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Mouse Buying Guide 2025: माउस खरीदने से पहले जान लें ये 5 बातें, वरना पछताना पड़ेगा – वायरलेस या वायर्ड?

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Mouse Buying Guide 2025: माउस खरीदने से पहले जान लें ये 5 बातें, वरना पछताना पड़ेगा – वायरलेस या वायर्ड?

Mouse Buying Guide 2025: अगर आप नया माउस खरीदने की सोच रहे हैं तो सबसे पहले यह सवाल आपके मन में जरूर आता होगा कि वायर्ड माउस लें या वायरलेस माउस। दोनों माउस के अपने फायदे और नुकसान होते हैं। किसी को वायरलेस माउस का स्टाइलिश लुक पसंद आता है तो किसी को वायर्ड माउस का तेज रिस्पॉन्स। इस लेख में हम आपको दोनों के फायदे नुकसान बताएंगे और यह भी बताएंगे कि आपके लिए कौन सा माउस बेहतर रहेगा।

 वायर्ड माउस के फायदे और नुकसान क्या हैं

वायर्ड माउस गेमिंग डिजाइनिंग और हेवी टास्क के लिए एकदम परफेक्ट होता है। इसमें किसी तरह का लैग यानी देरी नहीं होती जिससे काम में कोई रुकावट नहीं आती। इस माउस को चार्ज करने या बैटरी बदलने की झंझट भी नहीं होती। यह आमतौर पर वायरलेस माउस से सस्ता भी मिलता है इसलिए यह बजट में भी फिट बैठता है। लेकिन इसका एक बड़ा नुकसान यह है कि इसकी केबल अक्सर टेबल पर उलझ जाती है जिससे मूवमेंट में परेशानी होती है। और अगर आप इसे एक जगह से दूसरी जगह ले जाना चाहें तो केबल संभालना झंझट भरा हो सकता है।

Mouse Buying Guide 2025: माउस खरीदने से पहले जान लें ये 5 बातें, वरना पछताना पड़ेगा – वायरलेस या वायर्ड?

वायरलेस माउस कितना स्मार्ट और कितना झंझट वाला

वायरलेस माउस दिखने में स्टाइलिश होता है और आपके डेस्क पर एक क्लीन लुक देता है। इसे आसानी से बैग में रखकर कहीं भी ले जाया जा सकता है इसलिए ट्रैवलिंग वाले लोगों के लिए यह बढ़िया ऑप्शन है। इसके साथ आप थोड़ी दूरी से भी आराम से काम कर सकते हैं। लेकिन इसकी कुछ कमियां भी हैं जिन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। बैटरी खत्म होने पर यह काम करना बंद कर देता है और बार-बार बैटरी बदलनी या चार्ज करनी पड़ती है। गेमिंग के समय कभी-कभी इसका रिस्पॉन्स स्लो महसूस होता है जिससे खेलने का मजा बिगड़ सकता है। यह माउस वायर्ड माउस से थोड़ा महंगा भी होता है।

किसके लिए कौन सा माउस बेहतर रहेगा

अगर आप एक छात्र हैं या फिर कंप्यूटर पर सिर्फ बेसिक काम करते हैं तो वायर्ड माउस आपके लिए सस्ता और टिकाऊ ऑप्शन हो सकता है। अगर आपका काम प्रेजेंटेशन देना या लगातार यात्रा करना है तो वायरलेस माउस आपको पोर्टेबिलिटी और सुविधा देगा। गेमर्स और ग्राफिक डिजाइनर्स के लिए वायर्ड माउस ज्यादा अच्छा रिस्पॉन्स देता है जिससे उनका काम स्मूद होता है। अगर आप ऑफिस यूजर हैं और चाहते हैं कि आपकी टेबल पर कोई तार न दिखे तो वायरलेस माउस आपके लिए एक स्मार्ट चॉइस हो सकता है।

