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Action taken against Salem teacher for attending event felicitating former CM Palaniswami and allegedly neglecting school duties

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Action taken against Salem teacher for attending event felicitating former CM Palaniswami and allegedly neglecting school duties
तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री एडप्पादी के. पलानीस्वामी 17 नवंबर, 2024 को तमिलनाडु के सलेम जिले के मेचेरी में आयोजित किसानों द्वारा आयोजित एक सम्मान समारोह में बोलते हुए

तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री एडप्पादी के. पलानीस्वामी 17 नवंबर, 2024 को तमिलनाडु के सलेम जिले के मेचेरी में आयोजित किसानों द्वारा आयोजित एक सम्मान समारोह में बोलते हैं | फोटो साभार: ई. लक्ष्मी नारायणन

तमिलनाडु शिक्षा विभाग ने सोमवार (19 नवंबर, 2024) शाम पूर्व मुख्यमंत्री एडप्पादी के. पलानीस्वामी के सम्मान समारोह में भाग लेने के लिए एक शिक्षक के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की।

रविवार को, विभिन्न किसान संघों की ओर से, जिले में 100-झील योजना को लागू करने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री और अन्नाद्रमुक महासचिव एडप्पादी के. पलानीस्वामी को सम्मानित करने के लिए मेचेरी में एक समारोह आयोजित किया गया था। बैठक में एक किसान संघ की ओर से अरियामपट्टी पंचायत यूनियन मिडिल स्कूल में अंग्रेजी शिक्षक के रूप में कार्यरत आर.सीतारामन उर्फ ​​थंबैया ने भाग लिया और पूर्व मुख्यमंत्री की प्रशंसा की.

शिक्षा विभाग ने श्री सीतारमन के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई की।

प्राथमिक शिक्षा निदेशक को लिखे एक पत्र में, थरमंगलम जिला शिक्षा अधिकारी (प्रारंभिक शिक्षा) ए. राजू ने कहा कि कार्यालय को श्री सीतारमण के खिलाफ शिकायतें मिलीं कि वह नियमित रूप से स्कूल नहीं आ रहे थे और सरकारी सेवा में रहते हुए भी वह ऐसा कर रहे थे। कावेरी अधिशेष जल समिति के अध्यक्ष के रूप में अन्नाद्रमुक पार्टी से संबंधित कार्य और कार्यप्रणाली।

डीईओ ने अपने पत्र में कहा कि स्कूल के समय के दौरान, श्री सीतारमन लगातार फोन पर बात करते थे और अपने लैपटॉप पर व्यस्त रहते थे और छात्रों की कक्षाएं नहीं लेते थे। इन आरोपों के आधार पर, 14 नवंबर को स्कूल में एक जांच की गई और शिक्षक श्री सीतारमन ने स्वीकार किया कि वह एक राजनीतिक रूप से संबद्ध किसान संघ में पदाधिकारी हैं। जांच के आधार पर उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की गयी.

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केंद्रीय विश्वविद्यालयों में खाली पदों पर Rahul Gandhi का हमला! यह सिर्फ लापरवाही नहीं, बल्कि साजिश है

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केंद्रीय विश्वविद्यालयों में खाली पदों पर Rahul Gandhi का हमला! यह सिर्फ लापरवाही नहीं, बल्कि साजिश है

Rahul Gandhi: हाल ही में संसद में पेश किए गए आंकड़ों ने चौंकाने वाला सच सामने लाया है। देश के अधिकतर केंद्रीय विश्वविद्यालयों में प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर के पद बड़ी संख्या में खाली हैं। खासकर अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षित पदों में 60 से 80 प्रतिशत तक की भारी कमी है। यह सिर्फ शिक्षा की गिरती हालत नहीं बल्कि गहरी सामाजिक चिंता का विषय बन चुका है।

राहुल गांधी का तीखा हमला

राहुल गांधी ने इन आंकड़ों को लेकर केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ प्रशासनिक लापरवाही नहीं बल्कि बहुजनों को शिक्षा और शोध से दूर रखने की एक ‘सोची-समझी साजिश’ है। उनका कहना है कि सरकार की मंशा है कि बहुजन समाज उच्च शिक्षा और नीति निर्माण से बाहर ही रहे ताकि उनकी आवाज कहीं न सुनी जाए।

