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Iran-Israel War: युद्ध की लहरें अब व्यापार पर! ईरान-इजराइल टकराव से भारत का बाजार डगमगाया
Iran-Israel War: इस वक्त जब ईरान और इजराइल के बीच युद्ध चल रहा है तो भारत भी इससे अछूता नहीं रह सकता। क्योंकि दोनों देश भारत के अहम व्यापारिक साझेदार हैं। भारत सरकार का वाणिज्य मंत्रालय इस मुद्दे को गंभीरता से ले रहा है। शुक्रवार को एक अहम बैठक बुलाई गई है जिसमें युद्ध का भारत के विदेशी व्यापार पर क्या असर पड़ेगा इस पर चर्चा होगी। इसमें शिपिंग कंपनियों, एक्सपोर्टर्स, कंटेनर ऑपरेटर्स और अलग-अलग विभागों के अधिकारी शामिल होंगे।
एक्सपोर्टर्स की बढ़ी चिंता
भारतीय निर्यातकों की चिंता बढ़ गई है। उनका कहना है कि अगर यह युद्ध और बढ़ता है तो ग्लोबल व्यापार प्रभावित होगा और एयर व सी फ्रेट रेट्स में तेजी आएगी। खासतौर पर स्ट्रेट ऑफ हॉर्मुज और रेड सी से गुजरने वाले कॉमर्शियल जहाजों की आवाजाही पर असर पड़ सकता है। यह वही रास्ता है जिससे भारत करीब दो-तिहाई कच्चा तेल और आधे से ज्यादा एलएनजी आयात करता है। इस संकरी जलधारा को ईरान बंद करने की धमकी दे चुका है।

भारत के लिए सबसे अहम समुद्री रास्ते पर संकट
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (GTRI) का कहना है कि अगर यहां किसी भी तरह की सैन्य कार्रवाई होती है या रास्ता बंद होता है तो भारत में महंगाई बढ़ेगी। तेल की कीमतें, शिपिंग कॉस्ट और बीमा प्रीमियम में उछाल आएगा जिससे रुपया कमजोर होगा और सरकार की वित्तीय योजना पर दबाव बढ़ेगा। वहीं इजराइल द्वारा यमन के हूती ठिकानों पर किए गए हमलों से रेड सी में पहले से ही तनाव बढ़ गया है।
रेड सी से होता है भारत का बड़ा व्यापार
भारत और यूरोप के बीच होने वाला 80 प्रतिशत मर्चेंडाइज ट्रेड रेड सी से होकर गुजरता है। अमेरिका के साथ भी बड़ा व्यापार इसी रास्ते से होता है। इन दोनों क्षेत्रों में भारत के कुल निर्यात का 34 प्रतिशत हिस्सा जाता है। रेड सी से दुनिया के 30 प्रतिशत कंटेनर ट्रैफिक और 12 प्रतिशत वैश्विक व्यापार होता है। इससे इस क्षेत्र की अहमियत समझी जा सकती है। हूती हमलों के कारण 2023 में रेड सी से व्यापार लगभग रुक गया था।
भारत-ईरान और भारत-इजराइल व्यापार की स्थिति
2023-24 में भारत ने इजराइल को 4.5 अरब डॉलर का निर्यात किया था जो अब घटकर 2.1 अरब डॉलर रह गया है। वहीं इजराइल से आयात भी 2 अरब डॉलर से घटकर 1.6 अरब डॉलर रह गया है। ईरान को भारत का निर्यात पिछले दो वर्षों में 1.4 अरब डॉलर पर स्थिर रहा है लेकिन आयात 625 मिलियन डॉलर से घटकर 441 मिलियन डॉलर हो गया है। इस बीच ट्रेड वॉर और वैश्विक आर्थिक दबाव से पहले ही व्यापार पर असर है। WTO का कहना है कि 2025 में वैश्विक व्यापार 0.2 प्रतिशत घट सकता है लेकिन भारत ने 2024-25 में 6 प्रतिशत की बढ़त के साथ 825 अरब डॉलर का निर्यात किया है।
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Cipla ने Eli Lilly के साथ किया बड़ा समझौता, भारत में टाइप 2 डायबिटीज और वजन घटाने की दवा लॉन्च
भारत की दिग्गज फार्मास्यूटिकल कंपनी Cipla ने हाल ही में वजन घटाने और टाइप 2 डायबिटीज़ की दवा को मार्केट में लॉन्च करने का बड़ा कदम उठाया है। इसके लिए Cipla ने Eli Lilly and Company (India) के साथ एक प्रमुख समझौता किया है। इस समझौते के तहत Cipla अब देश में इन दोनों दवाओं के वितरण और प्रचार की जिम्मेदारी संभालेगी। इस कदम से Cipla का उद्देश्य इन दवाओं को बड़े पैमाने पर उपलब्ध कराना है।
समझौते की खास बातें
