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RBI Report: ट्रेड वॉर और विदेशी निवेश की उठापटक के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था रहेगी मजबूत

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RBI Report: ट्रेड वॉर और विदेशी निवेश की उठापटक के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था रहेगी मजबूत

RBI Report: डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ खतरे ने पूरी दुनिया में व्यापार युद्ध की स्थिति पैदा कर दी है। इसके अलावा, विदेशी निवेशक भारतीय शेयर बाजार से पैसा निकालकर चीन सहित अन्य बाजारों की ओर रुख कर रहे हैं। हालांकि, इसके बावजूद, भारत की बढ़ती अर्थव्यवस्था पर अधिक प्रभाव नहीं पड़ेगा।

आरबीआई की ताजा मासिक बुलेटिन के अनुसार, भारत 2025-26 में भी दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहेगा। निरंतर विकास गति और रणनीतिक वित्तीय उपाय इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

रिपोर्ट में क्या है?

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) और विश्व बैंक के अनुमान का हवाला देते हुए कहा है कि भारत की जीडीपी वृद्धि 2025-26 में 6.5% से 6.7% के बीच रहने की उम्मीद है। वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद, उच्च-आवृत्ति संकेतक (high-frequency indicators) बताते हैं कि 2024-25 की दूसरी छमाही में आर्थिक गतिविधियों में सुधार होगा, जो आगे भी जारी रहेगा।

राजकोषीय मजबूती और पूंजीगत व्यय में वृद्धि

आरबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, केंद्र सरकार के बजट 2025-26 ने वित्तीय स्थिरता (fiscal consolidation) और विकास के बीच संतुलन बनाए रखा है। इस बजट में घरेलू आय और उपभोग को बढ़ाने के उपाय किए गए हैं, जबकि पूंजीगत व्यय (capital expenditure) पर विशेष ध्यान दिया गया है।

कैपेक्स-टू-जीडीपी अनुपात 2025-26 में बढ़कर 4.3% होने का अनुमान है, जो 2024-25 के संशोधित अनुमान 4.1% से अधिक है।

मुद्रास्फीति में गिरावट, औद्योगिक गतिविधियों में सुधार

जनवरी 2025 में खुदरा मुद्रास्फीति घटकर 4.3% रह गई, जो पिछले पांच महीनों में सबसे कम है। इस गिरावट का मुख्य कारण सर्दियों की फसल आने से सब्जियों की कीमतों में तेज गिरावट है।

औद्योगिक गतिविधियों में भी सुधार देखा गया है, जिसे जनवरी के परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) में दर्शाया गया।

अन्य सकारात्मक संकेतक:

  • ट्रैक्टर बिक्री में वृद्धि
  • ईंधन खपत में बढ़ोतरी
  • हवाई यात्रियों की संख्या में स्थिर वृद्धि

रिपोर्ट के अनुसार, ग्रामीण मांग भी मजबूत बनी हुई है, जिसका मुख्य कारण कृषि आय में वृद्धि है। FMCG सेक्टर की ग्रामीण बिक्री Q3 में 9.9% बढ़ी, जो Q2 में 5.7% थी।

RBI Report: ट्रेड वॉर और विदेशी निवेश की उठापटक के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था रहेगी मजबूत

शहरी क्षेत्रों में भी मांग में वृद्धि

  • शहरी इलाकों में भी उपभोग बढ़ा है, जहां बिक्री वृद्धि दर 2.6% से बढ़कर 5% हो गई।

कॉर्पोरेट प्रदर्शन और निवेश परिदृश्य

आरबीआई द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण में कॉर्पोरेट क्षेत्र के प्रदर्शन में सुधार पाया गया।

  • सूचीबद्ध गैर-सरकारी, गैर-वित्तीय कंपनियों (non-government, non-financial companies) की बिक्री वृद्धि दर में Q3 के दौरान तेज़ वृद्धि देखी गई।
  • परिचालन लाभ मार्जिन (Operating profit margin) में सुधार हुआ।
  • निजी क्षेत्र के निवेश इरादे स्थिर बने रहे।
  • बैंकों और वित्तीय संस्थानों ने इस तिमाही में लगभग 1 लाख करोड़ रुपये की परियोजनाओं को मंजूरी दी।
  • बाहरी वाणिज्यिक उधार (ECBs) और प्रारंभिक सार्वजनिक निर्गम (IPOs) में भी वृद्धि देखी गई।

