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SBI ने पार किया ₹100 लाख करोड़ मार्क, 2030 तक दुनिया के टॉप 10 बैंकों में शामिल होने का बड़ा लक्ष्य

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SBI ने पार किया ₹100 लाख करोड़ मार्क, 2030 तक दुनिया के टॉप 10 बैंकों में शामिल होने का बड़ा लक्ष्य

भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था और विकास के बीच एक और उत्साहजनक खबर सामने आई है। देश के सबसे बड़े सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) ने अपने व्यवसाय में ₹100 लाख करोड़ का आंकड़ा पार कर लिया है। यह उपलब्धि न केवल बैंक के लिए बल्कि पूरे भारतीय बैंकिंग सेक्टर के लिए गर्व की बात है। बैंक का अगला लक्ष्य 2030 तक दुनिया के 10 सबसे मूल्यवान बैंकों की सूची में शामिल होना है।

विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम भारतीय बैंकिंग की वैश्विक पहचान और प्रभुत्व स्थापित करने में मदद करेगा। साथ ही, भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) भी लगातार बैंकिंग सेक्टर को मजबूत बनाने के लिए कई कदम उठा रहा है। SBI ने कहा है कि वह अपनी मूल्यवृद्धि को और बढ़ाने के लिए आवश्यक कदम उठा रहा है और भविष्य में और मजबूती हासिल करने के लिए रणनीतियाँ तैयार कर रहा है।

SBI अध्यक्ष की टिप्पणी

SBI के अध्यक्ष सीएस सेठी ने कहा कि SBI बाज़ार पूँजी के हिसाब से देश के सबसे बड़े सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में से एक है। बैंक का लक्ष्य निरंतर अपनी मूल्यवृद्धि करना है। उन्होंने कहा, “पिछले कुछ वर्षों में हमने अच्छा मुनाफा कमाया है, लेकिन हमारे पूँजी अनुपात कई अन्य बैंकों की तुलना में अभी भी कम है। हमने CAR 15% और CET-1 12% का लक्ष्य रखा है, जो भविष्य की जरूरतों को पूरा करने के लिए मजबूत पूँजी संरचना का संकेत है।”

सीएस सेठी ने आगे कहा कि पूँजी कभी भी बैंक की वृद्धि में बाधा नहीं बनी। पिछले 4-5 वर्षों में बैंक के लाभ में वृद्धि हुई है, जिसने पूँजी में भी इजाफा किया। अध्यक्ष के रूप में, SBI के पास 6 से 7 ट्रिलियन रुपए की वृद्धि-सहायक पूँजी उपलब्ध है, जो भविष्य में बैंक की योजनाओं और विकास को सुनिश्चित करने में मदद करेगी।

SBI ने पार किया ₹100 लाख करोड़ मार्क, 2030 तक दुनिया के टॉप 10 बैंकों में शामिल होने का बड़ा लक्ष्य

$100 बिलियन की मार्केट कैप का मील का पत्थर

इस सप्ताह के चौथे ट्रेडिंग दिन, SBI की मार्केट कैप $100 बिलियन को पार कर गई। इस उपलब्धि के साथ बैंक उन दिग्गज कंपनियों की सूची में शामिल हो गया है, जिनमें HDFC बैंक, TCS, रिलायंस, एयरटेल और ICICI बैंक शामिल हैं। यह न केवल बैंक की आर्थिक शक्ति को दर्शाता है बल्कि निवेशकों और वैश्विक बाजार में भारतीय बैंकिंग की पकड़ को भी मजबूत करता है।

SBI के नेट प्रॉफिट में सितंबर क्वार्टर में 10 प्रतिशत की वृद्धि हुई और यह ₹20,160 करोड़ तक पहुंच गया। बैंक की यह मजबूत वित्तीय स्थिति यह संकेत देती है कि वह आने वाले वर्षों में और तेजी से विकास कर सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि SBI की इस उपलब्धि से भारतीय बैंकिंग की वैश्विक प्रतिष्ठा बढ़ेगी और यह अंतरराष्ट्रीय निवेशकों के लिए आकर्षक विकल्प बनेगा।

