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India ने स्वदेशी पोर्टेबल एयर डिफेंस सिस्टम में हासिल की बड़ी सफलता, DRDO ने किया VSHORDS मिसाइल सिस्टम का सफल परीक्षण

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India ने स्वदेशी पोर्टेबल एयर डिफेंस सिस्टम में हासिल की बड़ी सफलता, DRDO ने किया VSHORDS मिसाइल सिस्टम का सफल परीक्षण

India ने अपनी रक्षा क्षेत्र में एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने शनिवार को ओडिशा के चांदीपुर में VSHORDS (Very Short Range Air Defense System) मिसाइल सिस्टम का सफल परीक्षण किया। यह मिसाइल सिस्टम भारतीय सेना, नौसेना और वायु सेना की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए विकसित किया गया है और अब यह देश के एयर डिफेंस सिस्टम को और भी सशक्त बनाएगा।

VSHORDS मिसाइल सिस्टम का महत्व

VSHORDS मिसाइल सिस्टम एक स्वदेशी पोर्टेबल एयर डिफेंस सिस्टम है, जो किसी भी दुश्मन के ड्रोन या अन्य लक्ष्यों को सटीकता से नष्ट करने में सक्षम है, जो कम ऊंचाई पर उड़ते हैं। यह मिसाइल सिस्टम खास तौर पर उन खतरों से निपटने के लिए तैयार किया गया है जो युद्ध के मैदान में तेजी से उभर सकते हैं। जैसे-जैसे ड्रोन और अन्य नॉन-ट्रेडिशनल एयरक्राफ्ट का उपयोग युद्धों में बढ़ रहा है, इस तरह के मिसाइल सिस्टम की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है। VSHORDS सिस्टम ऐसे लक्ष्यों को मारने में सक्षम है, जो ऊंचाई पर न उड़कर जमीन के पास होते हैं, और यह एयर डिफेंस के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।

कुल तीन सफल परीक्षणों में मिसाइल ने पूरे लक्ष्यों को नष्ट किया

DRDO ने इस मिसाइल प्रणाली के तीन परीक्षण किए, जिनमें हर परीक्षण में मिसाइल ने उच्च गति से उड़ रहे लक्ष्यों को पूरी तरह से नष्ट कर दिया। इन लक्ष्यों को विशेष रूप से इस तरह से डिजाइन किया गया था कि वे कम थर्मल संकेतों के साथ उड़ते थे, ताकि सिस्टम को अलग-अलग उड़ान परिस्थितियों में परखा जा सके। यह परीक्षण इस बात का प्रमाण है कि VSHORDS मिसाइल सिस्टम किसी भी ड्रोन या अन्य कम ऊंचाई पर उड़ने वाले लक्ष्यों को सटीकता से नष्ट करने की क्षमता रखता है।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दी बधाई

इस बड़ी सफलता पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने DRDO और भारतीय सशस्त्र बलों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह परीक्षण भारतीय रक्षा क्षेत्र में एक अहम मील का पत्थर है और यह हमारे आत्मनिर्भरता की दिशा में एक और महत्वपूर्ण कदम है। राजनाथ सिंह ने DRDO की टीम की सराहना की, जिनकी मेहनत और समर्पण ने इस मिसाइल प्रणाली को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने यह भी कहा कि यह मिसाइल प्रणाली भारतीय सेनाओं की ताकत को और बढ़ाएगी और देश की सुरक्षा को मजबूत करेगी।

DRDO के इस प्रयास का सैन्य शक्ति पर प्रभाव

VSHORDS मिसाइल सिस्टम का सफल परीक्षण न केवल भारतीय रक्षा की शक्ति को बढ़ाता है, बल्कि यह यह भी साबित करता है कि भारत स्वदेशी रक्षा प्रणालियों के निर्माण में सक्षम है। अब भारत ड्रोन और अन्य कम ऊंचाई पर उड़ने वाले लक्ष्यों के खिलाफ अपना खुद का प्रभावी डिफेंस सिस्टम रखता है। यह प्रणाली भारतीय सेनाओं को न केवल आत्मनिर्भर बनाती है, बल्कि उन्हें वैश्विक स्तर पर अपनी सैन्य शक्ति को और मजबूत करने का अवसर भी देती है।

