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ड्रोन युद्ध की दुनिया में भारत तैयार! CDS General Anil Chauhan का बड़ा बयान – कल की तकनीक से आज की जंग नहीं जीती जा सकती

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ड्रोन युद्ध की दुनिया में भारत तैयार! CDS General Anil Chauhan का बड़ा बयान – कल की तकनीक से आज की जंग नहीं जीती जा सकती

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) General Anil Chauhan ने मानेकशॉ सेंटर में आयोजित एक कार्यक्रम में अपने संबोधन में साफ कहा कि आज के युद्ध में ड्रोन जैसे छोटे हथियार निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने कहा कि अब युद्ध का तरीका बदल चुका है और परंपरागत हथियारों से नहीं बल्कि स्मार्ट और तकनीकी हथियारों से ही विजय संभव है।

ऑपरेशन सिंदूर ने दिखाई स्वदेशी ड्रोन की अहमियत

जनरल चौहान ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का उदाहरण देते हुए बताया कि यह ऑपरेशन इस बात का स्पष्ट संकेत है कि हमारे क्षेत्रीय भूगोल और ज़रूरतों के अनुसार बने स्वदेशी ड्रोन और काउंटर-ड्रोन सिस्टम कितने ज़रूरी हैं। उन्होंने कहा कि इस ऑपरेशन ने यह साबित कर दिया है कि भारत अब रक्षा तकनीक में आत्मनिर्भर बनने की ओर अग्रसर है।

पाकिस्तान ने भेजे ड्रोन, भारत ने किया करारा जवाब

उन्होंने बताया कि 10 मई को पाकिस्तान ने बिना हथियार वाले ड्रोन और लाइटर म्यूनिशन (घुमते रहने वाले बम) भारतीय सीमा में भेजे। लेकिन भारतीय सेना ने उन्हें कोई नुकसान पहुँचाने से पहले ही नष्ट कर दिया। सेना ने इन ड्रोन को ‘काइनेटिक’ (गोलियों व मिसाइलों) और ‘नॉन-काइनेटिक’ (जैसे जैमिंग तकनीक) तरीकों से निष्क्रिय कर दिया। यह भारत की मजबूत रक्षा तैयारियों का प्रमाण है।

कल की तकनीक से नहीं जीता जा सकता आज का युद्ध

सीडीएस चौहान ने आगाह किया कि अगर भारत महत्वपूर्ण मिशनों के लिए विदेशी तकनीक पर निर्भर रहेगा तो हमारी तैयारी कमजोर पड़ सकती है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि हमें अपनी तकनीक खुद विकसित करनी होगी ताकि युद्ध के मैदान में संसाधनों की कमी न हो। यह केवल आधुनिकता का विषय नहीं बल्कि सुरक्षा का आधार है।

भविष्य की तकनीक बनेगी जंग का हथियार

उन्होंने दोहराया कि “आज की लड़ाई कल के हथियारों से नहीं जीती जा सकती।” हमें कल की तकनीक को आज तैयार करना होगा। छोटे ड्रोन अब बड़े युद्धों में निर्णायक साबित हो सकते हैं। उनकी तेजी और सटीकता दुश्मन की रणनीति को ध्वस्त कर सकती है। इसलिए भारत को तकनीकी आत्मनिर्भरता को अपनी प्राथमिकता बनानी ही होगी।

 

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Bangalore Stampede: पुलिस ने मना किया फिर भी RCB ने क्यों की परेड? जानिए हाई कोर्ट रिपोर्ट का सच

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Bangalore Stampede: पुलिस ने मना किया फिर भी RCB ने क्यों की परेड? जानिए हाई कोर्ट रिपोर्ट का सच

Bangalore Stampede: कर्नाटक सरकार की रिपोर्ट में बड़ा खुलासा हुआ है कि आरसीबी के विजय जुलूस के लिए आयोजकों ने पुलिस से औपचारिक अनुमति नहीं ली थी। 2009 के सिटी ऑर्डर के अनुसार किसी भी सार्वजनिक आयोजन के लिए अनुमति लेना जरूरी होता है। लेकिन 3 जून को ‘डीएनए’ नाम की एजेंसी ने केवल सूचना दी और पूरी अनुमति प्रक्रिया को नजरअंदाज कर दिया। इस वजह से पुलिस ने आयोजन को मंजूरी देने से इनकार कर दिया था।

पुलिस की चेतावनी के बाद भी किया प्रचार

रिपोर्ट में कहा गया है कि पुलिस की अनुमति न मिलने के बावजूद आरसीबी ने प्रचार बंद नहीं किया। 4 जून को सोशल मीडिया पर खुलेआम निमंत्रण जारी किए गए। विराट कोहली ने खुद एक वीडियो संदेश में फैंस से फ्री एंट्री के साथ कार्यक्रम में शामिल होने की अपील की। इससे हजारों की भीड़ जमा हो गई और आयोजन नियंत्रण से बाहर हो गया।

