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Respite for Indian planters as EU grants time for EUDR compliance

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Respite for Indian planters as EU grants time for EUDR compliance
कर्नाटक के कोडागु जिले (कूर्ग) में एक कॉफ़ी एस्टेट में छाया में उगाई गई कॉफ़ी। फ़ाइल

कर्नाटक के कोडागु जिले (कूर्ग) में एक कॉफ़ी एस्टेट में छाया में उगाई गई कॉफ़ी। फ़ाइल | फोटो साभार: मुरली कुमार के.

भारत के रबर और कॉफी जैसे प्रमुख वृक्षारोपण क्षेत्रों ने राहत की सांस ली है क्योंकि यूरोपीय संघ की संसद ने यूरोपीय आयोग के उस प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया है जिसमें यूरोपीय संघ वनों की कटाई विनियमन (ईयूडीआर) के कार्यान्वयन में देरी करने के लिए उत्पादकों, निर्यातकों और व्यापारियों को अतिरिक्त समय की अनुमति दी गई है। अनुपालन।

तदनुसार, बड़े कॉफी ऑपरेटरों और निर्यातकों को 30 दिसंबर, 2025 तक ईयूडीआर नियमों को पूरा करना होगा, जबकि सूक्ष्म और छोटे उत्पादकों और व्यापारियों के पास अनुपालन करने के लिए 30 जून, 2026 तक का समय है, जबकि पहले ईयू ने अनिवार्य परिश्रम प्रक्रियाओं और दिसंबर 2024 की अनुपालन समय सीमा निर्धारित की थी। ईयूडीआर-अनुपालक होना इंगित करता है कि उत्पादक की वन-आधारित कॉफी उपज वैध है, और किसी भी वनों की कटाई या अनैतिक रूप से खेती की गई भूमि से प्राप्त नहीं की गई है। विशेष रूप से, 70% से अधिक भारतीय कॉफी यूरोपीय संघ के देशों में बेची जाती है, और इसलिए अनुपालन विस्तार का भारत में कॉफी खिलाड़ियों पर सीधा प्रभाव पड़ता है, हालांकि उद्योग का कहना है कि भारत उन कुछ देशों में से एक था, जो देशी पेड़ों की दो स्तरीय घनी छाया के नीचे कॉफी उगाते थे। खिलाड़ी. “हमारे कॉफी बागानों में कॉफी और छायादार पेड़ों के अलावा विविध वनस्पतियां और जीव-जंतु हैं। इसलिए भारतीय कॉफ़ी सबसे अधिक टिकाऊ ढंग से उगाई जाती है। इसके बावजूद भारत ने ईयूडीआर का विरोध किया क्योंकि अनुपालन स्थायी रूप से उगाई जाने वाली कॉफी को प्रोत्साहित नहीं करता है, ”कॉफी बोर्ड ऑफ इंडिया के सीईओ और सचिव केजी जगदीश ने बताया द हिंदू. “अब यह देखते हुए कि ईयूडीआर ईयू द्वारा पहले ही पारित एक विनियमन है, हमारे पास इसका अनुपालन करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है क्योंकि निर्यात की जाने वाली 70% भारतीय कॉफी ईयू को जा रही है। कॉफ़ी बोर्ड भारत में कॉफ़ी उत्पादकों को ईयूडीआर का अनुपालन करने में सहायता के लिए एक मंच विकसित कर रहा है। हम समय सीमा बढ़ाने के यूरोपीय संघ के फैसले का भी स्वागत करते हैं।”