भारत की स्वदेशी रक्षा प्रणाली में एक और सफलता

भारत का यह रक्षा क्षेत्र में एक और महत्वपूर्ण कदम है, जहां वह अपनी स्वदेशी रक्षा प्रणालियों को विकसित कर रहा है। भारत ने पहले ही कई रक्षा प्रणालियों में आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ा कदम उठाया है और VSHORDS मिसाइल सिस्टम भी इस दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा। DRDO ने पहले भी कई सफल रक्षा परियोजनाओं पर काम किया है, जैसे कि आकाश मिसाइल सिस्टम, ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल, और अन्य स्वदेशी रक्षा उपकरण।

आगे की राह और रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस सफलता को भारत के आत्मनिर्भरता अभियान के हिस्से के रूप में भी देखा है। उन्होंने कहा कि भारतीय सशस्त्र बलों को अब विदेशी रक्षा प्रणालियों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा और स्वदेशी मिसाइलों और रक्षा प्रणालियों के विकास से देश की सुरक्षा को और मजबूती मिलेगी। उन्होंने यह भी कहा कि भारत अब केवल अपनी सुरक्षा के लिए नहीं, बल्कि वैश्विक रक्षा बाजार में भी एक प्रमुख खिलाड़ी बनने की दिशा में काम कर रहा है।

भारत की रक्षा क्षेत्र में यह उपलब्धि एक बड़ी सफलता है और यह DRDO और भारतीय सशस्त्र बलों की कड़ी मेहनत का परिणाम है। VSHORDS मिसाइल सिस्टम का सफल परीक्षण देश की सैन्य शक्ति को और मजबूत करेगा और भारतीय सेनाओं को वैश्विक स्तर पर आत्मनिर्भर बनाएगा। इस सिस्टम के जरिए भारतीय सेना, नौसेना और वायु सेना अब किसी भी दुश्मन ड्रोन या अन्य कम ऊंचाई पर उड़ने वाले लक्ष्यों से बेहतर तरीके से निपट सकेंगे। यह भारत की रक्षा क्षमता को एक नई दिशा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।

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राजनाथ सिंह ने जवानों को किया सम्मानित और नक्सलवाद पर किया बड़ा खुलासा, जानिए क्या कहा देश की सुरक्षा पर

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राजनाथ सिंह ने जवानों को किया सम्मानित और नक्सलवाद पर किया बड़ा खुलासा, जानिए क्या कहा देश की सुरक्षा पर

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को दिल्ली में नेशनल पुलिस मेमोरियल पर पुलिस स्मारक दिवस कार्यक्रम में हिस्सा लिया। उन्होंने देश की सेवा में शहीद हुए पुलिसकर्मियों को श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि सेना देश की रक्षा करती है, वहीं पुलिस समाज की सुरक्षा करती है। उन्होंने पुलिस और सेना की अहमियत को एक ही सिक्योरिटी के दो स्तंभ बताते हुए कहा कि दोनों का लक्ष्य देश की सुरक्षा है।

सेना और पुलिस के अलग लेकिन समान लक्ष्य

राजनाथ सिंह ने कहा कि चाहे दुश्मन सीमा के पार हो या हमारे बीच छिपा हो, जो भी भारत की सुरक्षा के लिए खड़ा होता है, वही हमारे देश का असली हीरो है। सेना और पुलिस अलग प्लेटफॉर्म पर काम करती हैं, लेकिन मिशन एक ही है। उन्होंने यह भी कहा कि लोगों का चैन से सोना पुलिस पर भरोसे का नतीजा है। यह भरोसा हमारे देश की स्थिरता की नींव है।

नक्सलवाद पर निर्णायक कार्रवाई

रक्षा मंत्री ने नक्सलवाद पर भी चर्चा की। उन्होंने बताया कि लंबे समय तक नक्सलवाद हमारे आंतरिक सुरक्षा के लिए चुनौती रहा। छत्तीसगढ़, झारखंड, ओड़िशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और महाराष्ट्र के कई जिलों में नक्सली आतंक फैला हुआ था। स्कूल बंद थे, सड़कें गायब थीं और लोग भय में जी रहे थे। लेकिन सरकार ने नक्सलवाद को बढ़ने से रोकने के लिए पुलिस, सीआरपीएफ, बीएसएफ और स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर संगठित काम किया।

