टेक्नॉलॉजी
Motorola Razr 60 की वापसी ने हिला दिया बाजार! जानिए कितना दम है इस फोल्डेबल फोन में

Motorola Razr 60: मोटोरोला ने भारत में अपना नया फ्लिप फोन Razr 60 लॉन्च कर दिया है जिसकी कीमत 49,999 रुपये रखी गई है। यह फोन तीन शानदार रंगों में उपलब्ध है जिनमें पेनाटोन गिब्राल्टर सी पेनाटोन स्प्रिंग बड और पेनाटोन लाइटेस्ट स्काई शामिल हैं। फोन रिलायंस डिजिटल और अन्य प्लेटफॉर्म्स से भी खरीदा जा सकता है।
ऑफर्स और एक्सचेंज पर जबरदस्त छूट
मोटोरोला की आधिकारिक वेबसाइट से फोन खरीदने पर 5 प्रतिशत कैशबैक का फायदा मिलेगा। इसके अलावा नो कॉस्ट ईएमआई का विकल्प भी उपलब्ध है। पुराने फोन को एक्सचेंज करने पर यूजर्स को 37,299 रुपये तक की बचत का मौका मिल रहा है जिससे फोन की असली कीमत और भी कम हो सकती है।
डिस्प्ले की दमदार क्वालिटी
यह फ्लिप फोन 6.9 इंच के एलटीपीओ पीओएलईडी फोल्डेबल डिस्प्ले के साथ आता है जो 120 हर्ट्ज रिफ्रेश रेट को सपोर्ट करता है। इसका मुख्य डिस्प्ले 3,000 निट्स पीक ब्राइटनेस और एचडीआर 10 प्लस सपोर्ट करता है। इसके अलावा 3.6 इंच की एक एक्सटर्नल डिस्प्ले भी दी गई है जिसमें 90 हर्ट्ज रिफ्रेश रेट और 1700 निट्स ब्राइटनेस है।
फोल्डिंग और मजबूती का दम
मोटोरोला रेज़र 60 में टाइटेनियम हिंज का इस्तेमाल किया गया है जिसे कंपनी ने 5 लाख बार फोल्ड करने योग्य बताया है। फोन को IP48 रेटिंग मिली है जिसका मतलब है कि यह डस्ट और वॉटर से भी सुरक्षित रहेगा। फोन का डिजाइन प्रीमियम और टिकाऊ दोनों ही है।
कैमरा और परफॉर्मेंस फीचर्स
फोन में मीडियाटेक डाइमेंसिटी 7400X चिपसेट दिया गया है जो 8GB रैम और 256GB इंटरनल स्टोरेज को सपोर्ट करता है। इसमें 50MP का OIS मुख्य कैमरा और 13MP का अल्ट्रा वाइड या मैक्रो कैमरा है। सेल्फी और वीडियो कॉलिंग के लिए इसमें 32MP का फ्रंट कैमरा भी मिलता है। यह फोन एंड्रॉयड 15 बेस्ड Hello UI पर चलता है और 4,500mAh की बैटरी के साथ आता है जो 30W फास्ट चार्जिंग और 15W वायरलेस चार्जिंग को सपोर्ट करता है।
टेक्नॉलॉजी
Cyber Fraud: AI से हुआ डिजिटल अरेस्ट स्कैम का विस्फोट, भारत में ₹1936 करोड़ का नुकसान

Cyber Fraud: भारत में साइबर फ्रॉड के मामले अब पहले से कहीं अधिक तेजी से बढ़ रहे हैं। हर दिन किसी न किसी व्यक्ति का बैंक खाता खाली हो रहा है या किसी के मोबाइल में घुसकर डाटा चुरा लिया जा रहा है। हाल ही में जारी हुई ‘The State of AI Powered Cyber Crime: Threat and Mitigation Report 2025’ रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि 2024 में सिर्फ डिजिटल धोखाधड़ी के कारण देश को ₹22,812 करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ है।
AI बना साइबर अपराधियों का नया हथियार
इस रिपोर्ट के अनुसार अब ठग AI यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल करके लोगों को ठगने के लिए पहले से कहीं ज़्यादा स्मार्ट तरीके अपना रहे हैं। फिशिंग ईमेल्स, फर्जी वेबसाइट्स और डीपफेक वीडियोज़ जैसे मामलों में AI का प्रयोग किया जा रहा है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि 80% फिशिंग ईमेल्स में AI टूल्स का इस्तेमाल हुआ है यानी हर 10 में से 8 साइबर फ्रॉड में AI ने भूमिका निभाई है।
फर्जी ऐप बनाकर डिवाइस तक में घुस रहे हैं साइबर ठग