हालाँकि, कॉफ़ी बोर्ड के सीईओ ने कहा कि बागान मालिकों और उत्पादकों पर ईयूडीआर अनुपालन का बोझ बहुत बड़ा होगा क्योंकि इसके लिए तकनीकी और वित्तीय संसाधनों की आवश्यकता होगी जिसकी भरपाई नहीं की जाएगी। इसी तरह की चिंता व्यक्त करते हुए, कर्नाटक प्लांटर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष केजी राजीव, जो देश में 70% से अधिक कॉफी उत्पादकों का प्रतिनिधित्व करते हैं, ने कहा, ”ईयूडीआर के अनुरूप होने के लिए छोटे और मध्यम आकार की होल्डिंग्स द्वारा निवेश करने के लिए संसाधन जुटाने में चुनौतियां हैं। इसके अलावा अस्पष्टता के तत्व भी हैं। लागू की जाने वाली कार्यप्रणाली पर स्पष्टता के बिना सख्त प्रवर्तन से वांछित परिणाम नहीं मिल सकते हैं। इन सबका उद्योग की उत्पादकता और लाभप्रदता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।”

श्री राजीव के अनुसार, ईयूडीआर उचित परिश्रम और पता लगाने की आवश्यकताओं वाला एक विनियमन है, जिसके लिए जमीनी स्तर और दस्तावेज़ीकरण दोनों पर अनुपालन प्रदर्शित करने के लिए बहुत सारे डेटा की आवश्यकता होती है। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारतीय कॉफी की तुलना किसी अन्य भौगोलिक क्षेत्र की कॉफी से नहीं की जा सकती क्योंकि यह मुख्य रूप से छाया में उगाई जाती है।

उन्होंने तर्क दिया कि कॉफी गतिविधियों ने मौजूदा जंगलों के संरक्षण को भी प्रोत्साहित किया, जिससे विभिन्न प्रकार के वन्यजीवों, पक्षियों की आबादी के लिए आवास उपलब्ध हुआ और इस प्रकार प्राकृतिक जैव विविधता को बढ़ावा मिला। उन्होंने कहा कि अनुपालन की जिम्मेदारी केवल उत्पादकों पर डालने के बजाय, उद्योग संस्थानों और सरकारी निकायों को नियमों का अनुपालन स्थापित करने में मदद करनी चाहिए, उन्होंने कहा, बेहतर मिट्टी के स्वास्थ्य और कार्बन पृथक्करण के साथ पर्यावरण-अनुकूल प्रथाएं जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा के ईयूडीआर फोकस के साथ संरेखित होती हैं। .

यूनाइटेड प्लांटर्स एसोसिएशन ऑफ सदर्न इंडिया की रबर कमेटी के अध्यक्ष संतोष कुमार ने कहा, ईयू वनों की कटाई विनियमन के कार्यान्वयन को स्थगित करने से अल्पावधि में रबर और संबंधित उत्पादों के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेजी आने की उम्मीद है।

“बाज़ार में अस्पष्टताएँ और चिंताएँ थीं। अब जब ईयूडीआर 2026 से लागू होगा, तो अंतरराष्ट्रीय बाजार पर अल्पावधि में सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, ”उन्होंने कहा। रबर बोर्ड के कार्यकारी निदेशक एम. वसंतगेसन के मुताबिक, नियमन को एक साल के लिए स्थगित करने से रबर क्षेत्र को तैयार करने के लिए अधिक समय मिल गया है। उन्होंने कहा, उपाय जारी रहेंगे।

बोर्ड ने रबर निर्यातकों को उचित परिश्रम प्रमाणपत्र जारी करने के लिए अपने प्रौद्योगिकी भागीदार के रूप में हैदराबाद स्थित TRST01 के साथ एक समझौता किया है। “हमने हाल ही में हितधारकों की एक बैठक की और निर्यातकों का पंजीकरण शुरू करेंगे। हम इसे चरणों में करने की योजना बना रहे हैं, जिसकी शुरुआत केरल के चुनिंदा जिलों से होगी। छोटे पैमाने के निर्यातक उपयोगकर्ता-शुल्क का भुगतान करेंगे और पंजीकरण करेंगे, ”उन्होंने कहा।