बाहरी चुनौतियां और मुद्रा अवमूल्यन

वैश्विक व्यापारिक अनिश्चितता और भू-राजनीतिक तनावों ने घरेलू इक्विटी बाजारों को प्रभावित किया।

  • विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) द्वारा बिकवाली के दबाव के कारण प्रमुख और व्यापक बाजारों में गिरावट आई।
  • भारतीय रुपया भी अन्य उभरते बाजारों की मुद्राओं की तरह अमेरिकी डॉलर की मजबूती के कारण अवमूल्यित हुआ।

हालांकि, आरबीआई का मानना है कि भारत की मजबूत व्यापक आर्थिक नींव (macroeconomic fundamentals) और बाहरी क्षेत्र के संकेतकों में सुधार ने इसे वैश्विक अनिश्चितताओं से निपटने में मदद की है।

लेकिन रिपोर्ट यह भी चेतावनी देती है कि अमेरिका में व्यापार नीति की बढ़ती अनिश्चितता (trade policy uncertainty) वैश्विक व्यापार प्रतिमान (global trade patterns) को बदल सकती है और उपभोक्ता तथा व्यावसायिक लागतों पर दबाव बढ़ा सकती है।

वैश्विक आर्थिक परिदृश्य

वैश्विक अर्थव्यवस्था मध्यम गति से बढ़ रही है, हालांकि विभिन्न देशों की वृद्धि संभावनाएं अलग-अलग हैं।

  • वित्तीय बाजार धीमी मुद्रास्फीति (disinflation) और टैरिफ के प्रभाव को लेकर सतर्क हैं।
  • भारत सहित उभरती अर्थव्यवस्थाएं (Emerging market economies) एफपीआई बिकवाली के दबाव और अमेरिकी डॉलर की मजबूती के कारण मुद्रा अवमूल्यन का सामना कर रही हैं।

डोनाल्ड ट्रंप की व्यापार नीति और वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद, भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर 2025-26 में 6.5% से 6.7% तक रहने की उम्मीद है।

मुख्य बातें:

  • राजकोषीय मजबूती और पूंजीगत व्यय में वृद्धि से विकास को बल मिलेगा।
  • मुद्रास्फीति में गिरावट और औद्योगिक गतिविधियों में सुधार जारी रहेगा।
  • कॉर्पोरेट क्षेत्र का प्रदर्शन अच्छा रहेगा, जिससे निवेश और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
  • विदेशी निवेशकों की बिकवाली और मुद्रा अवमूल्यन के बावजूद, भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत बनी रहेगी।
  • वैश्विक अनिश्चितताओं का प्रभाव भारत पर सीमित रहेगा, और यह दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बना रहेगा।

अतः भारत की आर्थिक विकास यात्रा निर्बाध रूप से जारी रहेगी और यह वैश्विक आर्थिक परिदृश्य में एक प्रमुख शक्ति बना रहेगा।

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Tata Capital Update: टाटा कैपिटल IPO लॉन्च से पहले ले सकता है बड़ा फैसला, कंपनी की बोर्ड बैठक अगले सप्ताह

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Tata Capital Update: टाटा कैपिटल IPO लॉन्च से पहले ले सकता है बड़ा फैसला, कंपनी की बोर्ड बैठक अगले सप्ताह

Tata Capital Update: टाटा समूह की NBFC कंपनी टाटा कैपिटल इस साल IPO लाकर शेयर बाजार में सूचीबद्ध होने की तैयारी कर रही है। लेकिन इससे पहले कंपनी ने एक बड़ा फैसला लिया है। कंपनी मौजूदा शेयरधारकों से धन जुटाने के लिए राइट्स इश्यू के माध्यम से शेयर बेचने की योजना बना रही है। टाटा कैपिटल के निदेशक मंडल की बैठक मंगलवार, 24 फरवरी 2025 को होने वाली है, जिसमें इस राइट्स इश्यू को लेकर अंतिम निर्णय लिया जा सकता है।

राइट्स इश्यू को लेकर बोर्ड बैठक 24 फरवरी को

शेयर बाजार को दी गई जानकारी में टाटा कैपिटल ने कहा कि 24 फरवरी को कंपनी के निदेशक मंडल की बैठक बुलाई गई है, जिसमें मौजूदा शेयरधारकों से राइट्स इश्यू के जरिए धन जुटाने पर विचार किया जाएगा। बताया जा रहा है कि टाटा कैपिटल का IPO सितंबर 2025 से पहले लॉन्च हो सकता है। कंपनी IPO के माध्यम से पूंजी बाजार से 15,000 करोड़ रुपये जुटा सकती है। इस राशि को ऑफर फॉर सेल (OFS) के साथ-साथ नए शेयर जारी करके जुटाया जा सकता है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के नियमों के अनुसार, टाटा कैपिटल को सितंबर 2025 से पहले स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होना अनिवार्य है, क्योंकि यह एक अपर-लेयर NBFC है।

