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Personal Loan चुकाने के बाद NOC लेना है जरूरी, वरना पड़ सकता है भविष्य में झंझट

Personal Loan की हर महीने की किस्त चुकाने के बाद आखिरी EMI कटते ही लोगों को बड़ी राहत मिलती है। लगता है कि अब लोन पूरी तरह से खत्म हो गया। लेकिन सावधान! अगर आपने सोचा कि अब आप पूरी तरह लोन से मुक्त हो गए हैं, तो यह सोच जल्दबाजी होगी। वास्तव में आखिरी EMI चुकाने के बाद भी एक महत्वपूर्ण काम बचा होता है, जिसे नजरअंदाज करने पर भविष्य में परेशानी हो सकती है।
नो ड्यूज सर्टिफिकेट (NOC) क्या है
नो ड्यूज सर्टिफिकेट यानी NOC एक आधिकारिक पत्र होता है, जो बैंक या वित्तीय संस्था की तरफ से दिया जाता है। इसमें स्पष्ट लिखा होता है कि आपने पूरा लोन चुका दिया है और अब कोई राशि बकाया नहीं है। यह प्रमाण देता है कि आपने न केवल मूल राशि बल्कि उस पर लगने वाले ब्याज और अन्य शुल्क भी चुका दिए हैं। जैसे ही यह सर्टिफिकेट मिल जाता है, बैंक आपके लोन को बंद मान लेता है।
NOC क्यों है महत्वपूर्ण
कई लोग सोचते हैं कि आखिरी EMI चुकाने के बाद उनका काम खत्म हो गया। लेकिन अगर आपने NOC नहीं लिया, तो भविष्य में आपको कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। मान लीजिए आपने लोन चुका दिया, लेकिन बैंक के रिकॉर्ड में कोई तकनीकी गलती रह गई और बाद में बैंक कह दे कि कुछ राशि अभी भी बाकी है। ऐसे में NOC ही एकमात्र प्रमाण होगा कि आपने सब कुछ चुका दिया है।
क्रेडिट स्कोर पर भी असर
NOC लेने से आपका क्रेडिट स्कोर भी मजबूत होता है। जब क्रेडिट ब्यूरो को पता चलता है कि आपने समय पर पूरा लोन चुका दिया, तो आपकी वित्तीय विश्वसनीयता बढ़ जाती है। इससे भविष्य में नया लोन या क्रेडिट कार्ड लेना आसान हो जाता है। अक्सर बैंक खुद ही आखिरी EMI के बाद यह सर्टिफिकेट भेज देते हैं, लेकिन अगर 2-3 हफ्तों में NOC न मिले, तो खुद बैंक जाएं या ऑनलाइन नेटबैंकिंग के माध्यम से मांगें।
तुरंत करें NOC की मांग
NOC लेना सिर्फ एक औपचारिकता नहीं बल्कि भविष्य की सुरक्षा है। यह प्रमाण है कि आपने लोन पूरी तरह चुका दिया और किसी प्रकार की बकाया राशि नहीं है। इसलिए, आखिरी EMI कटने के बाद तुरंत NOC लेने की प्रक्रिया शुरू करें। यह कदम न केवल कानूनी रूप से जरूरी है बल्कि आपकी वित्तीय सुरक्षा और क्रेडिट स्कोर को भी बेहतर बनाता है।
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Tax Collection: कॉर्पोरेट टैक्स में इजाफा और रिफंड में गिरावट से बढ़ी सरकार की आमदनी, ₹5.02 लाख करोड़ हुई कलेक्शन

Tax Collection: वित्त वर्ष 2025-26 में 12 अक्टूबर तक नेट डायरेक्ट टैक्स संग्रह 6.33 प्रतिशत बढ़कर ₹11.89 लाख करोड़ से अधिक हो गया है. इस वृद्धि का मुख्य कारण कॉरपोरेट टैक्स संग्रह में इजाफा और रिफंड में कमी रही. इस दौरान अप्रैल 1 से 12 अक्टूबर तक जारी रिफंड 16 प्रतिशत घटकर ₹2.03 लाख करोड़ रहे.
कॉरपोरेट टैक्स में मजबूती
कॉरपोरेट टैक्स संग्रह इस वित्त वर्ष में अप्रैल 1 से अक्टूबर 12 तक लगभग ₹5.02 लाख करोड़ रहा, जो पिछले साल इसी अवधि में ₹4.92 लाख करोड़ था. इससे स्पष्ट होता है कि बड़ी कंपनियों का कर भुगतान नियमित रूप से बढ़ रहा है और सरकार को राजस्व संग्रह में स्थिरता मिल रही है.