उद्योग के सूत्रों ने कहा कि लगभग 8.5 लाख टन प्राकृतिक रबर के वार्षिक उत्पादन में से केवल 4,000 टन सीधे निर्यात किया जाता है। हालाँकि, रबर उत्पादों के निर्यातकों को उन उत्पादकों से स्रोत प्राप्त करना होगा जो EUDR का अनुपालन करते हैं और इसलिए इसका प्रभाव उत्पादकों पर पड़ेगा।

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भारतीय Stock Market में गुरुवार को तेजी, सेंसेक्स और निफ्टी में बढ़त

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भारतीय Stock Market में गुरुवार को तेजी, सेंसेक्स और निफ्टी में बढ़त

आज यानी 13 मार्च 2025 को भारतीय Stock Market ने सकारात्मक शुरुआत की। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) का प्रमुख इंडेक्स सेंसेक्स 363 अंकों की बढ़त के साथ 74,392 पर खुला। इसके साथ ही बाजार में शुरुआती व्यापार में भी तेजी देखी गई। शुरुआती व्यापार के दौरान, 30 सेंसेक्स स्टॉक्स में से 15 स्टॉक्स हरे निशान (Green) में और 15 लाल निशान (Red) में दिखाई दिए।

वहीं, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) का प्रमुख इंडेक्स निफ्टी 0.32 प्रतिशत यानी 71 अंकों की बढ़त के साथ 22,541 पर ट्रेड करता हुआ नजर आया। इस दौरान, निफ्टी के 50 स्टॉक्स में से 38 स्टॉक्स हरे निशान में, 7 लाल निशान में और 5 स्टॉक्स बिना किसी बदलाव के ट्रेड कर रहे थे।

निफ्टी में आई सबसे बड़ी गिरावट: इंफोसिस

इस दिन की सबसे बड़ी गिरावट निफ्टी के प्रमुख स्टॉक्स में से एक इंफोसिस में देखी गई, जो 4.31 प्रतिशत गिरकर नीचे चला गया। इसके अलावा, विप्रो 3.44 प्रतिशत, टेक महिंद्रा 2.84 प्रतिशत, नेस्ले इंडिया 2.42 प्रतिशत और HCL टेक 1.93 प्रतिशत गिरावट के साथ कारोबार कर रहे थे।

वहीं दूसरी ओर, कई प्रमुख स्टॉक्स में बढ़त भी देखने को मिली। इस सूची में इंडसइंड बैंक 4.43 प्रतिशत, टाटा मोटर्स 3.10 प्रतिशत, कोटक बैंक 2.31 प्रतिशत, बजाज फाइनेंस 2.10 प्रतिशत और ITC 1.56 प्रतिशत की बढ़त के साथ कारोबार कर रहे थे।

भारतीय Stock Market में गुरुवार को तेजी, सेंसेक्स और निफ्टी में बढ़त

सेंटरल और सेक्टोरल इंडेक्स में बदलाव

अगर हम सेक्टोरल इंडेक्स की बात करें, तो निफ्टी मिडस्मॉल फाइनेंशियल सर्विसेस में 1.06 प्रतिशत की सबसे बड़ी गिरावट देखी गई। इसके अलावा, निफ्टी ऑटो 0.77 प्रतिशत, निफ्टी मीडिया 0.68 प्रतिशत, निफ्टी फार्मा 0.12 प्रतिशत, निफ्टी रियल्टी 0.51 प्रतिशत, निफ्टी हेल्थकेयर इंडेक्स 0.13 प्रतिशत, निफ्टी कंज्यूमर ड्युरेबल्स 0.38 प्रतिशत और निफ्टी मिडस्मॉल हेल्थकेयर में 0.30 प्रतिशत की गिरावट आई।

