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India-US trade agreement: तारीख नजदीक लेकिन तस्वीर अब भी धुंधली! 77 अरब डॉलर के व्यापार पर संकट
India-US trade agreement: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर भारत के साथ व्यापार समझौते को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने साफ किया कि अभी तक डील फाइनल नहीं हुई है जबकि डेडलाइन 1 अगस्त 2025 अब काफी नजदीक आ चुकी है। ट्रंप ने भारत को ‘मित्र’ बताया लेकिन साथ ही यह भी कहा कि भारत सबसे ज्यादा टैरिफ वसूलने वाला देश है। उन्होंने संकेत दिया कि भारत से आने वाले उत्पादों पर 20% से 25% तक आयात शुल्क लगाया जा सकता है। हालांकि, अमेरिका की ओर से अब तक कोई औपचारिक नोटिस भारत को नहीं भेजा गया है।
व्यापार समझौते की संभावनाएं और बढ़ती अनिश्चितता
हाल के हफ्तों में ट्रंप प्रशासन बार-बार संकेत देता रहा कि भारत-अमेरिका व्यापार समझौता जल्द हो सकता है जिससे यह उम्मीद बनी कि शायद 1 अगस्त से पहले यह डील हो जाएगी। लेकिन अब तक न तो कोई ठोस घोषणा हुई है और न ही कोई लिखित समझौता सामने आया है। इससे दोनों देशों के कारोबारी वर्गों में असमंजस बढ़ गया है। गौरतलब है कि अप्रैल 2025 में अमेरिका ने भारत से आने वाले कुछ उत्पादों पर 26% तक टैरिफ लगाया था जिसे बाद में अस्थायी रूप से रोक दिया गया था।
#WATCH | When asked if India is going to pay high tariffs, between 20-25%, US President Donald Trump says, "Yeah, I think so. India is my friend. They ended the war with Pakistan at my request…The deal with India is not finalised. India has been a good friend, but India has… pic.twitter.com/IYxParZqce
— ANI (@ANI) July 29, 2025
अमेरिका की ‘रिसिप्रोकल टैरिफ पॉलिसी’ और भारत पर असर
अमेरिका ने ‘रिसिप्रोकल टैरिफ पॉलिसी’ के तहत यह साफ कर दिया है कि जो देश अमेरिकी उत्पादों पर ज्यादा टैरिफ लगाते हैं उन्हें भी अमेरिका उसी तरह जवाब देगा। ट्रंप का कहना है कि जब वह राष्ट्रपति बने तो उन्होंने यह तय किया कि भारत जैसी अर्थव्यवस्थाओं के साथ व्यापार अब संतुलन के आधार पर होगा। ट्रंप का यह भी दावा है कि पाकिस्तान के साथ भारत का टकराव उन्होंने ही रोका था इसलिए अब भारत को अमेरिकी हितों की भी परवाह करनी चाहिए।
भारत की प्रतिक्रिया: विश्वास के साथ हो रही बातचीत
भारत सरकार ने ट्रंप के बयानों के जवाब में संतुलित और संयमित प्रतिक्रिया दी है। केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि भारत अब आत्मविश्वास के साथ समझौते करता है और अमेरिका के साथ हमारी बातचीत सही दिशा में जा रही है। उन्होंने यह भी कहा कि हम संतुलित और लाभकारी समझौते की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। इसके अलावा 14 जुलाई को एक वरिष्ठ अधिकारी ने भी कहा कि भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते को लेकर अच्छी प्रगति हुई है।
भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों की अहमियत
वर्तमान में अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। वित्त वर्ष 2023–24 में दोनों देशों के बीच कुल 191 अरब डॉलर का व्यापार हुआ। भारत ने अमेरिका को 77.5 अरब डॉलर का निर्यात किया जबकि अमेरिका से 55.4 अरब डॉलर का आयात किया। इस व्यापारिक संतुलन पर ट्रंप की संरक्षणवादी नीति और संभावित नए टैरिफ से खतरा मंडरा रहा है। अगर व्यापार समझौता समय पर नहीं हुआ तो इसका असर दोनों देशों के आर्थिक रिश्तों पर पड़ सकता है।
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Share Market Outlook: इस सप्ताह शेयर बाजार की दिशा तय करेंगे Q2 परिणाम, अमेरिकी फेडरल रिजर्व की दर और भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता
