासा, जानिए क्या कहा देश की सुरक्षा पर

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को दिल्ली में नेशनल पुलिस मेमोरियल पर पुलिस स्मारक दिवस कार्यक्रम में हिस्सा लिया। उन्होंने देश की सेवा में शहीद हुए पुलिसकर्मियों को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि सेना देश की रक्षा करती है, वहीं पुलिस समाज की सुरक्षा करती है। उन्होंने पुलिस और सेना की अहमियत को एक ही सिक्योरिटी के दो स्तंभ बताते हुए कहा कि दोनों का लक्ष्य देश की सुरक्षा है।

सेना और पुलिस के अलग लेकिन समान लक्ष्य

राजनाथ सिंह ने कहा कि चाहे दुश्मन सीमा के पार हो या हमारे बीच छिपा हो, जो भी भारत की सुरक्षा के लिए खड़ा होता है, वही हमारे देश का असली हीरो है। सेना और पुलिस अलग प्लेटफॉर्म पर काम करती हैं, लेकिन मिशन एक ही है। उन्होंने यह भी कहा कि लोगों का चैन से सोना पुलिस पर भरोसे का नतीजा है। यह भरोसा हमारे देश की स्थिरता की नींव है।

नक्सलवाद पर निर्णायक कार्रवाई

रक्षा मंत्री ने नक्सलवाद पर भी चर्चा की। उन्होंने बताया कि लंबे समय तक नक्सलवाद हमारे आंतरिक सुरक्षा के लिए चुनौती रहा। छत्तीसगढ़, झारखंड, ओड़िशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और महाराष्ट्र के कई जिलों में नक्सली आतंक फैला हुआ था। स्कूल बंद थे, सड़कें गायब थीं और लोग भय में जी रहे थे। लेकिन सरकार ने नक्सलवाद को बढ़ने से रोकने के लिए पुलिस, सीआरपीएफ, बीएसएफ और स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर संगठित काम किया।

नक्सली प्रभावित इलाकों का विकास

राजनाथ सिंह ने बताया कि इस साल कई प्रमुख नक्सली नेता मारे गए और नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या अब बहुत कम रह गई है। उन्होंने दावा किया कि मार्च तक सभी समस्याओं को पूरी तरह समाप्त कर दिया जाएगा। जो इलाके पहले नक्सली आतंक से कांपते थे, आज वहां सड़कें, अस्पताल, स्कूल और कॉलेज बन गए हैं। अब बच्चे मोबाइल और कंप्यूटर का इस्तेमाल कर रहे हैं और बड़े सपने देख रहे हैं। रेड कॉरिडोर अब विकास कॉरिडोर बन गया है।

पुलिस के आधुनिककरण की पहल

रक्षा मंत्री ने कहा कि 2018 में नेशनल पुलिस मेमोरियल स्थापित किया गया। इसके अलावा पुलिस को अत्याधुनिक हथियार और आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं। राज्यों को भी पुलिस बल के आधुनिकीकरण के लिए संसाधन दिए जा रहे हैं। आज हमारी पुलिस में सर्विलांस सिस्टम, ड्रोन, फॉरेंसिक लैब और डिजिटल पुलिसिंग जैसी आधुनिक तकनीकें उपलब्ध हैं। उन्होंने पुलिस की मेहनत और समर्पण की सराहना की।

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बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन फटी, JMM ने अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान किया, सीट बंटवारे पर विवाद

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बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन फटी, JMM ने अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान किया, सीट बंटवारे पर विवाद

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले महागठबंधन में विवाद की खबरें लगातार सामने आ रही हैं। झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) ने महागठबंधन से अलग होकर छह सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। पार्टी नेता Manoj Pandey ने कहा कि जब उनके मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया और सीटें नहीं दी गईं, तो उनके पास कोई विकल्प नहीं बचा। इसलिए JMM पूरी ताकत के साथ चुनाव में उतरेगी।

माहौल और नतीजों का असर

Manoj Pandey ने कहा कि महागठबंधन में उन्हें कम आंका गया। उनका मानना है कि अगर JMM और गठबंधन एक साथ रहते तो भारत गठबंधन और अधिक प्रभावी प्रदर्शन कर सकता था। उन्होंने बिहार के सीमा क्षेत्रों में अपनी पार्टी की पैठ और नेता की लोकप्रियता का हवाला दिया। अब महागठबंधन को इस अलगाव का परिणाम भुगतना पड़ेगा।

सीटों के बंटवारे पर मतभेद

गठबंधन में सीटों के बंटवारे को लेकर असहमति कई दिनों से जारी थी। JMM ने हमेशा कहा कि अगर उन्हें सम्मान नहीं मिला तो वह अकेले चुनाव लड़ेंगे। इसी वजह से अंतिम समय तक सीटों का बंटवारा तय नहीं हो सका। इस बार कांग्रेस और RJD ने कई सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं, जिससे गठबंधन में और विवाद बढ़ा है।