वहीं, कुछ सेक्टोरल इंडेक्स में बढ़त भी देखी गई। इनमें निफ्टी बैंक 0.31 प्रतिशत, निफ्टी फाइनेंशियल सर्विसेस 0.28 प्रतिशत, निफ्टी मेटल 0.23 प्रतिशत, निफ्टी PSU बैंक 0.11 प्रतिशत, निफ्टी प्राइवेट बैंक 0.19 प्रतिशत, निफ्टी ऑयल एंड गैस 0.09 प्रतिशत और निफ्टी मिडस्मॉल IT & Telecom 0.15 प्रतिशत की बढ़त के साथ व्यापार कर रहे थे।

भारतीय शेयर बाजार का प्रदर्शन: मुख्य बातें

  1. सेंसेक्स और निफ्टी में तेजी: भारतीय शेयर बाजार ने आज बढ़त के साथ कारोबार की शुरुआत की है। सेंसेक्स में 363 अंकों की बढ़त आई, जबकि निफ्टी में 71 अंकों का उछाल देखने को मिला।

  2. सेंसेक्स और निफ्टी के प्रमुख स्टॉक्स में असमान प्रदर्शन: सेंसेक्स और निफ्टी के अधिकांश प्रमुख स्टॉक्स में विविध प्रदर्शन देखने को मिला। जहां कुछ स्टॉक्स में वृद्धि हुई, वहीं कुछ में गिरावट भी आई।

  3. इंफोसिस और विप्रो में गिरावट: इंफोसिस और विप्रो में बड़ी गिरावट देखी गई, जबकि टाटा मोटर्स, इंडसइंड बैंक और बजाज फाइनेंस में बढ़त दर्ज की गई।

  4. सेक्टोरल इंडेक्स में मिली-जुली प्रतिक्रिया: निफ्टी मिडस्मॉल फाइनेंशियल सर्विसेस और निफ्टी ऑटो जैसे सेक्टर्स में गिरावट आई, जबकि निफ्टी बैंक और निफ्टी मेटल जैसे सेक्टर्स में बढ़त देखी गई।

आज के बाजार में मिश्रित संकेत मिले हैं, जहां कुछ प्रमुख कंपनियों के शेयरों में गिरावट देखी गई, वहीं दूसरी ओर कई कंपनियों के शेयरों में उछाल भी आया। भारतीय शेयर बाजार का प्रदर्शन इस बात को दर्शाता है कि निवेशक सतर्कता के साथ बाजार में ट्रेड कर रहे हैं और संभावित रूप से कुछ स्टॉक्स को फायदा हो सकता है, जबकि कुछ में नुकसान भी हो सकता है।

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New TDS rules: वरिष्ठ नागरिकों और सामान्य नागरिकों के लिए मिली राहत

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New TDS rules: वरिष्ठ नागरिकों और सामान्य नागरिकों के लिए मिली राहत

New TDS rules: भारत सरकार ने फरवरी 1, 2025 को पेश किए गए बजट में कुछ महत्वपूर्ण बदलावों की घोषणा की, जो टैक्स डिडक्शन एट सोर्स (TDS) नियमों से जुड़े हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इन बदलावों की जानकारी दी, और ये नए नियम 1 अप्रैल 2025 से प्रभावी होंगे। इन बदलावों के तहत, बैंक डिपॉजिट (FD), रिकरिंग डिपॉजिट (RD) और अन्य स्रोतों से ब्याज आय पर TDS के नियमों में बड़े बदलाव किए गए हैं। खासकर वरिष्ठ नागरिकों और सामान्य नागरिकों को इस बजट से महत्वपूर्ण राहत मिली है।

वरिष्ठ नागरिकों के लिए बड़ी राहत

अब तक, वरिष्ठ नागरिकों (60 साल और उससे ऊपर के) के लिए TDS की सीमा ₹40,000 थी। लेकिन नए नियमों के तहत, अब वरिष्ठ नागरिकों के लिए FD और RD पर TDS तभी काटा जाएगा जब उनकी कुल ब्याज आय ₹1 लाख से अधिक होगी। इसका मतलब यह है कि अगर किसी वरिष्ठ नागरिक की ब्याज आय ₹1 लाख से कम है, तो उन्हें किसी भी प्रकार का TDS नहीं देना पड़ेगा। इस बदलाव से वरिष्ठ नागरिकों को बड़ी राहत मिलेगी, खासकर उन लोगों को जो FD पर निर्भर हैं और उनकी आय कम है।