‘एनएफएस’ के नाम पर हो रहा अन्याय

राहुल गांधी ने यह भी आरोप लगाया कि सरकार योग्य उम्मीदवारों को ‘एनएफएस’ यानी ‘नॉट फाउंड स्युटेबल’ कहकर बाहर कर रही है। एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग के हजारों योग्य अभ्यर्थियों को अयोग्य बताकर उनके हक छीने जा रहे हैं। उन्होंने इसे ‘संस्थागत मनुवाद’ करार देते हुए कहा कि यह सोच आज भी जीवित है और व्यवस्था में गहराई तक समाई हुई है।

बहुजनों की अनुपस्थिति से शोध में भी पक्षपात

राहुल गांधी ने इस बात पर चिंता जताई कि बहुजनों की शिक्षा और विश्वविद्यालयों में सहभागिता कम होने से उनकी समस्याएं शोध और विमर्श से भी गायब हो रही हैं। जब विश्वविद्यालयों में ही उनके प्रतिनिधि नहीं होंगे तो उनकी जरूरतों और अधिकारों पर कौन बात करेगा। यह समाज के एक बड़े हिस्से को साइलेंट बना देने की प्रक्रिया है।

बहुजनों को मिलना चाहिए उनका अधिकार

राहुल गांधी ने सरकार से मांग की है कि सभी खाली पदों को तुरंत भरा जाए। उन्होंने कहा कि यह एक बड़ी सामाजिक ज़िम्मेदारी है जिसे अब और नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। बहुजनों को उनका हक मिलना चाहिए न कि मनुवादी सोच के तहत बहिष्करण। शिक्षा में समान अवसर देना ही सच्चा लोकतंत्र होगा।

 

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Bihar Election 2025: बिहार की सत्ता पर किसका कब्जा? चिराग पासवान ने खोल दिए चुनावी पत्ते

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Bihar Election 2025: बिहार की सत्ता पर किसका कब्जा? चिराग पासवान ने खोल दिए चुनावी पत्ते

Bihar Election 2025: बिहार में विधानसभा चुनाव का मौसम शुरू हो चुका है। सभी राजनीतिक पार्टियां एक्टिव हो चुकी हैं और मैदान में उतरने की तैयारी कर रही हैं। माना जा रहा है कि चुनाव अक्टूबर के आखिरी सप्ताह या नवंबर के पहले सप्ताह में होंगे। चुनाव आयोग अक्टूबर में तारीखों की घोषणा करेगा और 10 से 12 नवंबर तक नतीजे आ जाएंगे। नतीजों से ही तय होगा कि बिहार की सत्ता किसके हाथ जाएगी।

चिराग पासवान की बदली रणनीति

केंद्र सरकार में मंत्री और लोजपा प्रमुख चिराग पासवान ने इस बार कुछ अलग तेवर दिखाए हैं। उन्होंने चुनावी रैलियों में जातिवाद से ऊपर उठने की बात कही है। चिराग ने जनसुराज पार्टी के प्रमुख प्रशांत किशोर की खुले दिल से तारीफ की और कहा कि वे ईमानदारी से बिहार की दिशा और दशा सुधारने की राजनीति कर रहे हैं। चिराग ने कहा कि उन्हें हर उस व्यक्ति की सोच पसंद है जो बिहार और बिहारी के हित के लिए बिना किसी जाति-धर्म के राजनीति में आता है।

‘आपके पास विकल्पों की भरमार है’

चिराग पासवान ने लोगों से अपील करते हुए कहा कि भारत के लोकतंत्र की खूबसूरती यही है कि यहां हर मतदाता के पास कई विकल्प होते हैं। उन्होंने कहा कि अगर किसी को ‘बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट’ की विचारधारा पसंद है तो वो उसे चुने। अगर कोई जातिवाद और सांप्रदायिकता की सोच रखता है तो उनके लिए भी विकल्प खुले हैं। साथ ही उन्होंने अपने ‘MY’ यानी महिला और युवा विकास की सोच को सबसे आगे रखने की अपील की।