गैर-कॉरपोरेट टैक्स और STT में वृद्धि
सिर्फ कॉरपोरेट टैक्स ही नहीं, गैर-कॉरपोरेट टैक्स संग्रह और सिक्योरिटीज ट्रांजेक्शन टैक्स (STT) संग्रह में भी वृद्धि दर्ज की गई. गैर-कॉरपोरेट टैक्स संग्रह इस दौरान लगभग ₹6.56 लाख करोड़ रहा, जबकि पिछले साल यह ₹5.94 लाख करोड़ था. वहीं, STT संग्रह भी बढ़कर ₹30,878 करोड़ हुआ, जो पिछले साल ₹30,630 करोड़ था.
सरकारी लक्ष्य: ₹25.20 लाख करोड़
वर्तमान वित्त वर्ष के लिए सरकार ने डायरेक्ट टैक्स संग्रह का लक्ष्य ₹25.20 लाख करोड़ रखा है, जो सालाना आधार पर 12.7 प्रतिशत अधिक है. 12 अक्टूबर तक सकल डायरेक्ट टैक्स संग्रह, रिफंड की कटौती से पहले, ₹13.92 लाख करोड़ से अधिक रहा, जो पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में 2.36 प्रतिशत अधिक है. सरकार की यह रणनीति कर संग्रह बढ़ाकर वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने की दिशा में अहम कदम है.
आगे की राह और अनुमान
अब तक के आंकड़े यह संकेत देते हैं कि सरकार वित्त वर्ष के अंत तक डायरेक्ट टैक्स संग्रह के लक्ष्य के करीब पहुंच सकती है. कॉरपोरेट और व्यक्तिगत आयकर में लगातार वृद्धि और रिफंड में नियंत्रण सरकार की राजस्व नीतियों की सफलता को दर्शाता है. यदि यह प्रवृत्ति बनी रहती है, तो 2025-26 में कर संग्रह का लक्ष्य आसानी से हासिल हो सकता है.
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सोने-चांदी की कीमतों में तेज उछाल, दिल्ली-मुंबई-कॉलकाता में ग्रैमीमीटर पर रिकॉर्ड दाम, निवेशकों में हड़कंप

सोने-चांदी के दामों में सोमवार, 13 अक्टूबर को अचानक तेजी देखी गई, जिसने बाजार में हलचल मचा दी। मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर दोनों की कीमतें बढ़ीं। MCX की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, दिसंबर डिलीवरी के लिए सोने की कीमत 1.56 प्रतिशत बढ़कर ₹1,23,298 प्रति 10 ग्राम हो गई। इसी तरह, चाँदी की कीमत भी 3.67 प्रतिशत बढ़कर ₹1,51,839 प्रति किलोग्राम पहुंच गई। विशेषज्ञ इस तेजी पर नज़र बनाए हुए हैं और इसे आर्थिक अस्थिरता का संकेत भी मान रहे हैं।
मेट्रो शहरों में आज का सोना
दिल्ली में 24 कैरेट सोने की कीमत ₹12,555 प्रति ग्राम, 22 कैरेट सोना ₹11,510 और 18 कैरेट सोना ₹9,420 प्रति ग्राम रही। मुंबई में 24 कैरेट सोने की कीमत ₹12,540, 22 कैरेट ₹11,495 और 18 कैरेट ₹9,405 रही। कोलकाता और बेंगलुरु में भी 24 कैरेट सोने का भाव ₹12,540, 22 कैरेट ₹11,495 और 18 कैरेट ₹9,405 प्रति ग्राम था। चेन्नई में 24 कैरेट सोना ₹12,573, 22 कैरेट ₹11,525 और 18 कैरेट ₹9,525 प्रति ग्राम रहा।
चाँदी की कीमतों में भी उछाल
सोने के साथ-साथ चाँदी की कीमतों में भी जबरदस्त वृद्धि देखी गई। पिछले सत्र की तुलना में चाँदी की कीमत 3.67 प्रतिशत बढ़ी और यह ₹1,51,839 प्रति किलोग्राम तक पहुँच गई। निवेशक और व्यापारी इसे सुरक्षित निवेश के रूप में देख रहे हैं। वैश्विक बाजार में भी चाँदी और सोने की मांग में वृद्धि हुई है, जिससे कीमतों में यह तेजी आई है।
वैश्विक बाजार में सोने का रिकार्ड
ग्लोबल मार्केट में भी सोने ने रिकॉर्ड तोड़ते हुए $4,070 प्रति औंस का स्तर छू लिया। अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक तनाव तथा आर्थिक अनिश्चितता के कारण सुरक्षित निवेश की मांग बढ़ी। राष्ट्रपति ट्रंप ने शुक्रवार को चेतावनी दी कि वे चीन से आने वाले निर्यात पर 100 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क और महत्वपूर्ण सॉफ़्टवेयर पर नए नियंत्रण लगा सकते हैं, जिससे वैश्विक बाजार में सोने की कीमत बढ़ी।
