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DBS Bank: 1 अगस्त से हर महीने की जेब ढीली? DBS बैंक ने मासिक बैलेंस न रखने पर लगाया 6% जुर्माना

अगर आपका सेविंग्स अकाउंट DBS Bank में है तो अब सतर्क हो जाइए क्योंकि बैंक ने अपने नियमों में बड़ा बदलाव किया है। 1 अगस्त 2025 से नए नियम लागू होंगे जिनके तहत अगर आपने अपने खाते में तय औसत मासिक बैलेंस नहीं रखा तो उस पर बैंक 6 प्रतिशत तक की पेनल्टी वसूलेगा। यह पेनल्टी अधिकतम ₹500 तक हो सकती है। बैंक ने यह जानकारी अपने ग्राहकों को एसएमएस के माध्यम से भेजी है।
कैसे होगी पेनल्टी की गणना
मान लीजिए कि आपके खाते में औसत मासिक बैलेंस रखने की सीमा ₹10,000 है और आपने महीने में औसतन ₹8,500 रखा। ऐसे में ₹1,500 की कमी यानी “शॉर्टफॉल” मानी जाएगी। अब इस कमी पर 6 प्रतिशत की दर से पेनल्टी लगेगी यानी ₹90 का जुर्माना भरना होगा। लेकिन यदि कमी बहुत अधिक है तो पेनल्टी ₹500 से ज्यादा नहीं होगी।
किस खाते पर कितना बैलेंस जरूरी
DBS बैंक के अलग-अलग सेविंग्स अकाउंट्स के लिए औसत मासिक बैलेंस की सीमा भी अलग-अलग तय की गई है। SB Others अकाउंट में ₹1,000, Growth One Savings में ₹5,000, Savings Account और Growth Savings में ₹10,000 की जरूरत होगी। वहीं Lakshmi Savings Youth Power Account में ₹100 और TASC Savings Youth Power Account में भी ₹10,000 का औसत बैलेंस बनाए रखना अनिवार्य है। इन सभी खातों में नियम तोड़ने पर 6 प्रतिशत पेनल्टी लगेगी।
ग्राहकों को क्यों होना चाहिए सतर्क
बैंक द्वारा औसत मासिक बैलेंस की बाध्यता ग्राहक के लिए कभी-कभी मुश्किल भरी साबित हो सकती है। खासतौर से उन लोगों के लिए जो सीमित आय वाले होते हैं या जिनका बैंक अकाउंट सिर्फ ज़रूरत के समय इस्तेमाल होता है। इस स्थिति में ग्राहकों को अपने खर्च और बैलेंस पर नज़र रखनी जरूरी है ताकि उन्हें हर महीने बिना वजह की पेनल्टी न भरनी पड़े।
डिजिटल बैंकिंग के युग में नियमों की जानकारी जरूरी
आज के समय में जब लोग ऑनलाइन और मोबाइल बैंकिंग पर ज्यादा निर्भर हैं, ऐसे में बैंक के नियमों और शर्तों को जानना बेहद जरूरी है। कई बार लोग बिना जानकारी के नियम तोड़ बैठते हैं और उन्हें पेनल्टी का सामना करना पड़ता है। DBS बैंक का यह नया नियम स्पष्ट करता है कि ग्राहक को अपने खाते की स्थिति पर हर समय नज़र रखनी होगी ताकि आर्थिक नुकसान से बचा जा सके।
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Industrial Plot Scheme: 28 जुलाई तक मौका! ग्रेटर नोएडा में मिल रहा है सस्ता इंडस्ट्रियल प्लॉट

Industrial Plot Scheme: अगर आप ग्रेटर नोएडा में अपना उद्योग लगाने की सोच रहे हैं तो यह मौका आपके लिए किसी सुनहरे अवसर से कम नहीं है। ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी ने अपनी इंडस्ट्रियल प्लॉट स्कीम की आखिरी तारीख को बढ़ा दिया है। पहले इसकी अंतिम तिथि 20 जून 2025 थी लेकिन अब इसे बढ़ाकर 28 जुलाई 2025 कर दिया गया है। यानी आपके पास अब भी 8 दिनों का समय है और आप इस योजना में भाग लेकर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।
आवेदन प्रक्रिया बेहद आसान
अथॉरिटी द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार इच्छुक आवेदक ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी की वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन साइनअप करके आवेदन कर सकते हैं। इसमें जरूरी दस्तावेज, प्रोसेसिंग फीस और EMD (Earnest Money Deposit) ऑनलाइन ही जमा करनी होगी। आवेदन प्रक्रिया के बाद प्लॉट की नीलामी की जाएगी। हालांकि नीलामी की तारीख अभी घोषित नहीं हुई है लेकिन आवेदन पूरे होते ही इसकी जानकारी भी जारी कर दी जाएगी।