RJD के MY समीकरण पर निशाना

चिराग ने RJD के परंपरागत वोट बैंक को भी निशाने पर लिया। उन्होंने कहा कि RJD का MY मतलब मुस्लिम और यादव का समीकरण है और उनकी पूरी राजनीति इसी पर आधारित है। जबकि उनका MY मतलब महिला और युवा है। उन्होंने कहा कि अब जनता को तय करना है कि वो किस सोच को अपनाती है। बिहार की जनता अब ज्यादा जागरूक हो चुकी है और वो राज्य के भविष्य के बारे में सोचकर वोट डालेगी।

SIR पर विपक्ष को घेरा

वोटर लिस्ट की जांच को लेकर हो रहे विवाद पर चिराग पासवान ने विपक्ष को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव के बाद खुद विपक्ष ही चुनाव आयोग के पास गया था और शिकायत की थी कि वोटर लिस्ट में गड़बड़ियां हैं। इसी के चलते आयोग ने SIR यानी स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन का फैसला लिया। अब जब ईमानदारी से वोटर लिस्ट की जांच हो रही है तो विपक्ष को इससे भी आपत्ति हो रही है। उन्होंने कहा कि ये तो दोहरी नीति है।

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Maharashtra: कल्याण के अस्पताल में घटी दिल दहला देने वाली घटना! जब इलाज लाया हिंसा का तूफान

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Maharashtra: कल्याण के अस्पताल में घटी दिल दहला देने वाली घटना! जब इलाज लाया हिंसा का तूफान

Maharashtra: यह मामला महाराष्ट्र के कल्याण शहर स्थित श्री बालाजी चिल्ड्रन हॉस्पिटल का है। सोमवार सुबह एक युवक गोपाल झा अपनी पत्नी और बच्चे को लेकर इलाज के लिए अस्पताल पहुंचा। डॉक्टर थोड़ी देर से आए थे जिस वजह से सभी मरीज अपनी बारी का इंतज़ार कर रहे थे। जब गोपाल ने डॉक्टर से तुरंत मिलने की ज़िद की तो रिसेप्शनिस्ट ने उसे शांति से बताया कि अभी उसका नंबर नहीं आया है। इसी बात से आगबबूला होकर गोपाल ने अपना आपा खो दिया।

सीसीटीवी में कैद हुई बर्बरता

हॉस्पिटल में लगे सीसीटीवी कैमरे में पूरी घटना रिकॉर्ड हो गई है। फुटेज में साफ देखा जा सकता है कि गोपाल ने पहले रिसेप्शनिस्ट के पेट में जोर से लात मारी। फिर उसने बाल पकड़कर घसीटा और कई थप्पड़ भी मारे। वहां मौजूद लोग यह सब देखकर दंग रह गए और किसी तरह आरोपी को रोककर अस्पताल से बाहर निकाला। पीड़िता इस हमले से बुरी तरह घबरा गई है और उसकी मानसिक स्थिति भी डगमगा गई है।

थाने में दर्ज हुई शिकायत

पीड़िता ने इस हमले के बाद मनपाड़ा पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज करवाई। पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धाराओं के तहत गोपाल झा के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। पीड़िता ने यह भी बताया कि आरोपी ने मारपीट के साथ-साथ गाली-गलौच भी की। पुलिस अब सीसीटीवी फुटेज को सबूत के तौर पर इस्तेमाल करते हुए मामले की जांच कर रही है और आरोपी की गिरफ्तारी की प्रक्रिया शुरू हो गई है।

सोशल मीडिया पर भड़का जन आक्रोश

घटना का वीडियो जैसे ही सोशल मीडिया पर वायरल हुआ लोगों में गुस्सा भर गया। स्थानीय लोगों ने इस हिंसा की कड़ी निंदा की और आरोपी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। कई लोगों ने सवाल उठाया कि अस्पताल जैसे शांतिपूर्ण स्थान में इस तरह की बर्बरता कैसे हो सकती है। यह केवल एक महिला पर हमला नहीं था बल्कि पूरे मेडिकल स्टाफ की सुरक्षा पर सवाल है।

अस्पताल प्रबंधन की चुप्पी भी सवालों में

घटना के बाद अस्पताल प्रबंधन की ओर से कोई ठोस बयान सामने नहीं आया है। लोगों का कहना है कि अस्पतालों में सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत किया जाना चाहिए ताकि ऐसे हिंसक तत्व दोबारा इस तरह की हरकत करने की हिम्मत न जुटा सकें। अब देखना यह है कि प्रशासन और अस्पताल मिलकर इस मामले में क्या कदम उठाते हैं।

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