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Apple ने Siri का बड़ा अपडेट टाला, क्या कंपनी की रणनीति पर उठेंगे सवाल?

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Apple ने Siri का बड़ा अपडेट टाला, क्या कंपनी की रणनीति पर उठेंगे सवाल?

Apple ने जून 2023 में जब अपने वॉइस असिस्टेंट Siri के बड़े अपग्रेड की घोषणा की थी, तब टेक विशेषज्ञों ने इसे नई शुरुआत बताया था। कंपनी ने दावा किया था कि नया Siri ईमेल, मैसेज और रियल-टाइम फ्लाइट डेटा को क्रॉस-रेफरेंस कर जटिल सवालों के जवाब दे सकेगा। iOS 18.4 अपडेट के साथ इसे अप्रैल 2025 में लॉन्च किया जाना था, लेकिन अब कंपनी ने इस अपडेट को टाल दिया है। इस देरी को Apple की AI रणनीति में पिछड़ने के रूप में देखा जा रहा है।

Siri अपग्रेड में देरी के कारण

मार्च 2025 में Apple ने घोषणा की थी कि iOS 18.4 अपडेट के साथ नया Siri अपग्रेड जारी होगा। इस अपडेट में Siri को ChatGPT के साथ इंटीग्रेट किया जाना था, जिससे यह यूजर्स को ज्यादा पर्सनलाइज्ड जवाब देने में सक्षम होता। हालांकि, अब कंपनी ने इसे फिलहाल स्थगित कर दिया है।

Bloomberg की रिपोर्ट के अनुसार, Apple के Siri प्रोडक्ट डिवीजन के प्रमुख ने इस देरी को “अजीब और शर्मनाक” बताया है। Apple की यह रणनीति उसके कर्मचारियों के लिए भी चिंता का विषय बन गई है।

AI की दौड़ में पिछड़ता Apple

Google और Samsung पहले ही अपने स्मार्टफोन्स में AI फीचर्स को इंटीग्रेट कर चुके हैं। अक्टूबर 2024 में Apple ने ‘Apple Intelligence’ नामक फीचर्स लॉन्च किए थे, लेकिन इसके AI फीचर्स को पूरी तरह जारी करने में कंपनी को एक साल लगने की बात कही गई थी।

जब Apple ने Siri अपग्रेड की घोषणा की थी, तो इसे iPhone उपयोग का तरीका बदलने वाला बताया गया था। इस अपग्रेड के बाद यूजर्स को अलग-अलग ऐप्स में स्विच करने की जरूरत नहीं होती। इसके बावजूद, कंपनी इस अपडेट को समय पर लॉन्च नहीं कर पाई, जिससे वह AI की दौड़ में पिछड़ती दिख रही है।

Apple ने Siri का बड़ा अपडेट टाला, क्या कंपनी की रणनीति पर उठेंगे सवाल?

प्रतिद्वंद्वियों का दबदबा

Apple के मुकाबले Google और Amazon जैसे प्रतिद्वंद्वी लगातार अपने AI फीचर्स में सुधार कर रहे हैं। हाल ही में Google ने अपने Gemini मॉडल को अपडेट किया है, जो यूजर के सर्च हिस्ट्री के आधार पर पर्सनलाइज्ड जवाब देने में सक्षम है।

वहीं, Amazon ने भी Alexa का नया वर्जन Alexa+ लॉन्च किया है, जो पहले से अधिक स्मार्ट और संवेदनशील है। ऐसे में Siri का अपग्रेड लेट होना Apple के लिए एक चुनौती बन गया है।

Apple की बाजार स्थिति पर असर

Apple के लिए iPhone की सफलता ही उसकी बाजार स्थिति को मजबूत बनाए रखती है। हालांकि, हाल के महीनों में कंपनी को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा है।

  • चीन में गिरती बिक्री: Apple की चीन में iPhone बिक्री 11% गिर गई है, जिससे कंपनी को बड़ा झटका लगा है।

  • वैश्विक स्तर पर बिक्री में गिरावट: Wall Street की उम्मीदों के विपरीत Apple की iPhone बिक्री कम रही।

  • स्टॉक में गिरावट: 2025 की शुरुआत में ही Apple के स्टॉक में 12% की गिरावट दर्ज की गई।

