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Credit Card ने युवाओं को बनाया कर्ज का कैदी! जानिए कैसे फंसते हैं लोग जाल में

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Credit Card ने युवाओं को बनाया कर्ज का कैदी! जानिए कैसे फंसते हैं लोग जाल में

आजकल देश में Credit Card का चलन बहुत तेज़ी से बढ़ रहा है। खासकर युवा वर्ग इसे सबसे ज़्यादा इस्तेमाल कर रहा है। चाहे नया मोबाइल लेना हो या घूमने जाना हो क्रेडिट कार्ड उनके हर सपने को पूरा करने का माध्यम बन गया है। यही नहीं ज़रूरत पड़ने पर युवा क्रेडिट कार्ड से लोन लेने में भी पीछे नहीं रहते। हालांकि यह सुविधा उनकी आर्थिक हालत पर भारी पड़ रही है।

कैसे फंस जाते हैं कर्ज के जाल में

क्रेडिट कार्ड से लिया गया लोन जल्दी और आसानी से मिल जाता है लेकिन बाद में इसकी ईएमआई और ब्याज लोगों की कमर तोड़ देते हैं। युवाओं को लगता है कि जब ज़रूरत हो तो कार्ड से पैसा निकालकर सब कुछ तुरंत हासिल किया जा सकता है लेकिन जब हर महीने ब्याज और ईएमआई का बोझ आता है तो असली मुश्किल शुरू होती है। यह कर्ज धीरे-धीरे उनका बजट बिगाड़ देता है।

Credit Card ने युवाओं को बनाया कर्ज का कैदी! जानिए कैसे फंसते हैं लोग जाल में

क्रेडिट कार्ड लोन और आम खरीदारी में फर्क

सामान्य क्रेडिट कार्ड से की गई खरीददारी पर करीब 45 दिनों तक ब्याज नहीं लगता। लेकिन जब आप क्रेडिट कार्ड से लोन लेते हैं तो ब्याज पहले दिन से ही लगना शुरू हो जाता है। कार्ड से की गई खरीदारी में न्यूनतम भुगतान (minimum payment) की सुविधा होती है लेकिन लोन में फिक्स ईएमआई देनी होती है और ब्याज छूट की कोई गुंजाइश नहीं होती। यही वजह है कि क्रेडिट कार्ड से लिया गया लोन ज्यादा महंगा साबित होता है।

कैसे लगता है ज्यादा ब्याज

क्रेडिट कार्ड से लिए गए लोन पर सालाना ब्याज दर 18 से 24 प्रतिशत होती है यानी हर महीने 1 से 1.5 प्रतिशत तक का ब्याज। इसके अलावा प्रोसेसिंग फीस भी 1 से 2 प्रतिशत तक होती है और अगर आप समय से पहले लोन चुकाना चाहते हैं तो उस पर 3 से 5 प्रतिशत की पेनाल्टी भी देनी पड़ सकती है। अगर आप 1 लाख रुपए का लोन लेते हैं तो सिर्फ ब्याज में करीब 10,000 रुपए सालाना देना होता है।

क्रेडिट कार्ड के बजाय विकल्प क्या है

अगर किसी को सचमुच पैसे की ज़रूरत हो तो क्रेडिट कार्ड से लोन लेने के बजाय पर्सनल लोन लेना कहीं बेहतर होता है। पर्सनल लोन की ब्याज दर कम होती है और भुगतान की व्यवस्था भी ज्यादा सुविधाजनक होती है। वित्तीय विशेषज्ञ भी यही सलाह देते हैं कि क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल सिर्फ जरूरत के समय करें और उसे समय पर चुका दें ताकि ब्याज न लग पाए।

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Donald Trump का झटका! पाकिस्तान से तेल निकालने आई अमेरिका की कंपनी, भारत पर भी पड़ा असर

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Donald Trump का झटका! पाकिस्तान से तेल निकालने आई अमेरिका की कंपनी, भारत पर भी पड़ा असर

पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति Donald Trump ने एक बार फिर दुनिया को चौंका दिया है। उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर जानकारी दी कि अमेरिका और पाकिस्तान के बीच एक नया व्यापार समझौता हुआ है। इस समझौते के तहत दोनों देश मिलकर पाकिस्तान के विशाल तेल भंडार का विकास करेंगे। ट्रंप ने इसे “बड़ा कदम” बताते हुए एक नई दिशा की शुरुआत बताया है।

अमेरिकी कंपनी करेगी नेतृत्व: ट्रंप ने कहा जल्द तय होगा नाम

ट्रंप ने बताया कि इस परियोजना की अगुवाई एक बड़ी अमेरिकी तेल कंपनी करेगी जिसे जल्द ही चुना जाएगा। उन्होंने मजाक में लिखा कि क्या पता एक दिन पाकिस्तान भारत को भी तेल बेचना शुरू कर दे। हालांकि उन्होंने ये नहीं बताया कि यह तेल भंडार कहां स्थित है और कितना बड़ा है। लेकिन उन्होंने यह जरूर संकेत दिया कि इसमें अरबों डॉलर का मुनाफा छिपा है।

