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I&B Ministry officials’ salaries to stay on hold until completion of iGOT online training programme

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I&B Ministry officials’ salaries to stay on hold until completion of iGOT online training programme
फ़ाइल छवि का उपयोग केवल प्रतिनिधित्वात्मक उद्देश्य के लिए किया गया है।

फ़ाइल छवि का उपयोग केवल प्रतिनिधित्वात्मक उद्देश्य के लिए किया गया है। | फोटो साभार: एपी

वेतन की मंजूरी को एकीकृत सरकारी ऑनलाइन प्रशिक्षण (आईजीओटी) पाठ्यक्रमों को अनिवार्य रूप से पूरा करने से जोड़ा गया है, सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने सोमवार (18 नवंबर, 2024) को एक कार्यालय ज्ञापन जारी करते हुए कहा कि “उनके अधिकारियों का वेतन केवल मंजूरी दी जाएगी।” अनिवार्य आईजीओटी पाठ्यक्रम पूरा होने पर”।

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी हाल ही में 2024 लॉन्च किया गया राष्ट्रीय शिक्षण सप्ताह (एनएलडब्ल्यू), के नाम से भी जाना जाता है कर्मयोगी सप्ताहजिसका उद्देश्य भारत में सिविल सेवकों के कौशल को विकसित करना है।

आईजीओटी एक ऑनलाइन शिक्षण मंच है जो भारत में सरकारी कर्मचारियों को प्रशिक्षण प्रदान करता है। यह प्लेटफॉर्म डिजिटल इंडिया स्टैक का हिस्सा है और इसे कभी भी, कहीं भी और किसी भी डिवाइस पर सीखने में सक्षम बनाने के लिए विकसित किया जा रहा है।

ज्ञापन के अनुसार, “सूचना और प्रसारण मंत्रालय के सभी प्रधान लेखा कार्यालयों (पीएओ) को केवल उन्हीं अधिकारियों के वेतन बिलों का भुगतान करने का निर्देश दिया गया है, जिन्हें अनिवार्य आईजीओटी पाठ्यक्रमों को पूरा करने के संबंध में आहरण और संवितरण अधिकारी और कार्यालय प्रमुख द्वारा प्रमाणित किया गया है। . अन्य मामलों में, जहां प्रमाणपत्र उपलब्ध नहीं कराए गए हैं, वेतन बिल अगले आदेश तक रोके रखे जा सकते हैं।”

केंद्र सरकार द्वारा जारी जानकारी के अनुसार कार्यक्रम का लक्ष्य सिविल सेवाओं को अधिक उत्तरदायी, सक्षम और भविष्य के लिए तैयार करना है।

इसके हिस्से के रूप में, कई कार्यक्रमों की पेशकश की जा रही है, जिसमें शासन, एआई, स्टार्ट-अप पारिस्थितिकी तंत्र आदि विषयों पर विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों की बातचीत और सहयोग और सामूहिक शिक्षा को बढ़ावा देने वाले कार्यक्रम शामिल हैं। आईजीओटी कर्मयोगी पोर्टल पर एक निश्चित संख्या में पाठ्यक्रम पूरा करने वाले कर्मचारियों को ‘आदर्श कर्मयोगी पुरस्कार’ से सम्मानित किया जाता है।

कर्मयोगी सप्ताह – मंत्रालय की विज्ञप्ति के अनुसार राष्ट्रीय शिक्षण सप्ताह 19 अक्टूबर से 14 नवंबर तक आयोजित किया गया।

केंद्र सरकार ने अपनी विज्ञप्ति में कहा कि उन्हें कार्यक्रम के लिए सभी मंत्रालयों, विभागों और सिविल सेवा प्रशिक्षण संस्थानों से सामूहिक प्रतिबद्धता के साथ असाधारण प्रतिक्रिया मिली है।

“इस कार्यक्रम में कुल 45.4 लाख पाठ्यक्रम नामांकन, 32.5 लाख पाठ्यक्रम पूर्ण हुए और आश्चर्यजनक रूप से 38.5 लाख घंटे सीखने को मिले। विज्ञप्ति में कहा गया है, ”कुल मिलाकर, 7.45 लाख सिविल सेवकों ने भाग लिया, जिनमें से 4.21 लाख ने चार घंटे की योग्यता से जुड़ी शिक्षा का लक्ष्य पूरा किया।”

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केंद्रीय विश्वविद्यालयों में खाली पदों पर Rahul Gandhi का हमला! यह सिर्फ लापरवाही नहीं, बल्कि साजिश है

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केंद्रीय विश्वविद्यालयों में खाली पदों पर Rahul Gandhi का हमला! यह सिर्फ लापरवाही नहीं, बल्कि साजिश है