निवेशकों के लिए संकेत
विशेषज्ञों का कहना है कि सोने और चाँदी की कीमतों में यह तेजी आर्थिक अस्थिरता और वैश्विक तनाव का संकेत है। निवेशकों को इस समय अपने निवेश पर ध्यान देना चाहिए। तेजी का यह दौर शायद निवेशकों को सुरक्षित विकल्प की ओर खींचे। मेट्रो शहरों और MCX दोनों जगह कीमतों में उछाल से यह स्पष्ट होता है कि सोने और चाँदी की मांग भविष्य में भी बनी रहेगी।
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चीन ने दिया सख्त संदेश, 100 प्रतिशत अमेरिकी टैरिफ की धमकी के बावजूद नहीं झुके, कड़ा रुख अपनाया

रविवार को चीन ने संकेत दिया कि वह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा 100 प्रतिशत टैरिफ की धमकी के बावजूद पीछे नहीं हटेगा। चीन ने अमेरिका से आग्रह किया कि वे मतभेदों को धमकियों के बजाय संवाद के जरिए सुलझाएं। चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने एक ऑनलाइन बयान में कहा, “चीन की स्थिति स्पष्ट है। हम टैरिफ युद्ध नहीं चाहते, लेकिन अगर ऐसा हुआ तो हम डरेंगे नहीं।” यह बयान ट्रंप के 1 नवंबर से अतिरिक्त 100 प्रतिशत टैरिफ की घोषणा के दो दिन बाद आया।
द्विपक्षीय संबंधों पर असर
इस विकास से ट्रंप और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच संभावित बैठक खतरे में पड़ सकती है और टैरिफ युद्ध पर पहले से तय समझौता भी प्रभावित हो सकता है। अप्रैल में दोनों पक्षों के नए टैरिफ ने अस्थायी रूप से 100 प्रतिशत की सीमा पार कर दी थी। ट्रंप ने इस साल कई व्यापारिक भागीदारों के आयात पर टैरिफ बढ़ाए ताकि टैरिफ में कमी के बदले में चीन से रियायतें प्राप्त कर सकें। चीन उन कुछ देशों में से एक है जिसने अपनी आर्थिक ताकत पर पीछे नहीं हटा।
चीन की आर्थिक शक्ति के सामने अमेरिका
चीन ने अमेरिका के सामने अपनी आर्थिक शक्ति दिखाते हुए संकेत दिया कि वह दबाव में नहीं आएगा। चीन के नए नियमों ने दुर्लभ पृथ्वी तत्वों के निर्यात पर प्रतिबंध लगाए हैं, जो कई उपभोक्ता और सैन्य उत्पादों में अहम भूमिका निभाते हैं। अमेरिका ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए 100 प्रतिशत टैरिफ की धमकी दी थी। चीन की प्रतिक्रिया ने यह साफ कर दिया कि वह अपने हितों की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाने से नहीं हिचकेगा।
भारी टैरिफ की धमकी समाधान का रास्ता नहीं
चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने कहा, “बार-बार भारी टैरिफ लगाने की धमकी देना चीन से संवाद करने का सही तरीका नहीं है।” यह बयान एक अनाम प्रवक्ता द्वारा मीडिया से सवालों के जवाब में जारी किया गया। चीन ने जोर देकर कहा कि किसी भी चिंता का समाधान संवाद के जरिए होना चाहिए। मंत्रालय ने स्पष्ट किया, “यदि अमेरिकी पक्ष अपनी जिद और नीति पर कायम रहता है, तो चीन अपने वैध अधिकारों और हितों की रक्षा के लिए दृढ़ उपाय करेगा।”
वैश्विक अर्थव्यवस्था और निवेशकों के लिए संकेत
इस टैरिफ युद्ध की नवीनीकरण की संभावना वैश्विक अर्थव्यवस्था और निवेशकों के लिए चिंता का विषय है। चीन और अमेरिका दोनों के बीच बढ़ते तनाव से वैश्विक व्यापार, स्टॉक मार्केट और मुद्रा बाजार प्रभावित हो सकते हैं। निवेशक इस मुद्दे पर नजर रख रहे हैं कि दोनों देश संवाद के जरिए समाधान निकालते हैं या टैरिफ युद्ध और लंबा खिंचता है। यह स्थिति अंतरराष्ट्रीय व्यापार और आर्थिक संतुलन के लिए निर्णायक साबित हो सकती है।
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