Cipla और Eli Lilly ने टाइप 2 डायबिटीज़ और क्रॉनिक वेट मैनेजमेंट दवा Tirzepatide के वितरण और प्रचार के लिए समझौता किया है। इस दवा का भारत में नया ब्रांड नाम “Eurpic” रखा गया है। Eli Lilly ने Tirzepatide को मार्च 2025 में पहले ही “Monjaro” के ब्रांड नाम से भारत में पेश किया था। Cipla अब Eurpic के जरिए इस दवा को उन शहरों तक भी पहुंचाएगी, जहां Lilly की पहले से मौजूद मौजूदगी नहीं है।

दवा की कीमत और उपलब्धता
समझौते के अनुसार, Lilly दवा का निर्माण और Cipla को आपूर्ति करेगी। Eurpic की कीमत Monjaro के समान रखी जाएगी। Lilly India के प्रेसीडेंट Winslow Tucker ने कहा कि Cipla के साथ इस व्यावसायिक समझौते के जरिए Tirzepatide के दूसरे ब्रांड को लॉन्च करना, क्रॉनिक बीमारियों के इलाज में नए विकल्पों को और लोगों तक पहुँचाने का प्रयास है। भारत में डायबिटीज़ और मोटापे की बढ़ती समस्या को देखते हुए यह कदम महत्वपूर्ण है।
Cipla के शेयरों में गिरावट
समझौते की खबर के बाद Cipla के शेयरों में गिरावट देखने को मिली। बीएसई डेटा के अनुसार, शुक्रवार को Cipla के शेयर 3.35 प्रतिशत गिरकर ₹1,590 पर बंद हुए। ट्रेडिंग सत्र की शुरुआत में कंपनी के शेयर ₹1,639.95 पर खुले थे। सुबह 10:15 बजे शेयर ₹1,598 पर ट्रेड कर रहे थे, जो 2.87 प्रतिशत की गिरावट दर्शाता है। इससे निवेशकों में हल्की चिंता देखने को मिली।
Cipla और Eli Lilly का भविष्य
यह समझौता Cipla और Eli Lilly दोनों के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है। Cipla के लिए यह दवा वितरण और प्रचार के नए अवसर खोलता है, जबकि Lilly को अपने ब्रांड Tirzepatide को और व्यापक स्तर पर भारत में फैलाने का मौका मिलता है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस कदम से लंबी अवधि में मरीजों को बेहतर पहुंच और उपचार विकल्प मिलेंगे, और बाजार में प्रतिस्पर्धा भी बढ़ेगी।
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UDAN योजना 2027 के बाद भी जारी, 649 एयर रूट्स और 93 नए एयरपोर्ट्स से देशभर में बढ़ेगी कनेक्टिविटी
केंद्रीय सरकार ने मंगलवार को कहा कि क्षेत्रीय हवाई संपर्क योजना ‘UDAN’ अप्रैल 2027 के बाद भी जारी रहेगी। इस योजना ने पिछले नौ सालों में देश के 93 अव्यवस्थित और अधूरे हवाई अड्डों को जोड़ते हुए 649 हवाई मार्गों को संचालित किया। ‘UDAN’ योजना की शुरुआत 21 अक्टूबर 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने की थी। योजना के तहत पहली उड़ान 27 अप्रैल 2017 को शिमला और दिल्ली के बीच संचालित की गई थी।
यात्रियों की बढ़ती संख्या और VGF सहायता
सिविल एविएशन मंत्रालय ने बताया कि UDAN योजना के तहत अब तक 3.23 लाख उड़ानों में 1.56 करोड़ से अधिक यात्रियों ने यात्रा की है। योजना के तहत एयरलाइंस को 4,300 करोड़ रुपये से अधिक का Viability Gap Fund (VGF) प्रदान किया गया। इसके अलावा, हवाई अड्डों के विकास के लिए 4,638 करोड़ रुपये का निवेश किया गया। सिविल एविएशन सचिव समीर कुमार सिन्हा ने कहा कि योजना 2027 के बाद भी जारी रहेगी और इसका मुख्य ध्यान पहाड़ी, पूर्वोत्तर और आकांक्षी क्षेत्रों से जोड़ने पर रहेगा।

नई उड़ानें और गंतव्यों का विकास
योजना के तहत लगभग 120 नए गंतव्यों का विकास किया जाएगा। इससे देश के अलग-अलग क्षेत्रों में हवाई संपर्क मजबूत होगा। इससे ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में लोगों को हवाई यात्रा की सुविधा मिलेगी और व्यवसायिक तथा पर्यटन संबंधी गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा। UDAN योजना ने छोटे और मध्यम एयरलाइंस के विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
बिहार में नए हवाई अड्डों का निर्माण