Bangalore Stampede: पुलिस ने मना किया फिर भी RCB ने क्यों की परेड? जानिए हाई कोर्ट रिपोर्ट का सच

भीड़ पर नियंत्रण नहीं रख पाया प्रबंधन

हाईकोर्ट में दी गई जानकारी के अनुसार इस कार्यक्रम में 3 लाख से अधिक लोग पहुंचे जो आयोजकों की उम्मीदों और पुलिस की व्यवस्था से कई गुना ज्यादा था। इतनी भारी भीड़ को संभालना आयोजकों के लिए संभव नहीं रहा और कोई पूर्व योजना भी नहीं थी जिससे भीड़ नियंत्रित की जा सके।

अंतिम समय पर बदले गए नियम

सबसे चौंकाने वाली बात यह थी कि कार्यक्रम के दिन दोपहर 3:14 बजे आयोजकों ने अचानक घोषणा कर दी कि स्टेडियम में प्रवेश के लिए पास जरूरी होगा। पहले कहा गया था कि एंट्री फ्री है। इस उलझन भरी घोषणा से लोगों में अफरा-तफरी मच गई और भगदड़ जैसी स्थिति बन गई।

जिम्मेदार कौन और अब तक क्या कार्रवाई हुई

रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि RCB प्रबंधन, आयोजक डीएनए और कर्नाटक स्टेट क्रिकेट एसोसिएशन (KSCA) के बीच समन्वय की भारी कमी रही। समय पर गेट न खुलने से हालात और बिगड़ गए। घटना में सात पुलिसकर्मी घायल हुए। अब तक इस मामले में मजिस्ट्रियल जांच शुरू हो चुकी है। एफआईआर दर्ज हुई है और पुलिस अधिकारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की गई है। मुख्यमंत्री के राजनीतिक सचिव को निलंबित कर दिया गया है और राज्य इंटेलिजेंस प्रमुख का तबादला कर दिया गया है। मृतकों के परिवारों को मुआवजा भी घोषित कर दिया गया है।

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Tiruvallur Train fire accident: तिरुवल्लुर में डीजल से भरी मालगाड़ी में लगी भीषण आग, कई ट्रेनें रद्द, रेलवे अलर्ट पर

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Tiruvallur Train fire accident: तिरुवल्लुर में डीजल से भरी मालगाड़ी में लगी भीषण आग, कई ट्रेनें रद्द, रेलवे अलर्ट पर

Tiruvallur Train fire accident: तमिलनाडु के तिरुवल्लुर के पास उस वक्त हड़कंप मच गया जब एक मालगाड़ी के चार डिब्बों में अचानक आग लग गई। यह मालगाड़ी डीजल से भरी हुई थी और मणाली से तिरुपति की ओर जा रही थी। आग इतनी भीषण थी कि आसमान में धुएं का गुबार छा गया। मौके पर फायर ब्रिगेड की टीम तुरंत पहुंची और आग पर काबू पाने की कोशिश शुरू हुई।

चार डिब्बों में लगी आग, अन्य को किया गया अलग

रेलवे के अनुसार सुबह-सुबह आग लगने की सूचना मिली। डीजल से भरे चार डिब्बों में आग लग चुकी थी। रेलवे कर्मचारियों ने तत्परता दिखाते हुए बाकी डिब्बों को इन डिब्बों से अलग कर दिया जिससे आग और नहीं फैल सके। अभी तक किसी के घायल होने की सूचना नहीं है लेकिन इस हादसे ने रेल संचालन पर बड़ा असर डाला है।

चेन्नई से निकलने वाली कई ट्रेनें रद्द

इस हादसे के बाद रेलवे ने चेन्नई से चलने वाली कई प्रमुख ट्रेनों को रद्द कर दिया है। वंदे भारत एक्सप्रेस, शताब्दी, कोवई सुपरफास्ट, सप्तगिरी एक्सप्रेस, डबल डेकर और नागरसोल एक्सप्रेस सहित कुल आठ ट्रेनों को पूरी तरह रद्द कर दिया गया है। यात्रियों को सोशल मीडिया और रेलवे के माध्यम से अपडेट लेने की सलाह दी गई है।

रेलवे ने जारी किया अलर्ट

साउदर्न रेलवे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व ट्विटर) पर अलर्ट जारी करते हुए बताया कि सुरक्षा के मद्देनज़र ओवरहेड बिजली आपूर्ति को भी बंद कर दिया गया है। रेलवे ट्रैक की सफाई और ट्रैफिक बहाल करने के लिए काम युद्ध स्तर पर किया जा रहा है। यात्रियों को असुविधा से बचने के लिए घर से निकलने से पहले ट्रेन की स्थिति चेक करने को कहा गया है।