हर आकार और ज़रूरत के लिए प्लॉट उपलब्ध
इस योजना में 450 वर्ग मीटर से लेकर 8000 वर्ग मीटर तक के प्लॉट उपलब्ध हैं। कुल 40 औद्योगिक प्लॉट इस स्कीम में शामिल किए गए हैं। ये सभी प्लॉट अलग-अलग सेक्टरों में स्थित हैं। जो लोग छोटे स्तर पर कारोबार शुरू करना चाहते हैं उनके लिए भी प्लॉट हैं और जो बड़े स्तर पर फैक्ट्री या यूनिट लगाना चाहते हैं उनके लिए भी पर्याप्त विकल्प मौजूद हैं।
कीमत भी आकर्षक और क्षेत्र के हिसाब से तय
इस योजना के तहत प्लॉट की रिजर्व प्राइस यानी न्यूनतम कीमत भी तय कर दी गई है। यह दर प्लॉट के क्षेत्रफल और स्थान के हिसाब से अलग-अलग है। न्यूनतम दर 28,600 रुपये प्रति वर्ग मीटर से शुरू होकर अधिकतम 33,910 रुपये प्रति वर्ग मीटर तक जाती है। पहली बार ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी ने नई औद्योगिक नीति के तहत इस प्रकार की योजना शुरू की है जिससे निवेशकों में खासा उत्साह देखा जा रहा है।
निवेश और रोजगार दोनों को मिलेगा बढ़ावा
इस योजना का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि इससे इस क्षेत्र में हजारों करोड़ रुपये का निवेश आएगा और साथ ही करीब 15,000 लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगा। ग्रेटर नोएडा के Ecotech-1 से लेकर Ecotech-11 तक के औद्योगिक सेक्टरों में ये प्लॉट हैं जो निवेश और विकास दोनों के लिहाज से बेहद उपयोगी हैं। यह योजना न सिर्फ उद्यमियों के लिए बल्कि क्षेत्र की अर्थव्यवस्था के लिए भी एक वरदान साबित हो सकती है।
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Hindon Airport: अब नोएडा-गाज़ियाबाद से सीधा उड़िए मुंबई और चेन्नई, हिंडन एयरपोर्ट बना लोगों की पहली पसंद

Hindon Airport: नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाज़ियाबाद और मेरठ के लोगों के लिए एक बड़ी खुशखबरी है। अब उन्हें फ्लाइट पकड़ने के लिए दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट तक लंबा सफर तय नहीं करना पड़ेगा। हिंडन एयरपोर्ट से अब सीधी उड़ानें मिलेंगी जो ना सिर्फ समय की बचत करेंगी बल्कि ट्रैफिक के झंझट से भी निजात दिलाएंगी।
इंडिगो शुरू कर रही है 8 नए शहरों के लिए उड़ानें
20 जुलाई 2025 से हिंडन एयरपोर्ट से इंडिगो एयरलाइंस की सीधी उड़ानों की शुरुआत हो रही है। ये उड़ानें बेंगलुरु, कोलकाता, मुंबई, पटना, चेन्नई, वाराणसी, अहमदाबाद और इंदौर जैसे बड़े शहरों के लिए शुरू की जा रही हैं। पहली उड़ान बेंगलुरु के लिए सुबह 7:50 बजे रवाना होगी। इससे लाखों लोगों को सीधा और सुलभ हवाई संपर्क मिलेगा।
तैयारियों को अंतिम रूप, केंद्रीय मंत्री दिखाएंगे हरी झंडी
हिंडन एयरपोर्ट पर इंडिगो की उड़ान सेवा शुरू करने के लिए तैयारियां ज़ोरों पर हैं। केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू 20 जुलाई को पहली उड़ान को हरी झंडी दिखाएंगे। इससे पहले एयरपोर्ट अथॉरिटी और इंडिगो के अधिकारी मिलकर लगातार निरीक्षण और बैठकें कर रहे हैं ताकि यात्रियों को किसी तरह की असुविधा न हो।
अब कुल 15 शहरों तक हवाई सेवा
अभी तक हिंडन एयरपोर्ट से एयर इंडिया एक्सप्रेस की फ्लाइट्स जयपुर, गोवा, नांदेड, बठिंडा, आदमपुर, किशनगढ़, भुवनेश्वर, कोलकाता, मुंबई, पटना, वाराणसी, बेंगलुरु और अहमदाबाद के लिए चल रही थीं। अब इंडिगो के जुड़ने से इंदौर और चेन्नई को भी जोड़ दिया गया है। यानी अब कुल 15 शहरों के लिए सीधी उड़ानों की सुविधा होगी।