Tata Capital Update: टाटा कैपिटल IPO लॉन्च से पहले ले सकता है बड़ा फैसला, कंपनी की बोर्ड बैठक अगले सप्ताह

टाटा समूह ने IPO की तैयारी शुरू की

टाटा समूह ने टाटा कैपिटल के IPO को लाने की तैयारियां शुरू कर दी हैं। समूह ने हाल ही में कोटक इन्वेस्टमेंट बैंक को IPO लाने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए अधिकृत किया है। भारतीय रिजर्व बैंक के नियमों के अनुसार, टाटा समूह की दो NBFC कंपनियों, टाटा सन्स और टाटा कैपिटल, को सितंबर 2025 से पहले शेयर बाजार में सूचीबद्ध करना आवश्यक है। टाटा सन्स की टाटा कैपिटल में 93 प्रतिशत हिस्सेदारी है।

टाटा टेक्नोलॉजीज IPO से निवेशकों को मिला शानदार रिटर्न

इससे पहले, नवंबर 2023 में, टाटा समूह ने अपनी कंपनी टाटा टेक्नोलॉजीज का IPO लाया था और यह 30 नवंबर 2023 को स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध हुआ था। टाटा टेक्नोलॉजीज का IPO 500 रुपये के इश्यू प्राइस पर आया था और यह 140 प्रतिशत की बढ़त के साथ 1200 रुपये पर लिस्ट हुआ था। लिस्टिंग के पहले ही दिन निवेशकों को मल्टीबैगर रिटर्न मिला था। इससे पहले, वर्ष 2003-04 में, टाटा समूह की आईटी कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) का IPO आया था।

निवेशकों के लिए IPO एक बड़ा अवसर

टाटा कैपिटल के IPO को लेकर निवेशकों में काफी उत्सुकता है। टाटा समूह की कंपनियां हमेशा से ही निवेशकों को अच्छे रिटर्न देने के लिए जानी जाती हैं। अब देखना होगा कि टाटा कैपिटल का IPO निवेशकों के लिए कितना फायदेमंद साबित होता है।

टाटा कैपिटल IPO से पहले राइट्स इश्यू के जरिए मौजूदा शेयरधारकों से धन जुटाने की योजना बना रहा है। बोर्ड बैठक में इस पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा। अगर सब कुछ योजना के अनुसार चलता है, तो टाटा कैपिटल सितंबर 2025 से पहले स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध हो सकता है, जिससे निवेशकों को एक नया निवेश अवसर मिलेगा।

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SBI: ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मिल रही मजबूती, GDP वृद्धि दर मौजूदा वित्तीय वर्ष में 6.3% रहने का अनुमान

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SBI: ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मिल रही मजबूती, GDP वृद्धि दर मौजूदा वित्तीय वर्ष में 6.3% रहने का अनुमान

भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की शोध रिपोर्ट के अनुसार, चालू वित्तीय वर्ष 2024-25 के दौरान सकल घरेलू उत्पाद (GDP) वृद्धि दर 6.3 प्रतिशत रहने का अनुमान है। रिपोर्ट के अनुसार, 36 उच्च-आवृत्ति संकेतकों (हाई फ़्रीक्वेंसी इंडिकेटर्स) के विश्लेषण से पता चलता है कि चालू वित्तीय वर्ष की तीसरी तिमाही में GDP वृद्धि दर 6.2 प्रतिशत से 6.3 प्रतिशत के बीच रह सकती है।

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) के अनुसार, 2024-25 के लिए ‘वास्तविक’ (रियल) और ‘नाममात्र’ (नॉमिनल) GDP वृद्धि दर क्रमशः 6.4 प्रतिशत और 9.7 प्रतिशत रहने की संभावना है। रिपोर्ट में कहा गया है कि एक मजबूत ग्रामीण अर्थव्यवस्था स्थिरता को बनाए रखने और अन्य क्षेत्रों में गति बनाए रखने में मदद कर रही है। वर्तमान घरेलू मुद्रास्फीति में कमी से विवेकाधीन खर्च (डिस्क्रीशनरी स्पेंडिंग) को बढ़ावा मिलता है और मांग आधारित वृद्धि को समर्थन मिलता है।