Rahul Gandhi: हाल ही में संसद में पेश किए गए आंकड़ों ने चौंकाने वाला सच सामने लाया है। देश के अधिकतर केंद्रीय विश्वविद्यालयों में प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसर के पद बड़ी संख्या में खाली हैं। खासकर अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षित पदों में 60 से 80 प्रतिशत तक की भारी कमी है। यह सिर्फ शिक्षा की गिरती हालत नहीं बल्कि गहरी सामाजिक चिंता का विषय बन चुका है।

राहुल गांधी का तीखा हमला

राहुल गांधी ने इन आंकड़ों को लेकर केंद्र सरकार पर जमकर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ प्रशासनिक लापरवाही नहीं बल्कि बहुजनों को शिक्षा और शोध से दूर रखने की एक ‘सोची-समझी साजिश’ है। उनका कहना है कि सरकार की मंशा है कि बहुजन समाज उच्च शिक्षा और नीति निर्माण से बाहर ही रहे ताकि उनकी आवाज कहीं न सुनी जाए।

‘एनएफएस’ के नाम पर हो रहा अन्याय

राहुल गांधी ने यह भी आरोप लगाया कि सरकार योग्य उम्मीदवारों को ‘एनएफएस’ यानी ‘नॉट फाउंड स्युटेबल’ कहकर बाहर कर रही है। एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग के हजारों योग्य अभ्यर्थियों को अयोग्य बताकर उनके हक छीने जा रहे हैं। उन्होंने इसे ‘संस्थागत मनुवाद’ करार देते हुए कहा कि यह सोच आज भी जीवित है और व्यवस्था में गहराई तक समाई हुई है।

बहुजनों की अनुपस्थिति से शोध में भी पक्षपात

राहुल गांधी ने इस बात पर चिंता जताई कि बहुजनों की शिक्षा और विश्वविद्यालयों में सहभागिता कम होने से उनकी समस्याएं शोध और विमर्श से भी गायब हो रही हैं। जब विश्वविद्यालयों में ही उनके प्रतिनिधि नहीं होंगे तो उनकी जरूरतों और अधिकारों पर कौन बात करेगा। यह समाज के एक बड़े हिस्से को साइलेंट बना देने की प्रक्रिया है।

बहुजनों को मिलना चाहिए उनका अधिकार

राहुल गांधी ने सरकार से मांग की है कि सभी खाली पदों को तुरंत भरा जाए। उन्होंने कहा कि यह एक बड़ी सामाजिक ज़िम्मेदारी है जिसे अब और नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। बहुजनों को उनका हक मिलना चाहिए न कि मनुवादी सोच के तहत बहिष्करण। शिक्षा में समान अवसर देना ही सच्चा लोकतंत्र होगा।

 

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Bihar Election 2025: बिहार की सत्ता पर किसका कब्जा? चिराग पासवान ने खोल दिए चुनावी पत्ते

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Bihar Election 2025: बिहार की सत्ता पर किसका कब्जा? चिराग पासवान ने खोल दिए चुनावी पत्ते

Bihar Election 2025: बिहार में विधानसभा चुनाव का मौसम शुरू हो चुका है। सभी राजनीतिक पार्टियां एक्टिव हो चुकी हैं और मैदान में उतरने की तैयारी कर रही हैं। माना जा रहा है कि चुनाव अक्टूबर के आखिरी सप्ताह या नवंबर के पहले सप्ताह में होंगे। चुनाव आयोग अक्टूबर में तारीखों की घोषणा करेगा और 10 से 12 नवंबर तक नतीजे आ जाएंगे। नतीजों से ही तय होगा कि बिहार की सत्ता किसके हाथ जाएगी।

चिराग पासवान की बदली रणनीति

केंद्र सरकार में मंत्री और लोजपा प्रमुख चिराग पासवान ने इस बार कुछ अलग तेवर दिखाए हैं। उन्होंने चुनावी रैलियों में जातिवाद से ऊपर उठने की बात कही है। चिराग ने जनसुराज पार्टी के प्रमुख प्रशांत किशोर की खुले दिल से तारीफ की और कहा कि वे ईमानदारी से बिहार की दिशा और दशा सुधारने की राजनीति कर रहे हैं। चिराग ने कहा कि उन्हें हर उस व्यक्ति की सोच पसंद है जो बिहार और बिहारी के हित के लिए बिना किसी जाति-धर्म के राजनीति में आता है।

‘आपके पास विकल्पों की भरमार है’

चिराग पासवान ने लोगों से अपील करते हुए कहा कि भारत के लोकतंत्र की खूबसूरती यही है कि यहां हर मतदाता के पास कई विकल्प होते हैं। उन्होंने कहा कि अगर किसी को ‘बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट’ की विचारधारा पसंद है तो वो उसे चुने। अगर कोई जातिवाद और सांप्रदायिकता की सोच रखता है तो उनके लिए भी विकल्प खुले हैं। साथ ही उन्होंने अपने ‘MY’ यानी महिला और युवा विकास की सोच को सबसे आगे रखने की अपील की।