भारतीय बैंकिंग का वैश्विक प्रभाव

SBI की इस सफलता से यह स्पष्ट होता है कि भारतीय बैंकिंग सेक्टर तेजी से वैश्विक मानकों तक पहुँच रहा है। बैंक की रणनीतियाँ, पूँजी प्रबंधन और निरंतर लाभ में वृद्धि इसे दुनिया के सबसे मूल्यवान बैंकों की श्रेणी में लाने में मदद कर रही हैं। यह केवल SBI ही नहीं, बल्कि पूरे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के लिए प्रेरणा है।

विशेषज्ञों का कहना है कि भविष्य में बैंकिंग क्षेत्र में तकनीकी नवाचार, पूँजी संरचना और प्रबंधन की रणनीतियाँ और भी महत्वपूर्ण होंगी। SBI ने दिखा दिया है कि मजबूत नेतृत्व और स्पष्ट वित्तीय लक्ष्य होने पर सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक भी वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं। ऐसे में आने वाले वर्षों में भारतीय बैंकिंग क्षेत्र की पहचान और प्रभाव वैश्विक स्तर पर और मजबूत होगा।

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India’s Fastest Growing State: असम का GSDP 2.4 लाख करोड़ से बढ़कर 3.5 लाख करोड़, पूरे उत्तर-पूर्व को नई दिशा

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India's Fastest Growing State: असम का GSDP 2.4 लाख करोड़ से बढ़कर 3.5 लाख करोड़, पूरे उत्तर-पूर्व को नई दिशा

India’s Fastest Growing State: भारत के विकसित राज्यों में महाराष्ट्र, गुजरात, केरल, तमिलनाडु और कर्नाटक शामिल हैं। हालांकि, हाल ही में भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) की एक रिपोर्ट ने चौंकाने वाला तथ्य उजागर किया है। रिपोर्ट के अनुसार, पिछले पांच वर्षों में असम की अर्थव्यवस्था अन्य राज्यों की तुलना में काफी तेज़ी से बढ़ी है। यह न केवल पूरे उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में सबसे अधिक योगदान देने वाला राज्य बन गया है, बल्कि इसने देश की आर्थिक वृद्धि में भी महत्वपूर्ण हिस्सेदारी बनाई है।

असम की अर्थव्यवस्था ने अन्य राज्यों को पीछे छोड़ा

RBI के डेटा के अनुसार, 2020 से 2025 के बीच असम का सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) स्थिर मूल्य पर 45 प्रतिशत बढ़ा, जो किसी भी अन्य राज्य की तुलना में सबसे अधिक है। 2020 में असम का GSDP ₹2.4 लाख करोड़ था, जो 2025 में बढ़कर ₹3.5 लाख करोड़ हो गया। इस तेज़ वृद्धि का श्रेय कृषि, तेल और गैस, और बुनियादी ढांचे में निवेश की तीव्र वृद्धि को दिया जा सकता है। यह आंकड़ा इस बात का संकेत है कि भारत में आर्थिक विकास अब केवल कुछ क्षेत्रों तक सीमित नहीं रहा, बल्कि कई अन्य राज्यों तक फैल गया है।

राष्ट्रीय स्तर पर अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन

राष्ट्रीय स्तर पर, भारत का जीडीपी 2020 में ₹145.35 लाख करोड़ से बढ़कर 2025 में ₹187.97 लाख करोड़ हो गया, जो पांच वर्षों में 29 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है। RBI के अनुसार, शीर्ष 10 तेजी से बढ़ती राज्य अर्थव्यवस्थाओं ने 45 प्रतिशत तक की वृद्धि दर्ज की, जो राष्ट्रीय औसत से काफी अधिक है। यह आंकड़ा यह स्पष्ट करता है कि कुछ राज्यों की अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है और ये देश की आर्थिक तस्वीर को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

अन्य राज्यों की आर्थिक वृद्धि

पिछले पांच वर्षों में उत्तर प्रदेश ने 35 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की, और उसका GSDP ₹11.7 लाख करोड़ से बढ़कर ₹15.8 लाख करोड़ हो गया। इसके बाद राजस्थान ने 34 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की, जिसमें उसकी अर्थव्यवस्था ₹6.8 लाख करोड़ से बढ़कर ₹9.1 लाख करोड़ हो गई। बिहार और आंध्र प्रदेश दोनों ने 33 प्रतिशत की वृद्धि हासिल की। बिहार का GSDP ₹4.0 लाख करोड़ से बढ़कर ₹5.3 लाख करोड़ हुआ, जबकि आंध्र प्रदेश का GSDP ₹6.5 लाख करोड़ से बढ़कर ₹8.7 लाख करोड़ हो गया। छत्तीसगढ़ और झारखंड ने भी 31 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की, जबकि तेलंगाना ने 30 प्रतिशत की वृद्धि के साथ शीर्ष दस राज्यों में जगह बनाई, इसका GSDP ₹6.4 लाख करोड़ से बढ़कर ₹8.4 लाख करोड़ हुआ। यह डेटा दिखाता है कि अब आर्थिक विकास केवल दक्षिण या पश्चिमी राज्यों तक सीमित नहीं है, बल्कि पूर्वोत्तर और अन्य हिस्सों में भी तेजी से फैल रहा है।