स्थानीय लोगों के लिए बड़ी सहूलियत
इस नई पहल से खासकर उन लोगों को फायदा होगा जो गाज़ियाबाद, मेरठ, नोएडा जैसे इलाकों में रहते हैं और दिल्ली एयरपोर्ट की भीड़ व दूरी से परेशान थे। अब उन्हें नज़दीक ही बेहतर और समय बचाने वाली हवाई सेवा मिल रही है। इससे व्यापार, पर्यटन और परिवारिक यात्रा सब कुछ और आसान हो जाएगा।
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India-US Trade: FTA पर घमासान, दूध और स्टील पर भारत का अमेरिका को करारा जवाब

India-US Trade: प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (EAC-PM) के अध्यक्ष एस महेंद्र देव ने कहा कि भारत को अमेरिका के साथ व्यापार समझौता अपनी शर्तों और राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखकर करना चाहिए। उन्होंने कहा कि भविष्य में जब भी भारत किसी देश के साथ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) करेगा तो उसमें टैरिफ लाभ ऐसे तय किए जाएंगे जिससे भारत के निर्यात को बढ़त मिल सके। उन्होंने यह भी कहा कि भारत की नीति हमेशा से अपने हिसाब से व्यापार डील करने की रही है।
अमेरिका की मांगें और इंडोनेशिया से तुलना
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संकेत दिया है कि वे भारत के साथ इंडोनेशिया की तरह ही व्यापार समझौता करना चाहते हैं। इंडोनेशिया ने अमेरिका को अपने बाजार में पूरी पहुंच दी है जबकि उनके उत्पादों पर अमेरिका में 19% तक शुल्क लगेगा। साथ ही इंडोनेशिया ने अमेरिका से 15 अरब डॉलर की ऊर्जा और 4.5 अरब डॉलर के कृषि उत्पाद खरीदने के साथ 50 बोइंग विमान खरीदने का वादा भी किया है।
भारत की सख्ती: दुग्ध और कृषि उत्पादों पर कोई रियायत नहीं
वाशिंगटन में चल रहे भारत-अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार वार्ता के पांचवें दौर में भारत ने अमेरिका की मांगों को सख्ती से खारिज कर दिया है। अमेरिका चाहता था कि भारत दूध और कृषि उत्पादों पर ड्यूटी कम करे लेकिन भारत ने अब तक किसी भी FTA में इस सेक्टर को छूट नहीं दी है। भारत की ओर से मांग की गई है कि अमेरिका स्टील और एल्युमिनियम पर लगने वाले 50% शुल्क और ऑटो सेक्टर पर लगने वाले 25% टैक्स में राहत दे।
मुद्रास्फीति और वित्तीय अनुशासन पर टिप्पणी
एस महेंद्र देव ने कहा कि मौजूदा समय में मुद्रास्फीति के लक्ष्य को बढ़ाने की कोई जरूरत नहीं है क्योंकि मौजूदा ढांचा संतुलित रूप से महंगाई और विकास दोनों को संभाल रहा है। उन्होंने कहा कि पिछले 10 वर्षों में मुद्रास्फीति 2%-6% के दायरे में रही है जिससे गरीब और मध्यम वर्ग को राहत मिली है। फिलहाल RBI का लक्ष्य 4% है जिसमें +2% और -2% की सीमा है।
मोबाइल फोन और एफडीआई में प्रगति
भारत ने मोबाइल फोन निर्माण में जबरदस्त सफलता हासिल की है। साल 2014-15 में मोबाइल फोन का 78% हिस्सा आयात किया जाता था लेकिन 2022-23 तक यह घटकर केवल 4% रह गया। साथ ही इलेक्ट्रॉनिक्स और नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्रों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) में भी बड़ा इजाफा हुआ है। एस महेंद्र देव ने यह भी सराहा कि सरकार ने राजकोषीय घाटे को 2020-21 के 9.2% से घटाकर 2024-25 में 4.8% कर दिया है और इसे 2025-26 में 4.4% तक लाने का लक्ष्य है।
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