 निर्णय आपका है सुविधा आपकी प्राथमिकता

अंत में यह कह सकते हैं कि माउस का चुनाव आपके काम और सुविधा पर निर्भर करता है। अगर आप परफॉर्मेंस को महत्व देते हैं तो वायर्ड माउस सही रहेगा। अगर आप स्टाइल और सफाई को महत्व देते हैं तो वायरलेस माउस बेहतर रहेगा। दोनों माउस की कीमत और उपयोगिता को ध्यान में रखकर सही निर्णय लेना ही सबसे समझदारी भरा कदम होगा।

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TikTok: पांच साल बाद TikTok की वापसी के संकेत, वेबसाइट खुली पर ऐप अब भी नदारद

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TikTok: पांच साल बाद TikTok की वापसी के संकेत, वेबसाइट खुली पर ऐप अब भी नदारद

TikTok: चीन का शॉर्ट-वीडियो ऐप TikTok, जिसे भारत सरकार ने 5 साल पहले बैन कर दिया था, एक बार फिर चर्चा का विषय बन गया है। वजह है – कुछ यूजर्स का यह दावा कि वे टिकटॉक की ऑफिशियल वेबसाइट को एक्सेस कर पा रहे हैं। जैसे ही यह खबर फैली, सोशल मीडिया पर टिकटॉक की भारत में वापसी को लेकर अटकलें तेज हो गईं। हालांकि, अब तक न तो गूगल प्ले स्टोर और न ही ऐपल ऐप स्टोर पर टिकटॉक ऐप दिखाई दे रहा है और कंपनी की ओर से भी कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया गया है।

क्या है टिकटॉक वेबसाइट खुलने की पूरी कहानी?

सोशल मीडिया पर कई यूजर्स ने पोस्ट कर बताया कि वे टिकटॉक की वेबसाइट को खोलने में सफल रहे। वहीं, कुछ यूजर्स का कहना था कि उनके लिए वेबसाइट अब भी काम नहीं कर रही। इंडिया टीवी की टीम ने जब वेबसाइट चेक की तो होमपेज तो खुल गया लेकिन अंदर के कई सबपेज काम नहीं कर रहे थे। यानी वेबसाइट भारत में पूरी तरह से सक्रिय नहीं है। बावजूद इसके, आंशिक रूप से वेबसाइट के खुलने की खबर ने टिकटॉक के पुराने फैन्स को उत्साहित कर दिया और ट्विटर, इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म्स पर टिकटॉक वापसी की चर्चा शुरू हो गई।

क्यों लगा था टिकटॉक पर बैन?

जून 2020 में भारत सरकार ने टिकटॉक समेत 59 चीनी ऐप्स पर पाबंदी लगा दी थी। इसमें शेयरइट, कैम स्कैनर, क्लब फैक्ट्री, एमआई वीडियो कॉल जैसे कई लोकप्रिय ऐप्स भी शामिल थे। सरकार का कहना था कि ये ऐप्स राष्ट्रीय सुरक्षा और संप्रभुता के लिए खतरा हैं। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (Meity) ने उस समय बयान जारी करते हुए कहा था कि इन ऐप्स का इस्तेमाल भारत की संप्रभुता, अखंडता, रक्षा और सुरक्षा को नुकसान पहुंचाने वाली गतिविधियों में किया जा रहा है।

TikTok: पांच साल बाद TikTok की वापसी के संकेत, वेबसाइट खुली पर ऐप अब भी नदारद

TikTok: पांच साल बाद TikTok की वापसी के संकेत, वेबसाइट खुली पर ऐप अब भी नदारद

बैन का फैसला ऐसे समय लिया गया था जब भारत और चीन के बीच गलवान घाटी में तनाव चरम पर था। उस घटना में दोनों देशों के सैनिकों के बीच झड़प हुई थी, जिसके बाद सरकार ने डिजिटल स्तर पर भी चीन के खिलाफ सख्त रुख अपनाया।

बदले हालात और भारत-चीन संबंध

पिछले 5 सालों में भारत-चीन संबंधों में धीरे-धीरे बदलाव आया है। सीमा विवाद को सुलझाने के लिए अब तक 24 दौर की बातचीत हो चुकी है और हाल में सकारात्मक प्रगति भी देखने को मिली है। दोनों देशों के बीच सीमा पर तनाव कुछ हद तक कम हुआ है। इसके अलावा, भारत से चीन के लिए उड़ानों की बहाली की घोषणा और वैश्विक राजनीति में बदलाव ने रिश्तों को थोड़ा सहज बनाने का काम किया है।

सूत्रों के मुताबिक, इस महीने के अंत तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात भी हो सकती है। अगर ऐसा होता है तो यह दोनों देशों के रिश्तों में एक नया मोड़ साबित हो सकता है।

क्या टिकटॉक की वापसी मुमकिन है?