नक्सली प्रभावित इलाकों का विकास

राजनाथ सिंह ने बताया कि इस साल कई प्रमुख नक्सली नेता मारे गए और नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या अब बहुत कम रह गई है। उन्होंने दावा किया कि मार्च तक सभी समस्याओं को पूरी तरह समाप्त कर दिया जाएगा। जो इलाके पहले नक्सली आतंक से कांपते थे, आज वहां सड़कें, अस्पताल, स्कूल और कॉलेज बन गए हैं। अब बच्चे मोबाइल और कंप्यूटर का इस्तेमाल कर रहे हैं और बड़े सपने देख रहे हैं। रेड कॉरिडोर अब विकास कॉरिडोर बन गया है।

पुलिस के आधुनिककरण की पहल

रक्षा मंत्री ने कहा कि 2018 में नेशनल पुलिस मेमोरियल स्थापित किया गया। इसके अलावा पुलिस को अत्याधुनिक हथियार और आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं। राज्यों को भी पुलिस बल के आधुनिकीकरण के लिए संसाधन दिए जा रहे हैं। आज हमारी पुलिस में सर्विलांस सिस्टम, ड्रोन, फॉरेंसिक लैब और डिजिटल पुलिसिंग जैसी आधुनिक तकनीकें उपलब्ध हैं। उन्होंने पुलिस की मेहनत और समर्पण की सराहना की।

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बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन फटी, JMM ने अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान किया, सीट बंटवारे पर विवाद

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बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन फटी, JMM ने अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान किया, सीट बंटवारे पर विवाद

बिहार विधानसभा चुनाव से पहले महागठबंधन में विवाद की खबरें लगातार सामने आ रही हैं। झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) ने महागठबंधन से अलग होकर छह सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। पार्टी नेता Manoj Pandey ने कहा कि जब उनके मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया और सीटें नहीं दी गईं, तो उनके पास कोई विकल्प नहीं बचा। इसलिए JMM पूरी ताकत के साथ चुनाव में उतरेगी।

माहौल और नतीजों का असर

Manoj Pandey ने कहा कि महागठबंधन में उन्हें कम आंका गया। उनका मानना है कि अगर JMM और गठबंधन एक साथ रहते तो भारत गठबंधन और अधिक प्रभावी प्रदर्शन कर सकता था। उन्होंने बिहार के सीमा क्षेत्रों में अपनी पार्टी की पैठ और नेता की लोकप्रियता का हवाला दिया। अब महागठबंधन को इस अलगाव का परिणाम भुगतना पड़ेगा।

सीटों के बंटवारे पर मतभेद

गठबंधन में सीटों के बंटवारे को लेकर असहमति कई दिनों से जारी थी। JMM ने हमेशा कहा कि अगर उन्हें सम्मान नहीं मिला तो वह अकेले चुनाव लड़ेंगे। इसी वजह से अंतिम समय तक सीटों का बंटवारा तय नहीं हो सका। इस बार कांग्रेस और RJD ने कई सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं, जिससे गठबंधन में और विवाद बढ़ा है।

गठबंधन में मनमुटाव जारी

महागठबंधन में विभिन्न सहयोगियों की असहमति स्पष्ट दिख रही है। कांग्रेस पार्टी को अपने राज्य अध्यक्ष के विरोध का सामना करना पड़ रहा है। RJD और कांग्रेस के उम्मीदवार एक ही क्षेत्र में खड़े होने से मुकाबला और रोचक होने वाला है। गठबंधन में सहयोग और समन्वय की कमी के कारण चुनावी रणनीति प्रभावित हो सकती है।

NDA की चुनावी तैयारी

वहीं, एनडीए ने भी बिहार में प्रचार तेज कर दिया है। प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह समेत केंद्रीय मंत्री लगातार रैलियों के जरिए कार्यकर्ताओं में जोश भर रहे हैं। एनडीए की यह तैयारी यह सुनिश्चित करने के लिए है कि महागठबंधन की खींचतान का फायदा उठाकर वे अधिक सीटें जीत सकें। आने वाला चुनाव बेहद रोमांचक और परिणामों के लिहाज से अहम माना जा रहा है।