अब केवल ईमेल या मैसेज ही नहीं बल्कि फर्जी मोबाइल ऐप्स बनाकर भी लोगों को निशाना बनाया जा रहा है। ये ऐप्स देखने में असली लगते हैं और जैसे ही कोई इन्हें इंस्टॉल करता है, तो इनमें छिपा हुआ मैलवेयर आपके फोन में घुस जाता है। इसके बाद यह वायरस आपकी व्यक्तिगत जानकारी जैसे बैंक डिटेल्स, पासवर्ड और लोकेशन आदि चुपचाप चोरी कर लेता है।
भारत में 2024 में रिकॉर्ड स्तर पर बढ़े मामले
2024 में भारत में साइबर क्राइम के 1.91 मिलियन यानी लगभग 19 लाख 10 हजार मामले दर्ज किए गए हैं जो 2023 की तुलना में कहीं अधिक हैं। 2019 से तुलना करें तो यह संख्या लगभग 10 गुना बढ़ चुकी है। सिर्फ एक साल में ही फाइनेंशियल फ्रॉड के मामले तीन गुना हो गए हैं। इसके अलावा ‘डिजिटल अरेस्ट स्कैम’ में भारतीयों ने 2024 में ₹1,936 करोड़ गंवाए हैं। पिछले चार वर्षों में कुल मिलाकर ₹33,000 करोड़ का नुकसान हुआ है।
रिपोर्ट नहीं सिर्फ चेतावनी है ये दस्तावेज़
Tekion कंपनी के फाउंडर जय विजयन ने इस रिपोर्ट को सिर्फ डेटा का दस्तावेज़ नहीं बल्कि एक चेतावनी बताया है। उन्होंने कहा कि AI अब तकनीक का वरदान नहीं बल्कि अपराधियों के लिए वरदान बन गया है। GIREM और Tekion ने मिलकर यह रिपोर्ट तैयार की है ताकि आम लोग सतर्क रहें और डिजिटल सुरक्षा को लेकर गंभीरता दिखाएं। अब वक्त आ गया है कि हम अपनी ऑनलाइन गतिविधियों पर ध्यान दें और किसी भी लिंक, ईमेल या ऐप को खोलने से पहले उसकी सच्चाई जरूर जांचें।
टेक्नॉलॉजी
सिर्फ ₹70,000 में 25 साल तक मुफ्त बिजली! जानिए Solar Panel लगाने का सारा गणित

Solar Panel: गर्मियों में पंखा, कूलर, एसी, फ्रिज और कभी-कभी गीजर तक लगातार चलते रहते हैं। ऐसे में बिजली का मीटर तेज़ी से दौड़ने लगता है और हर महीने का बिल हजारों में आता है। इससे आम आदमी की जेब पर सीधा असर पड़ता है। यही वजह है कि अब लोग सोलर पैनल की तरफ रुख कर रहे हैं ताकि बिजली का खर्च घटे और पर्यावरण को भी फायदा हो।
सोलर पैनल कैसे करता है काम?
सोलर पैनल सूरज की रोशनी को बिजली में बदलने का काम करता है। इसमें लगे फोटोवोल्टिक सेल्स सूरज की किरणों से ऊर्जा लेकर उसे DC करंट में बदलते हैं। फिर इन्वर्टर की मदद से इस करंट को AC करंट में बदला जाता है जिससे घर के पंखे, बल्ब, फ्रिज या एसी आसानी से चलाए जा सकते हैं। यानी बिजली का खर्च घटाकर आप खुद के लिए बिजली बना सकते हैं।
कितना खर्च आता है सोलर पैनल लगाने में?
अगर आप अपने घर में 1 किलोवाट का सोलर सिस्टम लगवाते हैं तो इसकी लागत लगभग ₹70,000 से ₹85,000 के बीच हो सकती है। इससे 3-4 पंखे, 5-6 एलईडी लाइट और मोबाइल चार्जर आदि आराम से चल सकते हैं। यदि आप AC या फ्रिज भी चलाना चाहते हैं तो 3kW से ऊपर का सिस्टम लगवाना बेहतर रहेगा, जिसकी कीमत ₹1.5 लाख से ₹2.5 लाख तक हो सकती है।
सरकार देती है सब्सिडी, जानिए कैसे मिलती है राहत
भारत सरकार और राज्य सरकारें सोलर पैनल पर 20% से 50% तक सब्सिडी देती हैं। यह सब्सिडी MNRE (Ministry of New and Renewable Energy) के ज़रिए मिलती है। इसके लिए आपको अपने राज्य के DISCOM से संपर्क करना होगा और उनके द्वारा अप्रूव्ड वेंडर से इंस्टॉलेशन करवाना होगा। इस लागत में सोलर पैनल, इन्वर्टर, वायरिंग, बैटरी (अगर ऑफ-ग्रिड है), मीटर और इंस्टॉलेशन चार्ज शामिल होते हैं।
कितना फायदेमंद है ये निवेश और किसके लिए है सही विकल्प?
