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Supreme Court में विचाराधीन, बैंके बिहारी मंदिर के दर्शन समय ने क्या तोड़ा देवता की नींद
नींद को मौलिक अधिकार घोषित किए जाने के एक दशक से अधिक समय बाद, Supreme Court ने सोमवार को यह सुनवाई करने का निर्णय लिया कि वृंदावन के बंके बिहारी मंदिर में भक्तों के लिए दर्शन समय बढ़ाए जाने से भगवान के पारंपरिक सोने और विश्राम के समय में बाधा तो नहीं आ रही है। सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश (CJI) सूर्य कांत ने तीखे शब्दों में टिप्पणी की, उन्होंने कहा कि मौजूदा व्यवस्था भगवान के शोषण के समान है।
‘भगवान को भी नहीं मिल रहा एक मिनट का विश्राम’
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, सुनवाई के दौरान CJI सूर्य कांत ने कहा, “मंदिर 12 बजे बंद होने के बाद भी भगवान को एक मिनट का भी आराम नहीं मिलता। यही समय है जब भगवान का सबसे अधिक शोषण होता है।” सुप्रीम कोर्ट ने उन अमीर व्यक्तियों के विशेष पूजा करने की अनुमति पर भी सवाल उठाए, जो अधिक पैसे देकर पूजा करवाते हैं। न्यायालय ने कहा, “आप उन्हीं को प्राथमिकता दे रहे हैं जो अधिक भुगतान कर सकते हैं, जबकि यह भगवान के विश्राम का समय है।”

मामला क्या है और क्यों नाराज है सुप्रीम कोर्ट?
इस मामले में गोस्वामी समाज, जो बंके बिहारी मंदिर का प्रबंधन करता है, ने मंदिर प्रबंधन अधिकारों में बदलाव के खिलाफ याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में उत्तर प्रदेश सरकार और मंदिर की उच्चस्तरीय समिति को नोटिस जारी किया है। अगली सुनवाई जनवरी में होगी, जब संबंधित पक्ष कोर्ट में नोटिस का जवाब देंगे। ध्यान देने योग्य बात यह है कि बंके बिहारी की मूर्ति को भगवान कृष्ण के जीवित रूप के रूप में पूजा जाता है। गोस्वामी समाज के पुजारी प्रतिदिन सुबह उन्हें जगाकर साज-श्रृंगार करते हैं, भोजन अर्पित करते हैं और भक्तों को दर्शन कराते हैं। इसके बाद दोपहर में भोजन अर्पित किया जाता है और विश्राम दिया जाता है। वही प्रक्रिया शाम में भी अपनाई जाती है।
पुरानी और नई दर्शन समय की तुलना
पहले गोस्वामी समाज के पुजारी गर्मियों में सुबह 6 बजे मंदिर खोलते थे। मंदिर की सफाई और साज-श्रृंगार के बाद 7:30 AM से 12 PM तक दर्शन की अनुमति होती थी। शाम को 5:30 PM से 9:30 PM तक मंदिर फिर खुलता था। सर्दियों में सुबह 7 बजे मंदिर खोलकर 8:30 AM से 1 PM और 4:30 PM से 8:30 PM तक दर्शन होते थे। सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित समिति ने हाल ही में सुबह और शाम के दर्शन समय में एक-एक घंटे की बढ़ोतरी कर दी है। इस नई व्यवस्था को लागू हुए लगभग दो महीने हो चुके हैं, और गोस्वामी समाज के पुजारियों ने इसे लेकर असंतोष जताया है। उनका कहना है कि भगवान कृष्ण युवा हैं और लगातार दर्शन देने से थक जाते हैं। जबकि नए नियम भक्तों के लिए सुविधाजनक हो सकते हैं, लेकिन यह बंके बिहारी जी के आराम और परंपरागत दिनचर्या में बाधा डाल रहे हैं।
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Delhi Blast Case: लाल किला ब्लास्ट केस में एनआईए की बड़ी कार्रवाई, जम्मू कश्मीर से यासिर गिरफ्तार किया