UDAN योजना के अंतर्गत बिहार में मधुबनी, बीरपुर, मुंगेर, वाल्मीकि नगर, मुजफ्फरपुर और सारण में नए हवाई अड्डों का विकास किया जाएगा। इन हवाई अड्डों के निर्माण के लिए कुल 150 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, जिसमें प्रत्येक हवाई अड्डे के लिए 25 करोड़ रुपये दिए गए हैं। एयरलाइन Spirit Air ने बिहार में UDAN के तहत अपनी उड़ान योजना की घोषणा की है और नए हवाई अड्डों से सेवाएं चरणबद्ध रूप में शुरू करने जा रही है।
छोटी एयरलाइंस के लिए अवसर और भविष्य की संभावनाएं
UDAN योजना छोटे एयरलाइंस के लिए अवसरों को बढ़ावा दे रही है। इससे क्षेत्रीय कनेक्टिविटी मजबूत होगी और छोटे एयरलाइंस अपने नेटवर्क का विस्तार कर सकेंगी। नई उड़ानों और हवाई अड्डों से रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। योजना का उद्देश्य देश के दूरदराज के क्षेत्रों को मुख्यधारा में जोड़ना और हर नागरिक को सुलभ हवाई यात्रा की सुविधा प्रदान करना है।
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चीन ने भारत के PLI और EV स्कीमों पर WTO में शिकायत दर्ज कर दी, व्यापार नियमों का हवाला दिया
चीन ने भारत के तीन कार्यक्रमों को लेकर विश्व व्यापार संगठन (WTO) में शिकायत दर्ज कराई है। चीन का आरोप है कि भारत की PLI योजना, उन्नत केमिस्ट्री सेल बैटरी उत्पादन, मोटर वाहन उत्पादन और इलेक्ट्रिक वाहन निर्माण को बढ़ावा देने वाली नीतियां वैश्विक व्यापार नियमों का उल्लंघन करती हैं। जेनेवा स्थित WTO से प्राप्त पत्र के अनुसार, चीन ने भारत से इन उपायों पर परामर्श की मांग की है। चीन का कहना है कि भारत की नीतियां घरेलू उत्पादों के पक्ष में हैं और चीनी उत्पादों के खिलाफ भेदभाव करती हैं।
विवादित भारतीय योजनाएं
चीन ने अपनी शिकायत में तीन प्रमुख भारतीय योजनाओं का उल्लेख किया है। इनमें उत्पादन-आधारित प्रोत्साहन योजना (Production-Based Incentive Scheme), उन्नत केमिस्ट्री सेल बैटरी स्टोरेज राष्ट्रीय कार्यक्रम (ACC Battery Storage), ऑटोमोटिव और घटक उद्योगों के लिए उत्पादन-आधारित प्रोत्साहन योजना और इलेक्ट्रिक पैसेंजर कार निर्माण को बढ़ावा देने की योजना शामिल हैं। चीन का कहना है कि ये उपाय SCM, GATT 1994 और TRIM समझौतों के तहत भारत की जिम्मेदारियों के अनुरूप नहीं हैं।

WTO में परामर्श प्रक्रिया
भारत और चीन दोनों WTO के सदस्य हैं। यदि किसी सदस्य देश को लगता है कि दूसरे सदस्य देश की नीति या योजना किसी वस्तु के उसके निर्यात को नुकसान पहुंचा रही है, तो वह WTO के विवाद निवारण तंत्र के तहत शिकायत दर्ज कर सकता है। WTO नियमों के अनुसार, परामर्श प्रक्रिया विवाद समाधान का पहला चरण होती है। यदि भारत के साथ परामर्श से संतोषजनक समाधान नहीं निकलता, तो WTO से समिति गठित करने का अनुरोध किया जा सकता है।
भारत-चीन व्यापार संतुलन
चीन, भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है। वित्त वर्ष 2024-25 में भारत के चीन को निर्यात में 14.5 प्रतिशत की गिरावट आई और यह 16.66 अरब डॉलर से घटकर 14.25 अरब डॉलर हो गया। वहीं, आयात में 11.52 प्रतिशत की वृद्धि हुई और यह 101.73 अरब डॉलर से बढ़कर 113.45 अरब डॉलर हो गया। इस वजह से भारत का चीन के साथ व्यापार घाटा 99.2 अरब डॉलर तक पहुँच गया।
आगे की संभावनाएं और प्रभाव
यदि WTO में भारत और चीन के बीच परामर्श सफल नहीं होते, तो यह मामला लंबे समय तक विवादित रह सकता है। भारतीय उद्योगों को संभावित प्रोत्साहनों में बदलाव का सामना करना पड़ सकता है, जबकि चीन अपनी निर्यात नीतियों की रक्षा करना चाहेगा। विशेषज्ञों का कहना है कि यह विवाद वैश्विक व्यापार नियमों और दो देशों के आर्थिक रिश्तों पर गंभीर असर डाल सकता है।
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