Apple की रणनीति: देरी, लेकिन गुणवत्ता बरकरार

हालांकि Siri अपग्रेड में देरी हुई है, फिर भी विशेषज्ञों का मानना है कि यह Apple की रणनीति का हिस्सा है। कंपनी बिना पूरी तरह टेस्टिंग किए किसी भी फीचर को लॉन्च नहीं करना चाहती।

इसका कारण हाल में Google और Meta जैसे दिग्गजों की गलतियां हैं। Google के Gemini ने AI ओवरव्यू में पिज्जा पर ग्लू लगाने जैसे अजीब सुझाव दिए थे, जिसके बाद कंपनी की काफी आलोचना हुई थी। वहीं, Meta को अपने AI प्रोफाइल्स को गलत जवाब देने के कारण हटाना पड़ा था।

ऐसे में Apple “Better Late Than Never” की नीति अपना रहा है। कंपनी अपने अपडेट को पूरी तरह टेस्ट करने के बाद ही जारी करना चाहती है ताकि किसी भी तकनीकी त्रुटि से बचा जा सके।

Apple की आगे की रणनीति

Apple ने यह स्पष्ट कर दिया है कि Siri का अपग्रेड धीरे-धीरे जारी किया जाएगा। इसके तहत:

  • पहले सीमित यूजर्स को Siri का नया अपडेट मिलेगा।

  • इसके बाद विभिन्न देशों में चरणबद्ध तरीके से इसे रोलआउट किया जाएगा।

  • अपडेट में Siri को iPhone के अन्य ऐप्स और सेवाओं से अधिक स्मार्ट तरीके से जोड़ा जाएगा।

AI में पिछड़ने के बावजूद, Apple मजबूत स्थिति में

भले ही Apple AI रेस में देरी कर रहा हो, लेकिन कंपनी की मजबूत बाजार स्थिति उसे नुकसान से बचा रही है। Rosenblatt Securities के एनालिस्ट Barton Crockett का कहना है कि स्मार्टफोन्स अब जरूरत बन चुके हैं, इसलिए Apple की स्थिति सुरक्षित है।

Wedbush Securities के Dan Ives का भी मानना है कि 2025 में Apple अपने AI अपडेट्स के जरिए नई ऊंचाइयां छू सकता है।

Apple का Siri अपग्रेड लेट हो सकता है, लेकिन यह कंपनी की रणनीतिक चाल का हिस्सा है। तकनीकी गलतियों से बचने के लिए Apple अपने हर AI फीचर की गहन टेस्टिंग कर रहा है। AI रेस में भले ही Apple अभी पीछे दिख रहा हो, लेकिन गुणवत्ता पर ध्यान देने की उसकी नीति लंबे समय में उसे फायदा पहुंचा सकती है।

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AC (Air Conditioner): क्या आप जानते हैं कि एसी का टन क्या होता है और इसका कूलिंग से क्या संबंध है?

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AC (Air Conditioner): क्या आप जानते हैं कि एसी का टन क्या होता है और इसका कूलिंग से क्या संबंध है?

AC (Air Conditioner): गर्मी का मौसम आ चुका है और इससे राहत पाने के लिए एसी और कूलर चलने लगे हैं। मार्च और अप्रैल के महीनों में कूलर और पंखे काम करते थे लेकिन जैसे-जैसे मई और जून का महीना आता है एसी ही सही विकल्प बनता है। मई अभी कुछ दिन दूर है लेकिन अप्रैल में ही पारा 40 डिग्री तक पहुंचने लगा है। इसलिए एसी अब हर घर और ऑफिस में चलने लगे हैं।

एसी में ‘टन’ का क्या मतलब है?

जब भी एसी की बात होती है तो यह सवाल जरूर आता है कि आपके घर में कितने टन का एसी है या आप किस टन का एसी खरीद रहे हैं। क्या आपने कभी सोचा है कि एसी का वजन बहुत हल्का होता है तो टन का क्या मतलब है? यह जानकर आपको हैरानी हो सकती है कि टन का संबंध एसी के वजन से नहीं बल्कि उसकी कूलिंग क्षमता से है।

टन का मतलब कूलिंग क्षमता है

जब आप नया एसी खरीदने जाते हैं तो टन का एक अहम रोल होता है। दरअसल टन से मतलब कूलिंग क्षमता से है। जैसे-जैसे एसी का टन बढ़ेगा वैसे-वैसे एसी की कूलिंग क्षमता भी बढ़ेगी। इसलिए एसी खरीदते समय टन की सही जानकारी होना जरूरी है ताकि आप अपने कमरे के आकार के हिसाब से सही एसी चुन सकें।

AC (Air Conditioner): क्या आप जानते हैं कि एसी का टन क्या होता है और इसका कूलिंग से क्या संबंध है?