Delhi Blast Case: राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने दिल्ली के लाल किला इलाके में हुए विस्फोट मामले में एक और अहम गिरफ्तारी करते हुए जम्मू-कश्मीर निवासी यासिर अहमद डार को दबोच लिया है। यह गिरफ्तारी पिछले महीने 10 नवंबर 2025 को दिल्ली में हुए कार बम धमाके के सिलसिले में की गई है और इस केस में अब तक की नौवीं गिरफ्तारी मानी जा रही है। यासिर अहमद डार श्रीनगर जिले के शोपियां का रहने वाला है। जांच एजेंसी के अनुसार, यासिर न केवल इस आतंकी साजिश से वाकिफ था, बल्कि दिल्ली में हमले की योजना को अंजाम तक पहुंचाने में सक्रिय भूमिका निभा रहा था। एनआईए की यह कार्रवाई इस बात की ओर इशारा करती है कि एजेंसी पूरे नेटवर्क को जड़ से खत्म करने की दिशा में लगातार आगे बढ़ रही है।
आत्मघाती हमले के लिए ली थी शपथ, साजिश में था सक्रिय
NIA की जांच में सामने आया है कि यासिर अहमद डार केवल एक सहयोगी या साजिशकर्ता भर नहीं था, बल्कि वह आत्मघाती हमले को अंजाम देने की मानसिक और वैचारिक तैयारी भी कर चुका था। जांच एजेंसी के मुताबिक, यासिर ने इस मिशन के लिए बाकायदा शपथ ली थी और खुद को इस आतंकी हमले के लिए पूरी तरह तैयार कर लिया था। जांच में यह भी खुलासा हुआ है कि उसका संपर्क इस केस के अन्य आरोपियों से लगातार बना हुआ था। इनमें उमर उन नबी भी शामिल है, जो इस कार बम धमाके में मारा गया आतंकी बताया जा रहा है। एजेंसी का कहना है कि यासिर और उमर के बीच साजिश को लेकर कई बार बातचीत हुई थी, जिससे साफ होता है कि यह हमला पूरी तरह सुनियोजित था।
कई राज्यों तक फैला था आतंकी नेटवर्क
NIA की जांच में यह भी सामने आया है कि यासिर अहमद डार का संपर्क सिर्फ एक-दो लोगों तक सीमित नहीं था, बल्कि वह मुफ्ती इरफान समेत कई अन्य आरोपियों के संपर्क में था। एजेंसी का मानना है कि ये सभी आरोपी मिलकर दिल्ली में बड़े पैमाने पर आतंकी हमले की योजना बना रहे थे। इससे पहले एनआईए ने इस केस में जम्मू-कश्मीर और उत्तर प्रदेश के कई ठिकानों पर छापेमारी की थी। इन छापों के दौरान मोबाइल फोन, लैपटॉप, डिजिटल डिवाइस और अन्य आपत्तिजनक सामग्री बरामद की गई थी, जो जांच के लिहाज से बेहद अहम मानी जा रही है। इन सबूतों के जरिए एजेंसी पूरे आतंकी नेटवर्क, फंडिंग और संपर्क सूत्रों की कड़ियां जोड़ने में जुटी हुई है।
कोर्ट में पेशी, NIA रिमांड पर भेजा गया आरोपी
एनआईए इससे पहले भी इस केस के मुख्य आरोपियों डॉ. मुजम्मिल शकील गनी और डॉ. शाहीन सईद के ठिकानों पर छापेमारी कर चुकी है। हरियाणा के फरीदाबाद स्थित अल-फलाह यूनिवर्सिटी परिसर समेत कई स्थानों पर की गई तलाशी में अहम दस्तावेज और इलेक्ट्रॉनिक सबूत मिले थे। गुरुवार, 18 दिसंबर 2025 को यासिर अहमद डार को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में पेश किया गया, जहां अदालत ने उसे 26 दिसंबर तक NIA की रिमांड पर भेज दिया है। अब जांच एजेंसी उससे गहन पूछताछ कर यह जानने की कोशिश करेगी कि इस साजिश में और कौन-कौन शामिल था, हमले का असली मकसद क्या था और इसके पीछे किन संगठनों या विदेशी संपर्कों की भूमिका थी। एनआईए का कहना है कि दिल्ली और देश की सुरक्षा से जुड़े इस मामले में किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा।
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