सामान्य नागरिकों के लिए भी राहत

सामान्य नागरिकों (जो वरिष्ठ नागरिक नहीं हैं) के लिए भी TDS के नियमों में राहत दी गई है। पहले सामान्य नागरिकों के लिए FD, RD और अन्य स्रोतों से ब्याज आय पर ₹40,000 तक TDS कटता था। अब, सरकार ने इस सीमा को बढ़ाकर ₹50,000 कर दिया है। इसका मतलब है कि यदि सामान्य नागरिक की ब्याज आय ₹50,000 तक रहती है, तो उस पर कोई TDS नहीं कटेगा। यह बदलाव खासतौर पर उन नागरिकों को राहत देगा, जो FD और RD से अपनी आय का बड़ा हिस्सा प्राप्त करते हैं।

New TDS rules: वरिष्ठ नागरिकों और सामान्य नागरिकों के लिए मिली राहत

टीडीएस नियमों में अन्य बदलाव

बजट में TDS से जुड़ी अन्य महत्वपूर्ण घोषणाएं भी की गई हैं। पहले, लॉटरी, क्रॉसवर्ड या हॉर्स रेसिंग से होने वाली कुल आय पर ₹10,000 से अधिक होने पर TDS कटता था। अब, सरकार ने इसे सरल बनाते हुए कहा है कि TDS तब ही काटा जाएगा जब एकल लेन-देन ₹10,000 से अधिक होगा। इससे लॉटरी और क्रॉसवर्ड जैसे खेलों में छोटे-मोटे जीतने वाले व्यक्तियों को राहत मिलेगी, क्योंकि छोटे पुरस्कारों पर अब TDS नहीं कटेगा।

बीमा कमीशन पर भी बढ़ी सीमा

बीमा कमीशन पर TDS की सीमा पहले ₹15,000 थी, लेकिन अब इसे ₹20,000 तक बढ़ा दिया गया है। इसका मतलब है कि यदि किसी बीमा एजेंट को एक वित्तीय वर्ष में ₹20,000 से अधिक का कमीशन मिलता है, तो उस पर TDS काटा जाएगा। यह बदलाव बीमा एजेंट्स के लिए लाभकारी साबित हो सकता है।

म्यूचुअल फंड्स और शेयरों पर डिविडेंड पर राहत

म्यूचुअल फंड्स (MFs) और शेयरों पर मिलने वाले डिविडेंड पर भी TDS की सीमा बढ़ाई गई है। पहले, यदि किसी व्यक्ति को ₹5,000 से अधिक का डिविडेंड प्राप्त होता था, तो उस पर TDS कटता था। अब इसे बढ़ाकर ₹10,000 कर दिया गया है। इसका मतलब यह है कि यदि किसी व्यक्ति को ₹10,000 तक का डिविडेंड मिलता है, तो उस पर TDS नहीं कटेगा। यह म्यूचुअल फंड और शेयर निवेशकों के लिए एक बड़ी राहत है, जो छोटे निवेशकों को अपने निवेश पर बेहतर लाभ देने में मदद करेगा।

इस बदलाव का उद्देश्य

सरकार के इस कदम का मुख्य उद्देश्य आम लोगों पर टैक्स का बोझ कम करना और उनके निवेशों से संबंधित प्रक्रियाओं को सरल बनाना है। इन बदलावों से विशेष रूप से वरिष्ठ नागरिकों और छोटे निवेशकों को फायदा होगा, जो FD, RD या अन्य निवेश माध्यमों से अपनी आय अर्जित करते हैं। सरकार का लक्ष्य है कि इन बदलावों के माध्यम से निवेशकों को अधिक राहत मिले और उनका निवेश कार्य सरल और पारदर्शी हो।