पाकिस्तान की चुप्पी: सरकार की ओर से नहीं आया कोई बयान

फिलहाल पाकिस्तान सरकार की तरफ से इस समझौते पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। ना ही इस डील की पुष्टि की गई है और ना ही इनकार किया गया है। पाकिस्तानी मीडिया में इसे लेकर हलचल जरूर शुरू हो गई है लेकिन सरकार पूरी तरह चुप है। शायद पाकिस्तान अभी इस समझौते की सटीक रूपरेखा पर काम कर रहा हो।

समुद्री क्षेत्र में छिपा खजाना: अब तक नहीं हो पाया था उपयोग

कुछ रिपोर्ट्स में बताया गया है कि पाकिस्तान के समुद्री क्षेत्रों में बड़े तेल भंडार मौजूद हैं। लेकिन तकनीकी साधनों की कमी और आर्थिक बदहाली के कारण पाकिस्तान इन क्षेत्रों में खुदाई और विकास नहीं कर सका है। अब अमेरिका की साझेदारी से उम्मीद की जा रही है कि ये क्षेत्र वैश्विक ऊर्जा मानचित्र पर अपनी जगह बना सकेंगे।

भारत के लिए संकेत या चुनौती: ट्रंप का बयान सोचने पर मजबूर करता है

ट्रंप का यह कहना कि पाकिस्तान एक दिन भारत को भी तेल बेच सकता है एक मजाक हो सकता है लेकिन यह संकेत भी देता है कि आने वाले वर्षों में पाकिस्तान ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर होने की ओर बढ़ सकता है। यदि ऐसा हुआ तो भारत के लिए यह न केवल एक आर्थिक बल्कि रणनीतिक चुनौती भी हो सकती है।

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India-US trade agreement: तारीख नजदीक लेकिन तस्वीर अब भी धुंधली! 77 अरब डॉलर के व्यापार पर संकट

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India-US trade agreement: तारीख नजदीक लेकिन तस्वीर अब भी धुंधली! 77 अरब डॉलर के व्यापार पर संकट

India-US trade agreement: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर भारत के साथ व्यापार समझौते को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने साफ किया कि अभी तक डील फाइनल नहीं हुई है जबकि डेडलाइन 1 अगस्त 2025 अब काफी नजदीक आ चुकी है। ट्रंप ने भारत को ‘मित्र’ बताया लेकिन साथ ही यह भी कहा कि भारत सबसे ज्यादा टैरिफ वसूलने वाला देश है। उन्होंने संकेत दिया कि भारत से आने वाले उत्पादों पर 20% से 25% तक आयात शुल्क लगाया जा सकता है। हालांकि, अमेरिका की ओर से अब तक कोई औपचारिक नोटिस भारत को नहीं भेजा गया है।

 व्यापार समझौते की संभावनाएं और बढ़ती अनिश्चितता

हाल के हफ्तों में ट्रंप प्रशासन बार-बार संकेत देता रहा कि भारत-अमेरिका व्यापार समझौता जल्द हो सकता है जिससे यह उम्मीद बनी कि शायद 1 अगस्त से पहले यह डील हो जाएगी। लेकिन अब तक न तो कोई ठोस घोषणा हुई है और न ही कोई लिखित समझौता सामने आया है। इससे दोनों देशों के कारोबारी वर्गों में असमंजस बढ़ गया है। गौरतलब है कि अप्रैल 2025 में अमेरिका ने भारत से आने वाले कुछ उत्पादों पर 26% तक टैरिफ लगाया था जिसे बाद में अस्थायी रूप से रोक दिया गया था।

अमेरिका की ‘रिसिप्रोकल टैरिफ पॉलिसी’ और भारत पर असर

अमेरिका ने ‘रिसिप्रोकल टैरिफ पॉलिसी’ के तहत यह साफ कर दिया है कि जो देश अमेरिकी उत्पादों पर ज्यादा टैरिफ लगाते हैं उन्हें भी अमेरिका उसी तरह जवाब देगा। ट्रंप का कहना है कि जब वह राष्ट्रपति बने तो उन्होंने यह तय किया कि भारत जैसी अर्थव्यवस्थाओं के साथ व्यापार अब संतुलन के आधार पर होगा। ट्रंप का यह भी दावा है कि पाकिस्तान के साथ भारत का टकराव उन्होंने ही रोका था इसलिए अब भारत को अमेरिकी हितों की भी परवाह करनी चाहिए।

