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PM Modi Namibia visit: 27 साल बाद नामीबिया पहुंचे मोदी, भारत की अफ्रीका रणनीति में बड़ा बदलाव

PM Modi Namibia visit: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी पांच देशों की विदेश यात्रा के अंतिम चरण में नामीबिया पहुंचे हैं। यह किसी भारतीय प्रधानमंत्री की 1998 के बाद पहली यात्रा है। इस ऐतिहासिक दौरे को भारत और नामीबिया के बीच लंबे समय से चले आ रहे रिश्तों में नई जान फूंकने वाला माना जा रहा है। इस यात्रा से तकनीक, स्वास्थ्य, सुरक्षा, अवसंरचना और विकास जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ने की उम्मीद है।
आज़ादी की लड़ाई में भारत की भूमिका और पुराना समर्थन
भारत और नामीबिया के रिश्ते केवल आर्थिक या कूटनीतिक नहीं हैं, बल्कि इनके बीच ऐतिहासिक भावनात्मक जुड़ाव भी है। भारत ने 1946 में ही संयुक्त राष्ट्र में नामीबिया की आज़ादी का मुद्दा उठाया था। नामीबिया की स्वतंत्रता की लड़ाई में भारत ने सैन्य प्रशिक्षण और कूटनीतिक सहयोग दिया। नई दिल्ली में 1986 में SWAPO (दक्षिण पश्चिम अफ्रीका पीपल्स ऑर्गेनाइजेशन) का दूतावास खोला गया था।
व्यापार और निवेश में तेजी, खनिजों से बढ़ती दिलचस्पी
भारत और नामीबिया के बीच व्यापार पिछले कुछ वर्षों में तेज़ी से बढ़ा है। 2023 में दोनों देशों के बीच व्यापार 654 मिलियन डॉलर तक पहुंच गया, जिसमें भारत से निर्यात 418 मिलियन डॉलर और आयात 235 मिलियन डॉलर का रहा। नामीबिया दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा यूरेनियम उत्पादक है और इसमें लिथियम, ज़िंक जैसे खनिजों की प्रचुरता है। भारत की ऊर्जा और खनिज ज़रूरतों के लिए नामीबिया अहम भागीदार बनता जा रहा है।
संकट में साथ देने वाला भरोसेमंद साथी
भारत ने हमेशा नामीबिया को संकट के समय मदद दी है। 2017 और 2019 में जब नामीबिया सूखे से जूझ रहा था, तब भारत ने वहां चावल भेजा। कोविड-19 के दौरान भारत ने 30,000 डोज़ कोविशील्ड वैक्सीन की मदद भी की। 2022 में नामीबिया से भारत में चीतों की वापसी के लिए भी दोनों देशों के बीच ऐतिहासिक समझौता हुआ और 8 चीते भारत लाए गए।
अफ्रीका में भारत की बढ़ती भूमिका और भविष्य की योजना
चीन के बाद भारत अफ्रीका का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बन चुका है। 2023 में भारत-अफ्रीका व्यापार 100 अरब डॉलर के आंकड़े को पार कर चुका है। विदेश मंत्रालय के अनुसार, भारत अब तक अफ्रीका में 206 इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट पूरे कर चुका है और 65 प्रोजेक्ट निर्माणाधीन हैं। 1996 से अब तक भारत ने अफ्रीका में 76 अरब डॉलर का निवेश किया है और यह आंकड़ा 2030 तक 150 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है।
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Andhra Pradesh: पहली बार आसमान छूने निकले सरकारी स्कूल के बच्चे, जानिए कैसे बदली किस्मत!