Share Market Outlook: इस सप्ताह शेयर बाजार का रुख मुख्य रूप से चालू वित्तीय वर्ष 2025-26 की दूसरी तिमाही के नतीजों और वैश्विक आर्थिक संकेतकों से प्रभावित होगा। कई बड़ी कंपनियों के तिमाही परिणाम निवेशकों की नजर में होंगे। इस क्रम में कोटक महिंद्रा बैंक के नतीजे सबसे पहले आएंगे। इसके बाद भारतीय तेल कंपनियों, टीवीएस मोटर्स, लार्सन एंड टुब्रो, हिंदुस्तान पेट्रोलियम, आईटीसी, सिप्ला, डाबर, मारुति और एसीसी के नतीजे निवेशकों के लिए मार्गदर्शक होंगे। इन परिणामों से यह स्पष्ट होगा कि कंपनियों के लाभ और नुकसान का बाजार पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
औद्योगिक उत्पादन और घरेलू संकेतक
Religare Broking के वरिष्ठ उपाध्यक्ष अजीत मिश्रा के अनुसार, “भारत का सितंबर महीना का औद्योगिक उत्पादन डेटा (IIP), जो 28 अक्टूबर को जारी होगा, निवेशकों के लिए महत्वपूर्ण रहेगा।” इस डेटा से पता चलेगा कि भारत की औद्योगिक गतिविधियां किस स्तर पर हैं और आर्थिक वृद्धि की दिशा क्या है। घरेलू कंपनियों के वित्तीय नतीजे और औद्योगिक डेटा के साथ बाजार में निवेशकों की उम्मीदें और निर्णय प्रभावित होंगे।

वैश्विक आर्थिक संकेतक और US Federal Reserve
वैश्विक दृष्टिकोण से, सभी की नजर 29 अक्टूबर को अमेरिकी केंद्रीय बैंक Federal Reserve की ब्याज दर निर्णय पर रहेगी। इस निर्णय का वैश्विक तरलता और जोखिम धारणा पर सीधा असर पड़ सकता है। इसके अलावा, US और चीन के राष्ट्रपति स्तर की बैठक और उसके नतीजे भी वैश्विक बाजारों पर प्रभाव डाल सकते हैं। निवेशक विदेशी निवेशक गतिविधियों और ब्रेंट क्रूड के दाम पर भी ध्यान देंगे।
भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता
निवेशकों की नजर भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता पर भी बनी रहेगी। Enrich Money के सीईओ Ponmudi R ने कहा कि “इस सप्ताह घरेलू निवेशकों के लिए भारत-अमेरिका व्यापार वार्ता में प्रगति एक महत्वपूर्ण फोकस होगी।” हाल ही में एक अधिकारी ने बताया कि दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर बहुत करीब पहुंच गए हैं। वहीं, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने स्पष्ट किया कि भारत किसी भी समझौते में जल्दबाजी नहीं करेगा।
पिछले सप्ताह के बाजार रुझान और समग्र दृष्टिकोण
पिछले सप्ताह दिवाली के कारण बाजार में बहुत कम ट्रेडिंग हुई। बीएसई सेंसेक्स 259.69 अंक बढ़कर 0.30 प्रतिशत ऊपर गया, जबकि निफ्टी ने 85.3 अंक की बढ़त दर्ज की। इस सप्ताह निवेशकों को तिमाही नतीजों, वैश्विक आर्थिक संकेतकों और व्यापार वार्ता से संबंधित डेटा पर ध्यान केंद्रित करना होगा। विशेषज्ञों का मानना है कि यह सप्ताह मैक्रोइकॉनॉमिक घटनाओं से प्रभावित रहेगा और बाजार की दिशा तय करेगा।
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Byju’s को NCLT से झटका, आकाश की EGM पर रोक नहीं लगी, स्टेक घटने की परेशानी बनी
राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (NCLT) ने Byju’s की अति-आर्थिक संकट में दायर याचिका को खारिज कर दिया है। Byju’s ने Aakash Educational Services Limited (AESL) की विशेष आम बैठक (EGM) को स्थगित करने का अनुरोध किया था, जिसमें राइट्स इश्यू को मंजूरी दी जानी थी। NCLT ने स्पष्ट किया कि इस याचिका को स्वीकार करना कंपनी के स्वतंत्र अधिकारों के लिए असामान्य स्थिति पैदा कर सकता है।
Byju’s की हिस्सेदारी पर प्रभाव
राइट्स इश्यू के कारण Byju’s की Aakash में हिस्सेदारी 25% से घटकर 5% से भी कम हो जाएगी। यही कारण था कि Byju’s ने बैठक स्थगित करने का अनुरोध किया। NCLT ने कहा कि एक शेयरहोल्डर के रूप में Byju’s वित्तीय दस्तावेजों की मांग कर सकता है, लेकिन प्रस्तावित राइट्स इश्यू से धन प्राप्त करना गलत नहीं माना जा सकता।

Byju’s की वित्तीय स्थिति चिंता का विषय