पूंजीगत व्यय में सुधार

SBI  की रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि चालू वित्तीय वर्ष की तीसरी तिमाही में पूंजीगत व्यय (कैपिटल एक्सपेंडिचर) में सुधार देखा गया है। हालांकि, भूराजनीतिक घटनाक्रम (जियोपॉलिटिकल डेवलपमेंट्स) और आपूर्ति श्रृंखला में आई बाधाओं (सप्लाई चेन डिसरप्शन) का प्रभाव केवल भारत तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका असर वैश्विक स्तर पर पड़ा है। इसके बावजूद, SBI  की रिपोर्ट के अनुसार भारत विश्व की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक बना हुआ है।

IMF का वैश्विक विकास पूर्वानुमान

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के हालिया वैश्विक विकास पूर्वानुमान के अनुसार, भारत की विकास दर 2024-25 और आगामी वित्तीय वर्ष 2025-26 में 6.5 प्रतिशत रहने की संभावना है। इस वृद्धि के पीछे घरेलू मांग में मजबूती और सरकार द्वारा किए गए नीतिगत हस्तक्षेप (पॉलिसी इंटरवेंशन) को मुख्य कारण बताया गया है।

दिसंबर तिमाही में अर्थव्यवस्था 6.4% की दर से बढ़ेगी

रेटिंग एजेंसी ICRA (ICRA) ने भी अपनी रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया है कि अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में भारत की GDP वृद्धि दर 6.4 प्रतिशत रह सकती है। एजेंसी ने इस वृद्धि का श्रेय सरकार के बढ़े हुए खर्च को दिया है, हालांकि उपभोग (कंजम्प्शन) में असमानता बनी हुई है।

SBI: ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मिल रही मजबूती, GDP वृद्धि दर मौजूदा वित्तीय वर्ष में 6.3% रहने का अनुमान

अर्थव्यवस्था पर पिछली तिमाहियों का प्रभाव

भारतीय अर्थव्यवस्था ने अप्रैल-जून तिमाही में 6.7 प्रतिशत की वृद्धि दर दर्ज की थी, लेकिन सितंबर तिमाही में यह घटकर 5.4 प्रतिशत पर आ गई थी। यह सात तिमाहियों में सबसे कम वृद्धि दर थी। इस गिरावट का कारण आम चुनावों के चलते सरकारी पूंजीगत व्यय में कटौती और उपभोग मांग में कमजोरी को माना गया।

ICRA की मुख्य अर्थशास्त्री की राय

ICRA की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2024-25 की तीसरी तिमाही में भारत के आर्थिक प्रदर्शन को निम्नलिखित कारकों से सहायता मिली:

  • केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा कुल सरकारी व्यय (कैपिटल और राजस्व व्यय) में वृद्धि
  • सेवा निर्यात (सर्विस एक्सपोर्ट) में उच्च वृद्धि दर
  • माल निर्यात (मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट) में सुधार
  • प्रमुख खरीफ फसलों के अच्छे उत्पादन

इन सभी कारकों ने ग्रामीण क्षेत्रों में सकारात्मक भावना (रूरल सेंटिमेंट) को मजबूत किया है और अर्थव्यवस्था को गति प्रदान की है।

ग्रामीण अर्थव्यवस्था का योगदान

ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ती आय, सरकार की नीतियों और कृषि क्षेत्र में सुधार से मांग में वृद्धि हो रही है, जिससे कुल आर्थिक विकास को समर्थन मिल रहा है। प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना (PM-KISAN), ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MGNREGA) और अन्य सरकारी योजनाओं के तहत बढ़ती मदद से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल रही है।

अर्थव्यवस्था के लिए आगे का मार्ग

भारत की आर्थिक वृद्धि को बनाए रखने के लिए निम्नलिखित कारकों पर ध्यान देना आवश्यक होगा:

  1. बुनियादी ढांचे में निवेश – सड़क, रेलवे, और अन्य बुनियादी ढांचे में पूंजीगत व्यय जारी रखना आवश्यक होगा।
  2. निर्यात वृद्धि – वैश्विक व्यापार में अस्थिरता के बावजूद निर्यात को बढ़ावा देने के लिए नई रणनीतियाँ अपनानी होंगी।
  3. निजी उपभोग में वृद्धि – घरेलू उपभोग को बढ़ाने के लिए रोजगार सृजन और आय वृद्धि को प्राथमिकता देनी होगी।
  4. विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा – ‘मेक इन इंडिया’ और ‘पीएलआई योजना’ जैसी पहलों को और सशक्त बनाना होगा।

