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India’s GDP Growth: ट्रंप टेंशन के बीच भी भारतीय अर्थव्यवस्था का 7.7 प्रतिशत से जबरदस्त उछाल

India’s GDP Growth: देश की अर्थव्यवस्था ने चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में शानदार प्रदर्शन किया है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल-जून 2025 की तिमाही में भारत की सकल घरेलू उत्पाद (GDP) वृद्धि दर 7.8 प्रतिशत दर्ज की गई, जो विशेषज्ञों के अनुमान से काफी अधिक है। शुरुआती अनुमान यह लगाया गया था कि पहली तिमाही के दौरान जीडीपी केवल 6.7 प्रतिशत रह सकती है। यदि पिछले साल की तुलना करें, तो वित्त वर्ष 2024-25 में जीडीपी वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत थी। इसके अलावा, पिछले वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में यह बढ़कर 7.4 प्रतिशत तक पहुंच गई थी।
तेज वृद्धि का कारण
विशेषज्ञों का कहना है कि इस शानदार वृद्धि के पीछे कई कारण हैं। सबसे महत्वपूर्ण कारण सरकार द्वारा किए गए खर्च में इजाफा और सेवा क्षेत्र में तेजी है। इसके अलावा, कृषि क्षेत्र में बढ़त भी इस वृद्धि का अहम कारण रही है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, कृषि क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन होने से जीडीपी में तेज वृद्धि दर्ज की गई। भारत इस समय दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना हुआ है। वहीं, अप्रैल-जून में चीन की GDP वृद्धि दर 5.2 प्रतिशत रही, जो भारत की तुलना में काफी कम है।
विनिर्माण और कृषि क्षेत्र की भूमिका
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) के आंकड़ों के अनुसार, कृषि क्षेत्र ने इस तिमाही में 3.7 प्रतिशत की वृद्धि दर दिखाई है। यह पिछले वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में 1.5 प्रतिशत से काफी अधिक है। कृषि क्षेत्र में यह सुधार उत्पादन और निवेश बढ़ने का संकेत देता है।

India’s GDP Growth: ट्रंप टेंशन के बीच भी भारतीय अर्थव्यवस्था का 7.7 प्रतिशत से जबरदस्त उछाल
वहीं विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर भी मामूली रूप से बढ़कर 7.7 प्रतिशत हो गई है, जबकि पिछले साल इसी तिमाही में यह 7.6 प्रतिशत थी। विनिर्माण क्षेत्र की स्थिर वृद्धि रोजगार और निवेश के अवसर बढ़ाने में मदद कर रही है। इन आंकड़ों से साफ दिखाई देता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था समान रूप से कृषि और उद्योग क्षेत्रों में प्रगति कर रही है।
वैश्विक टैरिफ टेंशन के बीच राहत
हालांकि, वैश्विक स्तर पर भारत को चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। अमेरिका की ओर से भारत पर 50 प्रतिशत का भारी टैरिफ लगाया गया है, जिसने भारतीय निर्यातकों के लिए नई चुनौतियां पैदा की हैं। इस स्थिति में घरेलू अर्थव्यवस्था की यह तेज वृद्धि सरकार के लिए एक राहत की खबर साबित हुई है। यह आंकड़े दिखाते हैं कि भारत की अर्थव्यवस्था स्थिर और मजबूत बनी हुई है और घरेलू उत्पादन तथा कृषि में सुधार से वैश्विक चुनौतियों का सामना करना आसान होगा।
आगे की रणनीति
अब सरकार के सामने चुनौती यह है कि टैरिफ टेंशन के प्रभाव को कम करने के लिए रणनीतिक कदम उठाए जाएं। इसके लिए नई नीतियों, निवेश और निर्यात प्रोत्साहन योजना की आवश्यकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस जीडीपी वृद्धि से यह साफ संकेत मिलता है कि भारत की अर्थव्यवस्था वैश्विक दबाव के बावजूद मजबूत आधार पर खड़ी है।
भारत की जीडीपी वृद्धि दर 7.8 प्रतिशत तक पहुंचने से यह साबित होता है कि देश की आर्थिक नींव मजबूत है। कृषि, विनिर्माण और सेवा क्षेत्र में तेजी ने देश की अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों तक पहुँचाया है। हालांकि, वैश्विक टैरिफ और अन्य चुनौतियों को देखते हुए सरकार को सतर्क और रणनी
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Gift Nifty खुला कमजोरी के साथ! GST काउंसिल की बैठक से जुड़े अपडेट से स्टॉक मार्केट में हो सकता बड़ा बदलाव