टिकटॉक भारत में एक समय बेहद लोकप्रिय ऐप रहा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, बैन से पहले इसके भारत में 20 करोड़ से ज्यादा यूजर्स थे। छोटे शहरों और गांवों में टिकटॉक ने युवाओं को अपनी क्रिएटिविटी दिखाने का मंच दिया था। यही वजह है कि आज भी टिकटॉक का बड़ा फैनबेस भारत में मौजूद है।

हालांकि, फिलहाल टिकटॉक की वापसी की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। अगर ऐप को भारत में दोबारा लॉन्च करना है तो इसके लिए भारत सरकार की मंजूरी अनिवार्य होगी। साथ ही, डेटा सुरक्षा और राष्ट्रीय हित से जुड़े सवालों के जवाब भी कंपनी को देने होंगे।

फिर भी, वेबसाइट के खुलने की खबर ने टिकटॉक फैन्स में नई उम्मीद जगा दी है। सोशल मीडिया पर लोग मीम्स और पोस्ट के जरिए टिकटॉक की संभावित वापसी का जश्न मनाने लगे हैं।

टिकटॉक की वेबसाइट का भारत में खुलना एक संकेत हो सकता है कि कंपनी वापसी की तैयारी कर रही है। हालांकि, जब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आता, इसे केवल अटकल माना जा सकता है। लेकिन इतना तय है कि अगर टिकटॉक दोबारा भारत लौटता है तो यह सोशल मीडिया इंडस्ट्री में बड़ी हलचल मचाने वाला कदम होगा, क्योंकि लाखों लोग आज भी इसके वापसी का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।

 

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Laser Amplifier: लेज़र एम्प्लिफ़ायर की खोज से इंटरनेट होगा 10 गुना तेज़

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Laser Amplifier: लेज़र एम्प्लिफ़ायर की खोज से इंटरनेट होगा 10 गुना तेज़

Laser Amplifier:  तकनीक की दुनिया लगातार बदल रही है और हर दिन कुछ नया सामने आ रहा है। हाल ही में वैज्ञानिकों ने एक ऐसा लेज़र एम्प्लिफ़ायर (Laser Amplifier) विकसित किया है, जो मौजूदा तकनीक से 10 गुना तेज़ी से डेटा ट्रांसमिट करने में सक्षम है। यह खोज सिर्फ़ इंटरनेट की रफ़्तार को ही नहीं बढ़ाएगी, बल्कि चिकित्सा, अनुसंधान और विज्ञान के अन्य क्षेत्रों में भी क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है।

लेज़र एम्प्लिफ़ायर क्या हैं और ये कैसे काम करते हैं?

लेज़र एम्प्लिफ़ायर ऐसी डिवाइस हैं जो प्रकाश किरणों (laser beams) की तीव्रता को कई गुना बढ़ा देते हैं। मौजूदा दूरसंचार (Telecom) नेटवर्क में इंटरनेट सिग्नल्स को ऑप्टिकल फाइबर के ज़रिए ट्रांसफर किया जाता है और इस पूरी प्रक्रिया में लेज़र एम्प्लिफ़ायर अहम भूमिका निभाते हैं।

डेटा ट्रांसमिशन की स्पीड मुख्य रूप से एम्प्लिफ़ायर की बैंडविड्थ पर निर्भर करती है। यानी जितनी ज़्यादा तरंगदैर्घ्य (wavelengths) पर सिग्नल भेजा जा सके, उतनी ही ज़्यादा मात्रा में डेटा एक साथ भेजा जा सकता है।