SBI  और ICRA की रिपोर्टों से स्पष्ट है कि भारत की अर्थव्यवस्था सही दिशा में आगे बढ़ रही है। ग्रामीण क्षेत्रों में मजबूती और सरकार के नीतिगत समर्थन से GDP वृद्धि दर 6.3% से 6.4% तक रहने की संभावना है। हालाँकि, वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों और भू-राजनीतिक घटनाओं से उत्पन्न चुनौतियों से निपटने के लिए निरंतर सतर्कता आवश्यक होगी। सरकार के निवेश, नीति सुधार और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के समर्थन से भारत अगले कुछ वर्षों में भी अपनी उच्च विकास दर बनाए रख सकता है।

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Deposit Insurance Coverage: नए कदम से बैंक डूबने पर भी ग्राहकों के पैसे की सुरक्षा, जानिए सरकार की योजना

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Deposit Insurance Coverage: नए कदम से बैंक डूबने पर भी ग्राहकों के पैसे की सुरक्षा, जानिए सरकार की योजना

Deposit Insurance Coverage: मुंबई के न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक में हुए एक बड़े धोखाधड़ी के मामले के बाद भारत सरकार ने ग्राहकों के डिपॉजिट को बचाने के लिए कुछ नए कदम उठाने का फैसला किया है। इन कदमों में सबसे बड़ा कदम डिपॉजिट इंश्योरेंस कवर को बढ़ाना है। हालांकि, इस इंश्योरेंस कवर को कितनी राशि तक बढ़ाया जाएगा, इसकी जानकारी अभी तक नहीं दी गई है। यह कदम खासकर मध्यवर्गीय परिवारों की जमा राशियों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए उठाया जा रहा है।

डिपॉजिट इंश्योरेंस क्या है?

डिपॉजिट इंश्योरेंस एक प्रकार का सुरक्षा कवच है, जो बैंक के डूबने या फेल होने पर ग्राहकों की जमा राशि को सुरक्षित करता है। यह इंश्योरेंस रिजर्व बैंक के सहायक संगठन, डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (DICGC) द्वारा प्रदान किया जाता है। यदि कोई बैंक डूब जाता है या वित्तीय संकट का सामना करता है, तो DICGC ग्राहकों को पांच लाख रुपये तक की राशि इंश्योरेंस के रूप में देती है। यह राशि ग्राहकों को एक निश्चित समय सीमा के भीतर मिल जाती है।

हाल ही में मुंबई के न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक में धोखाधड़ी के मामले के सामने आने के बाद सरकार ने इस डिपॉजिट इंश्योरेंस कवर को बढ़ाने पर विचार करना शुरू किया है।

न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक का मामला

मुंबई के न्यू इंडिया कोऑपरेटिव बैंक में हाल ही में बड़ा घोटाला हुआ था, जिसके बाद भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने इस बैंक पर डिपॉजिट और विड्रॉल पर प्रतिबंध लगा दिया। इससे बैंक में जमा ग्राहकों को कठिनाई का सामना करना पड़ा। इन हालात में सरकार ने डिपॉजिट इंश्योरेंस कवर को बढ़ाने की योजना बनाई है ताकि आम आदमी का पैसा सुरक्षित रहे और उन्हें चिंता न हो।

RBI और DICGC ने फिलहाल ग्राहकों को पांच लाख रुपये तक की इंश्योरेंस राशि देना शुरू किया है। हालांकि, सरकार का उद्देश्य इसे और बढ़ाना है, जिससे ग्राहकों को अधिक सुरक्षा मिल सके।

वित्त मंत्रालय की योजना

भारत सरकार ने इस योजना की जानकारी एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दी। वित्त मंत्रालय के सचिव, एम. नागराजू ने सोमवार को कहा कि सरकार इस समय पांच लाख रुपये से अधिक की डिपॉजिट इंश्योरेंस कवर की सीमा बढ़ाने पर विचार कर रही है। उनका कहना था कि इस पर कार्य चल रहा है और जैसे ही सरकार इसे मंजूरी देगी, एक अधिसूचना जारी की जाएगी।