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Silver Price Today: चाँदी का भाव आज ₹2,36,350 प्रति किलो पार, औद्योगिक मांग बढ़ने से उछाल

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Silver Price Today: चाँदी का भाव आज ₹2,36,350 प्रति किलो पार, औद्योगिक मांग बढ़ने से उछाल

Silver Price Today: सुनहरा और चांदी जैसे कीमती धातुओं की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं। खासकर चांदी की कीमतों में तेज उछाल देखने को मिल रहा है। शुक्रवार के ट्रेडिंग दिन में दिल्ली में चांदी की कीमतों में प्रति किलोग्राम ₹9,350 की बढ़ोतरी हुई।

इस उछाल के बाद, चांदी का भाव ₹2,36,350 प्रति किलोग्राम तक पहुँच गया। यदि पिछले सप्ताह की तुलना करें तो 19 दिसंबर को चांदी का भाव लगभग ₹2,04,100 था। केवल कुछ ही दिनों में इसका भाव ₹2,36,000 को पार कर गया। इस तेजी ने निवेशकों और व्यापारियों की उत्सुकता बढ़ा दी है।

अंतरराष्ट्रीय बाजार में चांदी का रिकॉर्ड स्तर

अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी चांदी की कीमतों में मजबूत उछाल देखा गया। स्पॉट चांदी ने पहली बार $75 प्रति आउंस का स्तर पार किया। इस दौरान चांदी की कीमत में $3.72 या लगभग 5.18 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई। ट्रेडिंग के दौरान चांदी ने $75.63 प्रति आउंस का रिकॉर्ड स्तर छुआ।

विशेषज्ञों का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतों में यह उछाल मुख्य रूप से बढ़ती मांग और सीमित आपूर्ति के कारण आया है। वैश्विक स्तर पर निवेशक और उद्योग दोनों ही इस धातु की ओर आकर्षित हो रहे हैं।

औद्योगिक मांग में वृद्धि और चांदी की अहमियत

चांदी की कीमतों में तेजी का एक बड़ा कारण औद्योगिक क्षेत्र में लगातार बढ़ती मांग है। फैक्ट्रियों और तकनीकी क्षेत्र में चांदी की खपत बढ़ी है। विशेषकर इलेक्ट्रिक वाहन, सौर ऊर्जा सेक्टर और सॉलिड-स्टेट बैटरियों जैसे उभरते क्षेत्रों में चांदी का उपयोग बढ़ रहा है।

चांदी की सीमित वैश्विक उत्पादन और बढ़ती मांग ने कीमतों को और अधिक ऊँचा किया है। वर्तमान में विशेषज्ञों का अनुमान है कि वैश्विक स्तर पर लगभग 850 मिलियन आउंस चांदी का उत्पादन हो रहा है, जबकि मांग लगभग 1.16 बिलियन आउंस है। इस अंतर ने चांदी की कीमतों में लगातार तेजी बनाए रखी है।

वैश्विक राजनीतिक तनाव और भविष्य की संभावनाएं

इसके अलावा, यूएस और वेनेजुएला के बीच बढ़ते तनाव भी चांदी के निर्यात और कीमतों को प्रभावित कर सकते हैं। इस तनाव के कारण वैश्विक आपूर्ति प्रभावित हो सकती है, जिससे मूल्य और बढ़ सकते हैं।

विशेषज्ञों का कहना है कि निवेशक और उद्योग अब चांदी को सुरक्षित निवेश और तकनीकी उपयोग दोनों के दृष्टिकोण से महत्व दे रहे हैं। आने वाले महीनों में, यदि मांग और वैश्विक बाजार की स्थिति ऐसे ही बनी रही, तो चांदी की कीमतें और बढ़ सकती हैं। इस कारण निवेशक और व्यापारी सावधानीपूर्वक रणनीति बनाकर ही चांदी में निवेश कर रहे हैं।