1 अप्रैल 2025 से प्रभावी होंगे नए नियम

यह नए TDS नियम 1 अप्रैल 2025 से प्रभावी होंगे, और इसके बाद यदि आपकी ब्याज आय इन सीमा से अधिक होती है तो ही बैंक या अन्य वित्तीय संस्थान TDS काटेगा। यदि आपकी ब्याज आय सीमा से कम है तो TDS नहीं कटेगा, जिससे निवेशकों के लिए यह एक बड़ी राहत होगी।

इस बजट में किए गए TDS नियमों में बदलाव से वरिष्ठ नागरिकों और सामान्य नागरिकों को काफी राहत मिली है। सरकार ने एफडी, आरडी और अन्य ब्याज आय पर TDS की सीमा बढ़ाकर छोटे निवेशकों को फायदा पहुंचाने की कोशिश की है। इन बदलावों से खासतौर पर उन व्यक्तियों को लाभ होगा जो अपनी आय का मुख्य हिस्सा एफडी और आरडी से प्राप्त करते हैं। इसके अलावा, लॉटरी, क्रॉसवर्ड, हॉर्स रेसिंग, और म्यूचुअल फंड्स जैसी अन्य श्रेणियों में भी राहत दी गई है, जो टैक्स की जटिलताओं को कम करने में मदद करेगा।

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Holi festival sales: होली के अवसर पर भारतीय सामान की बिक्री में बढ़ोतरी, चीन के सामान का बहिष्कार जारी

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Holi festival sales: होली के अवसर पर भारतीय सामान की बिक्री में बढ़ोतरी, चीन के सामान का बहिष्कार जारी

Holi festival sales: भारत में होली का त्योहार 14 मार्च को धूमधाम से मनाया जाएगा। इस बार भी त्योहार के दौरान व्यापारी वर्ग और उपभोक्ताओं द्वारा चीनी सामान का बहिष्कार जारी है। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) के राष्ट्रीय महासचिव और चांदनी चौक से बीजेपी सांसद प्रवीन खेतानवाल ने कहा कि इस साल भी व्यापारियों और ग्राहकों ने होली के सामान में चीनी उत्पादों का बहिष्कार किया है और भारतीय सामान की भारी मांग देखी जा रही है।

भारतीय उत्पादों की मांग में उछाल

होली के त्यौहार के दौरान भारतीय रंग, गुलाल, पिचकारी, गुब्बारे, चंदन, पूजा सामग्री, परिधान और अन्य भारतीय उत्पादों की बिक्री बहुत बढ़ी है। खासकर मिठाई, सूखे मेवे, उपहार आइटम, फूल, फल, कपड़े, फर्निशिंग फैब्रिक, किराना, FMCG उत्पाद और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स की मांग बहुत अधिक है। उपभोक्ताओं के खर्च बढ़ने के कारण, कई व्यापारिक क्षेत्रों में होली के दौरान बिक्री में तेजी आई है।

कृष्णवेल ने बताया कि होली के दौरान खासतौर पर सफेद टी-शर्ट, कुर्ता-पजामा और सलवार सूट की मांग में वृद्धि हो रही है ताकि लोग रंगों से खेल सकें। इसके अलावा “हैप्पी होली” लिखी हुई टी-शर्ट भी मार्केट में लगातार बिक रही हैं। उन्होंने यह भी कहा कि भारत त्योहारों का देश है और हर त्योहार या धार्मिक आयोजन निश्चित रूप से व्यापार को बढ़ावा देता है। होली से उम्मीद है कि आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि होगी, जिससे खासतौर पर छोटे व्यापारियों, स्थानीय व्यवसायों, छोटे उद्योगों और MSME क्षेत्र को लाभ होगा।