भारत की प्रतिक्रिया: विश्वास के साथ हो रही बातचीत

भारत सरकार ने ट्रंप के बयानों के जवाब में संतुलित और संयमित प्रतिक्रिया दी है। केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा है कि भारत अब आत्मविश्वास के साथ समझौते करता है और अमेरिका के साथ हमारी बातचीत सही दिशा में जा रही है। उन्होंने यह भी कहा कि हम संतुलित और लाभकारी समझौते की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। इसके अलावा 14 जुलाई को एक वरिष्ठ अधिकारी ने भी कहा कि भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौते को लेकर अच्छी प्रगति हुई है।

भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों की अहमियत

वर्तमान में अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। वित्त वर्ष 2023–24 में दोनों देशों के बीच कुल 191 अरब डॉलर का व्यापार हुआ। भारत ने अमेरिका को 77.5 अरब डॉलर का निर्यात किया जबकि अमेरिका से 55.4 अरब डॉलर का आयात किया। इस व्यापारिक संतुलन पर ट्रंप की संरक्षणवादी नीति और संभावित नए टैरिफ से खतरा मंडरा रहा है। अगर व्यापार समझौता समय पर नहीं हुआ तो इसका असर दोनों देशों के आर्थिक रिश्तों पर पड़ सकता है।

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DA Hike Alert: अक्टूबर में आएगी खुशखबरी? केंद्रीय कर्मचारियों को मिल सकता है 3% डीए बढ़ोतरी का तोहफा

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DA Hike Alert: अक्टूबर में आएगी खुशखबरी? केंद्रीय कर्मचारियों को मिल सकता है 3% डीए बढ़ोतरी का तोहफा

DA Hike Alert: देशभर के केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए एक बड़ी राहत की खबर सामने आ रही है। सातवें वेतन आयोग के तहत जल्द ही डीए यानी महंगाई भत्ते में बढ़ोतरी की घोषणा हो सकती है। आमतौर पर जुलाई से डीए बढ़ोतरी लागू होती है लेकिन इसकी घोषणा कुछ महीनों बाद होती है। इसी क्रम में उम्मीद की जा रही है कि इस बार अक्टूबर के आसपास सरकार इसकी घोषणा करेगी और त्योहारी सीजन से पहले इसका पैसा कर्मचारियों और पेंशनर्स के खातों में पहुंच जाएगा।

 पिछली बार कितनी हुई थी बढ़ोतरी

मार्च 2025 में सरकार ने डीए में 2 प्रतिशत की बढ़ोतरी की थी जो जनवरी 2025 से लागू मानी गई। इस बढ़ोतरी के बाद डीए 53 प्रतिशत से बढ़कर 55 प्रतिशत हो गया। महंगाई भत्ता सरकारी कर्मचारियों की सैलरी का एक अहम हिस्सा होता है जो महंगाई के असर को कम करने के लिए दिया जाता है। हर छह महीने में डीए की समीक्षा की जाती है और सरकार समय-समय पर इसमें बदलाव करती है।

DA Hike Alert: अक्टूबर में आएगी खुशखबरी? केंद्रीय कर्मचारियों को मिल सकता है 3% डीए बढ़ोतरी का तोहफा

इस बार कितनी बढ़ोतरी की उम्मीद

इस बार कर्मचारियों और पेंशनर्स को 3 प्रतिशत डीए बढ़ोतरी की उम्मीद है। इसका सीधा मतलब है कि डीए 55 प्रतिशत से बढ़कर 58 प्रतिशत हो सकता है। इस बढ़ोतरी से लाखों सरकारी कर्मचारियों और पेंशनर्स को सीधा फायदा होगा और उनके वेतन में अच्छी खासी बढ़ोतरी देखने को मिलेगी। त्योहारों के समय इस प्रकार की राहत से खर्चों में संतुलन बना रहेगा और आर्थिक बोझ कुछ कम महसूस होगा।

कैसे होती है डीए की गणना

महंगाई भत्ते की गणना लेबर ब्यूरो द्वारा जारी किए जाने वाले कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स फॉर इंडस्ट्रियल वर्कर्स यानी CPI-IW पर आधारित होती है। इस इंडेक्स के जरिए यह तय किया जाता है कि रोजमर्रा की वस्तुओं और सेवाओं के दामों में कितना बदलाव आया है। लेबर ब्यूरो हर महीने यह आंकड़े साझा करता है जिनके आधार पर सरकार डीए की दर में इजाफा करती है।

जल्द आ सकती है आधिकारिक घोषणा

मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो इस बार डीए बढ़ोतरी की घोषणा जल्दी हो सकती है। सरकार पहले ही संकेत दे चुकी है कि त्योहारों से पहले कर्मचारियों और पेंशनर्स को राहत देने की योजना पर काम चल रहा है। अगर सब कुछ योजना के अनुसार चलता है तो अक्टूबर के पहले सप्ताह में ही डीए बढ़ोतरी का ऐलान हो सकता है और इसका पैसा अक्टूबर की सैलरी के साथ जारी कर दिया जाएगा।

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