RJD के MY समीकरण पर निशाना

चिराग ने RJD के परंपरागत वोट बैंक को भी निशाने पर लिया। उन्होंने कहा कि RJD का MY मतलब मुस्लिम और यादव का समीकरण है और उनकी पूरी राजनीति इसी पर आधारित है। जबकि उनका MY मतलब महिला और युवा है। उन्होंने कहा कि अब जनता को तय करना है कि वो किस सोच को अपनाती है। बिहार की जनता अब ज्यादा जागरूक हो चुकी है और वो राज्य के भविष्य के बारे में सोचकर वोट डालेगी।

SIR पर विपक्ष को घेरा

वोटर लिस्ट की जांच को लेकर हो रहे विवाद पर चिराग पासवान ने विपक्ष को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव के बाद खुद विपक्ष ही चुनाव आयोग के पास गया था और शिकायत की थी कि वोटर लिस्ट में गड़बड़ियां हैं। इसी के चलते आयोग ने SIR यानी स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन का फैसला लिया। अब जब ईमानदारी से वोटर लिस्ट की जांच हो रही है तो विपक्ष को इससे भी आपत्ति हो रही है। उन्होंने कहा कि ये तो दोहरी नीति है।

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Maharashtra: कल्याण के अस्पताल में घटी दिल दहला देने वाली घटना! जब इलाज लाया हिंसा का तूफान

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Maharashtra: कल्याण के अस्पताल में घटी दिल दहला देने वाली घटना! जब इलाज लाया हिंसा का तूफान

Maharashtra: यह मामला महाराष्ट्र के कल्याण शहर स्थित श्री बालाजी चिल्ड्रन हॉस्पिटल का है। सोमवार सुबह एक युवक गोपाल झा अपनी पत्नी और बच्चे को लेकर इलाज के लिए अस्पताल पहुंचा। डॉक्टर थोड़ी देर से आए थे जिस वजह से सभी मरीज अपनी बारी का इंतज़ार कर रहे थे। जब गोपाल ने डॉक्टर से तुरंत मिलने की ज़िद की तो रिसेप्शनिस्ट ने उसे शांति से बताया कि अभी उसका नंबर नहीं आया है। इसी बात से आगबबूला होकर गोपाल ने अपना आपा खो दिया।

सीसीटीवी में कैद हुई बर्बरता

हॉस्पिटल में लगे सीसीटीवी कैमरे में पूरी घटना रिकॉर्ड हो गई है। फुटेज में साफ देखा जा सकता है कि गोपाल ने पहले रिसेप्शनिस्ट के पेट में जोर से लात मारी। फिर उसने बाल पकड़कर घसीटा और कई थप्पड़ भी मारे। वहां मौजूद लोग यह सब देखकर दंग रह गए और किसी तरह आरोपी को रोककर अस्पताल से बाहर निकाला। पीड़िता इस हमले से बुरी तरह घबरा गई है और उसकी मानसिक स्थिति भी डगमगा गई है।

थाने में दर्ज हुई शिकायत

पीड़िता ने इस हमले के बाद मनपाड़ा पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज करवाई। पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धाराओं के तहत गोपाल झा के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। पीड़िता ने यह भी बताया कि आरोपी ने मारपीट के साथ-साथ गाली-गलौच भी की। पुलिस अब सीसीटीवी फुटेज को सबूत के तौर पर इस्तेमाल करते हुए मामले की जांच कर रही है और आरोपी की गिरफ्तारी की प्रक्रिया शुरू हो गई है।

सोशल मीडिया पर भड़का जन आक्रोश

घटना का वीडियो जैसे ही सोशल मीडिया पर वायरल हुआ लोगों में गुस्सा भर गया। स्थानीय लोगों ने इस हिंसा की कड़ी निंदा की और आरोपी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की। कई लोगों ने सवाल उठाया कि अस्पताल जैसे शांतिपूर्ण स्थान में इस तरह की बर्बरता कैसे हो सकती है। यह केवल एक महिला पर हमला नहीं था बल्कि पूरे मेडिकल स्टाफ की सुरक्षा पर सवाल है।

अस्पताल प्रबंधन की चुप्पी भी सवालों में

घटना के बाद अस्पताल प्रबंधन की ओर से कोई ठोस बयान सामने नहीं आया है। लोगों का कहना है कि अस्पतालों में सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत किया जाना चाहिए ताकि ऐसे हिंसक तत्व दोबारा इस तरह की हरकत करने की हिम्मत न जुटा सकें। अब देखना यह है कि प्रशासन और अस्पताल मिलकर इस मामले में क्या कदम उठाते हैं।

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