Andhra Pradesh के अनंतपुर जिले के बेलुगुप्पा मंडल की पांच होनहार छात्राओं और विजयनगरम के दो छात्रों को उनकी मेहनत का अनोखा तोहफा मिला। क्लास 10 की बोर्ड परीक्षा में 550 से ज्यादा अंक लाने पर इन सात बच्चों को पहली बार हवाई यात्रा करवाई गई। गरीब परिवारों से ताल्लुक रखने वाले इन छात्रों ने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि वे हवाई जहाज में सफर करेंगे।
शिक्षकों ने अपने खर्चे पर कराया सफर
इस पहल के पीछे दो सरकारी स्कूल शिक्षकों का बड़ा योगदान रहा। मंडल एजुकेशन ऑफिसर मल्ला रेड्डी ने पांच लड़कियों के लिए हैदराबाद से बेंगलुरु की फ्लाइट का खर्च उठाया। वहीं विजयनगरम जिले के शिक्षक मर्दना सत्य राव ने दो छात्रों संगिरेड्डी विवेक और टी. रेवंथ को विजयवाड़ा से विशाखापत्तनम की फ्लाइट में भेजा। ये प्रेरणादायक कदम सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के आत्मविश्वास को नई उड़ान दे रहा है।
बच्चों की आंखों में चमक और दिलों में उम्मीद
छात्रा टी. मधुश्री ने बताया कि उनके परिवार में किसी ने भी कभी कार तक में सफर नहीं किया। हवाई यात्रा तो बहुत दूर की बात थी। लेकिन आज उन्होंने न केवल विमान में बैठा बल्कि आसमान को भी छू लिया। वहीं वाई. ईस्वरी ने कहा कि जब मल्ला रेड्डी सर ने हमसे वादा किया था कि अच्छे अंक लाने पर हमें हवाई यात्रा करवाई जाएगी, तब हमने मन बना लिया कि मेहनत से पीछे नहीं हटेंगे।
अधिकारियों का समर्थन और प्रेरणा
इस प्रेरणादायक पहल में जिला कलेक्टर वी. विनोद कुमार ने भी पूरा समर्थन दिया। मल्ला रेड्डी ने बताया कि अगर सरकारी स्कूलों के शिक्षक और प्रधानाचार्य इस तरह की प्रेरक योजनाएं लाएं तो सरकारी स्कूलों के छात्र भी किसी से कम नहीं होंगे। यह उदाहरण दिखाता है कि यदि सही दिशा और प्रोत्साहन मिले तो कोई भी छात्र ऊंचाइयों को छू सकता है।
मेहनत का फल और उड़ान का एहसास
संगिरेड्डी विवेक ने 593 और टी. रेवंथ ने 591 अंक हासिल किए। ये दोनों छात्र अलग-अलग स्कूलों से थे, लेकिन मेहनत और लगन ने उन्हें एक मंच पर ला दिया। हवाई यात्रा उनके जीवन का एक ऐसा अनुभव बना जिसे वे कभी नहीं भूल पाएंगे। यह पहल अन्य छात्रों को भी प्रेरणा देगी कि कठिन परिश्रम से कुछ भी संभव है।
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Bihar Assembly Elections से पहले वोटर लिस्ट को लेकर घमासान, अब सुप्रीम कोर्ट में होगा फैसला

Bihar Assembly Elections से पहले विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया को लेकर सियासी हलचल तेज हो गई है। चुनाव आयोग ने राज्य में वोटर लिस्ट के गहन पुनरीक्षण का काम शुरू किया है, जिस पर विपक्षी दलों ने कड़ी आपत्ति जताई है। उन्होंने इस प्रक्रिया को लेकर सुप्रीम कोर्ट का रुख भी किया है। वहीं दूसरी ओर, राज्य में वोटर लिस्ट अपडेट करने का काम तेजी से चल रहा है और अब तक करीब 21 प्रतिशत लोगों ने अपने फॉर्म जमा कर दिए हैं।
1.69 करोड़ फॉर्म हुए जमा, 18 दिन बाकी
चुनाव आयोग के ताजा आंकड़ों के अनुसार अब तक 1,69,49,208 फॉर्म भरे और जमा किए जा चुके हैं। यह संख्या बिहार में पंजीकृत कुल 7.90 करोड़ मतदाताओं का लगभग 21.46 प्रतिशत है। सिर्फ शनिवार से रविवार शाम 6 बजे तक 65 लाख से अधिक फॉर्म जमा हुए। अब इस प्रक्रिया के लिए 25 जुलाई तक का समय बचा है और आयोग उम्मीद कर रहा है कि बड़ी संख्या में मतदाता इस अभियान में भाग लेंगे।
वैशाली सबसे आगे, सहरसा सबसे पीछे
राज्य के सभी जिलों में SIR प्रक्रिया जारी है लेकिन इसमें ज़िला-वार हिस्सेदारी में भारी अंतर देखने को मिल रहा है। वैशाली जिला 25.83 प्रतिशत फॉर्म सबमिशन के साथ सबसे आगे है जबकि सहरसा मात्र 6.43 प्रतिशत के साथ सबसे पीछे है। सहरसा के बाद कटीहार, औरंगाबाद, लखीसराय और मधुबनी जैसे जिले भी पीछे हैं। प्रशासन की कोशिश है कि इन जिलों में जागरूकता बढ़ाकर फॉर्म भरवाने की गति तेज की जाए।