Byju’s, जिसे Think & Learn Private Limited के तहत संचालित किया जाता है, 2023 से गंभीर वित्तीय संकट का सामना कर रही है। कंपनी लगातार NCLT के पास विभिन्न कारणों से आवेदन करती रही है। वर्तमान में, इसके कई petitions लंबित हैं, और detailed arguments NCLT में चल रहे हैं। इस वित्तीय दबाव के बीच Byju’s के लिए यह एक और चुनौती बन गया है।
NCLT की प्रतिक्रिया और दृष्टिकोण
दो सदस्यीय NCLT बेंच ने कहा कि समान मुद्दे पर याचिका पहले से लंबित है और पक्षों द्वारा सहमत तिथियों पर विस्तृत बहस जारी है। न्यायाधिकरण ने यह भी स्पष्ट किया कि Byju’s को AESL की वित्तीय स्थिति का जायजा लेने का अधिकार है, लेकिन किसी तरह की रोक लगाना उचित नहीं होगा। यह आदेश Byju’s के लिए एक महत्वपूर्ण झटका है।
निष्कर्ष और आगे की राह
इस फैसले से यह स्पष्ट हो गया है कि Byju’s की Aakash में हिस्सेदारी कम होगी और कंपनी को रणनीतिक फैसले लेने में कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है। वित्तीय संकट के बीच Byju’s को अपनी योजनाओं पर पुनर्विचार करना होगा और अगले कदम में निवेशकों और NCLT के समक्ष मजबूत स्थिति बनाए रखना होगा।
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Cipla ने Eli Lilly के साथ किया बड़ा समझौता, भारत में टाइप 2 डायबिटीज और वजन घटाने की दवा लॉन्च
भारत की दिग्गज फार्मास्यूटिकल कंपनी Cipla ने हाल ही में वजन घटाने और टाइप 2 डायबिटीज़ की दवा को मार्केट में लॉन्च करने का बड़ा कदम उठाया है। इसके लिए Cipla ने Eli Lilly and Company (India) के साथ एक प्रमुख समझौता किया है। इस समझौते के तहत Cipla अब देश में इन दोनों दवाओं के वितरण और प्रचार की जिम्मेदारी संभालेगी। इस कदम से Cipla का उद्देश्य इन दवाओं को बड़े पैमाने पर उपलब्ध कराना है।
समझौते की खास बातें
Cipla और Eli Lilly ने टाइप 2 डायबिटीज़ और क्रॉनिक वेट मैनेजमेंट दवा Tirzepatide के वितरण और प्रचार के लिए समझौता किया है। इस दवा का भारत में नया ब्रांड नाम “Eurpic” रखा गया है। Eli Lilly ने Tirzepatide को मार्च 2025 में पहले ही “Monjaro” के ब्रांड नाम से भारत में पेश किया था। Cipla अब Eurpic के जरिए इस दवा को उन शहरों तक भी पहुंचाएगी, जहां Lilly की पहले से मौजूद मौजूदगी नहीं है।

दवा की कीमत और उपलब्धता
समझौते के अनुसार, Lilly दवा का निर्माण और Cipla को आपूर्ति करेगी। Eurpic की कीमत Monjaro के समान रखी जाएगी। Lilly India के प्रेसीडेंट Winslow Tucker ने कहा कि Cipla के साथ इस व्यावसायिक समझौते के जरिए Tirzepatide के दूसरे ब्रांड को लॉन्च करना, क्रॉनिक बीमारियों के इलाज में नए विकल्पों को और लोगों तक पहुँचाने का प्रयास है। भारत में डायबिटीज़ और मोटापे की बढ़ती समस्या को देखते हुए यह कदम महत्वपूर्ण है।
Cipla के शेयरों में गिरावट
समझौते की खबर के बाद Cipla के शेयरों में गिरावट देखने को मिली। बीएसई डेटा के अनुसार, शुक्रवार को Cipla के शेयर 3.35 प्रतिशत गिरकर ₹1,590 पर बंद हुए। ट्रेडिंग सत्र की शुरुआत में कंपनी के शेयर ₹1,639.95 पर खुले थे। सुबह 10:15 बजे शेयर ₹1,598 पर ट्रेड कर रहे थे, जो 2.87 प्रतिशत की गिरावट दर्शाता है। इससे निवेशकों में हल्की चिंता देखने को मिली।
Cipla और Eli Lilly का भविष्य
यह समझौता Cipla और Eli Lilly दोनों के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है। Cipla के लिए यह दवा वितरण और प्रचार के नए अवसर खोलता है, जबकि Lilly को अपने ब्रांड Tirzepatide को और व्यापक स्तर पर भारत में फैलाने का मौका मिलता है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस कदम से लंबी अवधि में मरीजों को बेहतर पहुंच और उपचार विकल्प मिलेंगे, और बाजार में प्रतिस्पर्धा भी बढ़ेगी।
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