सोलर पैनल एक बार लगने के बाद 4 से 6 साल में अपनी लागत वसूल कर लेता है। इसके बाद अगले 20 से 25 साल तक मुफ्त बिजली मिलती है। यह खासतौर पर उन घरों, दुकानों या संस्थानों के लिए फायदेमंद है जहां बिजली का खर्च अधिक होता है या बिजली बार-बार जाती है। गांव, कस्बे या छोटे शहरों में भी यह एक समझदारी भरा निवेश है। इसके साथ आप पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान देते हैं।
टेक्नॉलॉजी
Mosquito Drone: जंग में अब दिखेगा मच्छर… लेकिन करेगा दुश्मन की बर्बादी! चीन का खुफिया ड्रोन सामने आया

Mosquito Drone: चीन ने आधुनिक युद्ध की परिभाषा को ही बदल देने वाली तकनीक इजाद कर ली है। नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ डिफेंस टेक्नोलॉजी (NUDT) की रोबोटिक्स लैब ने ऐसा ड्रोन बनाया है जो आकार में एक मच्छर जितना है लेकिन इसकी ताकत युद्ध में दुश्मनों को चौंका सकती है। इस ड्रोन को ‘मॉस्किटो ड्रोन’ कहा जा रहा है और यह इतनी छोटी संरचना वाला है कि इसे नंगी आंखों से पहचानना भी मुश्किल हो सकता है। लेकिन इसकी ताकत बेहद खतरनाक है।
दिखने में मच्छर, तकनीक में कमाल
इस ड्रोन की लंबाई मात्र 1.3 सेंटीमीटर है और इसमें दो छोटे पंख होते हैं जो मच्छर के पंखों जैसे दिखते हैं। इसके साथ तीन बेहद बारीक पैर भी होते हैं जो इसे ज़मीन पर टिके रहने में मदद करते हैं। खास बात यह है कि इसे एक स्मार्टफोन के जरिए भी कंट्रोल किया जा सकता है। इसकी बायोनिक डिजाइन इसे अन्य माइक्रो ड्रोनों से अलग बनाती है। इसका उद्देश्य किसी को मारना नहीं बल्कि दुश्मन की जासूसी करना और उनकी गतिविधियों की निगरानी करना है।
Chinese military unveils mosquito-sized drones that can perform battlefield missions | Christopher McFadden, Interesting Engineering
The drone features a pair of flapping “wings” and “legs” and is designed for covert military operations.
China’s National University of Defence… pic.twitter.com/V1VZz5w3Ft
— Owen Gregorian (@OwenGregorian) June 22, 2025
युद्ध के मैदान में छुपा हथियार
चीन की इस नई खोज का उपयोग खासतौर पर सैन्य और रक्षा क्षेत्रों में किया जाएगा। यह ड्रोन युद्ध के दौरान दुश्मनों के इलाके में गुप्त निगरानी और खोज अभियान चला सकता है। इसकी मदद से सैनिक बिना जोखिम के दुश्मन की स्थिति, संख्या और गतिविधियों की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। यह राहत कार्यों में भी सहायक हो सकता है जैसे मलबे के नीचे दबे लोगों की खोज या किसी विषैली गैस की मौजूदगी का पता लगाना।
कुछ कमियाँ भी हैं मौजूद
हालांकि यह ड्रोन जितना आश्चर्यजनक है, उतनी ही इसमें कुछ सीमाएं भी हैं। इसकी बैटरी बहुत छोटी है, जिससे यह ज्यादा देर तक उड़ान नहीं भर सकता। साथ ही इसका पेलोड कैपेसिटी भी बहुत सीमित है यानी यह ज्यादा भारी सामान नहीं उठा सकता। इसकी उड़ान सीमा भी बहुत कम है। लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि इन कमियों को भविष्य में तकनीक और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से दूर किया जा सकता है।
भविष्य में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से और मजबूत होगा
इस ड्रोन में कई सेंसर लगे हैं जो हवा की गुणवत्ता, पानी की स्थिति और तापमान जैसी सूचनाएं भी जुटा सकते हैं। इसे और ज्यादा स्मार्ट बनाने के लिए AI फीचर्स जोड़े जा सकते हैं जिससे यह खुद निर्णय ले सकेगा कि उसे कब कहां जाना है या कब खतरा है। यह एक प्रोटोटाइप है और भविष्य में इसका अपग्रेड वर्जन आने की पूरी संभावना है। अगर यह ड्रोन पूरी तरह से विकसित हो गया तो यह दुनिया की सैन्य शक्तियों का चेहरा पूरी तरह बदल सकता है।
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