आज सुबह 7:30 बजे के आसपास, गिफ्ट निफ्टी 26.50 अंक यानी 0.11 प्रतिशत की गिरावट के साथ 24,639.50 पर कारोबार कर रहा था। इस गिरावट की वजह से शेयर बाजार की शुरुआत कमजोर रहने की संभावना है। निवेशकों की नजर आज से शुरू हो रहे 56वें जीएसटी काउंसिल की बैठक पर होगी। जीएसटी काउंसिल से जुड़ी कोई भी खबर सीधे तौर पर शेयर बाजार पर असर डाल सकती है, इसलिए निवेशक इसे बड़ी उत्सुकता के साथ देख रहे हैं।
जीएसटी स्लैब में बदलाव और शेयर बाजार पर प्रभाव
विशेषज्ञों के अनुसार, जीएसटी काउंसिल स्लैब में बदलाव कर सकती है। इसके तहत 12 प्रतिशत और 28 प्रतिशत जीएसटी स्लैब को पूरी तरह खत्म किया जा सकता है। इससे 12 प्रतिशत वाले अधिकांश उत्पाद और सेवाएँ 5 प्रतिशत स्लैब में आ सकती हैं और 28 प्रतिशत वाले उत्पाद और सेवाएँ 18 प्रतिशत स्लैब में शामिल हो सकती हैं। अगर ऐसा होता है तो इसका सकारात्मक असर शेयर बाजार पर पड़ेगा और लिस्टेड कंपनियों के शेयरों की कीमतों में मजबूती आएगी।
जीएसटी बदलाव से उत्पादों की कीमतों में गिरावट और मांग बढ़ेगी
विशेषज्ञों का कहना है कि जीएसटी स्लैब में बदलाव होने पर कई चीजें सस्ती हो जाएंगी। इसमें कार, बाइक, एसी, फ्रिज जैसी वस्तुएँ शामिल हैं, साथ ही घी, पनीर और मिल्क पाउडर जैसी रोजमर्रा की चीजें भी सस्ती होंगी। कीमतें कम होने से मांग बढ़ेगी, जिससे कंपनियों की बिक्री और मुनाफा बढ़ेगा। परिणामस्वरूप, निवेशकों का भरोसा बढ़ेगा और शेयर बाजार में तेजी देखने को मिल सकती है।
वैश्विक बाजार की धीमी चाल और तकनीकी स्थिति
एशियाई बाजारों में भी मंदी रही। जापान का निक्की 46.7 अंक गिरकर 42,263.80 पर बंद हुआ। चीन का SSE कंपोजिट इंडेक्स 20 अंक गिरकर 3,838.08 पर रहा। हांगकांग का हांग सेंग इंडेक्स 21.5 अंक बढ़कर 25,518.07 पर और दक्षिण कोरिया का कोस्पी 10 अंक बढ़कर 3,182.30 पर बंद हुआ। वहीं, अमेरिकी शेयर बाजार में भी गिरावट देखी गई। डॉव जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज 249.07 अंक यानी 0.55% गिरकर 45,295.81 पर बंद हुआ। S&P 500 में 0.69% और NASDAQ कंपोजिट में 0.82% की गिरावट दर्ज की गई। तकनीकी चार्ट के अनुसार निफ्टी का ट्रेंड कमजोर रहने की संभावना है, समर्थन 24,500 पर और ऊपर की ओर 24,700 तथा 24,850 अंक पर रुकावटें मौजूद हैं।
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Tata Capital IPO: टाटा कैपिटल आईपीओ के जरिए कंपनी का अनुमानित मूल्यांकन 11 बिलियन डॉलर

Tata Capital IPO: स्टॉक मार्केट निवेशकों के लिए आने वाले समय में कमाई का बड़ा मौका है। नॉन-बैंकिंग फाइनेंस कंपनी (NBFC) Tata Capital अपना IPO लाने जा रही है। Tata Capital का IPO 22 सितंबर से शुरू होने वाले सप्ताह में लॉन्च होने की संभावना है। सूत्रों की मानें तो यह कंपनी 30 सितंबर तक स्टॉक मार्केट में प्रवेश कर सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस IPO के साथ कंपनी का मूल्यांकन लगभग 11 अरब डॉलर तक पहुँच सकता है।
IPO में कितनी हिस्सेदारी होगी
अगस्त में फाइल किए गए अपडेटेड ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP) के अनुसार प्रस्तावित IPO में कुल 47.58 करोड़ शेयर जारी किए जाएंगे। इसमें से 21 करोड़ शेयर नए इक्विटी शेयर होंगे और 26.58 करोड़ शेयर मौजूदा निवेशकों द्वारा ऑफर फॉर सेल (OFS) के तहत बेचे जाएंगे। Tata Sons OFS विंडो के तहत 23 करोड़ शेयर बेचेंगे, जबकि International Finance Corporation (IFC) 3.58 करोड़ शेयर बेचेंगे। वर्तमान में Tata Sons की Tata Capital में 88.6 प्रतिशत हिस्सेदारी है और IFC की 1.8 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
स्टॉक मार्केट में सूचीबद्ध होने की आवश्यकता
IPO से जुटाए गए पैसे का उपयोग कंपनी की टियर-1 कैपिटल बेस को मजबूत करने और भविष्य की पूंजी आवश्यकताओं को पूरा करने में किया जाएगा, जिसमें लेंडिंग भी शामिल है। अगर सब कुछ ठीक रहा, तो यह देश के वित्तीय क्षेत्र का सबसे बड़ा सार्वजनिक निर्गम बन जाएगा। RBI के दिशा-निर्देशों के कारण Tata Capital का स्टॉक मार्केट में सूचीबद्ध होना आवश्यक हो गया है। दरअसल, वर्ष 2022 में RBI ने Tata Capital को अप्पर लेयर NBFC में शामिल किया था। इस श्रेणी की कंपनियों के लिए तीन वर्षों के भीतर स्टॉक मार्केट में सूचीबद्ध होना अनिवार्य है और अब Tata Capital इस नियम के तहत सूचीबद्ध हो रही है।
कंपनी के वित्तीय परिणाम
वित्तीय वर्ष 2025-26 की जून तिमाही में Tata Capital का शुद्ध लाभ 1,041 करोड़ रुपये रहा, जो पिछले साल के मुकाबले दोगुना से भी अधिक है। इसी तरह कंपनी की कुल आय 6,557 करोड़ रुपये से बढ़कर 7,692 करोड़ रुपये हो गई है। Tata Capital, जो 2007 में बनी, अब तक 70 लाख से अधिक ग्राहकों को सेवाएँ प्रदान कर चुकी है। कंपनी क्रेडिट कार्ड सुविधा, बीमा सेवाएँ, प्राइवेट इक्विटी फंड्स का प्रबंधन और वेल्थ मैनेजमेंट सेवाएँ भी प्रदान करती है। यह IPO निवेशकों के लिए लाभकारी अवसर के साथ कंपनी के विस्तार और भविष्य के विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
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SEBI ने Sanjay Dalmia पर लगाई बड़ी कार्रवाई, Golden Tobacco में धन हेरफेर का आरोप

भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने गोल्डन तंबाकू लिमिटेड (GTL) मामले में नया आदेश जारी किया है। इस आदेश के तहत दालमिया ग्रुप के चेयरमैन संजय दालमिया के खिलाफ कार्रवाई की गई है। GTL पर कई वर्षों से फंड के गबन और वित्तीय विवरणों में हेरफेर करने का आरोप है। SEBI ने इस मामले में संजय दालमिया को सिक्योरिटीज मार्केट में प्रवेश से प्रतिबंधित कर दिया और उन्हें जुर्माना भी लगाया।
संजय दालमिया पर 2 साल का बाजार प्रतिबंध
SEBI ने आदेश में GTL प्रमोटर संजय दालमिया को दो वर्षों के लिए प्रतिभूति बाजार में प्रवेश करने से प्रतिबंधित कर दिया। इसके साथ ही उन पर 30 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। SEBI ने यह कार्रवाई कंपनी और उसके प्रमुख अधिकारियों द्वारा कथित रूप से संपत्तियों के दुरुपयोग, वित्तीय विवरणों में गड़बड़ी और आवश्यक खुलासे न करने के मामले में की है।
साथ ही, अनुराग दालमिया को डेढ़ साल के लिए मार्केट में प्रवेश से रोका गया और उन पर 20 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया। पूर्व GTL निदेशक अशोक कुमार जोशी को भी एक साल के लिए बाजार में प्रवेश से प्रतिबंधित किया गया और उन्हें 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया।
SEBI के आरोपों का विवरण
SEBI के आदेश के अनुसार, GTL ने वित्तीय वर्ष 2010 से 2015 के बीच अपनी सहायक कंपनी GRIL को 175.17 करोड़ रुपये ऋण और अग्रिम राशि के रूप में ट्रांसफर किए और इसे अपनी वार्षिक रिपोर्ट में आउटस्टैंडिंग दिखाया। SEBI ने आरोप लगाया कि कुल अग्रिम राशि में से केवल 36 करोड़ रुपये लौटाए गए और शेष राशि GRIL से प्रमोटर-संबंधित संस्थाओं को ट्रांसफर कर दी गई।
इसके अलावा, SEBI ने कहा कि GTL के प्रमोटर और निदेशकों ने कंपनी की महत्वपूर्ण भूमि संपत्तियों से संबंधित समझौते किए, जिन्हें शेयरधारकों को सही ढंग से नहीं बताया गया। इसमें तीसरे पक्ष के साथ भूमि की बिक्री या लीज़ के समझौते शामिल थे, जो या तो कंपनी के हित में नहीं थे या जिनका स्टॉक एक्सचेंज में पारदर्शी खुलासा नहीं किया गया।
यह मामला SEBI की कंपनी संचालन और वित्तीय पारदर्शिता पर सख्त निगरानी को दर्शाता है। GTL के प्रमोटर और निदेशकों द्वारा शेयरधारकों को उचित जानकारी न देने और वित्तीय विवरणों में गड़बड़ी करने के आरोपों के चलते SEBI ने कड़े कदम उठाए हैं, जिनमें बाजार प्रवेश पर प्रतिबंध और भारी जुर्माना शामिल हैं। यह आदेश अन्य कंपनियों और प्रमोटरों के लिए सावधानी और जिम्मेदार प्रबंधन का संदेश भी है।
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