गठबंधन में मनमुटाव जारी

महागठबंधन में विभिन्न सहयोगियों की असहमति स्पष्ट दिख रही है। कांग्रेस पार्टी को अपने राज्य अध्यक्ष के विरोध का सामना करना पड़ रहा है। RJD और कांग्रेस के उम्मीदवार एक ही क्षेत्र में खड़े होने से मुकाबला और रोचक होने वाला है। गठबंधन में सहयोग और समन्वय की कमी के कारण चुनावी रणनीति प्रभावित हो सकती है।

NDA की चुनावी तैयारी

वहीं, एनडीए ने भी बिहार में प्रचार तेज कर दिया है। प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह समेत केंद्रीय मंत्री लगातार रैलियों के जरिए कार्यकर्ताओं में जोश भर रहे हैं। एनडीए की यह तैयारी यह सुनिश्चित करने के लिए है कि महागठबंधन की खींचतान का फायदा उठाकर वे अधिक सीटें जीत सकें। आने वाला चुनाव बेहद रोमांचक और परिणामों के लिहाज से अहम माना जा रहा है।

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तेलंगाना में पिछड़ा वर्ग आरक्षण के लिए राज्यव्यापी हड़ताल, स्कूल, कॉलेज और सरकारी दफ्तर होंगे बंद, सार्वजनिक यातायात प्रभावित

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तेलंगाना में पिछड़ा वर्ग आरक्षण के लिए राज्यव्यापी हड़ताल, स्कूल, कॉलेज और सरकारी दफ्तर होंगे बंद, सार्वजनिक यातायात प्रभावित

तेलंगाना में पिछड़ा वर्ग संगठनों ने राज्यव्यापी बंद का ऐलान किया है। यह बंद शनिवार को आयोजित किया जाएगा और इसका मुख्य उद्देश्य है राज्य सरकार द्वारा स्थानीय निकायों में 42 प्रतिशत आरक्षण देने के आदेश के खिलाफ तेलंगाना हाईकोर्ट के स्टे का विरोध करना। सरकार ने बाद में सुप्रीम कोर्ट में भी अपील की, लेकिन वहां भी इसे झटका लगा। इस बंद का समर्थन कई राजनीतिक दलों और संगठनों ने किया है, जिसमें भारत राष्ट्र समिति (BRS), भारतीय जनता पार्टी (BJP), कांग्रेस और वामपंथी दल शामिल हैं।

सरकारी आदेश और सुप्रीम कोर्ट की प्रतिक्रिया

तेलंगाना सरकार ने प्रस्तावित आदेश में पिछड़ा वर्ग (OBC), अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और अन्य जातियों के लिए कुल आरक्षण 67 प्रतिशत करने का प्रस्ताव रखा था। सरकार ने यह दावा किया कि सभी राजनीतिक दल इस प्रस्ताव का समर्थन करते हैं और इसे सर्वसम्मति से पारित किया गया। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को 50 प्रतिशत आरक्षण सीमा की याद दिलाई। यह मामला राज्य में पिछड़ा वर्ग समुदायों के अधिकारों और आरक्षण नीति को लेकर गंभीर बहस का कारण बना है।

तेलंगाना में पिछड़ा वर्ग आरक्षण के लिए राज्यव्यापी हड़ताल, स्कूल, कॉलेज और सरकारी दफ्तर होंगे बंद, सार्वजनिक यातायात प्रभावित

बंद के दौरान क्या खुलेगा और क्या बंद रहेगा

बंद के चलते राज्य में सभी स्कूल, कॉलेज और सरकारी कार्यालय बंद रहेंगे। इसके अलावा, सार्वजनिक परिवहन भी प्रभावित होने की संभावना है। हालांकि, सभी आवश्यक सेवाएं चालू रहेंगी ताकि आम नागरिकों की सुविधा प्रभावित न हो। लोग अपने दैनिक कामकाज में बाधा न आए, इसके लिए सरकार ने विशेष इंतजाम किए हैं।

राजनीतिक दलों का समर्थन और बयान

इस बंद का समर्थन कांग्रेस ने भी किया है। साथ ही, बीजेपी के सांसद आर. कृष्णैया ने कहा कि यह आंदोलन राज्य के सभी पिछड़ा वर्गों की सामूहिक आवाज़ है। उन्होंने कहा, “हम न्याय के लिए बड़े पैमाने पर प्रदर्शन करेंगे और सरकार पर दबाव डालने के लिए बंद करेंगे ताकि रोजगार और स्थानीय निकायों में आरक्षण सुनिश्चित किया जा सके।” उल्लेखनीय है कि तेलंगाना में सत्तारूढ़ कांग्रेस ने भी इस बंद का समर्थन किया और केंद्रीय मोदी सरकार की पिछड़ा वर्ग कोटे बढ़ाने वाली बिल को मंजूरी न देने पर आलोचना की।

बंद का सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव

राज्यव्यापी बंद से तेलंगाना में आम जनजीवन प्रभावित हो सकता है। स्कूल, कॉलेज और सरकारी कार्यालय बंद रहने से शिक्षा और प्रशासनिक कामकाज प्रभावित होंगे। सार्वजनिक परिवहन प्रभावित होने से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। राजनीतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से यह आंदोलन राज्य में पिछड़ा वर्ग समुदायों के अधिकारों और आरक्षण नीति पर जोरदार बहस को जन्म देगा और भविष्य में आरक्षण से जुड़े मामलों में महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है।

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