Holi festival sales: होली के अवसर पर भारतीय सामान की बिक्री में बढ़ोतरी, चीन के सामान का बहिष्कार जारी

होली के दौरान व्यापार का अनुमानित आंकड़ा

CAIT के आंकड़ों के अनुसार, इस साल होली के त्यौहार पर व्यापारियों को लगभग ₹60,000 करोड़ का व्यापार होने का अनुमान है, जो पिछले साल के मुकाबले लगभग 20 प्रतिशत ज्यादा है। पिछले साल यह आंकड़ा ₹50,000 करोड़ के आस-पास था। दिल्ली के बाजारों में अकेले ₹8,000 करोड़ से अधिक के व्यापार की संभावना जताई जा रही है।

दिल्ली में होली की धूम

खेतानवाल ने कहा कि इस साल भी होली के त्यौहार का आयोजन दिल्ली समेत पूरे देश में बड़े पैमाने पर किया जा रहा है, जिससे होली मनाने के लिए लोग बैंकेट हॉल, फार्म हाउस, होटलों, रेस्तरां और सार्वजनिक पार्कों में इकट्ठा हो रहे हैं। दिल्ली में अकेले 3,000 से अधिक छोटे-बड़े होली मिलन समारोह आयोजित किए जा रहे हैं। इन समारोहों में भाग लेने वाले लोगों के चेहरे पर खुशी और उत्साह देखा जा सकता है।

होली के विशेष उत्पादों की बिक्री

होली सिर्फ रंगों का त्योहार नहीं है, बल्कि यह खाने-पीने और स्वादिष्ट व्यंजनों का भी त्योहार है। होली पर विशेष रूप से बनाए जाने वाले गुजिया, और अन्य मिठाईयाँ बड़ी संख्या में मिठाई की दुकानों पर बिक रही हैं। इस बार की होली में रासायनिक रंगों और रंगीन गुलाल के बजाय, बाजार में हर्बल रंगों, अबीर और गुलाल की अधिक मांग देखी जा रही है।

इस बार बाजार में विभिन्न प्रकार की पिचकारियाँ, गुब्बारे और अन्य आकर्षक सामान उपलब्ध हैं। प्रेशर पिचकारियाँ ₹100 से ₹350 तक की कीमत में मिल रही हैं, जबकि टैंक जैसी पिचकारियाँ ₹100 से ₹400 तक बिक रही हैं। इसके अलावा, फैंसी पाइप भी बाजार में बहुत लोकप्रिय हो गए हैं। बच्चों के लिए स्पाइडरमैन, छोटा भीम जैसे डिजाइन वाली पिचकारियाँ ज्यादा बिक रही हैं, और गुलाल स्प्रे की भी भारी मांग है।

होलिका दहन और रंगों की होली

खेतानवाल ने कहा कि इस साल 13 मार्च को दिल्ली में होलिका दहन होगा, जबकि 14 मार्च को रंगों की होली खेली जाएगी। दिल्ली के बाजार होली के रंगों से सजे हुए हैं। दुकानों में गुलाल और पिचकारी के अलावा गुजिया और सूखे मेवों की माला भी सजाई जा रही है। बाजार में खरीदारी के लिए आने वाले लोगों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है।

इस बार होली के मौके पर भारतीय व्यापारियों और दुकानदारों को अच्छा व्यापार होने का अनुमान है। चीनी उत्पादों का बहिष्कार जारी रहने से भारतीय उत्पादों की बिक्री में तेजी आई है, जिससे छोटे व्यापारियों और MSME क्षेत्र को लाभ होगा। रंगों और मिठाईयों के साथ-साथ होली के विशेष उत्पादों की भी अच्छी खासी मांग है। दिल्ली समेत पूरे देश में होली की धूम है और बाजार रंग-बिरंगे हो चुके हैं।

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