टन से कूलिंग क्षमता का फर्क

एसी में 1 टन का मतलब है कि वह एसी 1 टन बर्फ के बराबर ठंडक देता है। अगर आप छोटे कमरे के लिए एसी ले रहे हैं तो 1 टन या उससे कम की कूलिंग क्षमता वाला एसी ले सकते हैं। लेकिन अगर आपको बड़े हॉल या बड़े बेडरूम के लिए एसी चाहिए तो 1.5 टन या 2 टन का एसी लेना बेहतर रहेगा। टन जितना ज्यादा होगा कूलिंग क्षमता उतनी ही बेहतर होगी।

टन का असर एसी की कूलिंग पर

अब आपको यह जानना चाहिए कि 1 टन एसी एक घंटे में 12,000 ब्रिटिश थर्मल यूनिट (BTU) हीट हटाता है। इसी तरह 1.5 टन एसी 18,000 BTU हीट हटाता है और 2 टन एसी 24,000 BTU हीट हटाता है। इस हिसाब से आपको यह समझ में आ गया होगा कि टन जितना ज्यादा होगा कूलिंग उतनी ही बेहतर होगी।

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TRAI: अब नहीं सहनी पड़ेगी खराब नेटवर्क की परेशानी सीधे TRAI से करें शिकायत

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TRAI: अब नहीं सहनी पड़ेगी खराब नेटवर्क की परेशानी सीधे TRAI से करें शिकायत

TRAI ने देश के करोड़ों मोबाइल यूजर्स को एक बड़ी राहत दी है। अब अगर आपको एयरटेल जियो वोडाफोन आइडिया या बीएसएनएल जैसी किसी भी कंपनी की सेवा से शिकायत है तो आप सीधे TRAI से शिकायत कर सकते हैं। इसके लिए TRAI ने एक सेंट्रल ऑनलाइन पोर्टल लॉन्च किया है।

TCCMS पोर्टल का लॉन्च

TRAI ने इस पोर्टल को TCCMS यानी टेलीकॉम कंज्यूमर कंप्लेंट मॉनिटरिंग सिस्टम नाम दिया है। इस पोर्टल की मदद से अब ग्राहकों को शिकायत करने के लिए सर्विस प्रोवाइडर का नंबर गूगल करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। यूजर्स मोबाइल ही नहीं ब्रॉडबैंड सेवा देने वाली कंपनियों की भी शिकायत इसी पोर्टल से कर सकते हैं।

शिकायत करने की आसान प्रक्रिया

शिकायत करने के लिए आपको TRAI की वेबसाइट https://tccms.trai.gov.in/Queries.aspx?cid=1 पर जाना होगा। वहां अपनी टेलीकॉम या इंटरनेट सेवा प्रदाता कंपनी को चुनना होगा। फिर अपना राज्य और ज़िला सेलेक्ट करें जहां आप सेवा का इस्तेमाल कर रहे हैं। इसके बाद उस इलाके के लिए उपलब्ध हेल्पलाइन नंबर दिखेगा जिस पर आप अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं।

अब एक जगह मिलेगा सभी कंपनियों का हेल्पलाइन नंबर

अक्सर यूजर्स को सही हेल्पलाइन नंबर नहीं मिल पाता था जिससे उनकी शिकायत अधूरी रह जाती थी। अब इस नए पोर्टल से सभी कंपनियों का हेल्पलाइन नंबर एक ही जगह पर मिल जाएगा। इससे शिकायत दर्ज कराना बहुत आसान हो जाएगा और ग्राहक को कंपनी के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे।

सेवा की गुणवत्ता पर लगातार नजर

TRAI और टेलीकॉम विभाग पिछले साल से सेवा की गुणवत्ता को लेकर सख्त रुख अपना रहे हैं। स्पैम कॉल और फर्जी मार्केटिंग से बचाव के लिए पिछले साल DLT सिस्टम लागू किया गया है। जो कंपनियां इस सिस्टम का पालन नहीं करतीं उन पर भारी जुर्माना और लाइसेंस रद्द करने तक की कार्रवाई हो सकती है।