नागराजू ने कहा, “इस मुद्दे पर सक्रिय रूप से विचार किया जा रहा है, और जैसे ही सरकार इसे मंजूरी देती है, हम इसके बारे में अधिसूचना जारी करेंगे।” उन्होंने यह भी बताया कि यह कदम ग्राहकों के डिपॉजिट को सुरक्षित रखने के लिए उठाया जा रहा है, खासकर ऐसे समय में जब बैंकों में धोखाधड़ी के मामले सामने आ रहे हैं।

Deposit Insurance Coverage: नए कदम से बैंक डूबने पर भी ग्राहकों के पैसे की सुरक्षा, जानिए सरकार की योजना

डिपॉजिट इंश्योरेंस का महत्व

डिपॉजिट इंश्योरेंस का मुख्य उद्देश्य ग्राहकों के धन की सुरक्षा करना है, खासकर जब बैंक या वित्तीय संस्थान किसी कारणवश फेल हो जाते हैं। यह इंश्योरेंस बैंक के ग्राहकों को विश्वास दिलाता है कि उनके पैसे सुरक्षित हैं और किसी संकट के समय उन्हें राहत मिलेगी।

इसके अलावा, यह इंश्योरेंस बैंकिंग प्रणाली में विश्वास बनाए रखने में भी मदद करता है। अगर ग्राहकों को यह विश्वास हो कि उनके पैसे सुरक्षित हैं, तो वे बैंकों में अपनी जमा राशि रखने में अधिक आत्मविश्वास महसूस करते हैं।

डिपॉजिट इंश्योरेंस की प्रक्रिया

जब कोई बैंक डूबता है या विफल हो जाता है, तो डिपॉजिट इंश्योरेंस का दावा किया जाता है। इसके तहत, बैंक के ग्राहकों को उनके जमा राशि के बदले इंश्योरेंस के रूप में राशि दी जाती है।

DICGC बैंक से एक प्रीमियम जमा करता है जो ग्राहकों को इंश्योरेंस कवर प्रदान करने के लिए होता है। इस प्रीमियम का भुगतान बैंकों द्वारा किया जाता है, और जब बैंक के पास से ग्राहक का पैसा फंस जाता है, तो DICGC पांच लाख रुपये तक की राशि ग्राहक को लौटाता है।

कब मिलेगा डिपॉजिट इंश्योरेंस पैसा?

डिपॉजिट इंश्योरेंस का दावा तब शुरू होता है जब कोई बैंक या वित्तीय संस्थान पूरी तरह से डूब जाता है। इसके बाद DICGC ग्राहक को इंश्योरेंस के तहत पैसा प्रदान करता है। यह प्रक्रिया आमतौर पर कुछ समय ले सकती है, लेकिन इस दौरान सरकार और RBI ग्राहकों को यथासंभव मदद देने का प्रयास करते हैं।

अब तक, DICGC इस प्रकार के दावों का निपटारा करता आया है और ग्राहकों को पांच लाख रुपये तक की राशि दे चुका है। हालांकि, भविष्य में इस सीमा को बढ़ाने का सरकार का निर्णय ग्राहकों के लिए एक राहत का काम करेगा।

आगे की योजना

सरकार का उद्देश्य है कि अधिक से अधिक ग्राहक डिपॉजिट इंश्योरेंस का लाभ उठा सकें। इस कवर को बढ़ाने से न केवल ग्राहकों को सुरक्षा मिलेगी, बल्कि बैंकों के डूबने या वित्तीय संकट के मामलों में भी उनका पैसा सुरक्षित रहेगा।

इसके अलावा, सरकार और RBI यह सुनिश्चित करने का प्रयास कर रहे हैं कि बैंकों में किसी प्रकार की धोखाधड़ी या विफलता की स्थिति से पहले ही ग्राहकों को चेतावनी मिल जाए, जिससे वे अपनी जमा राशि को सुरक्षित स्थानों पर ट्रांसफर कर सकें।

भारत सरकार की डिपॉजिट इंश्योरेंस कवर को बढ़ाने की योजना आम आदमी के लिए एक राहत साबित होगी। इससे ग्राहकों को बैंकों में जमा राशि रखने का भरोसा मिलेगा और वे बिना किसी डर के अपने पैसे का निवेश कर सकेंगे। सरकार के इस कदम से न केवल बैंकों में विश्वास बढ़ेगा, बल्कि ग्राहकों को भी अधिक सुरक्षा मिलेगी। अगर यह योजना सफल होती है, तो इससे भारत के बैंकिंग सिस्टम में एक नया अध्याय जुड़ सकता है।

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