घर-घर पहुंच रहे BLO, तस्वीरें भी ले रहे लाइव
मतदाता सूची अपडेट करने के इस अभियान में 77,895 बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) घर-घर जाकर मतदाताओं से संपर्क कर रहे हैं। BLO न सिर्फ फॉर्म भरवाने में मदद कर रहे हैं बल्कि मतदाताओं की तस्वीरें भी लाइव लेकर फॉर्म अपलोड कर रहे हैं ताकि उन्हें अलग से फोटो खिंचवाने की परेशानी न हो। इसके अतिरिक्त 20,603 नए BLO भी तैनात किए जा रहे हैं ताकि यह प्रक्रिया समय पर पूरी हो सके।
कोर्ट में 10 जुलाई को सुनवाई, सियासी दांव-पेंच तेज
इस पूरी प्रक्रिया के खिलाफ TMC सांसद महुआ मोइत्रा, ADR और योगेंद्र यादव समेत कई संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर की हैं। इन सभी याचिकाओं पर 10 जुलाई को सुनवाई होगी। याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि यह प्रक्रिया निष्पक्ष नहीं है और मतदाता सूची में छेड़छाड़ की आशंका है। हालांकि चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि 24 जून 2025 की अधिसूचना के अनुसार ही SIR प्रक्रिया पारदर्शिता से चलाई जा रही है।
देश
EC के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचीं Mahua Moitra, कहा- वोटरों को जानबूझकर बाहर किया जा रहा है

टीएमसी सांसद Mahua Moitra ने चुनाव आयोग के उस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है जिसमें बिहार में विशेष मतदाता सूची पुनरीक्षण की बात कही गई है। महुआ का कहना है कि यह आदेश मनमाना और असंवैधानिक है। उन्होंने मांग की है कि सुप्रीम कोर्ट इस आदेश पर तुरंत रोक लगाए और देश के अन्य राज्यों में भी ऐसा कोई निर्देश न दिया जाए। महुआ का आरोप है कि इस प्रक्रिया के जरिए गरीबों, महिलाओं और प्रवासी मजदूरों को वोट देने के अधिकार से वंचित किया जा सकता है।
निजी जीवन को लेकर भी रहीं सुर्खियों में
हाल ही में महुआ मोइत्रा निजी जीवन को लेकर भी चर्चा में रहीं जब उन्होंने बर्लिन में पूर्व बीजेडी सांसद और वरिष्ठ वकील पिनाकी मिश्रा से विवाह किया। इसके अलावा वह उस समय भी खबरों में रहीं जब टीएमसी के ही वरिष्ठ नेता कल्याण बनर्जी ने उनके ऊपर निजी टिप्पणी की। बनर्जी ने कहा कि महुआ हनीमून से लौटने के बाद उन पर हमला कर रही हैं और उन्होंने “एक परिवार तोड़ने” का आरोप भी लगाया। यह बयान काफी विवादित रहा और पार्टी के भीतर भी हलचल मचा गया।
कौन हैं महुआ मोइत्रा?
महुआ मोइत्रा पश्चिम बंगाल की कृष्णानगर लोकसभा सीट से टीएमसी की सांसद हैं। वह अपने बेबाक और तीखे बयानों के लिए जानी जाती हैं। संसद में उन्होंने कई बार केंद्र सरकार की नीतियों की कड़ी आलोचना की है और जनता से जुड़े मुद्दों को मजबूती से उठाया है। महुआ की राजनीति में सक्रियता और उनकी स्पष्टवादिता ने उन्हें राष्ट्रीय पहचान दिलाई है।
शिक्षा और करियर से राजनीति तक का सफर
महुआ मोइत्रा का जन्म 12 अक्टूबर 1974 को असम के कछार जिले के लाबाक में एक बंगाली हिंदू ब्राह्मण परिवार में हुआ। उन्होंने कोलकाता के गोखले मेमोरियल गर्ल्स स्कूल से शुरुआती शिक्षा प्राप्त की और इसके बाद अमेरिका के मैसाचुसेट्स स्थित माउंट होलीयोके कॉलेज से इकोनॉमिक्स और मैथ्स में स्नातक की डिग्री हासिल की। राजनीति में आने से पहले वह जेपी मॉर्गन चेस जैसे बड़े बैंक में इन्वेस्टमेंट बैंकर थीं और वाइस प्रेसिडेंट तक बनीं।
जनसेवा की चाह ने बदली जिंदगी की दिशा
साल 2009 में अपने कॉलेज रीयूनियन के दौरान महुआ मोइत्रा ने फैसला किया कि अब वह कॉर्पोरेट करियर छोड़कर भारत लौटकर जनसेवा करेंगी। उन्होंने राजनीति में कदम रखा और टीएमसी से जुड़कर लोगों की समस्याओं को उठाने लगीं। आज वह संसद की एक मुखर आवाज हैं और खासकर महिलाओं और अल्पसंख्यकों से जुड़े विषयों पर उनकी बातों को गंभीरता से सुना जाता है।
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