यात्रियों से की गई सावधानी बरतने की अपील

रेलवे प्रशासन ने इस गंभीर हादसे को ध्यान में रखते हुए यात्रियों से विशेष सतर्कता बरतने की अपील की है। जिन लोगों को 13 जुलाई को चेन्नई से यात्रा करनी थी, उन्हें अपनी यात्रा दोबारा शेड्यूल करने या वैकल्पिक व्यवस्था करने की सलाह दी गई है। फिलहाल आग बुझाने का कार्य जारी है और रेलवे घटना की जांच कर रही है।

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UP Panchayat Elections: उत्तर प्रदेश में पारदर्शिता के साथ होंगे पंचायत चुनाव, ओबीसी आरक्षण पर सटीक रणनीति तैयार

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UP Panchayat Elections: उत्तर प्रदेश में पारदर्शिता के साथ होंगे पंचायत चुनाव, ओबीसी आरक्षण पर सटीक रणनीति तैयार

UP Panchayat Elections: उत्तर प्रदेश सरकार इस बार त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को पूरी पारदर्शिता और निष्पक्षता के साथ कराने के लिए कमर कस चुकी है। पंचायती राज विभाग ने राज्य स्थानीय ग्रामीण निकाय समर्पित पिछड़ा वर्ग आयोग के गठन का प्रस्ताव तैयार कर लिया है और इसे सरकार को भेजा गया है। इस आयोग का गठन कैबिनेट की मंजूरी के बाद होगा, जो आरक्षण प्रक्रिया को विवाद मुक्त बनाने में अहम भूमिका निभाएगा।

 आबादी के अनुसार तय होंगे आरक्षण के अनुपात

2011 की जनगणना के अनुसार, प्रदेश में अनुसूचित जनजाति (ST) की जनसंख्या 0.5677 प्रतिशत और अनुसूचित जाति (SC) की जनसंख्या 20.6982 प्रतिशत है। इन्हीं आंकड़ों के आधार पर पंचायत चुनाव में इन वर्गों के लिए सीटें आरक्षित की जाएंगी। वहीं, पिछड़े वर्ग (OBC) के लिए भी 27 प्रतिशत आरक्षण की सीमा को राज्य स्तर पर सुनिश्चित किया जाएगा, भले ही किसी ब्लॉक में उनकी संख्या इससे अधिक क्यों न हो।

UP Panchayat Elections: उत्तर प्रदेश में पारदर्शिता के साथ होंगे पंचायत चुनाव, ओबीसी आरक्षण पर सटीक रणनीति तैयार

पिछली गलती से सबक, अब आयोग ही तय करेगा आंकड़े

नगर निकाय चुनाव के दौरान ओबीसी आरक्षण को लेकर जो विवाद हुआ था, उससे सबक लेते हुए सरकार इस बार पंचायत चुनाव में कोई चूक नहीं करना चाहती। पिछली बार की तरह गलत आंकड़ों पर आधारित आरक्षण को लेकर उठे विरोध के चलते सरकार ने अब आयोग के जरिए सटीक आंकड़े जुटाने की रणनीति अपनाई है, जिससे किसी भी वर्ग को अन्याय महसूस न हो।

 आयोग की जिम्मेदारी होगी सटीक रिपोर्ट तैयार करना

राज्य स्थानीय ग्रामीण निकाय समर्पित पिछड़ा वर्ग आयोग प्रदेश के अलग-अलग जिलों का दौरा करेगा और वहां की ओबीसी आबादी का विस्तृत ब्यौरा जुटाएगा। इस आंकलन के बाद आयोग अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगा और उसी के आधार पर पंचायत चुनाव में आरक्षण की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। यह कदम न केवल निष्पक्षता सुनिश्चित करेगा, बल्कि ग्रामीण लोकतंत्र को मजबूती देगा।

 अब पंचायत चुनाव को मिलेगा गति और दिशा

पंचायती राज विभाग ने संबंधित अधिकारियों को चुनावी तैयारियों को अंतिम रूप देने के निर्देश दे दिए हैं। आयोग की रिपोर्ट आने के बाद ही चुनाव की तारीखों की घोषणा की जाएगी। इससे स्पष्ट है कि प्रदेश सरकार चाहती है कि कोई भी चुनावी प्रक्रिया बिना विवाद के पूरी हो और सभी वर्गों को उनकी जनसंख्या के अनुसार उचित प्रतिनिधित्व मिले।

 

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