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IISc: 2D मटेरियल से बनी चिप्स! IISc की नई तकनीक, जो भारत को सेमीकंडक्टर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाएगी

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IISc: 2D मटेरियल से बनी चिप्स! IISc की नई तकनीक, जो भारत को सेमीकंडक्टर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाएगी

IISc : भारतीय विज्ञान संस्थान यानी IISc के 30 वैज्ञानिकों ने कमाल कर दिया है। उन्होंने एक ऐसी चिप पर काम किया है जो अब तक की सबसे छोटी सिलिकॉन चिप से भी 10 गुना छोटी होगी। इस चिप की तकनीक को एंगस्ट्रॉम स्केल कहा जा रहा है। वैज्ञानिकों ने इसकी एक डिटेल रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है। इस रिपोर्ट में एक नया सेमीकंडक्टर मटेरियल इस्तेमाल करने का प्रस्ताव भी दिया गया है। यह मटेरियल 2D मटेरियल कहलाएगा जो तकनीक की दुनिया में क्रांति ला सकता है।

सिलिकॉन चिप को देगा टक्कर

फिलहाल अमेरिका जापान साउथ कोरिया और ताइवान जैसे देश सिलिकॉन चिप तकनीक में आगे हैं। उनके द्वारा बनाई गई चिप्स दुनिया के लगभग सभी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेस में इस्तेमाल होती हैं। लेकिन अब भारत इस दौड़ में तेजी से कदम रख रहा है। IISc की टीम ने सबसे पहले अप्रैल 2022 में अपनी रिपोर्ट सरकार को दी थी और फिर अक्टूबर 2024 में इसे संशोधित कर दोबारा प्रस्तुत किया गया। इस रिपोर्ट को अब IT मंत्रालय यानी MeitY के पास भेजा गया है।

IISc: 2D मटेरियल से बनी चिप्स! IISc की नई तकनीक, जो भारत को सेमीकंडक्टर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाएगी

क्या है 2D मटेरियल की खासियत

इस चिप में इस्तेमाल होने वाले 2D मटेरियल जैसे ग्रेफीन और ट्रांजिशन मेटल डाइक्ल्कोजेनाइड्स तकनीक को एंगस्ट्रॉम स्केल तक ले जा सकते हैं। मौजूदा समय में चिप बनाने की जो तकनीक है वह नैनोमीटर स्केल पर है लेकिन यह नई तकनीक उससे भी कई गुना पतली होगी। यह चिप्स न सिर्फ साइज में छोटी होंगी बल्कि ज्यादा तेज और शक्तिशाली भी हो सकती हैं। इस तकनीक की मदद से भारत इलेक्ट्रॉनिक्स और सेमीकंडक्टर क्षेत्र में बड़ी छलांग लगा सकता है।

सरकार कर रही है गंभीर विचार

MeitY के सूत्रों के मुताबिक इस प्रोजेक्ट पर विचार हो रहा है और IT मंत्रालय का रवैया इस प्रस्ताव के प्रति काफी सकारात्मक है। हाल ही में इस विषय पर मंत्रालय के सचिव और प्रिंसिपल साइंटिफिक एडवाइजर के साथ बैठकें भी हो चुकी हैं। सरकार अब इस तकनीक को इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में उपयोग करने की दिशा में सोच रही है। अगर यह तकनीक मंजूर होती है तो भारत खुद के सेमीकंडक्टर चिप्स बना सकेगा।

सेमीकंडक्टर में आत्मनिर्भरता की ओर

फिलहाल भारत सेमीकंडक्टर के लिए विदेशी कंपनियों पर निर्भर है। लेकिन यह तकनीक भारत को इस क्षेत्र में आत्मनिर्भर बना सकती है। यह तकनीक न सिर्फ आर्थिक दृष्टि से बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से भी अहम मानी जा रही है। टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स भारत में सबसे बड़ा सेमीकंडक्टर प्रोजेक्ट चला रहा है जिसकी लागत 91 हजार करोड़ रुपये है। इसके लिए टाटा ने ताइवान की TSMC कंपनी से साझेदारी की है। लेकिन IISc की यह तकनीक भारत को तकनीकी स्वतंत्रता की ओर ले जा सकती है।

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