बढ़ता हुआ डेटा ट्रैफ़िक और चुनौती

आज के डिजिटल युग में स्ट्रीमिंग प्लेटफ़ॉर्म, स्मार्ट डिवाइस और जेनरेटिव AI के इस्तेमाल ने इंटरनेट पर डेटा का दबाव बढ़ा दिया है। Nokia Bell Labs की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2030 तक दुनिया का डेटा ट्रैफ़िक दोगुना हो जाएगा। ऐसे में इंटरनेट नेटवर्क को तेज़ और मज़बूत बनाना बेहद ज़रूरी है।

नई तकनीक: हाई-इफ़िशिएंसी ऑप्टिकल एम्प्लिफ़ायर

शोधकर्ताओं ने अब एक हाई-इफ़िशिएंसी ऑप्टिकल एम्प्लिफ़ायर तैयार किया है जिसकी बैंडविड्थ 300 नैनोमीटर तक है। जबकि मौजूदा सिस्टम्स में यह केवल 30 नैनोमीटर तक सीमित है। इसका मतलब है कि यह नया एम्प्लिफ़ायर मौजूदा तकनीक की तुलना में 10 गुना अधिक डेटा प्रति सेकंड भेज सकता है।

Laser Amplifier: लेज़र एम्प्लिफ़ायर की खोज से इंटरनेट होगा 10 गुना तेज़

Laser Amplifier: लेज़र एम्प्लिफ़ायर की खोज से इंटरनेट होगा 10 गुना तेज़

कैसे काम करता है नया लेज़र एम्प्लिफ़ायर?

यह एम्प्लिफ़ायर सिलिकॉन नाइट्राइड से बनाया गया है, जो उच्च तापमान झेल सकता है। इसकी संरचना में स्पाइरल-शेप्ड वेवगाइड्स का उपयोग किया गया है, जो लेज़र पल्स को सही दिशा में ले जाते हैं और सिग्नल की क्वालिटी को बनाए रखते हैं।

इस डिवाइस की सबसे बड़ी खासियत है कि इसे मिनीaturization (सूक्ष्मीकरण) कर लिया गया है। यानी कई एम्प्लिफ़ायर अब एक छोटे चिप में फिट किए जा सकते हैं। इसमें इस्तेमाल हुई फोर-वेव मिक्सिंग तकनीक (Four-Wave Mixing) विभिन्न ऑप्टिकल फ़्रीक्वेंसी को जोड़कर आउटपुट को मज़बूत बनाती है और सिग्नल के शोर (noise) को कम करती है।

सिर्फ़ इंटरनेट ही नहीं, इन क्षेत्रों में भी क्रांति

हालांकि इंटरनेट की गति बढ़ाना इस तकनीक का सबसे बड़ा फायदा है, लेकिन इसके और भी उपयोग हैं, जैसे:

  • मेडिकल इमेजिंग और डायग्नोसिस – बीमारियों का जल्दी और सटीक पता लगाने में मदद।

  • होलोग्राफ़ी और माइक्रोस्कोपी – वैज्ञानिक शोध और उच्च-स्तरीय विज़ुअल एनालिसिस।

  • स्पेक्ट्रोस्कोपी और विश्लेषण – रसायनिक और अंतरिक्ष संबंधी शोध को आसान बनाना।

शोधकर्ताओं का मानना है कि डिज़ाइन में कुछ बदलाव करके इस तकनीक को दृश्य प्रकाश (400–700 nm) और विस्तृत इन्फ्रारेड (2000–4000 nm) रेंज में भी इस्तेमाल किया जा सकता है। इसका मतलब है कि भविष्य में यह तकनीक चिकित्सा और अंतरिक्ष विज्ञान दोनों क्षेत्रों के लिए अहम साबित होगी।

भविष्य का इंटरनेट और विज्ञान

नई लेज़र एम्प्लिफ़ायर तकनीक इंटरनेट को आज से 10 गुना तेज़ बनाने की क्षमता रखती है। इसका सीधा असर ऑनलाइन स्ट्रीमिंग, क्लाउड सर्विसेज, स्मार्ट डिवाइस और एआई एप्लिकेशंस पर पड़ेगा। साथ ही, इसकी छोटे आकार और किफ़ायती कीमत के कारण इसे आम लोगों तक पहुँचाना भी आसान होगा।