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तेलंगाना में पिछड़ा वर्ग आरक्षण के लिए राज्यव्यापी हड़ताल, स्कूल, कॉलेज और सरकारी दफ्तर होंगे बंद, सार्वजनिक यातायात प्रभावित

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तेलंगाना में पिछड़ा वर्ग आरक्षण के लिए राज्यव्यापी हड़ताल, स्कूल, कॉलेज और सरकारी दफ्तर होंगे बंद, सार्वजनिक यातायात प्रभावित

तेलंगाना में पिछड़ा वर्ग संगठनों ने राज्यव्यापी बंद का ऐलान किया है। यह बंद शनिवार को आयोजित किया जाएगा और इसका मुख्य उद्देश्य है राज्य सरकार द्वारा स्थानीय निकायों में 42 प्रतिशत आरक्षण देने के आदेश के खिलाफ तेलंगाना हाईकोर्ट के स्टे का विरोध करना। सरकार ने बाद में सुप्रीम कोर्ट में भी अपील की, लेकिन वहां भी इसे झटका लगा। इस बंद का समर्थन कई राजनीतिक दलों और संगठनों ने किया है, जिसमें भारत राष्ट्र समिति (BRS), भारतीय जनता पार्टी (BJP), कांग्रेस और वामपंथी दल शामिल हैं।

सरकारी आदेश और सुप्रीम कोर्ट की प्रतिक्रिया

तेलंगाना सरकार ने प्रस्तावित आदेश में पिछड़ा वर्ग (OBC), अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) और अन्य जातियों के लिए कुल आरक्षण 67 प्रतिशत करने का प्रस्ताव रखा था। सरकार ने यह दावा किया कि सभी राजनीतिक दल इस प्रस्ताव का समर्थन करते हैं और इसे सर्वसम्मति से पारित किया गया। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को 50 प्रतिशत आरक्षण सीमा की याद दिलाई। यह मामला राज्य में पिछड़ा वर्ग समुदायों के अधिकारों और आरक्षण नीति को लेकर गंभीर बहस का कारण बना है।

तेलंगाना में पिछड़ा वर्ग आरक्षण के लिए राज्यव्यापी हड़ताल, स्कूल, कॉलेज और सरकारी दफ्तर होंगे बंद, सार्वजनिक यातायात प्रभावित

बंद के दौरान क्या खुलेगा और क्या बंद रहेगा

बंद के चलते राज्य में सभी स्कूल, कॉलेज और सरकारी कार्यालय बंद रहेंगे। इसके अलावा, सार्वजनिक परिवहन भी प्रभावित होने की संभावना है। हालांकि, सभी आवश्यक सेवाएं चालू रहेंगी ताकि आम नागरिकों की सुविधा प्रभावित न हो। लोग अपने दैनिक कामकाज में बाधा न आए, इसके लिए सरकार ने विशेष इंतजाम किए हैं।

राजनीतिक दलों का समर्थन और बयान

इस बंद का समर्थन कांग्रेस ने भी किया है। साथ ही, बीजेपी के सांसद आर. कृष्णैया ने कहा कि यह आंदोलन राज्य के सभी पिछड़ा वर्गों की सामूहिक आवाज़ है। उन्होंने कहा, “हम न्याय के लिए बड़े पैमाने पर प्रदर्शन करेंगे और सरकार पर दबाव डालने के लिए बंद करेंगे ताकि रोजगार और स्थानीय निकायों में आरक्षण सुनिश्चित किया जा सके।” उल्लेखनीय है कि तेलंगाना में सत्तारूढ़ कांग्रेस ने भी इस बंद का समर्थन किया और केंद्रीय मोदी सरकार की पिछड़ा वर्ग कोटे बढ़ाने वाली बिल को मंजूरी न देने पर आलोचना की।

बंद का सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव

राज्यव्यापी बंद से तेलंगाना में आम जनजीवन प्रभावित हो सकता है। स्कूल, कॉलेज और सरकारी कार्यालय बंद रहने से शिक्षा और प्रशासनिक कामकाज प्रभावित होंगे। सार्वजनिक परिवहन प्रभावित होने से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। राजनीतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से यह आंदोलन राज्य में पिछड़ा वर्ग समुदायों के अधिकारों और आरक्षण नीति पर जोरदार बहस को जन्म देगा और भविष्य में आरक्षण से जुड़े मामलों में महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है।

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