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Silver Price: वायदा कारोबार में चांदी पांचवे दिन लगातार मजबूत, 75 डॉलर प्रति औंस के सर्वकालिक उच्च स्तर पर

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Silver Price: वायदा कारोबार में चांदी पांचवे दिन लगातार मजबूत, 75 डॉलर प्रति औंस के सर्वकालिक उच्च स्तर पर

Silver Price: वायदा कारोबार में शुक्रवार को चांदी की कीमतों में जबरदस्त तेजी देखने को मिली। मार्च 2026 डिलीवरी वाली चांदी वायदा में करीब 8,951 रुपये की उछाल दर्ज की गई और यह 2,32,741 रुपये प्रति किलोग्राम के नए सर्वकालिक उच्च स्तर पर पहुंच गई। यह लगातार पांचवां कारोबारी सत्र रहा, जब चांदी मजबूत रही। विशेषज्ञों का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में चांदी के भाव के 75 डॉलर प्रति औंस के स्तर को पार करने के कारण घरेलू वायदा बाजार में भी तेजी आई। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एमसीएक्स) पर इस उछाल ने निवेशकों को आकर्षित किया और कीमतों में 14.33 प्रतिशत यानी कुल 29,176 रुपये की तेजी दर्ज हुई है।

सोने का भाव भी नई ऊंचाई पर

चांदी के साथ-साथ सोने की कीमतों ने भी नया इतिहास रच दिया। फरवरी डिलीवरी वाले सोने का वायदा 1,39,216 रुपये प्रति 10 ग्राम के स्तर पर पहुंच गया, जो पहले कभी नहीं देखा गया। लगातार चौथे कारोबारी सत्र में सोने में तेजी रही और यह 1,119 रुपये यानी 0.81 प्रतिशत बढ़कर नए शिखर पर पहुंचा। क्रिसमस के मौके पर घरेलू जिंस बाजार बंद रहने के बावजूद, अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने और चांदी के रिकॉर्ड स्तर का असर घरेलू सर्राफा बाजार पर साफ देखा गया। इससे पता चलता है कि वैश्विक स्तर पर निवेशक सुरक्षित संपत्ति की ओर अधिक आकर्षित हो रहे हैं।

अंतरराष्ट्रीय बाजार में रिकॉर्ड उछाल

अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी सोने और चांदी दोनों ने जबरदस्त उछाल दिखाया। अमेरिका के कॉमेक्स पर फरवरी डिलीवरी वाले सोने का वायदा 58.8 डॉलर यानी 1.3 प्रतिशत बढ़कर 4,561.6 डॉलर प्रति औंस के नए उच्च स्तर पर पहुंच गया। रिलायंस सिक्योरिटीज के वरिष्ठ शोध विश्लेषक जिगर त्रिवेदी के अनुसार, भू-राजनीतिक तनाव और अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदों के चलते सुरक्षित निवेश के रूप में सोने की मांग बढ़ी, जिससे कीमतों को मजबूती मिली। वहीं, मार्च डिलीवरी वाली चांदी वायदा में लगातार पांचवें दिन तेजी देखी गई और यह 3.81 डॉलर यानी 5.31 प्रतिशत बढ़कर 75.49 डॉलर प्रति औंस के नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई।

सुरक्षित निवेश और वैश्विक अनिश्चितता का प्रभाव

विशेषज्ञों का मानना है कि सोना और चांदी दोनों के रिकार्ड स्तर तक पहुंचने का मुख्य कारण वैश्विक अनिश्चितता और सुरक्षित निवेश की बढ़ती मांग है। चांदी के लगातार मजबूत रहने से निवेशकों का भरोसा बढ़ा है और वैश्विक बाजार में इसकी कीमतों में स्थिरता देखने को मिल रही है। भविष्य में भी यदि भू-राजनीतिक तनाव जारी रहता है या अमेरिकी फेडरल रिजर्व की नीतियों में कोई बदलाव आता है, तो सोना और चांदी दोनों की कीमतों में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है। फिलहाल, निवेशक इन कीमती धातुओं को सुरक्षित निवेश के रूप में देख रहे हैं और मांग लगातार बढ़ रही है।

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