लेज़र एम्प्लिफ़ायर की यह खोज आने वाले वर्षों में इंटरनेट और विज्ञान की दिशा बदल सकती है। तेज़, सस्ता और कुशल इंटरनेट न सिर्फ़ टेक्नोलॉजी को आगे ले जाएगा, बल्कि दुनिया को एक नई डिजिटल क्रांति की ओर भी धकेल देगा।

 इंटरनेट को सुपरफास्ट बनाने के साथ-साथ स्वास्थ्य, अंतरिक्ष और अनुसंधान की दुनिया नई संभावनाओं के दरवाज़े खोल सकती है

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Google Pixel Watch 4 भारत में लॉन्च, स्मार्टवॉच में मिले दमदार फीचर्स, 39,900 रुपये से शुरू

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Google Pixel Watch 4 भारत में लॉन्च, स्मार्टवॉच में मिले दमदार फीचर्स, 39,900 रुपये से शुरू

Made by Google इवेंट में नई स्मार्टवॉच Google Pixel Watch 4 लॉन्च कर दी गई है। यह वॉच दो अलग-अलग साइज़ में उपलब्ध है। भारत में 41mm (Wi-Fi) वेरिएंट की कीमत 39,900 रुपये से शुरू होती है, जबकि 45mm वेरिएंट 43,900 रुपये में उपलब्ध होगा। फिलहाल इस वॉच की उपलब्धता यानी रिलीज़ डेट के बारे में कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है।

 स्मार्टवॉच में दमदार डिस्प्ले और डिजाइन

Pixel Watch 4 में पिछले मॉडल की तरह कर्व्ड डिस्प्ले दिया गया है, लेकिन कंपनी ने बताया कि अब इसके बेज़ल और पीक ब्राइटनेस को और बेहतर बनाया गया है। इसमें Actua 360 Always On Display है जो 3000 निट्स की पीक ब्राइटनेस सपोर्ट करता है। डिस्प्ले की खूबसूरती और क्लियरिटी इसे यूजर्स के लिए बेहद आकर्षक बनाती है।

Google Pixel Watch 4 भारत में लॉन्च, स्मार्टवॉच में मिले दमदार फीचर्स, 39,900 रुपये से शुरू

नया प्रोसेसर और स्मार्ट फीचर्स

इस वॉच में इस बार नया Snapdragon W5 Generation 2 प्रोसेसर दिया गया है। यह पिछले मॉडल के Generation 1 प्रोसेसर का अपग्रेड है। Google के अनुसार, Pixel Watch 4 में Gemini वॉइस असिस्टेंट और Smart Reply सपोर्ट भी मिलेगा। Material 3 Expressive UI पर आधारित यह वॉच यूजर इंटरफेस को और सहज और इंटरेक्टिव बनाता है।

हेल्थ और फिटनेस फीचर्स

Pixel Watch 4 में 40 से ज्यादा एक्सरसाइज मोड दिए गए हैं। यह वॉच रियल-टाइम गाइडेंस के साथ कस्टम रनिंग प्लान बनाने की सुविधा भी देती है। इसके अलावा, इसमें पल्स लॉस डिटेक्शन फीचर भी है जो किसी असामान्य स्थिति में इमरजेंसी कॉन्टैक्ट को सूचित करता है। SpO2, ECG और Breathing Rate Detection जैसे हेल्थ फीचर्स इसे हेल्थ-कॉन्शियस यूजर्स के लिए खास बनाते हैं।

बैटरी और फास्ट चार्जिंग

Pixel Watch 4 की बैटरी लाइफ भी शानदार है। 41mm वेरिएंट एक चार्ज में 30 घंटे और 45mm वेरिएंट 45 घंटे का बैकअप देता है। इसमें डुअल-फ्रीक्वेंसी GPS, Wi-Fi और LTE सपोर्ट भी है। Google ने वॉच के लिए नया फास्ट-चार्जिंग डॉक भी दिया है, जिसमें चार्जिंग पिन साइड में है। कंपनी के अनुसार, वॉच 0 से 50 प्रतिशत केवल 15 मिनट में चार्ज हो जाती है।

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